tag:blogger.com,1999:blog-5786471335587674222024-03-13T07:59:36.567+05:30कुश की कलमकुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर.....
ये शब्द जो गिरते है कलम से..
समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में......
....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comBlogger186125tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-64953016172604742812014-11-28T17:46:00.001+05:302014-11-28T17:46:29.812+05:30मछली का नाम मार्गरेटा..!!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://4.bp.blogspot.com/-Jy4ynXkReRc/VHhk2vHZV3I/AAAAAAAAC3I/DpTfuPPHGTs/s1600/fish.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://4.bp.blogspot.com/-Jy4ynXkReRc/VHhk2vHZV3I/AAAAAAAAC3I/DpTfuPPHGTs/s1600/fish.jpg" height="250" width="560" /></a></div>
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मछली का नाम मार्गरेटा.. </div>
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यूँ तो मछली का नाम गुडिया पिंकी विमली शब्बो कुछ भी हो सकता था लेकिन मालकिन को मार्गरेटा नाम बहुत पसंद था.. मालकिन मुझे अलबत्ता झल्ली ही कहती थी.. पर मेरा भी एक नाम था.. लेकिन उसमे किसी को कोई दिलचस्पी नहीं थी.. घर कितने तो लोग आते थे.. कोई नहीं पूछता कि इस लड़की का नाम झल्ली क्यों है? पूछते तो बस यही की मछली का नाम मार्गरेटा? </div>
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मुझे नहीं समझ आता कि ये नाम क्यों रखा मालकिन ने? नाम रखना ही था तो लक्ष्मी रख लेती, कितना तो प्यारा नाम है.. मेरी माँ का भी यही नाम था.. मेरी नानी मेरी माँ को लिछमी बोलती थी.. मेरी नानी होती तो इस मछली का नाम सुशीला रखती.. मेरी नानी को सुशीला नाम बहुत पसंद था लेकिन नाना को सुशील.. इसलिए मेरे मामा का नाम भी सुशील था.. नाना को सुमित नाम भी बहुत पसंद था लेकिन मामा की तीनो बेटियों का नाम नानी ने ही रखा.. मेरी नानी के घर में एक कछुआ था.. उसका नाम हमने कद्दू रखा था.. वो कद्दू जैसा दिखता था.. अब सोचती हूँ मालकिन होती तो कछुए का नाम रॉबर्ट डी कोस्टा रखती.. लेकिन इस नाम के लिए डी कोस्टा मालकिन को कोसता रहता.. हा हा हा हा...!</div>
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कही किसी ने मेरी हंसी सुन ना ली हो.. मालकिन को पता चल गया तो सोचेगी मैं यहाँ खुश हूँ.. मुझे यही रख लेगी.. जैसे मार्गरेटा को रख लिया है.. मालकिन बुरी नहीं है.. अच्छी है.. वो मुझे गाँव से यहाँ इसलिए लायी कि मैं स्कूल में पढ़ सकू.. अच्छे कपडे पहन सकू.. अच्छा खाना खा सकू.. पर मुझे तो गाँव में भी सब अच्छा लगता था.. लेकिन मालकिन कहती है वो मुझे और अच्छे से रखेगी.. जैसे मार्गरेटा को रखती है.. </div>
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मार्गरेटा एक कांच के चमचमाते मर्तबान में रहती है.. जिसे मालकिन एक्के.. नहीं एव्के.. नहीं नहीं एक्वेरियम कहती है.. उसमे रहती है मार्गरेटा.. यूँ तो ये बंगला भी बहुत चमचमाता है.. जिसमे मालकिन रहती है.. कितनी तरह के तो फूल उगे है बगीचे में.. कितना बड़ा झरना है.. इतनी सारी सीढिया.. और मालकिन और मालिक की बड़ी बड़ी तस्वीरे.. लेकिन मालिक घर पे बहुत कम रहते है.. मालकिन ही घर की रानी है.. इतने बड़े घर की मालकिन.. मैं पीछे वाले कमरे में रहती हूँ.. ये कमरा भी बहुत बड़ा है.. हमारे गाँव के पुरे घर से भी बड़ा.. कितने तो सुन्दर रंग है दीवारों पे.. और कितना नर्म बुलायम बिस्तर.. मालकिन मेरा ख्याल भी तो कितना रखती है.. </div>
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मेरी सहेली बिंदिया तो बोलती थी कि शहर ले जाके मालकिन मुझसे बहुत काम करवाएगी.. लेकिन ऐसा कुछ भी तो नहीं है.. झाड़ू लगाना.. पोंछा लगाना.. बर्तन धोना.. बस. ये कोई बड़ा काम थोड़े ही है..ये सब तो मैं गाँव में भी करती थी.. हाँ लेकिन मेरा छोटा भाई होता तो उसके लिए ज़रूर मुश्किल होता.. उसको तो ये सब कुछ भी नहीं आता.. एकदम लल्लू है लल्लू.. मेरी मां बहुत खुश है.. कि मैं यहाँ हूँ.. मेरे बापू भी हर महीने की एक तारीख को आते है मुझसे मिलने.. सबको लगता है कि मैं यहाँ बहुत खुश हूँ.. मैं भी यहाँ इसीलिए रहती हूँ क्योंकि सब खुश है.. मार्गरेटा भी शायद खुश ही होगी अपने चमचमाते मर्तबान में.. लेकिन मैं अगर मार्गरेटा होती तो कभी नहीं रहती उस कांच के डिब्बे में.. मैं तो समुन्दर में रहती.. अपनी सहेलियों के साथ पानी में तैरती रहती.. अपने सुनहरे पंखो से इठलाते हुए सीपियो से खेलती रहती.. लेकिन क्या पता मार्गरेटा भी यही चाहती हो.. और वो भी वैसे ही यहाँ है.. जैसे मैं हूँ.. और मालकिन?? क्या वो भी? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता... वो तो पुरे घर की मालकिन है.. कितनी खुश रहती है.. लेकिन खुश तो मैं भी हूँ.. और मार्गरेटा भी.. तो फिर क्या हम तीनो..?? </div>
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<br /></div>
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मैं भी क्या क्या सोचने लग गयी.. मुझे तो चिड़िया को दाना डालना है.. वही चिड़िया जो मेरी खिड़की पे आकर रोज़ बैठती है.. इस शहर में मेरी सबसे अच्छी दोस्त.. मैंने इसका नाम गुज्जी रखा है.. गाँव में मेरा सबसे अच्छा दोस्त था संकू, वो मुझे प्यार से गुज्जी बुलाता था.. अब हम दोनों कितने दूर हो गए.. लेकिन उसी को याद करके मैंने इस चिड़िया का नाम गुज्जी रखा है.. कितना तो प्यारा नाम है.. गुज्जी, वरना मालकिन को देखो मछली का नाम मार्गरेटा रखा है.. भला कोई रखता है मछली का नाम मार्गरेटा..!!</div>
</div>
कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-41796264391580056152014-08-26T08:00:00.000+05:302014-08-27T18:05:51.423+05:30रंगमंच का प्यादा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<a href="http://4.bp.blogspot.com/-SZ55XZNbQMg/U_ueftS4Y1I/AAAAAAAACvQ/Juy1xoJYMFo/s1600/5801661908_536a6cce86.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://4.bp.blogspot.com/-SZ55XZNbQMg/U_ueftS4Y1I/AAAAAAAACvQ/Juy1xoJYMFo/s1600/5801661908_536a6cce86.jpg" height="307" width="580" /></a><span lang="HI" style="background: white; color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">बैकग्राउंड में
बांसुरी का संगीत बज रहा है.. स्टेज पर एक आराम कुर्सी पड़ी है.. जिसकी कोई
आवश्यकता ही नहीं बची है.. सब लोग व्यस्त है.. परदे पर आसमान भी बनाया हुआ है..
मगर उसमे अभी रात है.. आठ दस तारे बने हुए है परदे पर.. और कोने में एक चाँद
पड़ा ऊंघ रहा है..</span><span style="background: white; color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";">
</span><span lang="HI" style="background: white; color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">सामने दर्शक है. जो
ताली बजाने से लेकर उबासी लेने तक का काम कुशलता से अंजाम दे सकते है.. <i>“ये कैसी
विडम्बना है कि जब मैं गलत था तो सब मेरे साथ थे पर अब जब मैं सच का साथ देना
चाहता हूँ तो कोई मेरी बात सुनने को भी तैयार नहीं..”</i> बैक ग्राउंड से आवाज़ आयी है
और लाल रंग की मद्धिम रौशनी स्टेज पर उतरी है.. इसी रौशनी में एक दाढ़ी वाला चेहरा
नमूदार होता है.. <i>“मैं पूछता हु आखिर क्यों..</i></span><i><span style="background: white; color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";">?</span><span lang="HI" style="background: white; color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">”</span></i><span lang="HI" style="background: white; color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"> </span><span lang="HI" style="background: white; color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">संवाद अदायगी में इसका कोई सानी नहीं.. आँखों में
जला देने वाली आग और माथे पर भिगो देने वाला पसीना.. रेड स्पोट लाईट ठीक</span><span style="background: white; color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"> </span><span lang="HI" style="background: white; color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">उसके चेहरे पर और आँखे ऐसी लाल के जैसे लहू उतर
आया हो इनमे..</span><span style="font-family: "Times New Roman","serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">दर्शक सांस रोके बस उसी चेहरे पर
टकटकी लगाये बैठे है.. अचानक स्वर में करुणा आ जाती है.. दर्शको के बीच अब
संवेदनाये हिलोरे मार रही है.. चारो तरफ अँधेरा है बस एक नीली स्पोट लाईट का
प्रकाश मंच पर बिखरा हुआ है.. बैकग्राउंड में अब</span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"> </span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">वायलिन बजने लगी है..अक्सर ऐसे उदास
पलो में हमें किसी ऐसी ही धुन के सहारे की जरुरत होती है.. इस धुन के साथ ही नायक
का करूण</span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"> </span><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">राग दर्शक दीर्घा में फैले अँधेरे को चीरता हुआ उनके भीतर उतरता
जाता है..</span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"> <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">नायक फिर से कहता है...</span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<i><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">“ये कैसी विडम्बना है कि जब मैं गलत
था तो सब मेरे साथ थे पर अब जब मैं सच का साथ देना चाहता हूँ तो कोई मेरी बात
सुनने को भी तैयार नहीं.. क्यू इस दुनिया में गलत सही है और जो सही है वही गलत
है.. क्यू सच्चाई और ईमानदारी मक्कारी के पैरो तले रौंदी जा रही है..</span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"> </span></i><span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;"><i>क्या सत्य का अंतिम समय आ चुका है?
क्या आने वाली नस्लों को नहीं नज़र आएगा सच? जैसे हमारे पास डायनोसोर के सिर्फ
किस्से है वैसे ही किस्से उनके हिस्से में होंगे सच के?”</i> उसकी आँखों में आंसू ठहरे
हुए है.. अभी गालो तक नहीं पहुंचे, लेकिन पहुंचेगे ज़रूर.. थियेटर में सारा खेल ही
टाईमिंग का है, <i>“तो क्या मैं भी चल पडू उसी राह में कि जिसकी मंजिल सिवाय झूठ और
पाखण्ड के कुछ भी नहीं?” </i></span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">दर्शक स्तब्ध बैठे है.. किसी का फोन वायब्रेट हो रहा है
पर उससे कुछ ख़ास फर्क नहीं पड रहा किसी को. दो रक्तरंजित आँखो में सैकड़ो आँखे झाँक
रही है.. ऐसा लग रहा है अब खून बह उठेगा इनसे.. मगर नहीं, <i>“क्या कोई है जो दे सके
मुझे दिलासा? अरे इतना ही कह दो कि मैं तुम्हारे साथ हूँ.. बाद में चाहे धोखा दे
देना.. पर एक बार इतना तो कह दो कि मैं साथ हूँ.. डूबते को तिनके का सहारा ही तो
चाहिए.. दे सको तो दे दो इतना वरना पूरी दुनिया तुम रख लो.. मैं लात मारता हूँ इस
दुनिया को.. जो सिर्फ तब चिल्लाती है जब लात उसके पिछवाड़े पर पड़ती है.. नहीं रहना
मुझे ऐसी दुनिया में.. मैं अपनी दुनिया खुद बसाऊंगा.. अपने नियम.. अपनी ख़ुशी के
लिए.. और तुम्म!! हाँ हाँ तुम कायर लोगो को फटकने तक ना दूंगा अपनी दुनिया के आस
पास भी कि मैं जानता हूँ गर तुम्हारे कदम पड़े उस ज़मी पर तो तुम उसे भी अपनी तरह
बना दोगे.. क्योंकि मैं जानता हूँ खुदा ने सिर्फ जन्नत बनायीं थी दोज़ख की ईजाद तो
तुम लोगो ने की...” </i>और वो मुंह फेर लेता है दर्शको से </span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="MsoNormal" style="margin-bottom: 0.0001pt; text-align: justify;">
<span lang="HI" style="color: #222222; font-family: "Mangal","serif"; font-size: 12.0pt; mso-ascii-font-family: Arial; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-fareast-font-family: "Times New Roman"; mso-hansi-font-family: Arial;">दर्शक खड़े होकर तालिया बजाते है.. मंच पर प्रकाश कम हो
जाता है.. अभिनेता के चेहरे पर विजयी भाव है.. वो चाहता है कि जल्द से जल्द उसका
नाम पुकारा जाए और वो मंच पे जाकर सबका शुक्रिया अदा करे.. जैसे ही उसका नाम
पुकारा जाता है वो मंच पर पहुँचता है लेकिन नाशुक्रे लोग उठ उठ कर चल दिए है.. कुछ
है जो फोन पर बात कर रहे है.. कुछ आगे वाली सीट के नीचे खिसक गए अपने जूते ढूंढ
रहे है.. इन सबमें भी जो चेहरे मंच की तरफ है उनको देखकर वो खुश हो रहा है.. ये
उसका मैडल है.. और जवाब भी कि अभी वो वक़्त नहीं आया है कि उसे अपनी दुनिया बनानी
पड़े.. पर्दा गिर रहा है..!!</span><span style="color: #222222; font-family: "Arial","sans-serif"; font-size: 12.0pt; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-fareast-font-family: "Times New Roman";"><o:p></o:p></span></div>
<br />
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-11381304592780312572011-10-31T09:40:00.000+05:302011-10-31T09:40:43.896+05:30कहानी के इस भाग के प्रायोजक कौन है ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: left;"><a href="http://4.bp.blogspot.com/-MLB6iVLa3yg/Tq4e65cOMhI/AAAAAAAACD8/Oe9Ue5ES09c/s1600/fire.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="290" src="http://4.bp.blogspot.com/-MLB6iVLa3yg/Tq4e65cOMhI/AAAAAAAACD8/Oe9Ue5ES09c/s320/fire.jpg" width="320" /></a><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"></span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">मैं कहानी में पूरी तरह से डूबा हुआ था.. या यू कह लीजिये कि मुझे तैरना आता ही नहीं था.. एक छोटे से लकड़ी के तख्ते से लटका हुआ मैं आधा डूबा और आधा बचा हुआ सा लग रहा था.. लग क्या रहा था मैं बचा हुआ ही था.. कहानी में एक किरदार था जो मुझे भड़के हुए सांड सा लगा. ऐसा लगा जैसे अभी नाक से थू थू करता आएगा और अपने सींग मेरे पेट में घुसा देगा.. पर फिर मुझे गब्बर सिंह का वो वाला डायलोग याद आया जो अक्सर ऐसी सिचुएशन में याद आ ही जाता है कि जो डर गया समझो मर गया.. तो बस तभी गब्बर की एडवाईस फोलो करते हुए मैंने रिमोट को ठीक वैसे ही अनदेखा कर दिया जैसे कि प्रगति ने इस देश को.. </span></div><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"></span><br />
<div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">फिर सांड जैसे कैरेक्टर ने कोई डायलोग मारा.. और कहानी की नायिका कान पे हाथ रख के चीख पड़ी.. वो रो तो रही थी पर उसके आंसु नहीं निकल रहे थे.. मुझे याद आया कि देश की विकास दर भी होती तो है मगर दिखती नहीं.. दिमाग माना नहीं पर दिल ने कहा जाने दो.. तो मैंने भी जाने दिया.. अगले सीन में बैकग्राउंड म्यूजिक टॉप पे था.. ये वाला म्यूजिक हर बार ऐसे सीन में आ ही जाता था.. पता नहीं कौन पीछे बैठा बैठा बजाता था..</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>सीन चेंज </b></span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">क्योंकि परिवर्तन इस द ब्लडी रुल ऑफ़ दिस संसार तो सीन भी चेंज हो जाता है.. इस सीन में ढाई सौ किलो की ज्वेलरी पहनी आंटी मत कहो ना टाईप आंटी की एंट्री होती है.. कैमरा चार बार बिना मकसद देश के युवाओ की तरह इधर उधर होता है.. आंटी डायलोग मारती है "अब देखती हु इस घर में किस की चलती है ?" ये बोलके वो चश्मा पहनती है.. मुझे लगा नज़र का होगा पर वो कोई रे बैन वे बैन टाईप का होता है.. चश्मा पहनते ही उसको सामने नज़र आता है बजाज.. अरे नहीं नहीं स्कूटर नहीं..... कैरक्टर, वैसे दोनों के एंड में टर देखकर मैं भी आप ही की तरह कन्फ्यूज हो गया था पर आपकी तरह मैं दुसरो के भरोसे नहीं रहा.. मैंने खुद ने आईडिया लगा लिया कि ये कैरेक्टर है.. वैसे भी फिल्मो और सीरियल्स में ये ही लोग भरे पड़े है.. बजाज, सिंघानिया, कपूर...... पता नहीं कौनसे कोटे के अंडर में घुसे हुए है... </span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>एनी वे </b></span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">बजाज की प्लास्टिक सर्जरी हो चुकी थी चेहरा बदल चुका था फिर भी सबने पहचान लिया... ये चौथा बजाज था जो हर बार अपने चौथे पे प्लास्टिक सर्जरी करवा के वापस आ जाता.. इसकी बीवी ने इस चक्कर में कई चूडिया भी फ़ोकट में तोड़ डाली... इधर वो चूड़िया तोडती की उधर वो वापस आ जाता.. अब तो मेरे भी ये समझ आने लग गया था कि रद्दी वाला अखबार तौलते तौलते क्यों पूछता रहता है कि भाईसाहब प्लास्टिक व्लास्टिक भी हो तो दे दो.. खैर बजाज आ तो गया था पर उसके आते ही एपिसोड ख़त्म हो गया.. नेक्स्ट एपिसोड में क्या दिखाया जाएगा वो बताया जा रहा था..ना चाहते हुए भी मैंने देखा कि अगले एपिसोड में क्या होगा.. पर जो दिखाया उन्होंने वो ना दिखाने के बराबर ही था.. </span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>फायनली</b> </span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">रिमोट को पिस्तौल की तरह पकड़कर में टी वी के सामने तान चुका था.. अगर इसमें गोली होती तो मैं चला ही देता.. पर अच्छा हुआ कि गोली नहीं थी... क्योंकि टी वी की किश्ते भी अभी पूरी नहीं हुई है.. ऐसे में जज्बाती होना ठीक नहीं.. बस यही सोच के मैंने चैनल बदल दिया.. अब यहाँ एक सज्जन है जो बुरी नज़र से बचाने का तावीज़ बेच रहे है.. अगले चैनल पे सर पे बाल उगाने का तेल बेचा जा रहा है.. उस से अगले पे कोई श्री यंत्र है.. उस से अगले पे लोकेट.. ये क्या हो रहा है.. ये लोग थोडी देर पहले सीरियल्स दिखा रहे थे अचानक फूटपाथ पे सामान बेचने वालो जैसे लगने लगे है.. इनका कोई इमान धरम है या नहीं..</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">मुझे तो डाऊट हो रहा है कि मेरे ऑफिस के रास्ते में हिमालय की जड़ी बूटिया बेचने वाला भी किसी बड़ी कंपनी का डायरेक्टर होगा.. ऑफिस में ज़रूरी काम का बहाना मारके ज़रूर तिब्बती मार्केट में स्वेटर या शॉल बेचता होगा.. टी वी चैनल वाले पता नहीं क्या चाहते है.. जब मैं छोटा था तो टी वी ठीक करने के लिए छत पे चढके एंटीना हिलाता था.. मुझे नहीं पता था बाद में ये टी वी मेरी छाती पे चढ़के मेरे दिमाग का एंटीना हिलाएगा..... अब आप भी निकल लीजिये फटाफट..., पोस्ट ख़त्म हो चुकी है और मैं जा रहा हूँ टी वी ऑन करने वो क्या है ना कि बालिका वधु का रिपीट टेलीकास्ट शुरू होने वाला है.. कल रात देख नहीं पाया था.. लीजिये शुरू हो गया.. बता रहे है कि कहानी के इस भाग के प्रायोजक है...........</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div style="text-align: justify;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">अब जाइये भी.. देखने भी ना दीजियेगा? </span></div><br />
<div style="text-align: justify;"><br />
</div></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com35tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-13913055492365168732011-08-24T15:06:00.002+05:302011-08-24T15:06:29.081+05:30कमेन्ट से मोडरेशन हटा दिया है गुरुवर.. आओ ना..!!!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">कमेन्ट से मोडरेशन हटा दिया है गुरुवर.. आओ ना..!!!</span></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com28tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-52725028762133085352011-06-29T14:19:00.001+05:302011-06-29T14:40:20.668+05:30कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: x-small;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"></span></span><br />
<blockquote>बात ये है बॉस कि लेखक से किसी ने कहा कि आमिर खान इतने ईमानदार है कि अपनी फिल्म 'देहली बेली' को खुद ही 'ए' सर्टिफिकेट दिलवाने की सिफारिश किये रहे, लेकिन लेकिन लेकिन.. हम आपको ये भी बता दे कि लेखक ने भी अपनी इस पोस्ट को सेंसर बोर्ड के पास ए सर्टिफिकेट लेने के लिए भेजा था पर सेंसर वालो ने ये बोल के लेखक को भगा दिया कि हम तुम्हारी दो दो टके की ब्लॉग पोस्टो को सर्टिफिकेट देने के लिए नहीं बैठे है कोई फिल्म विल्म हो तो लाओ.. तो अब चूँकि ब्लोगिंग का कोई सेंसर बोर्ड तो है नहीं.. इसलिए इस पोस्ट को बच्चा पढ़े या बडा या फिर बूढा पढ़ ले.. उसकी जिम्मेदारी लेखक की नहीं.. </blockquote><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">-------------------------------------------------------------------------</span><br />
<div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"></span><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/-90It55aqEEo/Tgrm8O18vqI/AAAAAAAACBM/N36vwvzu4i0/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://2.bp.blogspot.com/-90It55aqEEo/Tgrm8O18vqI/AAAAAAAACBM/N36vwvzu4i0/s1600/images.jpg" /></a></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>डिस्क्लेमर</b> - इस कहानी के पात्रो का किसी भी टी वी पे दिखाए जाने वाले गानों के नामो से कोई सम्बन्ध नहीं है और यदि है तो वो नाजायज़ सम्बन्ध है<br />
<br />
