Friday, June 13, 2008

::.. कान्हा.. राधा ..::

हालाँकि मैं इस काबिल नही की मैं इस विषय पर लिखू.. परंतु आज रहा नही गया.. तो लिख दिया..
आप सभी का आशीर्वाद चाहूँगा..


::.. कान्हा.. राधा ..::










अपने नंद नंदन जा रहे है अपनी टोली लेकर.. और आज ही मय्या के कई बार समझाने के बाद भी राधा जी ने ज़िद कर ली की वो दही बेचने जाएगी.. अपनी सखियो के साथ.. अपने कान्हा को ख़बर लग गयी बस फिर क्या.. पहुँच गये वही अपनी टोली लेकर.. आइए देखते है क्या हुआ.

राधिका से मिलने कान्हा
टोली लेके आए रे..
देख देख गोपियन को
कैसा मुह बनाए रे..

दही ले जाती राधा को
रोक दिए राह रे..
बोले बिना दिए कर
कहा को तू जाए रे..

भोली राधा डर के मारे
पीछे ..हौ चली
गोपिया सभी एक संग
चिल्लाई रे...

वन धरती मय्या का है
काहे तोहे दे कर..
चलो हटो आगे, लागे नही
तोह से हमे डर..

मुह बिचककार मोहन सबको सताए रे. ...

कान्हा जी ने भी हार कब मानी रे
गोपियन को सबक सिखाने की ठानी रे
मारे पथ्हर गुलेल की कमानी से
दही वाली गगरी तोड़ गिराई रे..

देख हाल गोपियन का कान्हा मुस्काये रे...

गोपिया सब उलाहने देते हुए.. भाग गयी वहा से.. कन्हाई अपने बाल सख़ाओ के संग
अपनी क्रीड़ाओ में व्यस्त हो गये..
















खेल सब खेलत लागे
कोई लुके कोई भागे..
खेल खेल साथी सभी
थक थक आए रे..

बैठे सभी थके हारे
तभी एक साथी पुकारे.
हम से रहा ना जाए
लघु शंका के मारे..

अब सरपट साथी भागे
लघु शंका मिटाने जाए रे..
कान्हा जी का चंचल मॅन
यहा भी, कैसे ना रिज़ाए रे..

कहने लगे कान्हा सबसे
वही विजेता होगा..
जिसकी लघु शंका की धार
सबसे उपर जाए रे..

देख देख बाल ठी-ठोली
देवता भी नभ से..
लीला अपने कान्हा की
हँस हँस जाए रे..

ऐसे अनोखि बातें कान्हा, कहा से तू लाए रे.. ..


गोपिया भी कब तक बैठी रहती.. कान्हा के मोहपश मे बंधी.. लौट आती है.. सबसे पीछे राधा जी.. आगे आगे उनकी सारी सखिया.. कान्हा जी के संग खेलने को आई है...














कान्हा भोले मन का
बात मान जाए रे.
सब गोपियन को मुरलिया की
धुन से रिज़ाए रे..

पास बिठा के सबको
पैर दबवाए रे..
हाथो से गोपियन के
रस भरे फल खाए रे

देख कर कान्हा जी को ऐसे
साथी ग़ुस्साए रे.. बोले खीझ के
देखो, नंद बाबा का लाला
बड़ा इतराए रे..


कान्हा साथियो को अपने और भी जलाए रे..


....अब कान्हा जी जो जला रहे थे साथियो को.. उन्हे नही पता था.. की राधा जी रूठ जाएगी उनके ऐसा करने से.. राधा जी रूठ कर जा बैठी.. अब कन्हाई को आवाज़ दी जा रही है की आओ और राधा रानी को मनाओ..
















ओ कन्हाई.. तू सुनता जा रे..
जोहे बाट तोरी राधा जमुना किनारे

झूठ मूट रूठी बैठी
काहे तुम ना आए...
काहे सारे खेल तुमने
गोपियन को खिलाए...

सांझ हो चली कान्हा
उसको बुला लो..
पीपल की टहनी वाले
झूले मे झूला लो

तोरे संग ही घर जाएगी
भाई सारे विनती कर हारे..

