सुनो सुनो सुनो !! सुनो सुनो सुनो !! सुनो सुनो सुनो !!
वो आ रहे है... अरे वो आ रहे है.. जी हा दोस्तो आ रहे है वो.. अब नही रुकेंगे.. बेधड़क आ रहे है..दोनो ही आ रहे है आपसे मिलने..
दरिया के पास वाले बरगद के पेड़ के नीचे..कल से बांची जाएगी.. शर्मीली, चुलबुली फूल कंवर उर्फ फूलो और नसीब के मारे चंद्रकांत उर्फ चंदू की प्रेम कहानी..
सभी श्रोताओ से निवेदन है अपने अपने घर से दरी, टाट पट्टी, बोरी बैठने के लिए लेकर आए.. और साथ ही अपने मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ रखे, सिर्फ़ डॉक्टर लोगो को अनुमति है की वाईब्रेट मोड पर रख सकते है.... एक विशेष बात पाँच साल से कम के बच्चो को घर पे अपनी सासू माँ के पास छोड़कर आए और यदि सासू माँ भी आने की ज़िद करे तो तो खुद घर पे बैठ जाइए.. लेकिन बच्चो को ना लाए वो खमख़्वाह चिल पो मचाते रहते है.. पिछली बार भी इंटेरवल से पहले तक बच्चो के दूध का इंतेज़ाम हो रहा था... और हा सब अपने साथ साथ गिलास ज़रूर ले आना.. जानकी भौजी ने सबके लिए गुड का शरबत बनाया है.. तो दोस्तो दिल थाम के बैठो क्योंकि कल आ रहे है.. आपसे मिलने चंद्रकांत और फूल कंवर.. तो आप भी हो जाइए तैयार इन दोनो से मिलने के लिए..
और हा इस कहानी में आपको मिलेगा दूरदर्शन, आम का अचार, पतंगबाज़ी , पहलवानी, साइकल की चैन का उतरना, और नज़रो से नज़रो का लड़ना, दो निर्दोष प्यार करने वाले और ज़ालिम समाज, गाँव का मेला भी होगा और बड़ा कोई झमेला भी होगा.. बस देखते जाइए.. कल इसी ब्लॉग पर..
नोट : फॅमिली के लिए अलग से बैठने की सुविधा उपलब्ध है
तब तक हम बैठकर पढ़ते है गुलज़ार साहब को समर्पित ये ब्लॉग "गुलज़ारनामा"
waah ji waah...hamari seat book kar leejo bhaiya..jaroor sunenge ye kahani.
ReplyDeleteham to bhaiya pappu ko bol denge..wo raat ko waha so jaayega..poori familiy aayegi na..kahi seat kam na pade :D
ReplyDeleteintezaar rahega!
hamare liye agar ho sake to kursi ka intezaam kara de
ReplyDeletehum dari par bhari padhenge
hum bhi saprivaar aa rahe hain
humein sab se nazdik wali seat chaiye bhai...varna humari ardhangini ki narazgi ke shikar aap honge...
ReplyDeleteइन्तजार रहेगा जी सीट बुक कर लो तब तक हम आते हैं अपनी चाय ले कर :)
ReplyDeleteham bhi.. ham bhi.. :)
ReplyDeleteभाई कुश जी, फेमिली तो नहीं आ पाएगी. कल नई फ़िल्म लग रही है सो वहां जायेगी....मेरी एक सीट बुक कर दीजिये....:-)
ReplyDeleteafsos hai kal nahin aa payenge--kal -parson to weekend hai--meri seat agar book hai to kisi ko bhi de dejeeye---'jaanki bhauji ke guud ka sharabat ka mera hissa freeze mein rakh dena--
ReplyDeletehum to sunday ko hi aap ki kahani aur patron se milenge---:)
aare kush ji hamne apni chatai tayyar rakhi hai aur aluminium ka gilaas bhi gud ke sharbat ke liye,pehli seat ki booking bhi kar di :):) jagah hai na,intazaar rahega phulo aur chandu ka:)
ReplyDeleteकुश जी आप कुश नहीं बहुतकुश हैं। अरे यार मज़ा आ गया आपका ये अंदाज़ पढ़कर। ख़ैर इन सभी के साथ मैं भी आ रहा हूं। हमें न तो सीट चाहिए। न टाट चाहिए और न ही दरी। क्योंकि हम वीआईपी कोटे में आएंगे। और आप हमें रोक भी नहीं सकेंगे। क्योंकि मैं अख़बार के उन सभी साथियों को साथ में लाऊंगा जो ब्लाग से जुड़े हुए हैं, तो तैयार रहें हम आ रहे हैं।
ReplyDeletevha maja aa gaya padakar.likhate rhe.
ReplyDeleteइन्तजार कर रहे हैं.
ReplyDeleteआगे की सीट बुक रखिये. :)
ReplyDeleteभाई, एक सीट हमारे लिये भी रिजर्व रखिएगा।
ReplyDeleteरै भाई तू यू पिरोगराम कब शुरू करेगौ. हमणै दो दिन तै बिठा कै तणै काफ़ी के कहवे चा तक तो भीजवाई कोणी ?
ReplyDeleteहमारा काम आगे की सीट से नहीं चलेगा...हमारे लिए तो पूरा केबिन ही बुक करवा दो...और गुड के शरबत के साथ कुछ खाने पीने का प्रबंध भी हो जाये तो मज़ा आ जाये...
ReplyDeleteAREY KAHAN HO DOST!!!
ReplyDeleteSubah se aa kar baithe hain ham yahan... aapka hee pata nahi!
yahan hamein lag raha hai ke jaise hee uth kar jayenge, koi aur seat le lega. ab ham to sapariwar nahi aaye hain na jo koi hamari seat rok le... !!!acha aate hue hamare liye 2 aaloo ke parathey lete aana wo peeche wali gali mein hai na banwari ki dunkan.. haan bas wahin se...ab to bhookh bhi lag aayi hai.
bahut behatreen...
ReplyDeletebadhai.