<b>चेतावनी</b> - " कृपया पढ़ते वक़्त अपनी किडनी फ्रीज़र में रखकर पढ़े अन्यथा उसके जाम हो जाने का खतरा है "<br />
<br />
<br />
<b>तो क्या शीला जवान होने वाली थी?</b><br />
नहीं ऐसा कुछ था तो नहीं.. यूँ उम्र उसकी जवानी की दहलीज़ तक पहुची नहीं थी.. पर कुछ मोहल्ले वालो ने... कुछ कोंलेज के लडको ने..., अपनी अपनी नजरो से उसे जवानी की दहलीज़ तक पंहुचा ही दिया था.. शीला समझ चुकी थी कि उसकी जवानी आने में अब टेम नहीं है.. सो टेम खोटी नहीं करना चाहिए..<br />
<br />
<b>इधर रजिया</b><br />
टेलर मास्टर की बेटी, बचपन से ही समझदार, चाय में कितनी शक्कर और कितनी पत्ती.. इसका बखूबी हिसाब रखने वाली.. खूबसूरत इतनी कि गाल छू लो तो लाल पड़ जाए.. अब्बू की दुकान पे सिलाई मशीन चलाती.. रजिया के साथ साथ उसके अब्बू भी जानते थे कि लड़के जींस को ऑल्टर कराने उनकी दुकान में क्यों आते थे?? पर आने वाले को कौन रोंक सका है भला? (नोट : ये भला 'भला बुरा' वाला भला नहीं है)<br />
<br />
<b>और उधर मुन्नी</b><br />
मुन्नी आज़ाद खयालो वाली लड़की.. जिसे हर जंग में जीतना और हर दुश्मन को पीटना ही गवारा था.. ऐसा नहीं था कि उसके मन में प्रेम नहीं था.. पर बचपन से अब तक जो भी उसने देखा.. या यू कहे कि झेला उसके बाद उसने नफरत को गोद ले लिया..<br />
<br />
<b>इन सबके बीच शालू</b><br />
शालू ज्यादा समझदार नहीं थी पर उसकी समझ में एक बात आ गयी थी कि दुनिया जाए तेल लेने.. !! शालू को दुनिया से कोई मतलब नहीं था.. यू मतलब उसको इस बात से भी नहीं था कि दुनिया तेल लेने भला जाएगी कहा? वैसे शालू का एक ही उसूल था कि जैसे जीना है वैसे जियो.. बस जी..!!!<br />
<br />
<b>तो शीला</b><br />
शीला जब भी घर से बाहर निकलती कुछ आँखे उसका दामन थाम लेती.. उसको घर से निकालकर गली के लास्ट कोर्नर तक छोडके आती.. ( ऐसी आँखों का राम भला करे ) इधर शीला को मोहल्ले की आँखों ने छोड़ा और उधर बस स्टॉप पे खड़े लडको ने थामा.. साथी हाथ बढ़ाना की तर्ज़ पे शीला के दामन को थामती आँखों की रिले रेस चलती रहती.. और जैसे ही शीला बस में चढ़ती कि वो टच स्क्रीन फोन बन जाती..सब पट्ठे उसके सारे फीचर्स चेक कर लेना चाहते थे.. वैसे भी मोबाईल वही लेना चाहिए जिसमे सारे फीचर्स मौजूद हो..<div><br />
<div><b>हाँ तो शीला</b><br />
<div>बस से उतरते ही शीला को कोंलेज के लड़के संभाल लेते.. उनका बस चलता तो वो शीला को लेने उसके घर तक चले जाते.. लेकिन वे लडकियों के आत्मनिर्भर होने वाली सोच के पक्षधर थे.. लडकियों और लडको को समान अधिकार मिलने चाहिए.. ऐसा उनका मानना था (और लेखक का भी यही मानना है) तो कोंलेज के गेट से वो हैंडल विद केयर टाईप से शीला को क्लासरूम में ले जाते.. यू ले जाना तो वो बैडरूम में चाहते थे पर इस दुष्ट समाज के ओछेपन जिसमे कि लडकियों को छेड़ना एक अपराध था, वो राम राज की उम्मीद करके बस क्लासरूम से ही काम चला लेते.. उन्हें इस बात की तसल्ली थी कि कम से कम रूम शब्द तो आ ही रहा है..<br />
<br />
<b>रज़िया याद है ना.</b>.<br />
अब्बू की टेलर की दुकान में बैठी सिलाई मशीन का पहिया घुमाती रहती... यू उसकी ज़िन्दगी की गाडी खुद बिना पहियों वाली थी.. उमर उसकी बढती जा रही थी और बढती उमर में होने वाले परिवर्तन भी हो रहे थे.. अम्मी तो उसको अब्बू के हवाले करके निकल ली दुनिया से.. और अब्बू बेचारे हर सलवार कमीज़ सिलवाने आने वाली महिलाओ में उसकी अम्मी ढूंढते रहते.. इसी के चलते उनके चश्मे का नंबर बढ़ गया और धंधा घट गया.. "अब मियां आजकल कौन सिलवाने बैठा है कपडे.." इन्ही जुमलो के साथ रज़िया के अब्बू रंगे हाथो पकडे जाते.. </div><div><br />
</div><div><b>रज़िया जो कि आपको याद है.</b>.<br />
वो दिन भर लडको की जींसो को ऑल्टर करते करते ऐसी ऊब गयी थी कि उसकी शक्ल खुद टॉम अल्टर जैसी हो गयी.. पर उसकी शक्ल से ना किसी को कुछ देना था ना लेना था.. सो जींस ऑल्टर होने के लिए आये जा रही थी और उसके अब्बू को उसकी चिंता खाए जा रही थी... पर लड़की की शादी कराना कोई आस्तीन काटने जितना सरल काम तो था नहीं.. हाँ जेबे काटी जाती तो बात बन सकती थी.. पर ये काम भी उनके बस का नहीं था.. अब सलवार कमीज़ में जेबे जो नहीं होती.. </div><div><br />
</div><div><b>तो रज़िया जो कि आपको अभी तक याद है</b> </div><div>दुसरो की जींस ऑल्टर करके छोटी करती रही पर अपनी बढती उम्र को छोटा करने का हुनर जानती नहीं थी.. सो जैसे जैसे उम्र बढ़ी वैसे वैसे जींस भी ऑल्टर के लिए कम आने लगी.. अब तो इक्का दुक्का जींस आती वो भी कोई तलाकशुदा लोगो की.. रज़िया चुपचाप ऑल्टर करती रहती.. जींस काटना तो उसके लिए आसान था पर दिन काटना उतना ही मुश्किल.. </div><div><br />
</div><div><b>मुन्नी को भूल तो नहीं गए आप?</b></div><div>क्या कहा? उसे कैसे भूल सकते है भला... !! सो तो है. (लेखक आपके इस कथन से सहमत है कि मुन्नी को नहीं भूला जा सकता) तो जनाब मुन्नी जो है उसको जीतना और पीटना तो पसंद है ही.. बचपन में भी या तो वो किसी खेल को जीत लेती थी या हारने पर जीतने वाले को पीट देती थी.. लेन देन के मामले में बच्ची बचपन से ही बड़ी मुखर थी.. और वो लोग जो ये कहते फिरते है कि पूत के पांव पालने में ही नज़र आ जाते है.. उनको भी मुन्नी यदा कदा ढूंढती रहती.. कि यदि वो लोग मिल जाए तो उनके पालनो (आप समझ ही गए होंगे) पे दो लात जमा के बताये कि पूत ही नहीं पुत्रियों के पांव भी पालने में ही नज़र आते है..</div><div><br />
</div><div><b>मुन्नी जिसे कि आप भूल नहीं सकते</b> </div><div>मुन्नी उस वक़्त से मुन्नी नहीं रही जब वो मुन्नी थी.. और उसकी इस समझ को डेवलप कराने में जिन लोगो ने उसकी सहायता कि उनमे थे उसके पिताजी के दोस्त, मकान मालिक का साला, गणित की ट्यूशन वाले मास्टरजी, पुरानी कंपनी के मैनेजर और ऐसे कई सारे भले लोग जिनका जन्म ही मानव कल्याण हेतु हुआ है.. वे यथा संभव मुन्नी का कल्याण करने के प्रयास में लगे रहते.. हालाँकि मुन्नी बड़ी निष्ठुर हृदयी थी वो नहीं चाहती थी कि उसका कल्याण हो.. किसी न किसी बहाने से वो उन कल्याण कार्यो पर पानी फेर ही देती थी.. </div><div><br />
</div><div><b>मुन्नी जिसे कि भूला ही नहीं जा सकता</b> </div><div>वो ऐसे ही कल्याणों के खिलाफ आवाज़ उठाने लगी.. कोई सेक्स्युअल हर्रेस्मेंट नाम की किसी चीज़ के विरोध में अभियान भी चलाया उसने.. बाद में सुनने में आया कि ये अभियान समाज के विरोध में था.. मुन्नी नहीं चाहती थी कि ऑफिस में फ्रेंडली एन्वायरमेंट रहे.. उसके ऐसा करने से लोग तनाव में रहने लगे.. सुबह होते ही परेशान हो जाते कि आज ऑफिस में करेंगे क्या? वही कुछ मूर्ख महिलाये ना जाने क्यों इस अभियान से खुश थी.. खैर उन्होंने मुन्नी को फेमस कर दिया.. बोले तो मुन्नी का बहुत नाम हो गया.. </div><div><br />
</div><div><b>कि आयी अब शालू की बारी</b> </div><div>शालू को मुन्नी शीला या रज़िया से कोई मतलब नहीं था.. (वैसे लेखक ने आपको पूर्व में ही बता दिया है कि शालू को दुनिया से कोई मतलब नहीं है और दुर्भाग्य से रज़िया, मुन्नी और शालू भी इसी दुनिया में है तो शालू को उनसे कोई मतलब नहीं था..) शालू बचपन से ही नृत्य कला में प्रवीण थी.. जब भी घर में मेहमान आते शालू की मम्मी उसे अपने नृत्य का नमूना दिखाने को कहती.. और शालू नमूनों की तरह नमूनों के सामने अपने नृत्य का नमूना पेश करती.. वे लोग नृत्य के अंत में यही कहते पाए जाते कि बहनजी आपकी लड़की तो बड़ी होशियार है.. पर इसी होशियारी के चलते शालू पढाई में होशियार नहीं हो पाई.. हालाँकि उसे अंग्रेजी बोलना अच्छा लगता.. अंग्रेजी में ग्रामर व्रामर जैसे दिखावो और आडम्बरो से वो कोसो दूर थी.. भाषा में ग्रामर के दखल के खिलाफ थी शालू.. </div><div><br />
</div><div><b>शालू, जो भाषा में ग्रामर के दखल के खिलाफ थी</b>..</div><div>वो उन लोगो के भी खिलाफ थी जिनका ये कहना था कि शालू का नृत्य और उसकी भंगिमाए स्वस्थ समाज के अनुकूल नहीं है.. शालू का ये मानना था कि ये लोग जो उसके खिलाफ है घर में सी डी पे उसका नृत्य देखते है.. शालू को कतई ये गवारा नहीं था कि उसकी सीडी घर पे देखने वाले बाहर आकर उसको सीढ़ी बनाकर अपना उल्लू सीधा करे.. इसीलिए वो हमेशा उल्टी बात करती थी.. </div><div><br />
</div><div><b>शालू, जो हमेशा उल्टी</b><b> बात करती थी.</b>. </div><div>उसको कई बार उल्टी करते देख मोहल्ले वाले उल्टी सीधी बाते करते.. कई लोगो का ये भी कहना था कि शालू को नृत्य प्रेम के अलावा प्रकृति से भी प्रेम है..क्योंकि वो पृकृति प्रदत कुछ ऐसी क्रियाये.. ऐसे लोगो के साथ करती थी जिन लोगो की प्रकृति ठीक नहीं थी.. साथ ही उन लोगो का ये भी मानना था कि वे प्रकृति प्रेमी शालू के ऐसे प्रकृति प्रेम को देखते हुए उसे कुछ आर्थिक सहायता भी कर देते थे.. और ये बाते वो इतनी विश्वसनीयता से कहते थे जैसे पुरे घटनाक्रम के वे चश्मदीद गवाह हो.. या फिर शालू उनके खालू के घर ही गयी हो.. पर शालू को इन बातो से कोई फर्क नहीं पड़ता था... आपको याद होगा ही कि शालू का ये मानना था कि दुनिया जाए तेल लेने...</div><div><br />
</div><blockquote>पोस्ट लम्बी हो रही है.. लगता है ऑल्टर करना पड़ेगा..<br />
तो पोस्ट जो कि लम्बी हो रही है उसमे हमने तीन साल का लीप ले लिया है.. (तीन साल बाद)</blockquote><div><br />
</div><div><b>तीन साल बाद शीला</b> </div><div>शीला जिसको कि इन तीन सालो में इतने प्रेम पत्र मिले कि उनको रद्दी में बेचने पर उसे साढे तीन सौ रूपये मिले (दरअसल लेखक ही वो रद्दी वाला है, जो भेष बदल कर रद्दी खरीदता है और उनमे मिली चिट्ठियों को अपने नाम से छापता है.. उनमे भी कुछ प्रेम पत्र ऐसे है जो छपने लायक है, पर वो फिर कभी) तो शीला ने दो साल तक उन पत्रों को एक करियर ऑप्शन की तरह चुना और कुछ को जवाब भेजकर अपने लिए दैनिक जीवन की आवश्यकताओ की पूर्ति भी की.. मसलन अपना मोबाईल रिचार्ज करवाना, सूने कानो के लिए टॉप्स खरीद्वाना, अपने लिए हैण्ड बैग्स, फास्टट्रेक की घडी और भी ऐसी कई चीज़े.. साथ ही कभी कभी हलवाई की जलेबिया और कचोरिया भी.. और सिनेमा तो आप खुद ही समझ जायेंगे.. </div><div><br />
</div><div>खैर तीसरे साल शीला की ज़िन्दगी में आया रमेश जो कि शीला की ही तरह लुक्खा था.. बस दोनों की जोड़ी जम गयी.. पर शीला जो कि दीक्षित परिवार की बेटी थी उनको रमेश जैसे सिन्धी लड़के से अपनी बेटी की शादी नागवार गुजरी.. पर शीला ने हार नहीं मानी और घर से भाग गयी.. वो ये बात जानती थी कि माता पिता के आशीर्वाद के बिना कोई संतान खुश नहीं रह सकती.. इसलिए तिजोरी में से दस तोला सोना माता पिता के आशीर्वाद स्वरुप साथ ले गयी.. (भगवान ऐसी औलाद सबको दे).. </div><div><br />
</div><div>रमेश कीजवानी से शादी हो गयी उसकी... सिन्धी फैमिली होने के बावजूद शीला वहा खुश है.. और अब कोई उसका नाम पूछता है तो वो कहती है कि माय नेम इज शीला... शीला कीजवानी</div><div><br />
</div><div><b>तीन साल बाद रज़िया</b> </div><div>आज से दो साल पहले एक साहब अपनी जींस ऑल्टर करवाने आये और रज़िया को दिल दे बैठे.. उम्र में वे रज़िया के अब्बू से ज्यादा तो नहीं थे पर कुछ कम भी नहीं थे.. रज़िया के पिता पहले तो बेटी के भविष्य के प्रति आशंकित थे.. पर जब उनकी आशंका देखते हुए उन साहब ने उन्हें पचास हज़ार रुपी विश्वास जताया तो वे खुदा की मर्ज़ी जानकर निकाह को राजी हो गए.. रज़िया दुल्हन बनके ससुराल पहुच गयी.. और साथ में ले गयी अपनी कैंची.. पगली, समझती होगी कि ज़िन्दगी भी इससे कट जायेगी.. </div><div><br />
</div><div>ज़िन्दगी में जो लोग सरप्राईजेस में बिलीव करते है उन्हें रज़िया की ज़िन्दगी देखनी चाहिए.. जिसे ससुराल में आकर कई सरप्राईजेस मिले.. आने के छ महीने बाद ही उसके पति ने उसके अन्दर छिपी प्रतिभा को खोज लिया.. और पहले से प्रतिभावान अपनी दो पत्नियों के सुपुर्द कर दिया... ये था रज़िया का दूसरा सरप्राईज़ कि उसकी माँ की उम्र की दो सौतन का होना.. वे दोनों थी भले सौतन लेकिन रज़िया का बहुत ख्याल रखती थी.. हालाँकि शुरू शुरू में रज़िया ने अपनी प्रतिभा से दुसरो को लाभान्वित करने में आनाकानी की.. पर उसकी दोनों सौतनो ने लोहे के गर्म चिमटे का सहारा लेकर उसे समझा ही दिया.. आखिर चोट खाकर ही पत्थर हीरा बनता है.. अब रज़िया से सब खुश है.. और उसके शौहर भी जो ये जानते थे कि पचास हज़ार तो यू ही निकाल आयेंगे.. </div><div><br />
</div><div>रजिया अब कुछ बोलती नहीं बस मन ही मन अल्लाह से दुआ करती है.. कि अल्लाह बचाए मेरी जान कि रज़िया गुंडों में फस गयी.. </div><div><br />
</div><div><b>तीन साल बाद मुन्नी</b> </div><div>मुन्नी जिसने कि महिलाओ की सेवा करके बहुत नाम कम लिया था वो अब और भी बड़ी समाज सुधारक बन गयी थी.. पर दो साल पहले ऐसा हुआ कि लेखक को भी अचंभा हुआ.. हुआ यू कि मुन्नी केरल गयी थी एक विधवा आश्रम का उद्घाटन करने.. बस वही पर उसकी मुलाक़ात डार्विन नामक व्यक्ति से हुई.. जो वहा एक एन जी ओ चलाता था.. और चाहता था कि मुन्नी जैसी समाज सुधारक उसके मिशन में उस से जुड़े.. पहले तो मुन्नी तैयार नहीं हुई लेकिन फिर जब उसने गाँधी जी की कई सारी तस्वीरो वाला बैग दिखाया.. तो गाँधी वादी विचारधारा वाली मुन्नी मना नहीं कर सकी.. </div><div><br />
</div><div>बस फिर क्या था मुन्नी ने अब तक जितने भी महिला आश्रम खुलवाए थे वहा की महिलाओ को प्रभु के मार्ग पे चलने हेतु प्रेरित किया.. और साथ ही ये भी समझाया कि ईश्वर तो ईश्वर है फिर चाहे वो राम हो या ईशु.. जो महिलाये ये समझ गयी उन्होंने तो बात माँ ली पर जो नहीं मानी उन्हें भी गांधीवादी विचारो से मुन्नी ने मनवा ही लिया.. हालाँकि इस से कुछ मूढ़ मति लोग ये भूलकर कि ईश्वर एक है.. मुन्नी जैसी भली महिला के बारे में अनाप शनाप बकने लगे.. और तब तो उसके पुतले भी जलाये जब वो मुन्नी से मार्ग्रेट बन गयी और उसने डार्विन से शादी कर ली..</div><div><br />
</div></div></div></span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">डार्विन का पूरा नाम डार्विन लिंगानुराजन था.. और मुन्नी उसे प्यार से डार्लिंग कहती थी.. अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि सुहागरात पर मुन्नी ने डार्विन से क्या कहा होगा.. जी हाँ! मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए..</span><br />
<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: x-small;"><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"></span></span><br />
<div><div><div><br />
</div></div></div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"></span><br />
<div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>तीन साल बाद शालू</b> </span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">अब जनाब शालू का क्या कहे.. दुनिया उसके बारे में उल्टी बाते करती रही और वो उल्टिया करती रही.. टी वी पे तो वो हिट थी ही बाद में मोबाईल पर भी उसने झंडे गाद दिए.. जो लोग बड़े परदे पर काम नहीं मिलने की वजह से छोटे परदे पर आये थे वो शालू की उससे भी छोटे परदे पर कामयाबी देखकर जलने लगे.. शालू से जलने वालो की लिस्ट लम्बी होती गयी.. पर शालू को काम की कोई कमी नहीं रही.. </span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">दो साल पहले शालू ने टी वी पे अपना स्वयंवर भी रचाया था और एक बेचारे पे तरस खाके उससे शादी भी कर ली थी.. पर वो लड़का नालायक निकला उस ने शालू को सिर्फ इस बात पे तलाक दे दिया कि शालू ने उसे बिना बताये स्वयंवर पार्ट टू के कोंट्राक्ट पे साईन कर दिया.. हालाँकि शालू ने स्वयंवर पार्ट टू किया तो सही पर उसकी टी आर पी पिछले शो के मुकाबले कम रही.. तीसरे स्वयंवर में किसी और को लेने की बात पर शालू ने ही चैनल वालो को आईडिया दिया कि शादी ना सही तो तलाक पर ही प्रोग्राम बना दो.. चैनल वालो को ये सुझाव पसंद आया.. टी वी पे ही शालू ने दुसरे स्वयंवर में हुई जिस लड़के से शादी हुई थी उसी से तलाक ले लिया.. सुना है वो लड़का तीसरे स्वयंवर में फिर से पार्टिसिपेट कर रहा है.. </span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">जिस दुनिया ने शालू के बारे में लाख बाते कही पर फिर भी शालू सफल हो गयी.. उसी दुनिया को जवाब देते हुए शालू अपने किसी डांस शो में ये गाना गा रही थी.. कि मुन्नी भी मानी और शीला भी मानी.. शालू के ठुमके की दुनिया दीवानी </span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">तो दोस्तों ये थी कहानी शीला मुन्नी रज़िया और शालू की.. जो आपके चरणों में लेखक का तुच्छ प्रयास है </span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">---------------------------------------------------------------------------</span></div><blockquote><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>रिक्वेस्ट</b> - जैसा कि आप जानते है कि महंगाई दिन ब दिन बढ़ रही है.. और ब्लॉग लेखन पर सरकार द्वारा कोई सब्सिडी भी नहीं मिलती इसलिए लेखक ने ब्लॉग लेखन के साथ साथ पार्ट टाईम दुकान भी खोली है जिसमे कहानी में प्रयुक्त वस्तुओ को बेचा जाएगा.. यदि आप खरीदना चाहे तो निम्न वस्स्तुओ का ऑर्डर दे सकते है.. दस परसेंट की विशेष छूट के साथ </span></blockquote><div><ol style="text-align: left;"><li><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">शीला के पांच प्रेम पत्रों के सेट (जिसमे पांच के साथ एक फ्री है)</span></li>
<span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;">
<li>रज़िया की कैंची </li>
<li>मुन्नी द्वारा लिखी किताब "ईश्वर एक है"</li>
<li>और शालू के डांस की सीडी मय होंठोग्राफ (जो खुद शालू के होंठो द्वारा दिया गया है)</li>
</span></ol></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>इनमे से किसी भी चीज़ को मंगवाने हेतु लेखक से संपर्क किया जा सकता है.. माल वी. पी. पी. द्वारा भेजा जाएगा.. </b></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>(नोट - फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा ना करे)</b></span></div><div><span class="Apple-style-span" style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</span></div><span style="font-size: 14px; line-height: 25px;"><div><div></div></div></span></div></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com42tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-69063618065206387482011-03-31T14:00:00.003+05:302011-03-31T14:08:07.980+05:30सुगर क्यूब पिक्चर्स प्रजेंट्स "सिक्का"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://3.bp.blogspot.com/-Zv0zUxclpyI/TZQ7Yrcs9DI/AAAAAAAACAc/NoZeQ-ClrWE/s1600/sikka.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="300" src="http://3.bp.blogspot.com/-Zv0zUxclpyI/TZQ7Yrcs9DI/AAAAAAAACAc/NoZeQ-ClrWE/s400/sikka.jpg" width="450" /></a></div><br />
<br />
उसे शौक था मरने का और मरके अमर होने का.. लोगो की यादो में.. तख्तियो पे नाम चाहता था.. स्कूलों अस्पतालों पर अपना नाम चाहता था.. यू चाहता तो वो ये भी था कि गली सड़क नहरों बांधो के नाम भी उसके नाम पर रख दिए जाए.. उसके मन में कीड़ा था अमर होने का होते जाने का.. लेकिन इसके लिए उसे मरना ज़रूरी था.. और यही एक काम था जो वो ठीक से नहीं कर पा रहा था.. उसने कई बार शाम ढले शहर की सबसे गहरी झील में डूब जाने की कोशिश की पर बात बनी नहीं.. कुछ देर तक तो वो पानी में पांव डाले बैठा रहता पर फिर थोडी देर बाद उसमे तैरती मछलियों को दाना डालकर लौट आता.. <br />
<br />
इस बार उसने पटरियों पर लेटकर ट्रेन से कट जाने का मन बनाया.. वो बहुत देर तक पटरी पे बने पुल के बीचो बीच बैठा रेलगाड़ियो को आते जाते हुए देखता रहा.. ट्रेन सामने से सीटी बजाती हुई आती.. इंजन से निकलता हुआ धुँआ उसकी साँसों में भी उतरता.. जब रेल ठीक पुल के नीचे से गुज़रती तो उसके दिल के साथ पुल भी थरथराता.. थोडी देर बाद वो हिम्मत करके सीढियों से नीचे उतर गया.. पास ही पड़ी लकड़ी उसने उठा ली.. और लकड़ी के एक सिरे को जमीन से रगड़ता हुआ वो पटरी के बराबर चलते हुए मरने के लिए सही जगह की तलाश में चलता रहा.. सूरज इस वक़्त ठीक सर के ऊपर था.. वो पटरी पर एक कोने पर बैठ गया.. सामने वाले ट्रैक पर कुछ कचरा बीनने वाले बच्चे ट्रेन के डिब्बो से फेंके गए चिप्स, बिस्किट के खाली पैकेट उठा रहे थे.. उनमे से किसी में एक चिप्स या बिस्कुट का चुरा मिल जाता तो चहक कर खा लेते.. वो बैठा यही सब देख रहा था कि उसके कानो में इंजन की आवाज़ गूंजी.. वो अपनी जगह से खड़ा हुआ.. वो चाहता था कि बच्चो को वहा से भगाकर ट्रेन के सामने खड़ा हो जाए.. पर इस से पहले की वो उन्हें भगाता उनमे से एक बच्चे ने पटरी पर सिक्का रख दिया और दुसरे से बोला कि ट्रेन गुजरने के बाद ये सिक्का सोने का बन जाएगा.. वो जानता था कि ऐसा कुछ होने नहीं वाला.. पर पटरी को घेरे उन चार चेहरों पर ठहरी आँखों में चमक देख कर वो रुक सा गया.. उसके कदम आगे नहीं बढे.. <br />
<br />