ओ कन्हाई.. तू सुनता जा रे..

...........अब अब हमारे कान्हा जी जो सब जानते है की उनकी
राधा जी भला कब तक रूठेगी तो कान्हा जाते है राधा जी को मॅनाने.. के लिए........
















ओ मोरी राधा रानी.. काहे
जा बैठी तू जमुना किनारे
मोरी भोली गयया .. बंसी
तोहे ही पुकारे..

गोपियन तो सितारो जैसी
चंदा तू है राधा..
मैं तो अधूरा हू तू
अंग मोरा आधा ..

तू ही मोरी जीवन साथी
जेसे दिया और बाती
काहे भूलू तोहे, मोहे तू बता रे

ओ मोरी राधा रानी.. अरज करू आ रे..



.......राधा जी भी बड़ी भोली है जल्दी से मान जाती है......

ओ कन्हाई मोरे.. सुनता जा रे
तेरे संग प्रीत कभी टूट ना पाए रे.
तुझ पर आने से पहले
विपदा... आँगन मोरे आए रे...

तोरि सुनकर मुरलिया
मैं नाची जाउ..
देख देख जमुना मे ख़ुदको
शरमाती जाउ..

जादू कैसा तूने लाली पे किया रे..

ओ कन्हाई मोरे.. बतलाता जा रे..

.........और समस्त पृथ्वी प्रेम के पाशो मे बँध जाती है क्योंकि कान्हा राधा के रास का प्रारंभ होता है.. ...
















राधा को सुध नाही
कान्हा के आलिन्गन मे
दोनो का मन रमा
एक दूजे के मॅन मे..

कान्हा भूले गय्या अपनी
भूले गोकुल नगरी..
राधिका भी भूली सखिया,
पनघट पे गगरी..

रास की रामाई मे रम्वत जा रे

ओ कान्हा राधिका का तू हौ जा रे...


चंदा की चटक चुनर
कैसी लहराई.. कान्हा की बाहो मे
कैसी लाली शरमाई..

उठाके चले राधा रानी को कान्हा
कनुप्रिया जो थकने को आई
मेघ झूमे धरा पर बूँदे गिराए रे
झूमे धरती सारी अंबर झूमे जाए रे

सारा जग राधा कान्हा, ..मय होई जाए रे..

कान्हा राधा.. राधा कान्हा मय होई जाए रे..



















सारा जग राधा कान्हा, ..मय होई जाए रे..

कान्हा राधा.. राधा कान्हा मय होई जाए रे..

सारा जग राधा कान्हा, ..मय होई जाए रे..

कान्हा राधा.. राधा कान्हा मय होई जाए रे..

23 comments:

  1. सारा जग राधा कान्हा, ..मय होई जाए रे..

    कान्हा राधा.. राधा कान्हा मय होई जाए रे..

    ham bhi mantramughdha ho gaye is adbhut rachna mein..

    laga nandanvan mein khade khade sab dekh rahe hai..
    radha ke sang..aaj ham bhi sudhi bhool aaye hai..wahi...

    aur kya kahen..shabd nahi..

    likhte rahe..

    ReplyDelete
  2. khubsurat vishesh...prem mein... jalan...ruthna...manana...aur in sab se upar masumiyat...sab ek hi kavyalekh mein...kamaal kar diya...

    ReplyDelete
  3. bhaut badhiya likha hai bhai... ye to sach hai ki radha-krishna par jo bhi likha jaay kam hai, par aapne to bahut achcha likha... aap khamkhaah dar rahe the...

    ReplyDelete
  4. Bahut badhiya likha hai, Kush aapne. Lekhan mein jaadoo hai...
    Prasann ho gaye padhakar.
    Bahut shaandaar.

    ReplyDelete
  5. कुश तूने लिखा है निराला कुछ कुछ--

    ReplyDelete
  6. वाकई निराला है.....मन से लिखा है ...ये विधा आज तक हमे नही आयी ..

