Friday, June 6, 2008

मासूम बेटी का अपनी माँ से एक सवाल...



बड़े अचरज से माँ
को देखते हुए पूछा था उसने
क्यू तुम मुझे राजा बेटा कहती हो ?
माँ ने मुस्कुरा के बोला
अरे पगली तुझे तो प्यार से
राजा बेटा कह देती हू..
फिर भैया को आप कभी प्यार से
रानी बेटी क्यो नही कहती ??

माँ के पास मुन्नी की इस
बात का कोई जवाब नही था!
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16 comments:

  1. ह्म्म सही सवाल ..बेटे को बिटिया नही कह पाते हम ..पर बिटिया को कह देते हैं राजा बेटा ..सरल लफ्जों में लिखी यह कविता सोचने लायक हैं

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  2. sawal..maasoom sa..par..
    kitna gehen vishay..kitni masoomiyat se pesh kiya hai..

    is vishay ko chun ne ke liye..baar baar sabke saamne laane ke liey
    dhanyawaad...

    khoobsoorat shanika..

    likhte rahe..

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  3. bahut sateek sawal.
    vyangya..jise padh kar log hanste hain sach poochhiye to wo hansne ki baat nahin hoti..sochne ki hoti hai.

    yahan beti ka sawal sunn kar ek baar ko chup ho gaya mann.

    achha hai.

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  4. आपने बेटी की संवेदना नहीं उसके स्वाभिमान का प्रश्न उठाया है, आपको बहुत बधाई इस गंभीर प्रश्न को शब्द देने के लिये।

    ***राजीव रंजन प्रसाद

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  5. ek chhota sa...par bada hi gehra sawal...puri sanskriti jad hila de aisa...kisi akhbar mein chapvayie janaab...zaruri hain...

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  6. नही जी
    आज पहली बार आपसे इत्तेफाक नही रखते ..हम अपने नन्हें को गुडिया कहते है.....दिन मे कई बार..... पर आपने जो संदेश दिया है उसकी महत्ता ज्यादा है........

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  7. बहुत ही सशक्त सवाल ।

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  8. कम शब्दों मे ही बहुत बड़ी बात कही कुश.
    एक ज्वलंत मुद्दे को छुआ इस भाव-प्रण रचना के माध्यम से.
    बधाई.

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  9. आपकी बात बिल्कुल जायज है... पर डॉक्टर साहब की तरह आपको बता दूँ की मेरी माँ भी मुझे रानी बिटिया कहा करती थी.

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  10. माँ के पास क्या किसी के पास भी मुन्नी की इस बात का कोई जवाब नही है. मुझे लगता है, बेटी को बेटा कह कर हम अपने मानस के उस अन्तर को पाटना चाहते हैं जो हम बेटे और बेटी में करते हैं.

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  11. ओह, इज इट?
    बड़ा मुश्किल है किसी एक खांचे में कमेण्ट फिट करना।

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  12. bahut hi masum sa magar sahi sawal,magar jawab hamare paas nahi,aapke paas hai?

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  13. आप सभी की स्नेहिल प्रतिक्रियाओ के लिए धन्यवाद..
    @डा. साहब
    हर कोई आपकी तरह हो जाए तो क्या बात है

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  14. aap itni samvedna aur maasomiyat ke saath kaise jaado kar dete hai...

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..