पर ट्रेन धीरे धीरे इसी तरफ बढ़ रही थी.. सीटी की आवाज़ कानो के और करीब आ रही थी.. गड गड की आवाज़ दिल दहलाने वाली मालूम पड़ती थी.. लड़के सब अपनी जगह ठहरे हुए थे.. सबकी निगाह इंजन पर टिकी हुई थी.. उसकी भी.. इंजन तेज़ी से उनकी तरफ आ रहा था.. लड़के एक कदम आगे सरक चुके थे और वो भी.. सिक्के के सोने में बदल जाने वाली असंभव सी बात के लिए वो आँखे गढ़ाए ये भी भूल गया कि वो यहाँ मरने के लिए आया था.. और इस ट्रेन के चले जाने के बाद उसे फिर साढे तीन घंटे इंतज़ार करना पड़ता.. लेकिन बिना ये जाने कि सिक्का सोना बना या नहीं वो कैसे मर सकता था? उसे लगा साढे तीन घंटे और इंतज़ार किया जा सकता.. फिर मरना तो है ही अभी मरो या साढे तीन घंटे बाद क्या फर्क पड़ता है..? इंजन मालगाड़ी का था.. जो अब उनके बिलकुल करीब आ चुका था.. पटरी के आस पास भीड़ देखकर इंजन ड्राईवर ने होर्न बजाया... पर लड़के हटे नहीं.. इंजन सिक्के के बिलकुल करीब आ गया.. कानफोडू आवाज़ के साथ रेल सिक्के के ऊपर से गुज़रने लगी.. सबकी निगाह उसी सिक्के पर थी.. जैसे ही हर डिब्बे का चक्का उस सिक्के पर से निकलता ट्रेन थोडी झुकी सी लगती.. बिजली की तेज़ी के साथ ट्रेन निकल गयी.. मिट्टी के गुबार के बीच चारो लड़के सिक्के की तरफ लपके और वो भी.. सिक्का सोना नहीं बन पाया.. अलबत्ता जो था उस से भी गया.. सिक्का चपटा हो गया जो अब किसी काम का नहीं रहा.. लड़के की आँख में आंसु आ गए.. बाकी तीनो लड़के हंसने लगे.. और अपना अपना थैला उठाके चल पड़े.. लड़का ठगा सा खड़ा कभी सिक्के को देखता तो कभी धुल उड़ाते जाती हुई ट्रेन को.. <br />
<br />
लड़के की बेवकूफी के चक्कर में उसने मरने का एक और मौका खो दिया.. उसे इस लफड़े में फसना ही नहीं था.. क्यों रुका वो यहाँ जबकि जानता था कि सिक्के का कुछ नहीं होने वाला.. पर लड़के की आँखों का विश्वास.. हाँ उसकी आँखों की चमक ही तो थी.. जिसने मजबूर कर दिया था उसे रुकने के लिए.. पर अब? साढे तीन घंटे बाद अगली ट्रेन आने तक वो क्या करेगा.. यही सोचते हुए.. उसने लड़के की तरफ नज़र घुमाई.. लड़का सिक्का वही पटरी पर फेंक कर चल पड़ा.. लड़का जा चुका था मगर सिक्का अभी भी पटरी पर पड़ा था..</div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com33tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-59980157148522959782011-02-15T01:18:00.000+05:302011-02-15T01:18:47.963+05:30प्यार को प्यार ही रहने दो.. कोई नाम ना दो...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/-UjBf2vZM2lc/TVmFOGRC3EI/AAAAAAAAB_g/HC5-Ff2_JfA/s1600/memory_painting+of+couple+at+the+beach.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="http://2.bp.blogspot.com/-UjBf2vZM2lc/TVmFOGRC3EI/AAAAAAAAB_g/HC5-Ff2_JfA/s320/memory_painting+of+couple+at+the+beach.jpg" width="320" /></a></div><br />
उसका ये कहना कि गुलज़ार ने जो लिखा है उसके बाद प्यार का डेफिनेशन ही ख़त्म हो जाता है.. मुझे ठीक तभी याद आता है खामोशी का वो गीत..<br />
<div><i>हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू.. </i></div><div><br />
</div><div>वो कहती है.. तुम खुद ही देखो ना.. क्या खूब कहा है.. <i>सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो.. प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो..</i> सच है इस के बाद प्यार को कोई और क्या कहेगा.. इश्क में डूबा हुआ इंसान माशूक से ज्यादा गानों से प्यार करता है.. गोया संगीत के बिना मोहब्बत अधूरी है.. </div><div><br />
</div><div>वो कहती है और नहीं तो क्या <i>वैसे भी आधे शायर आशिक ही होते है.. </i></div><div>और बाकी के? ये मैं पूछता हूँ.. </div><div><i>माशूक...! ! </i></div><div> </div><div>वो हँसते हुए उठती है और अपनी लम्बी सी चोटी को इस काँधे से उठाकर उस काँधे पर रखती है. मेरी आँखे उसके बालो में बंधे गुलाबी रिबिन पर रुक जाती है.. ऐसे ही गुलाबी गाल हो जाते है उसके.. जब वो बहुत रोती है या फिर खिलखिलाके हँस देती है.. अब चलते हुए वो खिड़की के पास पहुँच जाती है.. और आसमान की तरफ देखती है.. मैं अपने चश्मे को टेबल पर रखके उसकी तरफ बढ़ता हूँ.... उसके चेहरे पर उगते चाँद और ढलते सूरज की रौशनी एक एबस्ट्रेक्ट सी पेंटिंग बनाती है.. मैं उसके करीब जाकर खड़ा हो जाता हूँ.. वो अभी भी चाँद को देख रही है.. मैं उसकी आँखे अपने हाथो से बंद करते हुए कहता हूँ.. <i>तुम जो कह दो तो आज की रात चाँद डूबेगा नहीं.. </i></div><div><br />
</div><div><i>रात को रोंक लो..</i>. वो बंद आँखे किये कहती है..</div><div>मैं हाथ उसकी आँखों से हटाकर उसे शहर की रौशनी दिखाता हूँ.. <i>वो देख रही हो.. हरे गुम्बद वाली मस्जिद.. वहां से आती अजानो में मुझे तुम्हारी हंसी घुली हुई सी लगती है.. </i></div><div><i>हटो.. बहुत बड़े फंडेबाज हो तुम...</i> वो शर्माते हुए कहती है.. <i>कोई भी मौका नहीं छोड़ते.. </i></div><div><i>तुम्हे छोड दे जो उसे आगरे शिफ्ट करवा देना चाहिए.. </i></div><div><i>आगरे का पागलखाना तो खुद रांची शिफ्ट हो गया है.. </i></div><div><i>वही रखना था..</i> मैं उसकी तरफ देखकर कहता हूँ.. </div><div>वो मेरी तरफ देखती है.. उसकी निगाहों में सवाल है.. </div><div><i>अरे अपने महबूब की याद में आधे लोग ताज महल जाते है </i></div><div><i>और बाकी के..?</i> वो पूछती है.. </div><div><i>पागलखाने... !!</i> </div><div> </div><div>मैं बोलके फिर से कमरे की तरफ चलता हूँ.. वो मेरे पीछे पीछे आती है.. </div><div> </div><div>मैं ट्रांजिस्टर उठाकर ट्यून करता हूँ.. ये वही ट्रांजिस्टर है जिस पर पिताजी गाने सुनते थे.. <i>प्यार हुआ.. इकरार हुआ है.. प्यार से फिर क्यू डरता है दिल..</i> और रसोई में अपने पल्लू को कमर में फंसाए मेरी माँ गाती कि <i>डरता है दिल रस्ता मुश्किल मालूम नहीं है कहाँ मंजिल... </i></div><div><br />
<i> </i></div><div><i>क्या सोचने लगे मिस्टर..?</i> वो मुझे फिर से उसी कमरे में खींच लाती है.. </div><div>रेडियो में गाना बजने लगा है.. <i>जीने के लिए सोचा ही नहीं दर्द सँभालने होंगे.. मुस्कुराओ तो मुस्कुराने के क़र्ज़ उतारने होंगे.. मुस्कुराओ कभी तो लगता है.. जैसे होंठो पे क़र्ज़ रखा है..</i> </div><div><br />
</div><div>वो भी रेडियो की आवाज़ के साथ गुनगुनाने लगती है.. <i>तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी.. हैरान हूँ मैं.</i>. मैं रेडियो बंद कर देता हूँ.. और उसकी आवाज़ में डूब जाता हूँ.. </div><div> </div><div>मुझे ऐसा लगता है जैसे कोई कैमरा हम दोनों के क्लोज अप शोट ले रहा है.. बहुत धीरे धीरे हमारी तरफ ज़ूम होता हुआ..वो अपने दुपट्टे के छोर को अपनी नर्म उंगलियों से पकड़ लेती है.. वो ऐसा क्यू करती है ये जाने बिना मैं उसकी इस अदा को पसंद करता हूँ.. </div><div><br />
</div><div>वो मेरी तरफ देखती है.. उसकी आँखों में आसमान के सितारे उतर आये है.. मैं दिवार पर लगी उस तस्वीर को देखता हूँ.. जिसमे रेल के दरवाजे पर एक लड़की खडी है.. और लड़का हाथ में पीले फूल लिए प्लेटफोर्म पर उसकी तरफ भागता है.. इश्क आसानी से हासिल हो जाये तो इश्क नहीं रहता.. ये सिर्फ मेरे मन का ख्याल है.. </div><div><br />
</div><div>वो मेरी नज़र पढ़ लेती है.. और तस्वीर की तरफ बढती है.. उसके पायल की आवाज़ फर्श पर बिखरती जा रही है.. मैं एक एक आवाज़ को उठाकर अपने कानो में पहन रहा हूँ.. वो मुड़कर मुझे देखती है.. <br />
<i>क्या देख रहे हो.. ? </i></div><div><i>देख नहीं रहा हूँ सुन रहा हूँ... </i></div><div><i>क्या सुन रहे हो?</i></div><div><i>म्यूजिक... </i></div><div><i>यहाँ कहाँ म्यूजिक है ?</i></div><div><i>ये जो खामोशी पसरी हुई है कमरे में.. </i></div><div><i>ख़ामोशी संगीत है?</i></div><div><i>यस...! ये भी एक म्यूजिक है.. गौर से सुनो इसे..</i> </div><div>वो मेरे करीब आकर मेरी कुर्सी के पास बैठ जाती है.. मेरे घुटनों पर अपना सर टिका कर मेरे साथ साथ खामोशी को सुनती है... मेरी उंगलिया खुद ब खुद उसके बालो में उलझ जाती है.. मैं उसके बाल सहला रहा हूँ.. वो मेरे दायें पैर के अंगूठे से खेल रही है...उसकी मासूमियत मैं अपने अंगूठे पर महसूस करता हूँ.. <br />
<br />
<i>तुम बालो को खुला रखा करो.. खुले बालो में तुम अच्छी लगती हो..</i> मैं पता नहीं क्यों उसे ऐसा कहता हूँ.. <br />
<i>पर तुम कंघी मत किया करो.. बिखरे हुए बाल तुम पर अच्छे लगते है.. मैं तुम्हे हमेशा ऐसे ही देखना चाहती हूँ..</i> वो मेरे बाल बिखेर देती है.. मेरी नज़र उसकी कान की बालियों पर है.. <br />
<i>ये वही है ना जो मैंने तुम्हे तुम्हारे इक्किस्वे जन्मदिन पर दी थी..</i> मैं छूकर देखता हूँ.. <br />
<i>आउच. .अरे धीरे..</i> उसके कानो में दर्द होता है.. <br />
<i>क्या कर रहे हो?</i> वो पूछती है.. <br />
<i>इस शाम को कैद करने की कोशिश...</i> मैं अलमारी से कैमरा निकालता हूँ और मैक्रो मोड़ में उसके कानो की बालियों की फोटो लेता हूँ.. उसकी गर्दन पर हल्के हल्के बालो के बीच झूलती बालिया.. मैं इनमे अक्स देखता हूँ.. अपनी ज़िन्दगी का.. इस छोटे से लैंस में मुकम्मल नज़र आती है मुझे.. </div><div><br />
</div><div>वो करीब आकर कैमरे के लैंस पर हाथ रख देती है.. मैं उसके माथे पर चूमता हूँ.. वो खुद ही खुद में सिमट जाती है.. मैं एक खामोश अंगड़ाई लेते हुए उठकर कॉफ़ी का प्याला उठाता हूँ.. उसकी नज़रे मेरी तरफ है.. मैं मुमताज़ मिर्ज़ा की ग़ज़ल का शेर पढता हूँ.. </div><div><br />
</div><div><i>वो एहतराम ए गम था कि लब तक ना हिल सके.. </i></div><div><i>नज़रे उठी तो सर ए हद ए गुफ्तार तक गयी.. </i></div><div><br />
</div><div>ठीक उसी वक़्त सड़क पर लगे लैम्प पोस्ट की रौशनी खिड़की से अन्दर आती है.. और वो कहती है <br />
</div><div><br />
</div><div><i>तन्हाईयो ने फासले सारे मिटा दिए.. </i></div><div><i>परछाईयां मेरी.. तेरी दिवार तक गयी.. </i></div><div><br />
</div><div>मेरी नज़र खिड़की की रौशनी से फर्श पर बनी उसकी परछाई पर जाती है.. वो ठीक मुझ तक पहुंची है.. मैं एक बार फिर उस पर मर मिटा हूँ.. वो मुस्कुराये जा रही है.. मैं दौड़कर उसे गोद में उठा लेता हूँ.. और पूछता हूँ.. </div><div><i>विल यू बी माय वेलेंटाईन ?? </i></div><div>वो कहती है <i>ये तो मैं पहले से ही हूँ.. कुछ और बोलो.. </i></div><div><br />
</div><div>मैं उसे उठाकर फ्रिज पर बिठा देता हूँ.. <i> </i></div><div><i>आलवेज बी माय वेलेंटाईन..</i> मैं उसके मुलायम हाथो को अपने हाथ में लेकर कहता हूँ.. </div><div> </div><div>अब उसकी आँख में आंसु आ गए है.. और गाल गुलाबी हो गए है.. उसके गालो का गुलाबी रंग पुरे कमरे में बिखर गया है.. खामोशी अभी भी ठहरी हुई है कमरे में.. एक संगीत की तरह हमारी आवाज़े मिल रही है फजाओ से.. हवा ने खिड़की पर पर्दा उड़ा दिया है.. मैं उस से कहता हूँ.. <i>कभी गुलज़ार साहब मिले तो उनसे कहूँगा कि हमने भी देखी है उन आँखों की महकती खुशबू.. </i><br />
<br />
वो अपने ऊँगली मेरे होंठो पर रखती है.. और मेरे कान में हौले से आकर कहती है.. <i>प्यार को प्यार ही रहने दो.. कोई नाम ना दो... </i><br />
</div></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com50tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-84827292171078529702011-01-30T23:54:00.000+05:302011-01-30T23:54:38.713+05:30ज़िन्दगी में और भी रंग है खुदको रंगने के लिए..<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TUWsXISF0OI/AAAAAAAAB_E/HN6Wqn-pPJc/s1600/kkk.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TUWsXISF0OI/AAAAAAAAB_E/HN6Wqn-pPJc/s320/kkk.jpg" width="320" /></a></div> बीन बैग में अगर जुबान होती तो वो ज़रूर कहता कि इस बैडोल हो चुके शरीर को अब उठा क्यों नहीं लेती.. लेकिन ये भी खामोश है.. शाम उर्दू की एक किताब पढ़ते हुए मैं इस पर आ बैठी थी.. अभी रात के दो बजे जब दोबारा चाय की तलब हुई तो ख्याल आया कि रात का खाना पका हुआ ही रह गया.. वैसे भी जली हुई दाल और अधपके चावल खाने में कुछ भी अच्छा नहीं था.. बिना मन से बने खाने में जायका नहीं होता.. चाय बनाकर पांचवे और लास्ट कप में चाय डालकर फिर से बीन बैग पर जा बैठती हूँ.. मेरे पास पांच कप है.. और जब तक पांचो में चाय नहीं पी ली जाए वो धुलते नहीं.. अब किताब पढने का मन नहीं है.. दरअसल मन शाम से ही कुछ ठीक नहीं ऊपर से माँ का शादी के लिए बार बार फोन करना.. सिर्फ इसलिए कि मेरी उम्र बीत रही है, किसी से भी शादी कर लेना कहाँ तक जायज है.. मैं खुद को समझाती हूँ..<br />
<br />
<div> </div><div>मोबाईल उठाकर कोंटेक्ट लिस्ट को छान मारा एक भी नंबर ऐसा नहीं जिस पर कॉल किया जा सके.. कुंवारे लडको से बात करने पर सिवाय फ्लर्ट के और कुछ नहीं मिलता.. ऐसा नहीं है कि मैं समझती नहीं पर अच्छा लगता है.. मेल फ्रेंड्स ज्यादा हो गए है अब मेरे.. जो लडकिया थी उन सबकी तो शादिया हो गयी.. एक दो बार फोन लगाया भी तो पीछे से उनके हसबैंड का बार बार फोन रखने की आवाज़ सुनकर दोबारा मन ही नहीं किया कॉल करने का.. लोग घर पर बुलाने से भी डरते है.. मेरी एक सहेली की सास को लगता है कि मेरा कैरेक्टर ठीक नहीं है इसलिए मेरी शादी नहीं हुई.. बुल शीट.! </div><div><br />
</div><div>पर कभी कभी जब मेरी कॉलेज की वो सहेलिया घर आती है जिनकी शादी हो चुकी है.. तो ये सोचकर बड़ा अच्छा लगता है कि पहले जब वो आती थी तो अपने पति अपने ससुराल की बाते करती थी.. पर अब यहाँ आकर वो कहती है काश ऐसी लाईफ हम भी जी सकती.. मुझे क्यों ऐसा लगता है जैसे कुछ भी हमेशा नहीं रहने वाला.. ना शादी ना अकेलापन.. रहेंगे तो बस हम..<br />
<br />
<div><div>इस अकेलेपन से प्यार हो जाने के बाद भी कई बार किसी की जरुरत सी महसूस होती है.. लैम्प पोस्ट की पीली रौशनी खिड़की से कमरे में बिखर रही है.. चादर में सिलवटे कुछ बढ़ गयी है...दिवार पर मार्लिन मुनरो अपनी स्कर्ट उठाये खडी है.. उसके ठीक सामने बिना शर्ट के जॉन अब्राहम.. मैं अपनी आँखे बंद कर लेती हूँ.... मेरा हाथ कमर के नीचे जाता है.. बस कुछ और सालो की बात है.. उसके बाद इसकी भी जरुरत नहीं होगी.. आखिर ज़िन्दगी में और भी रंग है खुदको रंगने के लिए.. </div></div></div></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com39tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-43419959092721194732010-12-06T17:51:00.000+05:302010-12-06T17:51:54.440+05:30पिछले सन्डे ही तो पहला पिम्पल फूटा है..<a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TPyZ1ritgII/AAAAAAAAB-o/mK5FDXrMDWw/s1600/boy1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="213" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TPyZ1ritgII/AAAAAAAAB-o/mK5FDXrMDWw/s320/boy1.jpg" width="320" /></a><br />
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<br />
पतले चक्कों वाली सायकिल <br />
पर पैंडल मारते मारते <br />
शहर के दुसरे कोने<br />
में आ गए.. <br />
अब बस्ते रख दिए है <br />
पेड़ से सटाकर.. <br />
और मोजो को <br />
जूतों में खिसका दिया है.. <br />
कोहनी का तकिया बनाकर.<br />
लेट गए है मिट्टी में <br />
और देखते हुए <br />
आसमान में <br />
मुस्कुराकर कहते है.. कि साला<br />
पी टी आई जो पकड़ <br />
लेता तो धुनाई बहुत होती.. <br />
<br />
कुछ देर सुस्ताकर <br />
खोलते है टिफिन <br />
मेथी के परांठो <br />
की खुशबू लुटा देते<br />
है आसमानों में.. <br />
अब एक टांग पे टांग <br />
टिकाये गिनते है <br />
अंटी के सिक्को को.. <br />
और खरीद के पतंग <br />
चाँद तारो वाली <br />
बस्ते से चरखी.. <br />
निकाल लेते है.. <br />
<br />
लम्बी तान पतंग को देके..<br />
बस ऊपर ही तकते है.. <br />
कट जायेगी जब <br />
दस पांच पतंगे.. <br />
झाड के पैंट को अपनी.. <br />
बस्ते में चरखी धर लेंगे.. <br />
सायकिल पे रख के बस्ता अपना <br />
फिर से घर को चल लेंगे.. <br />
<br />
जो कहते है <br />
ऐसा हाल रहा तो <br />
आगे जाकर क्या करोगे?<br />
उनकी हमको फ़िक्र नहीं <br />
आफ्टर आल अभी <br />
पिछले सन्डे ही तो पहला पिम्पल फूटा है..कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com51tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-67432475222670680712010-09-16T18:00:00.003+05:302010-09-16T18:06:51.566+05:30सोशल मिडिया मैरिज..<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://4.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TJINALYzHTI/AAAAAAAAB9w/QzGC24MwfOQ/s1600/smm.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="http://4.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TJINALYzHTI/AAAAAAAAB9w/QzGC24MwfOQ/s400/smm.jpg" width="236" /></a></div><br />
<blockquote>सीन 1 </blockquote><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- सुनो जी रश्मि अब बड़ी हो गयी है.. कल रात भर लैपटॉप पर बैठे बैठे ना जाने किससे चैटिंग कर रही थी.. मुझे लगता है अब इसकी शादी करवा देनी चाहिए.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- ठीक है मैं आज ही शादी.कॉम पर उसकी प्रोफाईल बना देता हूँ.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- अरे उसकी क्या जरुरत है..? वो अपनी फेसबुक वाली मिसेज शर्मा है ना.. उनके कोई ऑरकुट फ्रेंड का लड़का है.. फ्लिकर पर फोटो अल्बम देखा उसका.. देखने में तो बड़ा सुन्दर है.. ट्विटर पर एक हज़ार से ज्यादा फोलोवर है उसके.. और तो और खुद के डोमेन पर अपना ब्लॉग भी बना रखा है.. आप कहे तो बात करू उनसे.</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- हूँ..! ठीक है पर पहले रश्मि से भी पूछ लेना.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><blockquote>सीन 2</blockquote><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- रश्मि बेटा क्या कर रही हो.. ?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- कुछ नहीं मोम बस अपने स्टेटस मेसेज्स के रिप्लाई दे रही थी.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- बेटा हमने तेरे लिए एक लड़का पसंद किया है.. बहुत अच्छा लड़का है.. उनकी मम्मी से मेरी चैट भी हुई थी.. मैंने तुम्हारा ऑरकुट प्रोफाईल का लिंक भी दे दिया उनको.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"> - ओ मोम इतनी जल्दी क्या है. .? और वैसे भी बिना किसी को जाने पहचाने कैसे शादी कर लु..?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"> - अरे तो मैंने कब मना किया है.. तुझे उसकी प्रोफाईल का लिंक मेल कर देती हूँ.. देख ले कैसा दिखता है.. कैसे दोस्त है उसके.. अच्छी कंपनी में काम करता है.. तुझे लिंक्ड इन का भी लिंक दे दूंगी.. तु एक बार देख तो सही.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"> - ठीक है मोम.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"></div><blockquote>सीन 3 </blockquote><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rash003 : hi</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin.kumar1984 : hi </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">do i know u?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rash003 : meri mom ne aapka</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">id diya tha </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin.kumar1984 : oh ha mummy ne </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">bataya tha.. ms. sharma ki follower </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">hai na aapki mom..</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rash003 : ya </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">wo chahte hai hamari shadi ho jaye</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin.kumar1984 : not bad</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">kya karti ho tum?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rash003 : <a href="http://linkedin.com/in/rash003">http://linkedin.com/in/rash003</a></div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">ye mera linked in ka id hai..</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">it company mein hu </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin.kumar1984 : nice job! main bhi it </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">company mein hu ye mera profile hai</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><a href="http://linkedin.com/in/jai.kumar">http://linkedin.com/in/jai.kumar</a></div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rash003 : ha main dekh chuki hu..</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">profile is good.. but main chahti hu ki</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">hum face 2 face bhi mile ek baar</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">u know itna bada decision hai </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin.kumar1984 : i understand.. in fact</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">main bhi chahta tha face 2 face baat karna</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rash003 : good to u have web cam?