    ReplyDelete
  7. आपने तो सारे रूप दिखा दिए कान्हा और राधा के।

    ReplyDelete
  8. जैसे गुप्त जी कहते हैं न कि "राम तुम्हारा वृत्त स्वयम ही काव्य है, कोई कवि बन जाये सहज सम्भाव्य है"; उसी तरह कृष्ण और राधा का चरित्र भी वैसा ही है!

    ReplyDelete
  9. bahut hi badiya....tarif kay liye shabd nhi hai

    ReplyDelete
  10. वाह जी, बहुत बढ़िया रचा है. बधाई.

    ReplyDelete
  11. सारा जग राधा कान्हा, ..मय होई जाए रे..
    कान्हा राधा.. राधा कान्हा मय होई जाए रे..

    हम तो पढ़ते पढ़ते राधा ,कृष्ण मय हो गए ..बहुत ही सुंदर ,डूब गई मैं तो इस में बहुत अच्छा लिखा है आपने कुश

    ReplyDelete
  12. wah wah yaha to pura ke pura vrundawan sajaya hai aapne,har prasang ko bahut hi khubsurati se rachaya hai,simply superb creation.

    ReplyDelete
  13. भाई ये तो कुछ कमाल सी चीज हो गयी. चित्र तो गजब के हैं. बहुत खूबसूरत.

    ReplyDelete
  14. श्री कृष्ण मेरे आराध्य देव हैँ और राधारानी से मुझे बेहद लगाव है
    इस्लिये, आपको बहुत शाबाशी भेज रही हूँ ..
    -- लावण्या

    ReplyDelete
  15. bahut sundar.. jaise shabdon mein painting kar dee gayi ho...

    ReplyDelete
  16. वाह गुरु!
    कमाल का लिखे हो.
    अति सुंदर!
    बहुत बहुत बधाई.

    ReplyDelete
  17. arrey wah wah wah kush!!

    bahut hi sundar likha hai--main to mugth hi ho gayee-ek dum jaadu kar diya bhayee tumne to!!!!

    kya likha hai ki padhte hi jao!!!

    aise hi likhte raheeye!!!!man mohte raheeye...badahyee

    ReplyDelete
  18. bahut sundar...kavitaa ke saath chitra bhi
    kanha hai hee itna manbhavan

    ReplyDelete
  19. BAHUT HI SUNDAR BHAW AISA LAGA HUM KANHA KE SANGH THE -------SRI RADHE !!!!!!!!!!!!HARI BOL

    ReplyDelete
  20. JAI SHRI RADHEY.......... KITNA SUNDAR BHAW HAI AAP KA

    ReplyDelete
  21. श्री राधा जी ने अपने महल मै तोते पाल रखे थे और उन्हें रोज़ हरे कृष्ण
    हरे कृष्ण कहती थी तो तोते भी सारा दिन हरे कृष्ण हरे कृष्ण बोलते रहते
    और सब सखियाँ भी हरे कृष्ण हरे कृष्ण कहती | एक दिन राधाजी यमुना किनारेविचर रही थी सखियाँ दूर झुंड मै किकोल कर रही थी | इतने मै उनकी सामनेनज़र पड़ी तो क्या देखती है की शामसुंदर नारद जी से बतिया रहे है | श्रीजी कोक्या सूझी वो छिप कर उनकी बातें सुनने लगीं | नारद जी कह रहे थे कि जहाँ भीमैं जाता हूँ वहीं पूरे ब्रज मै हरे कृष्ण हरे कृष्ण कि गूँज सुनाई देती
    है | ठाकुरजीबोले पर मुझे तो राधे राधे नाम प्रिय है | इतना सुनते ही राधाजी कि आँखोंसे अश्रूयोंकि धरा बहने लगी वो तुरंत अपने महल पर लौट आयीं | उन्होने अब अपने तोतों सेहरे कृष्ण कि जगह राधे राधे कहने लगी | जब सखियों ने कहा लोग तुम्हे अभिमानीकहेंगे कि तुम अपने नाम कि जय बुलवाना चाहती हो | श्री जी ने कहा कि अगर मेरेप्रियतम को यही नाम पसंद है तो मैं तो यही नाम लूंगी चाहें लोग कुछ भी कहें
    राधे राधे
    राधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधेराधे राधे

    ReplyDelete

वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..