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin.kumar1984 : ya 1 sec.</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rash003 : u have nice hair cut</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin.kumar1984 : thanks! tumhara chashma </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">to kool hai.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"></div><blockquote>सीन 4</blockquote><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- ये देखो.. रश्मि ने ब्लशिंग वाला स्माईली भेजा है लगता है शरमा गयी अपनी शादी की बात सुनके.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- वो सब तो ठीक है लेकिन उसे लड़का पसंद है या नहीं ?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- हाँ है ना आप खुद ही देख लो फेसबुक पे खुद लाईक किया है उसने </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- हूँ.. ठीक है तो फिर गूगल में कोई अच्छा सा मुहूर्त सर्च करके शादी करवा देते है दोनों की.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- परसों शाम का मुहूर्त निकला है.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- अरे लेकिन ये तो बहुत जल्दी होगा.. नेट की स्पीड भी स्लो है सबको इनविटेशन कैसे भेजेंगे ?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- अरे इसमें क्या है कार्ड अपलोड करके सबको लिंक शेयर कर देंगे. इसमें कितना तो टाईम लगता है.. सब हो जायेगा </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- ठीक है फिर..शादी के मन्त्र की एम् पी थ्री डाउनलोड करलो नेट से.. फोटो अल्बम के लिए पिकासा ठीक रहेगा और वीडियो के लिए यू ट्यूब पर अकाउंट बना लेता हु.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- आज मेरे लिए बहुत ख़ुशी का दिन है मैं अभी अपना स्टेटस अपडेट करती हु.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><blockquote>सीन 5</blockquote><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">जतिन और रश्मि ने अपना स्टेटस चेंज<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"> </span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">किया </span> </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">jatin is married now</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">22 hours ago - comment - like - share</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">rashmi is married now</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">22 hours ago - comment - like - share</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><blockquote>सीन 6</blockquote><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- क्या कर रही हो रश्मि डार्लिंग?</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- अरे स्पीड बहुत स्लो है जतिन सबने बधाईया ई ग्रीटिंग्स से भेजी है ना फ्लैश में है देर लग रही है खुलने में.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- कम ऑन रश्मि तुम्हारे पास मेरे लिए तो वक़्त ही नहीं है.. मैं कबसे तुम्हे पिंग कर रहा हूँ और तुम हो कि.. पता नहीं कहा बिजी हो..</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">- सोरी हनी डीसी हो गया था.. प्लीज डोंट माईंड.. </div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><blockquote>सीन 7</blockquote></div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><br />
</div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>जतिन और रश्मि को हैप्पी वेडिंग एल्बम में टैग किया गया </b></div><div style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;"><b>3 व्यक्तियों को ये पसंद है </b><br />
<b><br />
</b><br />
<b><br />
</b><br />
<b>----</b></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com74tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-7888234091214820982010-09-08T12:39:00.001+05:302010-09-08T12:40:28.059+05:30सड़क पर औंधे मुंह पड़ा शहर..सुना भी तो जा सकता है..<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TIc18d0TO0I/AAAAAAAAB9o/8mQDykt4PRo/s1600/city.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><br />
</a></div><object classid="clsid:d27cdb6e-ae6d-11cf-96b8-444553540000" codebase="http://fpdownload.macromedia.com/pub/shockwave/cabs/flash/swflash.cab#version=8,0,0,0" height="28" id="divplaylist" width="335"><param name="movie" value="http://www.divshare.com/flash/playlist?myId=12493098-294" /><embed src="http://www.divshare.com/flash/playlist?myId=12493098-294" width="335" height="28" name="divplaylist" type="application/x-shockwave-flash" pluginspage="http://www.macromedia.com/go/getflashplayer"></embed></object><br />
<br />
----------------------------------------------------------<br />
<br />
शहर का गिरेबान पकड़ कर जैसे किसी ने उसे नीचे गिरा दिया हो.. सड़क पर औंधे मुंह पड़ा हुआ है.. सड़क पर ही पड़ी खाली शराब की बोतले.. एक दुसरे से टकरा टकराकर सन्नाटे को तोड़ने की कोशिशे कर रही है.. उनमे बची थोडी बहुत शराब नालियों में बहती जा रही है.. सिगरेट के कुछ बुझे पड़े ठूंठ रात की चिंगारियों से अभी तक खुद को अलग नहीं कर पाए है.. कुत्ते.. कुत्तो की तरह फूटपाथ पे लेटे हुए है.. और इन सब पे नज़र रखता लैम्पोस्ट बिना हिले अपनी जगह पर खड़ा खड़ा चुपचाप सबकुछ देखता जा रहा है..<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TIc18d0TO0I/AAAAAAAAB9o/8mQDykt4PRo/s1600/city.jpg" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="200" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TIc18d0TO0I/AAAAAAAAB9o/8mQDykt4PRo/s200/city.jpg" width="162" /></a></div>तेज़ी से भागती गाडियों के चक्के सड़क की छाती पर निशान छोड़ गए है.. हवा निकल कर फुस्स हो चुके गुब्बारे सड़क के कोनो में बिखरे हुए है.. दो चार पतंगे बिजली के तारो में उलझी हुई है.. दीवारों पर लिखा दिल्ली चलो अब कुछ साफ़ नहीं दिखता.. सड़क पर जमा कचरे में चूहे मुंह मार रहे है..<br />
<br />
दूर कही से रेडियो के गाने की आवाज़ आयी है.. ऊंची हील वाली एक सैंडल सड़क पर पड़ी है.. थोडी ही दूरी पर दूसरी सैंडल, आगे चलकर लेडिज पर्स और उसके आगे घुप्प अँधेरा.. लोग अभी तक सो रहे है.. सूरज थोडी देर में निकलेगा निकल ही आएगा.. अखबार से भरा हुआ ट्रक सड़क से गुज़रा है.. फूटपाथ पे लेटे आदमी की टांग से इंच भर के फासले से.. चमेली के पत्तो की महक सहमी सहमी सी सड़क तक आ रही है..<br />
<br />
मंदिर में घंटीया बज रही है.. दरगाह से अजान की आवाज़ भी आ रही है.. कुत्ते भोंकते हुए भाग रहे है.. अखबार वाला सायकिल की घंटी बजाता हुआ निकला है... नीम के पेड़ पे बैठी चिड़ियाओ की आवाज़े आ रही है.. कुलमिलाकर अब कह सकते है कि सुबह हो रही है.. ये दिन गुजरेगा.. बीतेगा.. बीत ही जाएगा... फिर शाम होगी, रात होगी और सुबह होगी.. सब कुछ युही चलेगा... चलता ही है.. चलता ही जाएगा..कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com45tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-25096346158109278712010-08-30T14:26:00.000+05:302010-08-30T14:26:18.681+05:30ज़िन्दगी के सबसे मुश्किल पलो में प्यार मिठास घोल देता है..<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://4.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/THtx6eBh0WI/AAAAAAAAB9I/1EKbMkoS_NU/s1600/3kush.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="http://4.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/THtx6eBh0WI/AAAAAAAAB9I/1EKbMkoS_NU/s400/3kush.jpeg" width="300" /></a></div><br />
'अभी इतनी बूढी भी नहीं हुई हूँ कि तु कुछ भी कहे और मान लु मैं.. इस डिब्बे से कैसे हो जायेगी बात तेरे नानाजी से..?' बोलते हुए नानीजी अपनी दवाइयों वाली थैली में से दवाई निकालने लगी.. <br />
अरे आप तो बस देखती जाओ.. शाम को तैयार रहना मैं नानाजी के पास जाकर फोन करूँगा.. आप उठा लेना.. <br />
<br />
सत्तर की उम्र में भी एकदम चुस्त नानाजी एक दिन चलते चलते सड़क पर गिर पड़े.. आसपास वाले लोगो ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया.. बस तबसे वही है.. नानीजी ने तो तीन साल पहले ही बिस्तर से ऐसी दोस्ती गांठी कि फिर बिस्तर छोड़ने का सवाल ही नहीं उठा.. हर रोज़ नानाजी को याद करती रहती बस.. जैसे ही कोई अस्पताल जाकर आता उस से बस नानाजी के बारे में ही पूछती.. ठीक तो है ? कब वापस आयेंगे ? <br />
<br />
जब भी घर के दरवाजे पर कोई आवाज़ होती है.. उन्हें लगता नानाजी आ गए.. जब मैं नानीजी के पास पंहुचा तो वो बोली 'क्यों रे तेरे नानाजी मेरे बारे में पूछते नहीं है.. ?' <br />
'पूछते है ना' मैंने कहा.. <br />
'अच्छा क्या बोलते है ?' नानी जी आँखों में चमक लिए हुए बोली.. <br />
<br />
'बोलते है तेरी नानी तो मुझे भूल ही गयी है.. सब मिलने आते है वो ही नहीं आती.. '<br />
'झूट..!' नानी बोली 'ऐसा तो हो ही नहीं सकता... वो तो अब पांव उठते नहीं है वरना तो चली ही जाती.. पता नहीं कैसे होंगे वो? '<br />
'अच्छे है नानी.. आप क्यों चिंता करती हो.. '<br />
'लल्ला मेरा एक काम करेगा..' नानी बड़े प्यार से बोली <br />
'हाँ कहो ना नानी.. '<br />
'तु एक चिट्ठी लिख देगा उनके लिए.. जैसा मैं कहती हूँ बस वैसे.. '<br />
'अरे वाह लव लैटर.. क्या बात है नानी.. '<br />
'चुपकर बेसरम..! बस किसी को बताना नहीं.. '<br />
ठीक है नानी बताओ क्या लिखना है.. <br />
<br />
छुटकी के पापा, <br />
आप मेरे लिए उस दिन इमली लाने गए थे ना फिर अभी तक वापस क्यों नहीं आये..? बच्चो से पूछती हूँ तो कहते है पापा ठीक है.. पर मुझे लगता है कुछ ठीक नहीं.. जब आप पास नहीं होते हो तो कुछ ठीक क्यों नहीं लगता..? रोज़ शाम को सोचती हूँ आप आज आ जाओगे पर आप नहीं आते हों.. मेरा यहाँ अकेले मन नहीं लगता.. बस बैठी बैठी आपकी आराम कुर्सी को देखती रहती हूँ.. कभी खिड़की से हवा आ जाये तो इसे हिलती देखती रहती हूँ आप अखबार पढ़ते हुए ऐसे ही तो बैठते है इस पर.. और तो और कौनसी दवाई कब लेनी है कुछ पता नहीं चलता.. रोज़ खिड़की पर गाय आकर खडी हो जाती है वो अलग.. मुझसे तो उठकर रोटी दी नहीं जाती.. कल छोटा गया था उसको रोटी देने पर खायी ही नहीं.. आप आओगे तभी खाएगी.. और हाँ वो टेबल पर पड़ा कैलेण्डर भी नहीं बदला है किसी ने.. जिस तारीख को आप गए थे अभी भी वैसी की वैसी है.. बाहर ठण्ड भी पड़ने लग गयी अब तो.. आप जर्सी नहीं ले गए थे मैं लल्ला के साथ भिजवा दूंगी.. और कान खुले मत रखना आपको सर्दी जल्दी लग जाती है.. मेरी चिंता मत करना आप मैं यहाँ बिलकुल ठीक हूँ.. बस आप जल्दी से आ जाओ.. <br />
<br />
मैं पैन चलाते चलाते रुक कर नानी को देखने लगा.. आँखे कब भीग आयी पता ही नहीं चला.. नानी बोले जा रही थी बस.. मैं उन्हें देख रहा था.. <br />
<br />
क्या हुआ लल्ला ? लिखा कि नहीं? नानी ने मेरी ओर देखा.. <br />
'लिख दिया नानी..' मैंने नानी की हिदायतों के साथ उस चिट्ठी को जेब में डाला.. और नानी की दी हुई जर्सी ली.. <br />
<br />
नानाजी.. कुछ बोलते नहीं थे.. पर हाँ सुन जरुर सकते थे.. मैंने मौका देखकर नानी जी वाली बात कही.. उन्होंने मेरी तरफ देखा.. कुछ बोलने की कोशिश की पर बोल नहीं पाए.. मैंने चिट्ठी निकालकर पढना शुरू किया.. नानाजी के हाथो में हलचल देखी.. ज्योंही चिट्ठी ख़त्म हुई नानाजी की आँख से एक आंसू गिर कर उनके गालो पर आ गया.. नानाजी ने हाथ उठाकर मुझे बुलाया.. मेरे पास जाते ही उन्होंने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया.. उस शाम मैं और नानाजी बहुत रोये.. <br />
<br />
मैं जानता था नानीजी को आज सारी रात नींद नहीं आयी होगी.. सुबह जब पहुंचा तो नानीजी बिस्तर पर बैठी अपनी दवाइयों से उलझ रही थी.. मेरे जाते ही उन्होंने पुछा क्यों लल्ला पढ़ा उन्होंने क्या कहा ? कब आ रहे है ? <br />
<br />
जब नानीजी को बताया तो वो बहुत खुश हुई.. अब तो ये रोज़ का सिलसिला बन गया.. <br />
मैं हर रोज़ नानीजी का लैटर लेकर अस्पताल जाता.. और नानाजी को पढ़कर सुनाता.. धीरे धीरे नानाजी बोलने भी लग गए थे.. <br />
<br />
एक दिन मैं अपने दोस्त से मोबाईल लेकर आया..<br />
<br />
अभी इतनी बूढी भी नहीं हुई हूँ कि तु कुछ भी कहे और मान लु मैं.. इस डिब्बे से कैसे हो जायेगी बात तेरे नानाजी से.. बोलते हुए नानीजी अपनी दवाइयों वाले थैली में से दवाई निकालने लगी.. <br />
अरे आप तो बस देखती जाओ.. शाम को तैयार रहना मैं नानाजी के पास जाकर फोन करूँगा.. आप उठा लेना.. <br />
<br />
उस दिन मैं नानीजी के पास लैंडलाईन फोन रखकर गया और नानाजी के पास जाकर मोबाईल से बात करवाई.. 'हल्लो हल्लो' नानाजी से जोर से बोल रहे थे.. शायद नानीजी को अब भी यकीन नहीं था.. कि वो नानाजी से बात कर रही थी.. <br />
<br />
'मुझे कहाँ कुछ हुआ है..' नानाजी बोल रहे थे.. <br />
'वो तो तु दिन भर परेशान करती रहती है,, इसलिए कुछ दिनों के लिए यहाँ चला आया.. थोड़े दिन तो आराम से रहूँगा यहाँ.. और तुझे कहाँ मेरी फ़िक्र है तुझे तो तेरी इमली की चिंता है.. इमली भी पड़ी है मेरे पास.. लल्ला के हाथ नहीं भेजूंगा.. खुद लेकर आऊंगा नहीं तो तू नाराज हो जाएगी.. और तु मेरी चिंता मत करना.. मैं यहाँ अच्छा हूँ.. बस दिन भर तेरी आवाज़ नहीं आती.. तु वो गाना गाती थी ना.. "अभी ना जाओ छोड़कर..." वो बड़ा याद आता है.. मैं तो सीख ही नहीं पाया.. इस बार मुझे याद करा देना पूरा.. अकेले में गा लिया करूँगा.. अरे लल्ला सुनता है तो क्या हुआ...? और हाँ तेरी दवाई की पर्ची अलमारी में रखी है लल्ला को बोलके सब टाईम पर ले लेना.. नहीं तो फिर खांसती रहेगी रात भर और मुझे भी नहीं सोने देगी.. मैंने जर्सी पहन ली है.. अभी भी वैसी की वैसी है.. जैसी तुने पहली बार सिलाई की थी.. तेरी सारी चिट्ठिया मिली मुझे. क्या जरुरत थी इन सबकी? अभी भी बच्ची की बच्ची है तू तो.. हाँ हाँ अपना ख्याल रखूँगा..मेरी चिंता मत करना तू बस अपना ख्याल रखना.. मैं जल्दी आऊंगा घर फिर से तेरी किचकिच सुनने .. ' अब रखता हूँ.. ख्याल रखना.. <br />
<br />
अगली बहुत देर तक मैं नानाजी को देख रहा था.. वो कौनसी डोर होंगी जिसने नाना नानी को उम्र के इस दौर में भी बाँध रखा है.. ज़िन्दगी के सबसे मुश्किल पलो में प्यार कैसी मिठास घोल देता है कि हम सब दर्द भूल जाते है.. नानी जी अपने सब दर्द भूलकर नानाजी को चिट्ठी लिखती है.. नानाजी साँसों से लड़ते हुए उनसे इस तरह बात करते है जैसे पहली बार बात कर रहे हो.. ज़िन्दगी के उस मोड़ पर जब दुनिया पीछे छूट जाती है.. तब प्यार ही दो रिश्तो में गर्माहट बरकरार रखता है.. <br />
<br />
दूसरी शाम जब मैं अस्पताल पहुंचा तो सब लोगो को नानाजी के आसपास खड़ा देखा.. नानाजी वादा तोड़कर जा चुके थे.. <br />
<br />
'लल्ला!...' नानी की आवाज़ ने चौंकाया.. <br />
नानाजी को गुज़रे हुए तीन हफ्ते बीत चुके थे.. नानीजी बिना कुछ बोले बस बिस्तर पर लेटी रहती थी.. आज जब मैं उनकी दवाईयो पर निशान लगा रहा था.. नानीजी बोली.. <br />
लल्ला... एक बात कहे.. ! तुम उस दिन वो लाये थे ना जिससे तुमने नानाजी से बात करायी थी.. <br />
'मोबाईल '<br />
हाँ वही.. वो तो बड़ी अच्छी चीज थी.. उस से एक बार तेरे नानाजी से बात करा दे ना.. आज यहाँ मन नहीं लग रहा हमारा..कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com52tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-1056408220788199302010-08-19T16:11:00.000+05:302010-08-19T16:11:36.175+05:30खो जाने में जो मज़ा है वो पा जाने में कहाँ..?<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TG0J1I_5eVI/AAAAAAAAB80/ktFtEIVzVO0/s1600/kush.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TG0J1I_5eVI/AAAAAAAAB80/ktFtEIVzVO0/s640/kush.jpg" width="504" /></a></div><br />
आज थोडी देर के लिए सूरज को पीछे धकेल देते है.. गर्मी से हाल बुरा कर दिया ससुरे ने... चाँद को भी थोडा नीचे सरका देते है. साला धरती पे लाईट कम मारता है.. इन चिनार के पेडो की हाईट कम करनी पड़ेगी वरना लोग अमरुद समझ कर आसमान से तारे तोड़ लेंगे.. और बादल! बादलो का क्या करे..? पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लगा देता हूँ.. इधर उधर घुमते रहते है दिन भर.. इसी बहाने लोगो को ठिकाने लगाते रहेंगे.. वो पिकासो वाली पेंटिंग लाना यार.. मोनालिसा वाली... एक काम करते है उसको आसमान पे एक साईड में लगा देते है.. धरती घूमेगी तो पूरी दुनिया देख लेगी.. पेंटिंग वाले ब्रश और कुछ वाटर कलर ले आओ.. सारे बच्चो को हाथ में देकर बादलो पे बिठा दो.. आसमान में रंग भरते रहेंगे.. एक काम करो ना यार कोई बढ़िया सा मोगरे वाला परफ्यूम लाकर स्प्रे मार दो.. पूरी दुनिया में.. <br />
<br />
दो बड़े वाले स्कूप भर के हिमालय की बर्फ उठा लों और शरबत डालकर बरफ के गोले बाँट दो सबको... दुनिया में बहने वाली सारी हवा को थोडी देर के लिए डीप फ्रीज़र में रख दो.. ताकि ठंडी ठंडी हवा सबके गालो को लगे... दो लोग जाओ और दुनिया के सारे नींबू तोड़ के समंदर में मिला दो.. इस बार बारिश में सबको नींबू पानी पिलायेंगे.. वो इन्द्रधनुष उधर कहाँ लटक रहा है.. उसको यहाँ सेंटर में रखो.. और लाल वाला रंग थोडा झुका के नीचे रखो ताकि लडकिया उसमे ऊँगली डुबाकर लिपस्टिक लगा ले.. <br />
<br />
ज़मीन का एक टुकड़ा काटकर पतंग बना दो उसकी.. आसमान में पेंच लड़ायेंगे सब.. और रेगिस्तान की मिट्टी के खिलौने बनाकर बाँट दो बच्चो में.. बादलो में जमा बूंदों में गुलाब जल मिला दो.. महकती हुई बारिशे मिट्टी की खुशबू को और हसीन बना देगी...<br />
<br />
<blockquote>खो जाने में जो मज़ा है वो पा जाने में कहाँ..? </blockquote><br />
...............<br />
<br />
मेरी बात सुनके हँसना मत..<br />
कि मैं दौड़ना चाहता हूँ तितलियों के पीछे <br />
और बनाना चाहता हूँ.. <br />
समंदर के करीब रेत के टीले <br />
और पकड़ के खरगोश को <br />
दोनों हाथो में... अपने गालो को <br />
गुदगुदाना चाहता हूँ.. <br />
मैं भीगना चाहता हूँ बारिश में <br />
और छातो को जमा पानी में<br />
उल्टा बहाना चाहता हूँ.. <br />
मैं भागना चाहता हूँ.. नंगे पांव <br />
और बात करना चाहता हूँ हर अजनबी चेहरे से<br />
या देखकर उन्हें बिना बात के मुस्कुराना चाहता हूँ.. <br />
मैं ठोंक के कील इसकी <br />
पीठ में.. ज़िन्दगी को जीना चाहता हूँ..कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com43tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-67209859493433724932010-08-06T00:09:00.000+05:302010-08-06T00:09:49.772+05:30कुत्ते का इंतकाम..<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://4.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TFsFFnZMurI/AAAAAAAAB8M/bFw6m58e6Zw/s1600/Graphic1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="http://4.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TFsFFnZMurI/AAAAAAAAB8M/bFw6m58e6Zw/s400/Graphic1.jpg" width="296" /></a></div>कुत्ता जो है वो टांग पे टांग टिकाये फूटपाथ पे लेटे लेटे सामने लगे खम्बे को घूर रहा है.. इस खम्बे ने ही उसकी धार से उसी को करंट दे दिया था.. और वो भी नुक्कड़ की मिसेज गुप्ता की हरमाईनी के सामने... जी जनाब आपने बिलकुल ठीक पढ़ा हरमाईनी.. अब ये जो मिसेज गुप्ता है ये पति के ऑफिस चले जाने के बाद अक्सर किताबो में घुस जाती है.. किताबे इन्हें अपने बच्चो सी लगती है खुद की कोई औलाद नहीं शायद इसलिए किताबो को गोद ले लिया इन्होने... खैर वजह चाहे जो भी हो हम उसमे अपना मुंह नहीं मारते.. और बात को आगे बढ़ाते है.. तो ये मिसेज गुप्ता जो है जिनकी बात मैं कर रहा हूँ.. इन्हें बच्चो की किताबे बहुत पसंद है.. और खासकर जे के रोलिंग की हैरी पोटर.. और उसी हैरी पोटर की किताब के एक किरदार हरमाईनी के नाम पर इन्होने अपनी प्यारी कुतिया का नामकरण किया है.. नहीं जनाब कुत्तो का नाम अंग्रेजी में रखके अपनी गुलामी का बदला नहीं लिया जा रहा है.. ये तो बस भावनात्मक दृष्टिकोण है.. अब रख लिया तो रख लिया जाने दीजिये.. खामख्वाह उत्तेजित होंकर क्यों अपना बी पी बढा रहे है.. <br />
<br />
अब पढ़िए चुपचाप...! तो हरमाईनी जो है.. अरे साहब वही हरमाईनी जिसके बारे में ऊपर बताया मैंने.. हाँ तो हरमाईनी जो है वो मिसेज गुप्ता के चार गोल चक्कर काटके फुदकती हुई सड़क किनारे जा लगी ही थी कि ठीक तभी अपनी कहानी का नायक उसी खम्बे पे टांग उठाये खड़ा हुआ जिस खम्बे की बात मैंने पहली ही पंक्ति में की है.. बस जनाब जैसे ही उसने धार लगायी की खम्बे ने करंट का झटका मारा और कुत्ता फटके से पीछे जा गिरा.. हरमाईनी बेशर्मी से खींसे निपोर कर मुस्कुराने लगी.. और कुत्ते की आँखों में खून उतर आया...पर स्थिति की गंभीरता और उष्णता को देखता हुआ बेचारा अपमान का घूँट गिलास में डालकर पी गया.. लेकिन उसी दिन से कुत्ता अपने अपमान का बदला उस नामाकूल खम्बे से लेना चाहता है पर मौका है कि मिलता ही नहीं.. <br />
<br />
और आज जब शहर के बाशिंदे लिहाफो में घुसे पड़े ऊंघ रहे है तब कुत्ता जो है वो टांग पे टांग टिकाये फूटपाथ पे लेटे लेटे सामने लगे खम्बे को घूर रहा है.. चाहता तो वो ये है कि मोहल्ले के सारे सड़क छाप कुत्तो को ले जाके धार लगाकर खम्बे को नाले में बहा दे.. पर जबसे उस कुत्ते की फजीती की खबर बाकी कुत्तो को मिली है सब उस खम्बे से कन्नी काटने लगे है.. कुत्ता मन ही मन बाकी कुत्तो को गाली देता है.. "इंसान साले"<br />
<br />
कुत्ता अपनी बेबसी के चलते रात होते होते जैसे ही जोर से रोता है पड़ोस की खिड़की से एक चप्पल आके उसके मुंह पे दर्ज हो जाती है.. "हरामी कही के.. " कुत्ता शायद ऐसा ही कुछ मन में सोचता है.. अब नहीं सोचता तो नहीं सोचता होगा लोड क्यों ले रहे है.. जाने दीजिये.. तो कुत्ता खिसियाकर चुपचाप आंसु बहाने लग जाता है.. और एक बात मैं आपको बता दूँ.. कि जब भी कोई कुत्ता उदास होता है तो वो गाना गाता है.. अब गाना सुनने के लिए उतावले मत होइए.. कुत्ते का गाना तो मैं आपको सुनाने से रहा.. <br />
<br />
तो जनाब कुत्ता गाना वाना गाकर सो तो गया है पर उसके कुत्ते जैसे मुंह पर जो मुस्कराहट चम चम कर रही है उसकी वजह सपने में उसके और खम्बे के बीच हो रहे घमासान युद्ध का सीन है.. कुत्ता धनुष बाण लेकर हरमाईनी के घर के ठीक सामने खड़ा है.. खम्बा कुछ ही दूरी पर लगभग घबराया हुआ है.. हर्माइनी की जो उंगलिया है वो उसी के दांतों के तले दबी हुई है.. कुत्ता अपने धनुष से एक बाण छोड़ता है.. और हवा में एक से छ: बाण हो जाते है. और सभी बाणों के आगे लाल पीले सितारे चमक जाते है.. बाण तो खम्बा भी छोड़ता है पर कुत्ते के तीरों से टकराकर बाण टूटकर गिर जाते है.. कुत्ता मुस्कुराता है और हरमाईनी की तरफ विजयी भाव से देखता है.. हरमाईनी जो है वो बेवकुफो की तरह पता नहीं क्यू लाल हुए जा रही है.. <br />
<br />
कुत्ता तीर पे तीर चलाते चलाते भूल गया है कि सुबह हो चुकी है.. और बाकी के कुत्ते उसकी मुद्राओ को देखकर खी खी कर रहे है.. कल रात जिस खिड़की से चप्पल आयी थी उसके मकान मालिक सूरज को अर्क देने के लिए खिड़की खोले है और उलटे लेटे हुए हवा में पाँव किये कुत्ते की मुद्रा देखकर दूसरी चप्पल कुत्ते के पेट पर धढ़ाम से अर्पित करते है.. कुत्ता भक से उठता है और चप्पल फेंकने वाले को ऐसे शब्द कहता है कि जो मैं यहाँ लिख नहीं रहा हूँ.. <br />
<br />
थोडी दूरी पर जाते ही सामने खड़े कुत्तो को हँसते हुए देखकर.. कुत्ता अपने सपने को याद कर के खिसिया जाता है.. उसे ऐसा लगता है जैसे इस संसार में उसका अब कोई नहीं रहा.. वो धरती पर दो दो कौड़ी के खम्बो से झटके खाने के लिए ही पैदा हुआ है.. या फिर मुए मरदूदो की चप्पल झेलने के लिए.. पर इस कुत्ते जैसी ज़िन्दगी से तो मरना ही बेहतर है.. यही सोच के कुत्ता सामने से आ रही ट्रक के चक्के के कदमो तले शहीद होना चाहता है.. कि तभी हरमाईनी भागती हुई आकर उसकी पूँछ पर पांव रख देती है.. <br />
<br />
मुझे मर जाने दो मैं जीना नहीं चाहता.. कुत्ता फ़िल्मी डायलोग मारता है.. हरमाईनी उसके मुंह पर अपने हाथ रखके कहती है मरे तुम्हारे दुश्मन.. कुत्ता उसकी बात सुनकर खम्बे को देखता है.. पर खम्बा अपनी बत्ती को दिन में भी जलाकर जैसे कुत्ते के अरमानो की बत्ती बना देता है.. कुत्ता हरमाईनी की तरफ देखता है.. हरमाईनी कुत्ते की तरफ देखती है और फिर दोनों एक दुसरे की तरफ देखते है.. अरे आप उधर कहाँ देख रहे हो आप तो इधर देखो.. हाँ तो दोनों एक दुसरे को देख रहे है.. अचानक हरमाईनी कुत्ते के कान में कुछ कहती है.. और कुत्ता गुस्से से भोंकने लग जाता है.. हरमाईनी को वही छोडके भाग जाता है.. हरमाईनी उसे आँखों से ओझल हुए देखती जाती है... कुता दोबारा हरमाईनी के पास नहीं आता है..<br />
<br />
<blockquote>और कई सालो बाद... </blockquote><br />
हरमाईनी कई बार दूसरी कोलोनी के किसी कुत्ते के साथ देखी गयी थी कालांतर में उसके आठ दस बच्चे भी हुए.. और मिसेज गुप्ता के भी पर वो दूसरी कोलोनी में नहीं गयी.. इसी कोलोनी में रहने वाले उनके पति से उन्हें एक प्यारी सी लड़की मिली... जी हाँ लड़की का नाम भी हरमाईनी रखा है.. मिसेज गुप्ता दोनों में कोई भेदभाव नहीं करती.. चप्पल वाले पडोसी की चप्पल एक बार एक कुत्ता मुंह में दबाकर नाले में फेंक आया था तभी से उन्होंने चप्पल फेंकनी बंद कर दी है.. पर इस बात से बेखबर की खम्बे में कभी किसी एक दिन बारिश की वजह से करंट था और कुत्ते के खम्बे के पास धार लगाने की कोशिश में उसे करंट लग गया था... वो कुत्ता अब भी कभी कभी आकर खम्बे के सामने भौंकके चला जाता है.. खम्बे में अब हाई मास्क लाईट लग चुकी है.. वो और ज्यादा रौशनी दे रहा है...कुत्ते के भौंकने का शायद ही खम्बे पर कोई असर हो...मोहल्ले में पुराना जो था वो सब कुछ ख़त्म हो चुका है बस बाकी है तो 'कुत्ते का इंतकाम'.......... जो ना जाने कब पूरा होगा..???कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com45tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-5164126745543397452010-07-13T14:49:00.002+05:302010-07-13T14:52:52.702+05:30अ गर्ल एट क्वींस रोड़...<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://3.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TDwvidQzeEI/AAAAAAAAB8E/nR3fshIkIkc/s1600/a+girl+at+queeny.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="http://3.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TDwvidQzeEI/AAAAAAAAB8E/nR3fshIkIkc/s320/a+girl+at+queeny.jpg" width="244" /></a></div>"अबे तुझे क्या पता... बाईक के पीछे लड़की बिठायी क्या तुने कभी,...? बार बार ब्रेक लगाने में जो मज़ा आता है वो तू क्या समझेगा प्यारे.. " आईने के सामने कंघी करते हुए वो बोला..<br />
<br />
"तू तो साले कमीना का कमीना ही रहेगा.." उसका दोस्त हँसते हुए बोला.. "पर ये लडकिया रोज़ रोज़ कैसे मिल जाती है तुझे.. ?"<br />
<br />
"अरे प्यारे ढूँढने से तो खुदा भी मिल जाता है.. वो क्वींस रोड पे फैक्ट्री है ना कपड़ो की.. वहां काम करने वाली लडकिया अक्सर रात को लिफ्ट ले ही लेती है.. बस अपना काम बन जाता है.. चल मैं निकलता हु ऑफिस के लिए आज की स्टोरी रात को आकर बताऊंगा.. "<br />
<br />
"बाय!"<br />
"बाय!"<br />
-----------<br />
कहानी का मुख्य पात्र आज ऑफिस में देर तक रुका था.. घडी साढे दस बजा चुकी थी और वो सोच रहा था कि कही आज सारी लडकिया निकल नहीं जाए.. इतने में बॉस ने आकर उससे जाने के लिए कहा.. वो फ़ौरन हेलमेट उठाया और तेज़ कदमो से सीढिया उतर कर पार्किंग की ओर चला गया.. उसे जल्दी थी.. वैसे तो उसके ऑफिस से क्वींस रोड की दूरी करीब पांच दस मिनट थी पर वो और जल्दी जाना चाहता था.. फैक्ट्री के सामने वाले बस स्टैंड को खाली देखकर वो मायूस हो चुका था.. उसने रुक कर चारो तरफ नज़र दौडाई पर कोई लड़की नज़र नहीं आयी.. वो किक मारकर आगे बढ़ने लगा.. इतने में उसकी नज़र रोड लाईट के सहारे खडी लड़की पर पड़ी.. उसकी आँखों में एक चमक आ गयी.. वो बिना समय गवाए उस लड़की तक पहुंचा.. <br />
<br />
सफ़ेद सलवार कमीज और लाल दुपट्टा पहने खडी वो लड़की देखने में बहुत सुन्दर थी.. आँखों में गहरा काजल और माथे पर बड़ी लाल बिंदी.. कानो में बड़ी बड़ी बालिया और दोनों हाथो में एक दर्जन से भी ज्यादा चुडिया.. ऐसी लड़की उसने यहाँ पहले कभी नहीं देखी थी.. वो उसे देखता ही रह गया.. "हेल्लो" वो लड़की बोली.. सकपकाकर उसने बोला "जी..? इतनी रात गए यहाँ क्या कर रही है आप..?"<br />
<br />
"मुझे लिंक रोड जाना है.. बहुत देर से वेट कर रही हूँ.. ना कोई बस मिल रही है ना ऑटो.. फिर रात भी काफी हो रही है.. "<br />
<br />
"नो प्रोब्लम बैठो मैं छोड़ देता हूँ.. "<br />
"लेकिन रात काफी हो गयी है और... "<br />
"अरे डरिये मत मैं कुछ नहीं करूँगा.. वैसे भी मुझे लिंक रोड ही जाना है वहां से अपनी सिस्टर को लेकर घर जाऊँगा मैं.. "<br />
"नहीं वो बात नहीं है.. पर "<br />
"अरे मैडम आप यकीन करिए.. कुछ नहीं होगा वैसे भी यहाँ अकेले खड़े रहने में खतरा ज्यादा है.. और इस इलाके में सिर्फ फेक्ट्रिया है ज्यादा ट्रैफिक रहता नहीं है पता नहीं आपको ऑटो मिले ना मिले.. "<br />
<br />
लड़की ने थोडा सोचकर हाँ कर दी.. वो मन ही मन खुश हो गया.. और जानबूझकर वो थोडा पीछे बैठ गया सीट पर जगह काफी कम बची थी.. लड़की सहमी हुई सी बैठ गयी.. अब वो मन ही मन खुश था.. गाडी बिलकुल धीरे धीरे चला रहा था.. साथ साथ लडकियों के रात को अकेले ना घूमने पर लेक्चर भी सुना रहा था.. वो लड़की चुपचाप बैठी सुन रही थी.. इस रस्ते को वो अच्छी तरह जानता था.. उसे पता था आगे स्पीड ब्रेकर आने वाला है.. उसने बाईक की रफ़्तार थोडी बढा दी... और स्पीड ब्रेकर के बिलकुल नजदीक जाकर जोर से ब्रेक लगाया.. अचानक झटका लगा.. लड़की का हाथ उसके कंधे पर आ गया.. वो रोमांचित हो उठा.. <br />
<br />
"आप ठीक तो है ना..! वो दरअसल स्पीड ब्रेकर नज़र नहीं आया था.. " वो बोला <br />
"कोई बात नहीं.." लड़की धीरे से बोली..<br />
<br />
उसने फिर से बाईक की रफ़्तार बढा ली थी.. और अपनी बाईक का रियर मिरर इस तरह से सेट करने लगा कि जिसमे पीछे बैठी लड़की का चेहरा साफ़ नज़र आये.. उसने देखा लड़की के चेहरे पर मुस्कान थी.. वो खुश हो गया. एक गढ्ढे के पास फिर से उसने ब्रेक लगाया.. और मिरर में देखा लड़की मुस्कुरा रही थी.. अब तो उसके मन की मुराद पुरी हो गयी थी.. वो पुरे रास्ते ब्रेक लगाता और मिरर में लड़की को मुस्कुराते हुए देखता.. मिरर में मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर वो खुश होता जा रहा था.. इतने में लड़की बोली.. <br />
<br />
"बस यही रोंक दीजिये.. "<br />
"लेकिन लिंक रोड तो वो सामने की तरफ है.. "<br />
"नहीं बस मुझे यही तक आना था वो पिछली गली में मेरा घर है मैं चली जाउंगी "<br />
"तो मैं आपको घर तक छोड़ देता हूँ.. "<br />
"नहीं नहीं उसकी कोई जरुरत नहीं.. आपने मेरी इतनी हेल्प की इसके लिए थैंक्स "<br />
"अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है... "<br />
"अच्छा तो मैं चलती हु.. " और वो पलटकर जाने लगी.. <br />
<br />
"ज़रा सुनिए.. " वो बोला....... "आप फिर कब मिलेगी वहा.. "<br />
"मिल जाउंगी.. चिंता मत करिए इतनी आसानी से आपका पीछा नहीं छोडूंगी.." वो हँसते हुए बोली.. <br />
"हाहाहा.. ज़रूर..!" वो भी हंस दिया और बाईक को स्टार्ट करके वापस जाने लगा.. <br />
<br />
रास्ते भर वो बार बार उस लड़की को याद कर रहा था.. कैसे ब्रेक लगते ही वो लड़की उससे चिपक सी जाती थी.. और जब उसने कंधे पर हाथ रखा था एक सरसराहट फ़ैल गयी थी जिस्म में.. इतनी खूबसूरत लड़की उसे पहले कभी नहीं मिली थी.. यही सोचते सोचते उसकी नज़र रियर मिरर पर पड़ी.. उसने देखा वही लड़की उसमे मुस्कुरा रही थी.. उसने अचानक ब्रेक लगाये.. पीछे देखा तो कोई नहीं था.. उसने मिरर में देखा तो वो लड़की नहीं थी.. वो मुस्कुराया.. ज़रूर कोई वहम होगा.. <br />
<br />
उसने गाडी स्टार्ट की थोडा आगे ही बढा था कि उसे फिर से आईने में वो नज़र आयी.. ठीक वैसे ही मुस्कुराते हुए.. उसने घबराकर गाडी रोकी और गौर से देखा तो वो लड़की नहीं थी.. उसने अपनी पीछे की सीट पर हाथ फिराकर देखा कुछ भी नहीं था.. सुनसान सड़क पर वो अकेला खड़ा था.. अब वो घबरा रहा था.. उसने बाईक स्टार्ट की और चलने लगा.. थोडी दूरी पर जाके उसने जैसे ही मिरर में देखा.. वो लड़की मुस्कुरा रही थी.. <br />
<br />
अब तो वो बुरी तरह से डर गया था.. वो समझ नहीं पाया ये क्या हो रहा है.. उसने बाईक को वापस उलटी तरफ घुमाया.. और तेज़ी से उसी तरफ चल पड़ा.. जहाँ से वो आया था.. पुरे रास्ते भर उसे मिरर में वो लड़की मुस्कुराते हुए नज़र आ रही थी.. उसकी आँखों से लगातार आंसु बह रहे थे.. वो घबरा चुका था... थोडी ही देर में वो फिर से क्वींस रोड पर आ चुका था.. उसकी साँसे बढ़ी हुई थी.. उसने वहा आकर जैसे ही गाडी रोकी उसका कलेजा काँप उठा.. उसका शरीर सुन्न हो गया..पूरा बदन पसीने में भीग उठा.. उसकी आँखों से खून बहने लगा.. और वो भक्क से जमीन पर गिर पड़ा... जिस लड़की को वो लिंक रोड पर छोड़ आया था वो अभी सड़क के दूसरी तरफ उसी रोड लाईट के सहारे खडी थी जहाँ से उसने लिफ्ट दी थी...कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com74tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-88470873587897312102010-06-07T18:04:00.004+05:302010-06-07T18:22:18.376+05:30बादल ऑन ड्यूटी हो.. और चाय की तलब..!<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://d.yimg.com/gg/u/fdb342ffa713ed550189e81c89e9194dfc8dee7f.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"></a></div><span content="बादल">बादल</span><span content=" "> </span><span content="ओं">ऑन</span><span content=" "> </span><span content="ड्यूटी">ड्यूटी</span><span content=" "> </span><span content="हो">हो</span><span content=".. ">.. </span><span content="और">और</span><span content=" "> </span><span content="चाय">चाय</span><span content=" "> </span><span content="किी">की </span><span content="तलब">तलब</span><span content="..! ">..! </span><span content="ए">ए</span><span content=" "> </span>ऊपर<span content="उपरवाले">वाले</span><span content="! ">! </span><span content="क्या"> क्या</span><span content=" "> </span><span content="खालिस">खालिस</span><span content=" "> </span><span content="ज़िंदगी">ज़िंदगी</span><span content=" "> </span><span content="दी">दी</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=" "> </span><span content="तूने">तूने</span><span content="..! ">....! </span><span content="इस">इस</span><span content=" "> </span><span content="से">से</span><span content=" "> </span><span content="बढ़िया">बढ़िया</span><span content=" "> </span><span content="कॉम्बिनेशन">कॉम्बिनेशन</span><span content=" "> </span><span content="तो">तो</span><span content=" "> </span><span content="हो"><wbr></wbr>हो</span><span content=" "> </span><span content="ही">ही</span><span content=" "> </span><span content="नही">नही</span><span content=" "> </span><span content="सकता">सकता</span><span content=".. ">.. </span><span content="झमाझम">झमाझम</span><span content=" "> </span><span content="बारिश">बारिश</span><span content=" "> </span>में <span content="नहाना">नहाना</span><span content=" "> </span><span content="किसी">किसी</span><span content=" "> </span><span content="एक्स्ट्रा">एक्स्ट्रा</span><span content=" "> </span><span content="केरिकुलर">केरिकुलर</span><span content=" "> </span><span content="एक्टिविटी">एक्टिविटी</span><span content=" "> </span><span content="की">की</span><span content=" "> </span><span content="तरह">तरह</span><span content=" "> </span><span content="हर">हर</span><span content=" "> </span><span content="ऑफीस">ऑफीस</span><span content=" "> </span><span content="में">मे<wbr></wbr></span><span content=" "> </span><span content="होना">होना</span><span content=" "> </span><span content="चाहिए">चाहिए</span><span content=".. ">.. </span><span content="वरना">वरना</span><span content=" "> </span><span content="सीट">सीट</span><span content=" "> </span><span content="पे">पे</span><span content=" "> </span><span content="बैठे">बैठे</span><span content=" "> </span><span content="बैठे">बैठे</span><span content=" "> </span><span content="ठंडे">ठंडे</span><span content=" "> </span><span content="मौसम">मौसम</span><span content=" "> </span><span content="में">में</span><span content=" "> </span><span content="जो">जो</span><span content=" "> </span><span content="गर्म">गर्म</span><span content=" "> </span><wbr></wbr>आहें <span content="निकलती">निकलती</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=" "> </span><span content="की">की</span><span content=" "> </span><span content="ए">ए</span><span content=" "> </span><span content="सी">सी</span><span content=" "> </span><span content="भी">भी</span><span content=" "> </span><span content="तड़प">तड़प</span><span content=" "> </span><span content="कर"><wbr></wbr>कर</span><span content=" "> </span><span content="चार">चार</span><span content=" "> </span><span content="गाली">गाली</span><span content=" "> </span><span content="दे">दे</span><span content=" "> </span><span content="मारता">मारता</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=".. ">..</span><br />
<span content=".. "><br />
</span><span content="वैसे">वैसे</span><span content=" "> </span><span content="इधर">इधर</span><span content=" "> </span><span content="मौसम">मौसम</span><span content=" "> </span><span content="दो">दो</span><span content=" "> </span><span content="चार">चार</span><span content=" "> </span><span content="दीनो">दिनों </span><span content="से">से</span><span content=" "> </span><span content="अच्छा">अच्छा</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=".. ">.. </span><span content="ठंडी">ठंडी</span><span content=" "> </span><span content="हवा">हवा</span><span content=" "> </span><span content="चल">चल</span><span content=" "> </span><span content="रही">रही</span><span content=" "> </span><span content="है"><wbr></wbr>है</span><span content=" ">.. </span><span content="देखते">देखते</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=" "> </span><span content="इंदर">इंदर</span><span content=" "> </span><span content="बाबू">बाबू</span><span content=" "> </span><span content="कब">कब</span><span content=" "> </span><span content="तक">तक</span><span content=" "> </span><span content="मेहरबान">मे<wbr></wbr>हरबान</span><span content=" "> </span><span content="रहते">रहते</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=".. ">. </span><span content="प्लास्टिक">प्लास्टिक</span><span content=" "> </span><span content="किी">की</span><span content=" "> </span><span content="थैलिया">थैलिया</span><span content=" "> </span><span content="जेब">जेब</span><span content=" "> </span><span content="में">में</span><span content=" "> </span><span content="रख">रख</span><span content=" "> </span><span content="कर">कर</span><span content=" "> </span><span content="घूम">घूम</span><span content=" "> </span><span content="लो">लो</span><span content=" "> </span><span content="बॉस">बॉ<wbr></wbr>स</span><span content=" ">... </span><span content="मोबाइल">मोबाइल</span><span content=" "> </span><span content="और">और</span><span content=" "> </span><span content="पार्स">पर्स</span><span content=" "> </span><span content="गीले">गीले</span><span content=" "> </span><span content="नही">नही</span><span content=" "> </span><span content="हो">हो</span><span content=" "> </span><span content="जाए">जाए</span><span content=".. "><wbr></wbr>.. </span><span content="एंड">एंड</span><span content=" "> </span><span content="डोंट">डोंट</span><span content=" "> </span><span content="माइंड">माइंड</span><span content=" "> </span><span content="थैलिया">थैलिया</span><span content=" "> </span><span content="प्लीज़">प्ली<wbr></wbr>ज़..! </span><span content="प्लास्टिक">प्लास्टिक</span><span content=" "> </span><span content="कैरी">कैरी</span><span content=" "> </span><span content="बैग्स">बैग्स</span><span content=" "> </span><span content="भी">भी</span><span content=" "> </span><span content="बोल">बोल</span><span content=" "> </span><span content="सकता">सकता</span><span content=" "> </span><span content="था">था</span><span content=".. ">.. </span><span content="पर">पर</span><span content=" "> </span><span content="उस">उस</span><span content=" "> </span><span content="से">से</span><span content=" "> </span><span content="मेरी">मेरी</span><span content=" "> </span><span content="भारतीयता">भारतीयता</span><span content=" "><wbr></wbr> </span><span content="को">को</span><span content=" "> </span><span content="ठेस">ठेस</span><span content=" "> </span><span content="पहुचती">पहुचती</span><span content=" "> </span><span content="और">और</span><span content=" "> </span><span content="मैं">मैं</span><span content=" "> </span><span content="ठहरा">तो ठहरा</span><span content=" "> </span><span content="पक्का">पक्का</span><span content=" "> </span><span content="देसी">देसी</span><span content="..
">.. </span>वैसे बारिश की बात करे तो <span content="..
">किसी ने ठीक ही कहा है.. <a href="http://kushkikalam.blogspot.com/2009/07/blog-post.html">हर बारिश की अपनी अलग कहानी है..</a> <br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://d.yimg.com/gg/u/fdb342ffa713ed550189e81c89e9194dfc8dee7f.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="http://d.yimg.com/gg/u/fdb342ffa713ed550189e81c89e9194dfc8dee7f.jpeg" width="296" /></a></div><span content="..
"><b>ड्रीम :</b> ऑफिस की खिड़की से बाहर हवा में छलांग लगाके भीगना.. और कंप्यूटर को नाव की तरह पानी में बहा देना.. <br />
<b>फैक्ट :</b> ऑफिस की खिड़की से बाहर गिरती हुई बूंदों को देखना.. और फिर दिल पर चट्टानें रखकर कंप्यूटर की स्क्रीन में नज़रे गड़ा लेना.. <br />
</span><span content="ये"> </span><br />
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<span content="ये">ये</span><span content=" "> </span><span content="गिरी">गिरी</span><span content=" "> </span><span content="एक">एक</span><span content=" "> </span><span content="और">और</span><span content=" "> </span><span content="बूँद">बूँद</span><span content=" "> </span><span content="खिड़की">खिड़की</span><span content=" "> </span><span content="पे">पे</span><span content=".. ">..<wbr></wbr> </span><span content="अपुन"><br />
रात </span>नौ से बारह राजनीति देखने का प्रोग्राम है <span content=".. " style="background-color: white;"></span> <span content="राजनीति">..</span><span content=".. ">. </span><span content="टाटा"><wbr></wbr>अभी के लिए टाटा</span><span content=" "> </span><span content="रहेगा">रहेगा</span><span content=".. " style="background-color: white;">.. </span>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com45tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-70486077511963964942010-05-29T18:00:00.001+05:302010-05-29T18:01:38.460+05:30स्पिट...फार्ट... एंड स्टार्ट ब्लोगिंग<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TAEJAW89ZJI/AAAAAAAAB7w/fZcjFke8k18/s1600/fart.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><br />
</a></div><b>स्पिट...फार्ट... एंड स्टार्ट ब्लोगिंग</b><br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TAEJAW89ZJI/AAAAAAAAB7w/fZcjFke8k18/s1600/fart.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="398" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/TAEJAW89ZJI/AAAAAAAAB7w/fZcjFke8k18/s400/fart.jpg" width="400" /></a></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com28tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-78510933598995545612010-04-07T13:58:00.003+05:302010-04-07T14:25:02.649+05:30लव स्टोरी... विद आउट लव!<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S7xBtNC7LxI/AAAAAAAAB6g/pjRssanYYv4/s1600/withoutlove.png" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S7xBtNC7LxI/AAAAAAAAB6g/pjRssanYYv4/s400/withoutlove.png" width="248" /></a></div><span content="लव के बिना भी कोई लव
स्टोरी होती है..? अजी होती है.. अधिकतर स्टोरियों में से लव लापता ही होता
है.. मगर वो ऐसी कोई कहानी नहीं थी इसमें लव था पूरा पूरा.. वन हंड्रेड
परसेंट या हिंदी में एक सौ प्रतिशत कह लो..
लेकिन थी वही घिसीपिटी लव स्टोरी.. जिसमे ना हिरोइन का बाप " style="background-color: white;">लव के बिना भी कोई लव स्टोरी हो<wbr></wbr></span><span content="लव के बिना भी कोई लव
स्टोरी होती है..? अजी होती है.. अधिकतर स्टोरियों में से लव लापता ही होता
है.. मगर वो ऐसी कोई कहानी नहीं थी इसमें लव था पूरा पूरा.. वन हंड्रेड
परसेंट या हिंदी में एक सौ प्रतिशत कह लो..
लेकिन थी वही घिसीपिटी लव स्टोरी.. जिसमे ना हिरोइन का बाप " style="background-color: white;">ती</span><span content="लव के बिना भी कोई लव
स्टोरी होती है..? अजी होती है.. अधिकतर स्टोरियों में से लव लापता ही होता
है.. मगर वो ऐसी कोई कहानी नहीं थी इसमें लव था पूरा पूरा.. वन हंड्रेड
परसेंट या हिंदी में एक सौ प्रतिशत कह लो..
लेकिन थी वही घिसीपिटी लव स्टोरी.. जिसमे ना हिरोइन का बाप " style="background-color: white;"> है..? अजी होती है.. अधिकतर <wbr></wbr>स्टोरियों में से लव लापता ही <wbr></wbr>होता है.. मगर वो ऐसी कोई कहानी नहीं थी <wbr></wbr>इसमें लव था पूरा पूरा.. वन हंड्रेड परसेंट.. इंग्लिश में कहो तो सौ प्रतिशत..<br />
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लेकिन थी वही घिसीपिटी लव स्टो<wbr></wbr>री.. जिसमे ना हिरोइन का बाप </span><span content="गुंडा">गुंडा </span><span content=" "></span><span content="था">था</span><span content=" ना "> ना </span><span content="उसकी">उसकी</span><span content=" "> </span><span content="मान">माँ</span><span content=" "> </span><span content="बीमार">बीमार</span><span content="
थी.. ना "> थी.. ना </span><span content="भाई" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">भाई</span><span content=" "> </span><span content="आवारा" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">आवारा</span><span content=" "> </span><span content="था" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">था</span><span content=" "> </span><span content="और" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">और</span><span content=" ना "><wbr></wbr>ना </span><span content="ही" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">ही</span><span content=" "> </span><span content="हीरो" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">हीरो</span><span content=" "> </span><span content="बेरोज़गार" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">बेरोज़गार</span><span content=".. ">.. </span><span content="दोनो" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">दोनो</span><span content=" "> </span><span content="तो" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">तो</span><span content=" "><wbr></wbr> </span><span content="मिले" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">मिले</span><span content=" "> </span><span content="भी" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">भी</span><span content=" "> </span><span content="नही" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">नही</span><span content=" "> </span><span content="थे" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">थे</span><span content=" "> </span><span content="कभी" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">कभी</span><span content=" " style="background-color: white;">... </span><span content="फिर">फिर</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="ऐसा">ऐसा</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="क्या">क्या</span><span content=" "> </span><span content="था" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">था</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="जिसके" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">जिसके</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="लिए" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">लिए</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="रायटर" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">राईटर</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="मजबूर" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">मजबूर</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="हो" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">हो</span><span content=" "> </span><span content="गया">गया</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="इसे">इसे</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="लव">लव</span><span content=" "> </span><span content="स्टोरी" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">स्टोरी</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="कहने" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">कहने </span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="के" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">के</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="लिए">लिए</span><span content="? " style="background-color: white;">? </span><span content="कही">कही</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="उसे">उसे</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="किसी">किसी</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="ने">ने</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="मजबूर">मजबूर</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="तो"><wbr></wbr>तो</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="नही">नही</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="किया">किया</span><span content=" ? " style="background-color: white;"> ? </span><span content="और">और</span><span content=" "> </span><span content="मजबूर" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">मजबूर</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="किया" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">किया</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="भी" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">भी</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="हो" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">हो</span><span content=" "> </span><span content="तो">तो</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="हमे">हमे</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="क्या">क्या</span><span content="? " style="background-color: white;">? </span><span content="हम">हम</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="चलते">चलते</span><span content=" "> </span><span content="है" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">है</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="कहानी" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;"><wbr></wbr>कहानी</span><span content=" "> </span><span content="की">की</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="तरफ">तरफ</span><span content=".. " style="background-color: white;">.. </span><span content="तो"></span><span content="दोनो">दोनो</span><span content=" "> </span><span content="में" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">में</span><span content=" " style="background-color: white;"> प्यार </span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="नही" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">तो था नहीं </span><span content=" "></span><span content="और">और</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="ना">ना</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="ही">ही</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="दोनो">दोनो</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="मिले">मिले</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="थे">थे</span><span content=" "> </span><span content="कभी" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">कभी</span><span content=".. " style="background-color: white;">.. </span><span content="मगर" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">मग<wbr></wbr>र</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="लव" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">लव</span><span content=" " style="background-color: white;"> ? </span><span content="लव" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">लव</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="को" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">को</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="कौन" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">कौन</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="रोक" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">रोक</span><span content=" "> </span><span content="सका">सका</span><span content=" "> </span><span content="है" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">है</span><span content=" " style="background-color: white;">..? </span><span content="वो" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">वो</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="तो" style="font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">तो</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="साला">साला</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="हवओ">हवाओ</span><span content=" "> </span><span content="में" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">में</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="बहता" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">बहता</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=".. " style="background-color: white;">.. </span><span content="आसमानो">आसमानो</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="में">में</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="उड़ता">उडता</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="है"><wbr></wbr>है</span><span content=".. " style="background-color: white;">.. </span><span content="किसी">किसी</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="लाल">लाल</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="बत्ती">बत्ती</span><span content=" "> </span><span content="पे" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">पे</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="रुकता" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">रुकता</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="थोड़े" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">थोड़े</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="ही" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">ही</span><span content=" "> </span><span content="है">है</span><span content=".. " style="background-color: white;">.. </span><span content="कम्बख़्त">कम्बख़्त</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="हो">हो</span><span content=" "> </span><span content="ही">ही</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="जाता">जा<wbr></wbr>ता</span><span content=" " style="background-color: white;"> </span><span content="है">है</span><span content=".. " style="background-color: white;">.. </span><span content="तो">तो</span><span content=" "> </span><span content="हो" style="background-color: white; font-family: Mangal, 'Arial Unicode MS', Arial, Verdana, Helvetica, sans-serif;">हो</span><span content=" "> </span><span content="गया">ही गया</span><span content=".. " style="background-color: white;">..<br />
<br />
इधर लव हुआ उधर पूरी बोतल खलास.. नहीं नहीं खांसी की दवाई थी बोतल में.. हीरो की पड़ोसन को खांसी जो थी.. बेटे तो विदेश चले गए थे.. अकेली पड़ी रहती थी.. सुबह शाम दवाई लेती थी बेचारी.. क्या कहा ? हीरो की पड़ोसन से हमें क्या मतलब? तो छोडिये.. जाने दिजिये.. गोली मारिये पड़ोसन को.. मास्टर की बात करते है.. मास्टर बड़े ही मास्टर आदमी थे.. कपडे सिलते थे.. फीता हाथ में लेकर लोगो को नापते थे.. नाप रहे थे एक दिन हिरोइन को... फीते से तो नाप लिया ही था आँखों से भी नाप लिए... हिरोइन जानती थी ये लव नहीं है कुछ और है.. हिरोइन को युही हिरोइन नहीं कहते.. नज़र है उसके पास.. नजरो को परखने की.. <br />
<br />
देखा..! नजरो के फेर में कहानी को नज़र लग गयी... तो हम कह रहे थे कि लव था नहीं.. अजी होता कैसे..? बचपन से हीरो बाप की लातो और मोहल्ले की लडकियों से जो कुत्ते की तरह पीटा था.. कि लव नाम का लफाडू ही भूल बैठा...फिर लवस्टोरी के हीरो को लव ही नहीं पता तो गुरु लवस्टोरी कैसी? बस यही सोच के पंडित जी को फैक्स भेजा.. तुरंत आइये..!<br />
<br />
पंडित जी कौनसे अमरीका के राष्ट्रपति थे.. तुरंत आ गए.. पर ये क्या? फैक्स किसको भेजा था और कौन आ गया.. ये तो दुसरे पंडित जी थे..खैर अब जो आये सो अच्छा.. पंडित तो पंडित होता है.. ज्यादा से ज्यादा चोटी लम्बी या छोटी होती होगी... होती होगी से ये मतलब नहीं कि राईटर को पता नहीं कि है या नहीं.. बस वो बचना चाहता है.. उन लोगो से जो बगल में राम और बगल में ही छुरी दबा के बैठे है.. पर राईटर ही अगर डर जाएगा तो लव स्टोरी आगे कैसे बढ़ेगी..? क्या कहा वैसे भी कौनसी आगे बढ़ रही है..?<br />
<br />
माफ़ कीजियेगा जनाब...! भावो में भटक गए थे इधर उधर.. अब भटकते है कुछ लोग भावो में भी भटकते है.. क्या कहा लापतागंज के </span><span content=".. " style="background-color: white;">डायलोग</span><span content=".. " style="background-color: white;"> मार रहे है.. ? अब मारते है जी.. कुछ लोग डायलोग भी मारते है.. क्या कहा.. आप नहीं मारते?... अब कुछ लोग नहीं भी मारते है.. फिर भटक गए,,, इधर उधर की लल्लो चप्पो में असली बात गच्चा खा गयी.. असली बात थी क्या वैसे? अरे नहीं गुरु गुस्सा मत होइए.. हमें पता है हम तो ये चेक कर रहे थे कि आप तो नहीं भटके.. शुक्र है आप यही हो.. लव स्टोरी के लिए पाठक का होना बहुत ज़रूरी है.. और लव का भी..<br />
<br />
तो लव का हम कुछ यु कह रहे थे.. कि हीरो पहली बार जब हिरोइन की गली से गुजरा तो हिरोइन अपनी नानी के यहाँ </span><span content=".. " style="background-color: white;">ऋषिकेश गयी हुई थी..वरना तो दोनों मिल ही जाते.. खैर जिस दिन हिरोइन की ट्रेन वापस स्टेशन पर आने वाली थी उसी दिन हीरो की भी ट्रेन थी शिमला की... पर दोनों की ट्रेन में साढे आठ घंटे का फर्क था.. सो नहीं मिले..<br />
<br />
अब नहीं मिले तो नहीं मिले.. हम क्यों अपना खून जलाये.. क्या कहा.. जलाएंगे ? तो ठीक है जलाइए. आप पाठक है कुछ भी जला सकते है.. आपकी बात तो माननी ही पड़ेगी.. तो बात कुछ ऐसी है..कि उस शाम लव स्टोरी की हिरोईन बहुत कन्फ्यूज थी.. बैठे बैठे सोच रही थी कि लव स्टोरी में वो क्यों झक मार रही है.. तभी राईटर ने उसका एक प्रेमी पैदा कर दिया.. अरे नहीं नहीं महाशय.. अभी के अभी थोड़े ही पैदा किया है. वो तो लव स्टोरी में अभी आया है.... क्या कहा.. जबरदस्ती घुसाया है..? साहब अब आप हद पार कर रहे है.. पाठक की औकात में रहिये.. राईटर की कहानी है जो मर्जी आये करे.. आप क्यों कहानी के पजामे में हाथ घुसा रहे है..<br />
<br />
क्या कहा.. इस से अच्छा है कहानी ख़त्म कर दे... ? लीजिये फिर.. तो अंत कुछ ऐसा हुआ कि.. हिरोईन को एक प्रेमी मिल गया.. दोनों ने शादी कर ली...हीरो अब चालीस पार कर चुका है.. अजी बिलकुल शादी शुदा है.. पिताजी के कहने पर शादी कर ली थी साढे तीन बच्चे भी है.. अजी एक अभी अन्दर ही है ना.. क्या कहा हीरो की बीवी प्रेग्नेंट है ? अजी नहीं अभी तो हीरो के अन्दर है.. वो भी आएगा.. थोडा सब्र रखिये.. एक तो आप उतावले बहुत जल्दी हो जाते है..<br />
<br />
तो मैं कहा था..? </span><span content=".. " style="background-color: white;">हाँ शादी... ! तो दोनों ने </span><span content=".. " style="background-color: white;">शादी </span><span content=".. " style="background-color: white;">कर ली.. पर हिरोईन का प्रेमी साला निकम्मा निकला..और हीरो की पत्नी? अजी हीरो की पत्नी हीरो के घर कम रहती है और अपने मायके ज्यादा.. और लव..? यही पूछ रहे है ना आप.. </span>तो यार एक तो आप लोग सवाल बहुत करते हो.. राईटर बेचारा क्या क्या लिखे.. उसकी खुद की लाईफ तो लव स्टोरी विद आउट लव है.. <span content=".. " style="background-color: white;">परेशान होंकर उसने अज्ञातवास ले लिया.. और लव स्टोरी की वाट लग <span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">गयी</span>.. <span class="Apple-style-span" style="font-family: arial; font-size: 14px; line-height: 25px;">बस खुश! </span></span><br />
<span content=".. " style="background-color: white;"></span><br />
<span content=".. " style="background-color: white;"></span><br />
<span content=".. " style="background-color: white;"></span><br />
<br />
<span content=".. " style="background-color: white;"><b>आफ्टर अ लॉन्ग लॉन्ग टाईम- </b><br />
राईटर जो है.. वो अभी तक लव ढूंढ रहा है.. आपको कही मिले तो बता देना प्लीज.. इट्स अ हम्बल रिक्वेस्ट! </span>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com73tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-31912612618240786582010-03-29T14:01:00.015+05:302010-03-29T16:42:44.365+05:30खट्टी मिश्री जैसी लाईफ...<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://3.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S7BjRxf1RsI/AAAAAAAAB5o/G4s-VYnPBAA/s1600/post.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 0em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="528" src="http://3.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S7BjRxf1RsI/AAAAAAAAB5o/G4s-VYnPBAA/s640/post.jpeg" width="640" /></a></div><br />
हवा और तेज़ हो रही है.. पन्ने उड़ाने की चाल है.. मैंने पेपरवेट रख दिया है.. <br />
तुम्हारे ख्याल कीमती है मेरे लिए.. मैं इन्हें वेस्ट नहीं जाने दूंगा.. <br />
बड़ी मुश्किल से मिलती है हंसी तुम्हारी.. इस बार आँखे खुली रखूँगा...<br />
मैंने अपने मोबाइल से कैच कर लिया है.. अब तुम्हे कही जाने नहीं दूंगा..<br />
तुम्हे नाराज़ करना नहीं चाहता.. पर तुम नाराज़ हो जाती हो.. <br />
तुमसे बेइंतेहा मोहब्बत करता हूँ मैं.. बस टैटू नहीं गुदवा सकता.. <br />
अब इसे कभी खोने नहीं दूंगा.. बड़ी शिद्दत से मिला है यकीन तुम्हारा.. <br />
वो पल संभाला हुआ है अब भी.. जब तुमने'ह' पे 'आ' की मात्रा लगायी थी.. <br />
चलो मान लिया मैं आँखे बंद कर लेता हु...... जब तुम गर्दन पर किस करती हो..<br />
लों बताओ.. जब हम लड़ेंगे ही नहीं तो फिर शादी क्यों की..?<br />
शादी का मतलब सिर्फ सेक्स होता है...? नहीं ये सवाल नहीं है..<br />
कहो तो तुम्हे उठा कर ले चलु... आयोडेक्स तो है ना घर पे..<br />
तुम मजाक भी नहीं समझती.. इनडायरेक्टली बेवकूफ थोड़े ही कहा मैंने..<br />
मैं कोने में बैठा हुआ हूँ..... मेरी जान! तुम शोपिंग जो कर रही हो..<br />
लों अब तो बर्तन भी धो दिए मैंने.. अब तो देखने दो क्रिकेट मैच.. <br />
मैं सिर्फ सुनता रहता हूँ..... फॉर अ चेंज आज सिर्फ तुम बोलो.. <br />
जानता हूँ टॉवेल तुम्हारा है.. अब ऐसे क्या देख रही हो..<br />
तुम्हारी फीलिंग्स, फीलिंग्स और मेरी फीलिंग्स कुछ भी नहीं... समझ गया, मेरी फीलिंग्स कुछ भी नहीं..<br />
तुम हमेशा वो लाल वाली साड़ी ही पहना करो डार्लिंग... इस बार खर्चा कुछ ज्यादा हो गया है<br />
क्या करती हो यार तुम.... अरे मैंने तो कहा था "वाह! क्या करती हो यार तुम.."<br />
चाँद की साइज़ का रैपर नहीं मिला था वरना ले आता.... जन्मदिन मुबारक जानेमन<br />
वो आवाज़ अभी भी कानो में रहती है.. करीब आकर आई लव यु कहा था ना तुमने.. <br />
अरे भीग गया तो क्या हुआ.... तुम्हे पकौड़े खाने थे ना.. <br />
मुझे इमरान हाश्मी पसंद नहीं है... चलो आज जन्नत देखने चले.. <br />
फिर से आँख में आंसु... तुम्हे गले ही तो लगाया है..<br />
<br />
<i>और लास्ट में...</i><br />
<ul><li> <br />
<br />
<blockquote><b>आईन्दा मुझसे बात मत करना.......... अब चुप क्यों हो?</b></blockquote></li>
</ul><br />
<br />
<br />
<blockquote>और जिसके बिना ये पोस्ट अधूरी है... फेसबुक पर हमारे मित्र <a href="http://www.facebook.com/pbengani?ref=nf">पंकज बेंगाणी</a> की एक वॉल पोस्ट ..<br />
<div style="text-align: center;"><span style="font-family: Georgia,"Times New Roman",serif;">"Had a good healthy fight with wife last night.We are almost certain about divorce. Alas! we are a normal couple. :)</span> "</div><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S7CByPSz7qI/AAAAAAAAB5w/w5G0j2O8um4/s1600/pb.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="310" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S7CByPSz7qI/AAAAAAAAB5w/w5G0j2O8um4/s640/pb.jpg" width="600" /></a></div></blockquote><b>और हाँ!! आपके पास भी हो कोई ऐसी लाईन हो</b> <b>तो शेयर कर सकते है... </b><b>सकते है.. हमने रोका थोड़े ही है... :)</b>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com46tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-14511031040758262982010-03-16T18:19:00.002+05:302010-03-16T23:15:06.917+05:30मुझे सोल्यूशन चाहिए.. कॉमरेड<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S59-PC2fdjI/AAAAAAAAB5g/hqNjSPLYNdE/s1600-h/Untitled-1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S59-PC2fdjI/AAAAAAAAB5g/hqNjSPLYNdE/s320/Untitled-1.jpg" /></a></div>इन लौटती आवाजों को पीछे धकेल धकेल कर मेरे माथे पर पसीने का पहाड़ उग गया है.. पर ये फिसल फिसल के मेरे कानो में आकर बैठ जाती है.. मैंने अपने दोनों हाथ अपने कानो पर रख दिए है.... पर ये स्थायी समाधान नहीं है.. मुझे सोल्यूशन चाहिए.. कॉमरेड, <br />
<br />
अपने दल वाले मुझे 'च' से शुरू होने वाले किसी शब्द से बुलाते है.. एक्जेक्टली वो वर्ड क्या है मैं नहीं जानता.. मैंने ठीक से सुना नहीं.. मेरे कानो पर मेरे हाथ है.. मैंने अपने हाथो को वेल्डिंग करके जोड़ लिया है कानो से.. मैं सुनना नहीं चाहता बम विस्फोटो में मरने वालो की चीखे.. मैं सुनना नहीं चाहता गर्भ से लौटती लडकियों का क्रंदन..मैं सुनना नहीं चाहता आरक्षण के लिए भीख मांगती आवाज़े.. मैं सुनना नहीं चाहता लुटती हुई अस्मतो की पुकारे.. कि मेरे कान सुन सुन कर सुन्न हो चुके है.. अब कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें कॉमरेड, ........... तुम चाहो तो तीन सौ बीस की स्पीड से आती ट्रेन को मेरे कानो में घुसा दो.. या फिर ठूंस दो सौ हाथियों की चिंघाड़ इनमे.. इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा.. मैंने अपने दोनों हाथो से ढंककर रखा हुआ है इन्हें..<br />
<br />
क्या बताऊ तुम्हे कि मैं नोर्मल मोड़ में हैंग हो जाता था बार बार.. मेरी सारी फाइले डिलीट हो जाती थी... मेरा कंट्रोल बटन काम नहीं कर रहा था.. मैं चाहकर भी F5 नहीं दबा पा रहा था... और फिर पूरी तरह करप्ट हो जाने के बाद मैंने खुद को फोर्मेट कर दिया था.... अब मैं खुद को सेफ मोड़ में चला रहा हूँ.. मैं जानता हु तुम ये सब नहीं समझोगे.. तुम कम्पूटर के बारे में कुछ भी तो नहीं जानते.. अगर जानते होते तो समझ सकते थे मेरी बात.. जान जाते कि क्यों में हाय्बर्नेट हो गया था.. पर तुम तो अनपढ़ ठहरे.. तुम कैसे समझोगे.. ? तुम तो, जब ज्ञान बांटा जा रहा था.. तब छलनी लेकर खड़े थे कॉमरेड.. क्यों जब तुम्हे पढ़ लिख जाना चाहिए था.. तब तुम तपती दोपहरी में दो कौड़ी के कंचो के लिए दोस्तों से उलझते थे कॉमरेड..? अब देखो खुद को.. कंचो की तरह टकरा रहे हो दुसरे कंचो से.. <br />
<br />
खैर..! कंचे खरीदते भी तो कैसे ? तुम्हारे पास पैसे भी तो नहीं है.. वही एक सिक्का अंटी में दबाये घुमते रहते हो.. कि जिसे तुम्हारी माँ ने तुम्हे दिया था कंचे लाने के लिए.. और चप्पल टूटने की वजह से तुम घर लौट आये.. तभी तुम्हारी माँ पंखे से लटकी हुई मिली.. इस सिक्के में तुम क्या अपनी माँ को ढूंढते हो कॉमरेड.. ? क्या इतने पुराने सिक्के में तुम्हे कुछ मिलेगा भी.. क्यों नहीं तुम इस पर नाइट्रिक एसिड डाल देते हो.. ताकि तुम्हारा सिक्का फिर से चमक उठेगा.. ! पर तुम क्या नाइट्रिक एसिड लाओगे.. तुम्हे तो साईंस के माने भी नहीं पता.. तुम इतने बड़े झंडू क्यों हो कॉमरेड..? <br />
<br />
वैसे झंडू तो मैं भी हूँ यार.. तुमसे सवाल पे सवाल पूछ रहा हूँ.. ये जानते हुए भी कि जवाब मैं सुन ही नहीं सकता.... पर तुम मेरी एक बात सुन लों.. किसी से भी हमारे मिशन के बारे में बात मत करना.... मैं जानता हूँ कि हम सब किसी भरोसे के लायक नहीं पर क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकता हूँ कॉमरेड? या फिर तुम भी मिल जाओगे उन लोगो से और लील लोगे प्राण इस मिशन के.. ? <br />
<br />
नहीं नहीं ऐसा मत करना कॉमरेड अब तो मिशन पूरा होने का वक़्त आ गया है... ये पेनअल्टीमेट समय है.. मैंने खुद को समेट लिया है अपने अन्दर..मैं टुकड़े कर रहा हूँ.. अहंकार के, मेरी कायरता के, मेरी चुप्पी के, मेरी नासमझी के, मेरी मक्कारी के, मेरे झूठ के, मेरे वजूद के... कि मैंने आखिरी बार आसमान में नज़र उठाली है.. मैं ईश्वर से नज़रे मिलाने की पोजीशन में हु.. मैं तुम्हारे सामने घुटनों के बल बैठता हूँ.. मेरे हाथ पैरो के नाख़ून नुकीले हो रहे है... मेरी दुम निकल रही है पीछे से.. मेरी जीभ लम्बी हो रही है... मैं अपना सर तुम्हारे पैरो में रखकर तुम्हारे तलवे चाट रहा हूँ... कि मैं अब कुत्ता बन गया हूँ.. अपने मिशन में कामयाब..<br />
<br />
हमारे दल की जीत हुई है.. हमारी शपथ पूरी हुई है.. मेरे अन्दर एक जश्न की शुरुआत हो चुकी है.. मुझे नगाडो की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही है... तालियों की गडगडाहट मेरे कानो में गूँज रही है.. आदिवासी कबीलों के स्वर सुन रहा हूँ मैं... कितने ही तरह की आवाज़े...लहरों के तट पर आने की आवाज़.. बादलो के गडगडाने की आवाज़.. मंदिरों में बजती हुई घंटिया...वाह.!<br />
इंसान से कुत्ता बनने की प्रक्रिया का अंत यहाँ जाकर होगा.. तुम्हारे चरणों में.. ये मैं नहीं जानता था कॉमरेड.. पर मैं इंसानियत को त्याग चुका हूँ.. और कुत्ता बन गया हूँ.. <br />
<br />
एक कुत्ते के सुनने की क्षमता 40 Hz से 60,000 Hz होती है.... और ये इंसान से लगभग दुगुनी है.... अब इतना तो तुम जानते ही हो कॉमरेड.. भौ भौ..!कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com39tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-8583306210564356362010-02-02T11:56:00.005+05:302010-02-02T18:12:18.881+05:30फटा पोस्टर निकला हीरो..फटा पोस्टर निकला हीरो.. फिल्म हीरो हीरालाल का ये डायलोग आज भी हम तब इस्तेमाल कर लेते है जब कोई धमाकेदार एंट्री लेता है... फिल्मो के कुछ डाय्लोग्स कालजयी हो जाते है.. सबसे कॉमन में शोले का डायलोग आता है.. जब भी कही दो चार लोग चुप बैठे है तो कोई आकर कहेगा "इतना सन्नाटा क्यू है भाई?" या फिर दिवार फिल्म की तर्ज पर.. तुम्हारे पास क्या है पर ये कहना कि मेरे पास माँ है .. इसी डायलोग को फिल्म गुलाल में अलग तरीके से बोला गया.. डायलोग वही है मगर भावनाए बदल गयी है.. फिल्म का एक चरित्र जढ्वाल.. बन्दूक दिखाकर कहता है "मेरे पास माँ है" .. आजकल वैसे भी बन्दूको के साए में ही पलते है बच्चे..<br />
<br />
सलीम जावेद की जोड़ी ने हमें कई डाय्लोग्स दिए है.. जिसमे खास तौर पर शोले और दिवार .. याद कीजिये..<br />
-------------------------------------------------------------------------<br />
<table border="0" cellpadding="2" cellspacing="0" style="width: 453px;"><tbody>
<tr> <td valign="top" width="232">कितने आदमी थे? <br />
<br />
यूँ कि ये कौन बोला? <br />
<br />
अब तेरा क्या होगा कालिया ? <br />
<br />
सरदार मैंने आपका नमक खाया है <br />
<br />
बसंती इन कुत्तो के सामने मत नाचना <br />
<br />
ये हाथ हमका दे दे ठाकुर <br />
<br />
इतना सन्नाटा क्यों है भाई.. <br />
<br />
हम अंग्रेजो के जमाने के जेलर है.. <br />
<br />
हमारा नाम भी सुरमा भोपाली येसे ही नहीं है.. <br />
<br />
<br />
</td> <td valign="top" width="219"><br />
<br />
<a href="http://lh3.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFQH1nrfI/AAAAAAAAB3Y/Xno7qCsvCAs/s1600-h/sholay%5B12%5D.jpg"><img align="right" alt="sholay" border="0" height="275" src="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFRQiMu5I/AAAAAAAAB3c/qff5Rh0WPRw/sholay_thumb%5B10%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: inline; margin: 0px 0px 25px;" title="sholay" width="198" /></a> </td> </tr>
</tbody></table><table border="0" cellpadding="2" cellspacing="0" style="width: 583px;"><tbody>
<tr> <td valign="top" width="200"><a href="http://lh4.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFSw6hWMI/AAAAAAAAB3g/Mq3ylfamFYw/s1600-h/deewar-wallpaper%5B12%5D.jpg"><img alt="deewar-wallpaper" border="0" height="249" src="http://lh6.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFUDIGHHI/AAAAAAAAB3k/4Bqkrin6abc/deewar-wallpaper_thumb%5B10%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: inline; margin: 5px 0px 20px 5px;" title="deewar-wallpaper" width="162" /></a> </td> <td valign="top" width="381"><br />
मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता.. <br />
<br />
पीटर तुम मुझे वहा ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर रहा हूँ.. <br />
<br />
मेरा बाप चोर है.. <br />
<br />
खुश तो बहुत होंगे आज तुम.. <br />
<br />
भाई तुम साइन करते हो या नहीं.. <br />
<br />
जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ.. <br />
<br />
मेरे पास माँ है.. <br />
<br />
</td> </tr>
</tbody></table><br />
आज की बात करे तो मुझे गुलाल.. कमीने .. लक आदि फिल्मो के डाय्लोग्स पसंद आये है.. फिल्म गुलाल के डायलोग अनुराग कश्यप ने लिखे है और कमीने के विशाल भारद्वाज ने.. फिल्म गुलाल में एक किरदार पृथ्वी बना को जब घर से भागते हुए पकड़ा जाता है तो वो कहते है कि रास्ता भूल गया था.. और फिर से कहते है कि इस घर में मैं अकेला ही रास्ता नहीं भूला हूँ.. <br />
फिल्म कमीने में जब किरदार गुड्डू प्रियंका चोपड़ा से कहता है कि मेरे पास कंडोम नहीं है तो प्रियंका कहती है.. वैसे भी हमारे बीच कोई तीसरा आये मुझे पसंद नहीं है.. फिल्म में चार्ली स को फ बोलता है संवाद में वो कुछ ऐसे कहता है…<br />
चार्ली : मैं फ को फ बोलता हूँ.. <br />
भोपे : अबे फ को फ नहीं तो क्या ल बोलेगा..<br />
<br />
ज़रा याद कीजिये गुलाल के कुछ डाय्लोग्स.. <br />
<table border="0" cellpadding="2" cellspacing="0" style="width: 526px;"><tbody>
<tr> <td valign="top" width="524"><a href="http://lh6.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFVMwWyxI/AAAAAAAAB3o/qFh0bH1fbTI/s1600-h/gulaal-wallpaper%5B4%5D.jpg"><img alt="gulaal-wallpaper" border="0" height="302" src="http://lh4.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFWt6iR0I/AAAAAAAAB3s/_XcgwCFAwB8/gulaal-wallpaper_thumb%5B2%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: block; float: none; margin-left: auto; margin-right: auto;" title="gulaal-wallpaper" width="228" /></a> </td> </tr>
<tr> <td valign="top" width="524">या तो हांफ ले या बोल ले .. हांफ हांफ के मत बोल.. <br />
<br />
जो कुछ नहीं कर सकता वो लॉ कर लेता है.. <br />
<br />
ये सवाल से सबकी फटती क्यों है.. ? कोई जवाब नहीं है इसलिए? <br />
<br />
डेमोक्रेसी बची नहीं यहाँ पे और ये बैठके एरिस्टोक्रेसी चाट रहे है.. <br />
<br />
इस मुल्क ने हर शख्स को जो काम था सौंपा उस शख्स ने उस काम की माचिस जलाके छोड़ दी.. <br />
<br />
कल छोटी दिवाली थी ना मन में बड़े फटाके फूट रहे थे.. <br />
<br />
साला हक़ से लिया है पाकिस्तान और लड़ के लेंगे हिन्दुस्तान और कोई बीच में ना आना वरना ले जाऊंगा राजपुताना..</td> </tr>
</tbody></table>------------------------------------------------------------------------- <br />
<br />
<table border="0" cellpadding="2" cellspacing="0" style="width: 516px;"><tbody>
<tr> <td valign="top" width="514"><a href="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFbeIAhuI/AAAAAAAAB3w/kgOx66mSooc/s1600-h/kaminey-21%5B7%5D.jpg"><img alt="kaminey-21" border="0" height="340" src="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFc2E6BcI/AAAAAAAAB30/yvLzn5WZv1U/kaminey-21_thumb%5B5%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: block; float: none; margin: 0px auto;" title="kaminey-21" width="237" /></a> </td> </tr>
<tr> <td valign="top" width="514">लाईफ बड़ी कुत्ती चीज़ है.. और इस दुनिया में कुत्तो का सिर्फ एक जवाब है.. कमीने <br />
<br />
ज़िन्दगी में हमारी वाट इस से नहीं लगती है कि हम कौनसा रास्ता चुनते है.. वाट लगती है इस से कि हम कौनसा रास्ता छोड़ते है.. <br />
<br />
पैसा कमाने के दो रास्ते है.. एक फोर्टकट और दूसरा छोटा फोर्टकट <br />
<br />
एफे एफे केफे केफे हो गए केफे केफे एफे एफे हो गए.. <br />
<br />
इसे पता नहीं कि दुनिया कितनी बड़ी हरामजादी है तुम साले कितने बड़े कुत्ते कमीने हो..</td> </tr>
</tbody></table><br />
दो दशक पहले के डाय्लोग्स और आज के डाय्लोग्स बदल गए है.. किरदार बदल गए है.. ब्लैक एंड व्हाईट कुछ भी नहीं रहा.. सब कुछ ग्रे शेड में हो गया है.. फिर भी कुछ डाय्लोग्स है जो हमेशा ऐसे ही याद किये जाने वाले है.. ऐसे में एवरग्रीन हिंदी फिल्मो के किरदारों के डाय्लोग्स है जो ऑरकुट पर किसी कम्युनिटी में मिले थे..<br />
-------------------------------------------------------------------------<br />
<b>हीरो -</b><br />
* <a href="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFeEh1EAI/AAAAAAAAB34/eweLqrS-Ur4/s1600-h/shashi_kapoor%5B4%5D.jpg"><img align="right" alt="shashi_kapoor" border="0" height="171" src="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFfWdwM6I/AAAAAAAAB38/w0iNp_eb-RQ/shashi_kapoor_thumb%5B2%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: inline; margin-left: 0px; margin-right: 0px;" title="shashi_kapoor" width="149" /></a> तेरे सामने तेरी मौत खड़ी है कुत्ते!! <br />
* तुम्हारे लिए मेरी जान भी हाज़िर है! <br />
* अपने आदमियों से कहो की बंदूकें फेंक दे! <br />
* दुनिया की कोई ताक़त हमे जुदा नही कर सकती! <br />
* मेरे होते हुए तुम्हारा कोई बाल भी बाका नहीं कर सकता! <br />
* माँ, मुझे आशीर्वाद दे! <br />
* पुलिस मेरे पीछे लगी हुई है! <br />
* खबरदार जो उसे हाथ भी लगाया! <br />
* मेरी माँ बहुत बीमार है.. <br />
* जब तब अपने बाप के खून का बदला नही ले लेता, चैन से नही बैठूँगा!!<br />
-------------------------------------------------------------------------<br />
<b>हिरोईन -</b><br />
<a href="http://lh6.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFggTs7kI/AAAAAAAAB4A/lb8fSgFXPHg/s1600-h/yogeeta-bali-wallpaper%5B4%5D.jpg"><img align="left" alt="yogeeta-bali-wallpaper" border="0" height="209" src="http://lh4.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFh7vBo4I/AAAAAAAAB4E/_ZUw8pvgcvw/yogeeta-bali-wallpaper_thumb%5B2%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: inline; margin: 0px 35px 0px 0px;" title="yogeeta-bali-wallpaper" width="172" /></a> * भगवान के लिए मुझे छोड़ दो! <br />
* हटो. तुम बड़े वो हो ! <br />
* नहीं! <br />
* मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती! <br />
* प्यार करना कोई गुनाह नहीं! <br />
* कुछ गूंडे मेरे पीछे पड़े है! <br />
* कोई देख लेगा! <br />
* मैने तुम्हे क्या समझा, और तुम क्या निकले! <br />
* तुम मुझसे कितना प्यार करते हो? <br />
* आज तुम नही आते तो पता नही क्या हो जाता!!<br />
* मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हू! <br />
------------------------------------------------------------------------- <br />
<b>बहन </b><br />
<a href="http://lh4.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFjEAohpI/AAAAAAAAB4I/w-f3LgWwXjw/s1600-h/Farida_Jalal1%5B5%5D.jpg"><img align="right" alt="Farida_Jalal1" border="0" height="171" src="http://lh6.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFkVX1y8I/AAAAAAAAB4M/VE57gKQWs2g/Farida_Jalal1_thumb%5B3%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: inline; margin: 30px 0px 10px;" title="Farida_Jalal1" width="160" /></a><br />
* मेरे भैया को लंबी उमर देना, भगवान! <br />
* मेरे भाई पे कोई आँच ना आए! <br />
* खबरदार जो मुझे छूआ भी, मैं अपनी जान दे दूँगी! <br />
* भय्या.. तुम तो बस मेरे लिए एक प्यारी सी भाभी ले आओ .. <br />
* भगवान के लिए, मेरा सुहाग मत उजाडो.. <br />
* भगवान के लिए मुझे छोड़ दो.. <br />
* मैं किसी को मुंह दिखाने लायक ना रही.. <br />
* दरवाजा क्यों बंद कर रहे हो.. <br />
* ये आप मुझे कहाँ ले जा रहे है..<br />
-------------------------------------------------------------------------<br />
<b>विलेन</b><br />
<a href="http://lh6.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFlqDA66I/AAAAAAAAB4Q/FX74D35ipPE/s1600-h/jugnu_hook%5B6%5D.jpg"><img align="left" alt="jugnu_hook" border="0" height="154" src="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFm0ACKOI/AAAAAAAAB4U/VlklfwWEBC8/jugnu_hook_thumb%5B7%5D.jpg?imgmax=800" style="border: 0px none; display: inline; margin: 0px 20px 8px 0px;" title="jugnu_hook" width="220" /></a>* अब सारे हिन्दुस्तान पर हमारा राज़ होगा! <br />
* बताओ फार्मूला कहाँ है? <br />
* तुम्हारी माँ हमारे क़ब्ज़े मैं है! <br />
* ये सौदा तुम्हे बहुत महंगा पड़ेगा <br />
* इन गोरी गोरी कलाईयों को काम करने की क्या ज़रूरत है! <br />
* यहाँ तेरी इज़्ज़त बचाने कोई नही आएगा! <br />
* बुला तेरे भगवान को– देखता हूँ कौन आता है? <br />
* गद्दारी की एक ही सज़ा होती है, मौत! <br />
* उसकी कोई तो कमज़ोरी होगी, कोई माँ या बहन?<br />
------------------------------------------------------------------------- <br />
<b>डॉक्टर</b><br />
* आई एम सॉरी! <br />
* इन्हें दवा कि नहीं दुआ की जरुरत है.. <br />
* इसका तो बहुत खून बह चुका है. फॉरेन ऑपरेशन करना पड़ेगा! <br />
* भगवान ने चाहा तो सब ठीक होगा! <br />
* बधाई हो, तुम बाप बनने वाले हो! <br />
* इसकी हालत बहुत नाजुक है! <br />
* अरे! इसे तो तेज़ बुखार है! <br />
* अब सब कुछ ऊपर वाले के हाथ में हैं! <br />
* 24 घंटे तक होश नही आया तो…. <br />
* बच्चे को तो हमने बचा लिया पर माँ को नहीं बचा सके..<br />
-------------------------------------------------------------------------<br />
<b>पिता </b><br />
* <a href="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFn7Qe7KI/AAAAAAAAB4Y/iD3amsvHL9o/s1600-h/220px-Madan_Puri%5B4%5D.jpg"><img align="left" alt="220px-Madan_Puri" border="0" height="182" src="http://lh4.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFpPCY2qI/AAAAAAAAB4c/QrPfk3xEYOw/220px-Madan_Puri_thumb%5B2%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: inline; margin: 0px 35px 0px 0px;" title="220px-Madan_Puri" width="156" /></a> एक बार इसके हाथ पीले कर दू, फिर में चैन से मर सकता हू! <br />
* इस घर के दरवाज़े, तुम्हारे लिए हमेशा के लिए बंद है! <br />
* वॉच मैन ! इसे धक्के मारकर बाहर निकाल दो! <br />
* तुम खुद दो वक़्त की रोटी नही खा सकते, मेरी बेटी को क्या खिलाओगे? <br />
* मेरे जीतेज़ी ये शादी नहीं हो सकती! <br />
* मेरी बेटी से प्यार करने से पहले अपनी औकात और हमारी हैसियत तो देखी होती <br />
* मैं जल्द ही दहेज़ की सारी रकम चुका दूँगा! <br />
* यह आप क्या कह रहें है, भाई साहिब! <br />
* गाड़ी रोको ड्राइवर! <br />
* मैं कहता हूँ, दूर हो जा मेरी नजरो से ..<br />
-------------------------------------------------------------------------<br />
<b>माँ </b><a href="http://lh5.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFqIA1bTI/AAAAAAAAB4g/LLlBU7vdjXI/s1600-h/Nirupa_Roy_300%5B4%5D.jpg"><b><img align="right" alt="Nirupa_Roy_300" border="0" height="179" src="http://lh4.ggpht.com/_M6URJOwMRoo/S2fFrfTvpLI/AAAAAAAAB4k/s5bgIDKER2E/Nirupa_Roy_300_thumb%5B2%5D.jpg?imgmax=800" style="border-width: 0px; display: inline; margin: 60px 0px 5px;" title="Nirupa_Roy_300" width="150" /></b></a> <br />
* ये कंगन मुझे मेरी सास ने दिए थे.. <br />
* मेरा राजा बेटा! <br />
* मेरा आशीर्वाद हमेशा तेरे साथ है! <br />
* मेरा बेटा ऐसा कभी नहीं कर सकता! <br />
* मेरा बेटा तेरी मौत बनकर आएगा, <br />
* एक बार मुझे माँ कह कर पुकारो बेटा… <br />
* मेरे बेटे की रक्षा करना प्रभु! <br />
* मेरे राजा बेटे को आज में अपने हाथो से खिलाऊंगी <br />
* हे भगवान, मेरे सुहाग की रक्षा करना! <br />
* मैने तेरे लिए गाजर का हलवा बनाया है! <br />
* मैने तुम्हे पाल पॉस कर बड़ा किया… <br />
* मार, मार इसे बेटे, इसने तेरे देवता जैसे पिता का खून किया! <br />
* भगवान मैने आजतक तुमसे कुछ नही माँगा!! <br />
* बेटा ये तो…. यह तो खुशी के आंसू है….<br />
-------------------------------------------------------------------------<br />
<blockquote>खैर ये तो रही मेरी बात.. अब कुछ ऐसे ही डाय्लोग्स आपके पास भी तो होंगे.. तो हो जाये दो चार इधर भी.. </blockquote>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com89tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-18019681163870232412010-01-05T18:16:00.000+05:302010-01-05T18:16:18.583+05:30साईड 'ए' वाली ज़िन्दगी भी क्या जिंदगी थी....<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S0M0G74ZSeI/AAAAAAAAByk/tdRMm0yV-gU/s1600-h/retro.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/S0M0G74ZSeI/AAAAAAAAByk/tdRMm0yV-gU/s400/retro.jpeg" /></a><br />
</div>रेट्रो मेमोरीज... उन गलियों की जहाँ छीले हुए घुटनों के साथ.. सड़क पर गावस्कर को पीछे छोड़ने की कसमे खायी थी .. आवारगी कंधो पर ढोते हुए पापा से नज़रे बचाते घरो में घुसने का नाम ही तब ज़िन्दगी हुआ करता था.. कैलंडर के पन्नो के साथ उम्र भी बदल चुकी है...<br />
<br />
पर रेट्रो जमाना अभी भी अन्दर ही अन्दर किसी कोने में दुबका हुआ पड़ा है.. एक चवन्नी में दुनिया जहान ढूंढ लेने वाली उस उम्र..... उस खालिस उम्र में बीती हर एक बात रेट्रो हो चुकी है... ठीक उस उम्र में जब बेफिक्री का लिहाफ ओढ़े एक टांग पे टांग टिकाये घंटो कही पड़े रहते थे.. और दुनिया को बदलने की ख्वाहिशे जेब से बाहर सरक रही होती.. ईमान तब स्कूल के बस्ते में साबुत पड़ा मिलता था.. और दुनियादारी नाइजीरिया के किसी सुदूरवर्ती इलाके में रही होगी शायद.. <br />
<br />
कागज़ तक पर पांव पड़ने पर विधा माता से माफ़ी माँगना और टिश्यु पेपर के खास पलो में इस्तेमाल के बीच की दुनिया.. प्रलय आने से पहले ही शायद दो भागो में बँट चुकी है.. नागराज.. फेंटम.. बांकेलाल.. हवालदार बहादुर.. एक उम्र इन लोगो के साथ भी गुज़र डाली जो साले दुनिया में ही कही नहीं है.. दिवाली के बाद जो पैसे मिलते थे.. उससे बाकी कई दिनों नागराज से मुलाक़ात पक्की हो जाती थी.. अठन्नी में किराये पर एक कोमिक्स आती थी.. जिसे आठ लोग पढ़ते थे और अठन्नी बँट जाती.. <br />
<br />
खाना खाने के लिए मम्मी की आवाज़े.. या दूध का गिलास देखकर पिकासो की पेंटिंग सा मुंह.. बचपन की उन तमाम कीमती चीजों से भरी हुई जेबे.. जिन्हें बेचने पर बाज़ार में दो कौड़ी भी ना मिले.. खाली सडको पर चक्कों को लकड़ी से चलाते हुए पास से गुजरती हुई कारो को देखकर आँखों में सपने ठूंस लेना.. रेल की पटरियों पर सिक्के रखना.. और सिक्को को सोने की अशर्फी में बदल जाने के लल्लू ख्याल... सड़क पर जमा पानी में जानबूझ के पांव रखना.. एक छक्के में कोने वाली आंटी की बालकनी की लाईट फोड़कर भागना.. बिना हाथ धोये गरमा गरम जलेबियों पर टूट पड़ना.. और दोस्त की आवाज़ पे पंखा टी वी सब चालु छोड़ जाना.. <br />
<br />
भगवान चाहे मिले ना मिले.. पर साईकिल का ताला खुला मिलना... कैंची साईकिल चलाकर मोहल्ला नाप लेना.. शाम स्टाइल मारने के लिए बैडमिन्टन खेलना और फिर कॉक को 'उनके' घर में फेंकना.. फिर लेने जाना.. वो कॉक भी अगर जिन्दा हुई तो कही रेट्रो मोड़ में पड़ी मिलेंगी.. सीडी और आईपॉडस का तब जन्म भी नहीं हुआ था.. उलझती कैसेटो की रील को घुमा घुमाकर टेप रिकोर्डस में चलाना.. साईड 'ए' वाली ज़िन्दगी भी क्या जिंदगी थी.... अब लगता है किसी ने पलट के ज़िन्दगी की साईड 'बी' लगा दी है.. <br />
<br />
<i>और जो कुछ युही पड़ा मिला.. </i><br />
<i>दूरदर्शन का रुकावट के लिए खेद है.. या फिर गुमशुदा की तलाश.. सिबाका गीत माला.. या मिले सुर मेरा तुम्हारा.. हमदर्द का टोनिक सिंकारा.. केम्पा कोला.. हिंदी फीचर फिल्म का शेष भाग.. लेम्रेडा स्कूटर.. बोल्बेटम पैंट... कानो पर आते हुए बाल.. और लास्ट में आर डी बर्मन का........</i><b>वकाऊ</b> <br />
<br />
<blockquote> स्पेशल थैंक्स टू <a href="http://gautamrajrishi.blogspot.com/2010/01/blog-post.html">मेजर गौतम</a>.... जिनकी पोस्ट ने आज कुछ लिखने को मजबूर किया.. वैसे ये तो अपना रेट्रो मोड़ था.. कुछ आपका भी तो होगा.. ?<br />
</blockquote>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com67tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-25863478714465327662009-11-17T16:00:00.003+05:302009-11-17T16:30:16.333+05:30बा'रा'त निकली है... तो दूर तलक जायेगी...<a href="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SwJ6PvlmhTI/AAAAAAAABx0/013od9nr3Ko/s1600/Shashir-millennium-park-hindu-indian-wedding-barat-ceremony-reception-01-470x360.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SwJ6PvlmhTI/AAAAAAAABx0/013od9nr3Ko/s320/Shashir-millennium-park-hindu-indian-wedding-barat-ceremony-reception-01-470x360.jpg" /></a>जिसने लाईफ में बारात अटैंड नहीं की है उसने कही बैठकर झक ही मारा है.. बारातो में झूमकर ठुमके लगाने का अपना ही एक अलग मज़ा है.. यु तो हर बारात में ही कुछ ना कुछ नया मिल जाता है... पर जो हर बारात में मिलता है वो बड़ा कमाल मिलता है.. और आप को यकीन नहीं होगा उस पर एक पोस्ट भी लिखी जा सकती है..<br />
<div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">दुल्हे के बिना बारात कैसी.. ? घोड़े पर बैठा दूल्हा बारात का हिस्सा कभी नहीं होता वो बात अलग है कि बारात उसी की होती है.. हिसाब से उसको सबसे आगे चलना चाहिए पर वो बेचारा सबसे पीछे घोड़ी पर अपने नाते रिश्तेदारों के बच्चो को अपने पीछे बैठाये चुपचाप बर्दाश्त करता रहता है.. और लोग बाग़ भी कम नहीं है.. घोड़ी के पीछे ऐसे ऐसे मुस्टंडे बच्चे बिठा देते है.. कि घोड़ी ही बैठ जाए.. पर हाँ दूल्हा इसी बात से खुश हो जाता है कि चलो जनरेटर वाला तो उसके पीछे है..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">दुल्हे के पिताजी अपने चेहरे पर मिलेजुले भाव लिए सफारी सूट पहने हाथ में काला बैग लिए मिल जाते है.. दुल्हे की माताजी अपने खराब गले और ढेर सारी जेवेलरी के साथ भीड़ में ही कही मिल जाती है.. दुल्हे की बहन अपनी हम उम्र दो चार बहनों के साथ बार बार कुछ गानों की फरमाइश करती है.. पर दुल्हे का भाई अपने दोस्तों के साथ आठवी बार "देश है वीर जवानों का.." बजवा कर नाच रहा होता है.. और आस पास कुछ बाराती नाचने की मासूम अभिलाषा लिए इसलिए खड़े होते है कि उन्हें कोई जबरदस्ती लेकर जाए और वो भी दो चार ठुमके लगा ले..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">थोडी ही देर में जीजाजी आकर बनारस वाले मामाजी को बीच में ले आते है.. मन होने के बावजूद मामाजी ना ना करते हुए आ ही जाते है.. फिर तो फूफाजी जी और चाचा जी भी जोश में.. हर बारात में एक व्यक्ति ऐसा होता है जो नागिन वाला डांस करता है.. और दूसरा रुमाल से बीन बनाकर बीन बजाता है.. इनमे से एक पतंग भी उड़ाता है.. और एक चाचा मामा या जीजाजी में से कोई ऐसे भी होते है जो महिलाओ वाला डांस भी करते है.. ऐसा करके महिलाओ में तो उनकी इज्जत बढ़ जाती है.. पर नहीं नाचने वाले दुसरे चाचा मामा या जीजाजी में से कोई उन्हें किसी और नाम से अलंकृत कर देते है..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">सड़क पर सांडो की तरह खुले आम नाचते हुए लोगो के बीच में हाथ में बीस का नोट लिए एक शख्स एंट्री लेता है.. और अपने हाथ को अधिकतम ऊंचाई पर ले जाता है.. बैंड वालो में से एक जो काफी देर से बाजा बजा रहा है.. वो बाजे में फूंक मारते मारते ही नोट लेने के लिए हाथ उठाता है.. जो भाईसाहब नोट उठाये खड़े है वो अपना हाथ और ऊपर उठाते है.. ये जानते हुए भी कि इस फ़ालतू नाटक के बाद नोट बैंड वाले के पास चला जाएगा.. सब उत्सुकतावश देखते रहते है कि बैंड वाला नोट कैसे लेता है.. ?<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इतने में दुल्हे का जवान भाई सड़क को अपने बाप का माल समझ कर बैंड वालो को अगले चौराहे पर रुकने का फरमान सुनाता है.. पिछली बारात में हुई ठुकाई को याद रखते हुए बैंड वाला चौराहे पर बैंड रोककर "जिमी जिमी आजा आजा.." बजाने लग जाता है.. और बाहर जाम में फंसे लोगो को भीड़ में से कुछ उठे हुए हाथो में हलचल दिखाई देती है.. हालाँकि बारातियों में से एक भाईसाहब ऐसे भी होते है जो बारातियों को साईड में धक्के दे देकर ट्रैफिक सँभालने में लग जाते है..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">पर जो सँभालने से संभल जाए वो बारात ही क्या.. ?<br />
</div><br />
<a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SwJ65bjsRcI/AAAAAAAABx8/vj3KTz4RdPk/s1600/shadi-band.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SwJ65bjsRcI/AAAAAAAABx8/vj3KTz4RdPk/s320/shadi-band.jpg" /></a>आत्मनिर्भर बैंडवाले के एक एक कदम अपनी मर्ज़ी से आगे बढ़ जाने की वजह से बारात भी बढती जाती है.. कुछ लोग जिनका बारात में जाना मजबूरी है पर वापस लौटने के लिए अपनी गाडी होना भी जरुरी, वो लोग हर थोडी दूर आगे अपना स्कूटर खड़ा करके वापस आते है.. ऐसे लोगो को (जो जबरदस्ती बारात में है) आप जेब में हाथ डाले हुए देख सकते है.. अमूमन ये बारात में सबसे आगे या फिर सबसे साईड में होते है..<br />
<div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">जब बारहवी बार छोटी बहन फरमाइश करती है और भाई की शर्ट पसीने में डूब जाती है तो बहने चार्ज संभाल लेती है.. इसी टाईम पे भाभी चाची और मामी भी अपना हुनर दिखाने आ जाती है.. सड़क के बीचो बीच लोगो को अपनी छुपी हुई प्रतिभा दिखाने का सुनहरा अवसर मिल जाता है.. और मामी जी के नाच शुरू करते ही कुछ एलिमेंट्स मामाजी को ढूँढने लग जाते है.. मामाजी को ये एलिमेंट्स तब खीच कर ले आते है जब वे मामीजी का डांस बड़े चाव से देखते हुए अपने जीजाजी पर नज़र रखे होते है..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">मामाजी के आते ही मामीजी का एक्साईटमेन्ट डबल हो जाता है.. वो और तेज़ डांस करती है.. जीजाजी पर नज़र रखे हुए मामाजी, दोनों हाथ उठाकर नाचने लग जाते है.. पास खड़े नानाजी यानि उनके ससुर जी अपने खानदान के चश्मो चिराग और इकलौती बहु के नाच की मन ही मन तारीफ़ करके आगे कट लेते है..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इतने में पास से एक और बारात निकलती है.. अब देखिये साहब..! दोनों बारातो में ब्रूसली की आत्मा घुस जाती है.. जोर जोर से नाचने लग जाते है.. बैंड वालो को भी जोश आ जाता है.. बाजे वाला बाजा फूंक फूंक के अपनी जान देने पर ऐसे उतारू हो जाता है जैसे ऊपर समस्त देवता गण हाथो में फूल लिए उस पर बरसाने को तैयार खड़ेहो..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">इसी बीच कई ऐसे लोग जो बाकियों पर रौब जमाना चाहते है.. बार बार आकर पैसे लुटाते रहते है.. पैसो के चक्कर में बैंड वाले लाईट वालो के तारो में उलझकर गिर पड़ते है.. दुल्हे को छोड़ घोड़ी वाला भी अपना हिस्सा लेने आ जाता है.. ढोल वाले और लाईट वाले तो खैर उलझते ही है..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">ये जानते हुए भी कि अगर इन हरामखोरो को पता चल गया कि हम धीरे धीरे आगे बढ़ रहे है तो टाँगे टूट जायेगी, बैंड वाले जान जोखिम में डालके आगे बढ़ते रहते है.. क्योंकि इस बारात को ठिकाने लगाने के बाद उन्हें एक और को निपटाना होता है.. वैसे ये अकेले नहीं होते इनका साथ देने में ताऊजी फूफाजी टाइप लोग होते है जो बार बार थोडा आगे थोडा आगे कहकर बारात बढ़ाते रहते है..<br />
</div><div style="text-align: justify;"><br />
</div><div style="text-align: justify;">बारात बढती रहती है.. नोट हवाओ में उठते रहते है. .ठुमके लगते रहते है.. फोटोस खींचती रहती है.. दूल्हा पकता रहता है.. और बारात आगे बढती रहती है..<br />
<br />
<i>: खैर ये तो हुआ हमारा देखना.. कुछ छूट गया हो तो आप भी बता दीजिये.. </i> <br />
</div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com63tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-39248451591907018192009-10-09T15:36:00.005+05:302009-10-09T17:22:26.601+05:30बेचारी महफ़िल.. कुछ ऐसी लुटी..<a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/Ss8JE2sZIGI/AAAAAAAABts/Yjo6Og3CTuw/s1600-h/linesofbeauty.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/Ss8JE2sZIGI/AAAAAAAABts/Yjo6Og3CTuw/s200/linesofbeauty.jpg" /></a>महफ़िल पूरे शबाब पर है.. गुमनाम से शायर अपनी ठोडी पर कलम टिकाये बैठे है.. उनका उल्टा पांव सीधे पांव पर पड़ा है.. और नज़र नामचीन लोगो पर.. <br />
नामचीन लोगो के शेरो पर गुस्ताख लोग तालिया पीट रहे है.. गुमनाम शायर ने पान की पीक थूकते हुए कहा है... नामुराद..! सब के सब.. <br />
<br />
और फिर उल्टे पांव पर सीधा पांव रखकर दोबारा बैठ गया.. नामचीन ने अपने आगे पड़ी प्लेट से पान उठाकर मुंह में ठूंसा.. दोनों होंट भड़कते तंदूर से लाल हो चुके है.. पता नहीं अन्दर से जो निकलेगा वो पचाने लायक होगा या नहीं.. गुमनाम की बैचेनी बढ़ रही है.. उसने टाँगे बदल ली है.. गोया टाँगे नहीं किसी जाहिल का ईमान हो.. <br />
<br />
<blockquote>हो गए उनके आगे बेनकाब.. जिनसे पर्दादारी थी.. <br />
पीट गए सब सरे राह.. जिनसे भी उधारी थी...<br />
<br />
हिम्मत तो देखिये.. फिर से खड़े हो गए पैरो पर.. <br />
ऐसे मामलो की तो.. पहले से ही तैयारी थी... <br />
</blockquote><br />
वाह! क्या शेर दहाडा है.. पास बैठे एक और नामचीन ने कहा.. बहुत ही कातिल शेर.. शुभानल्लाह!! <br />
<br />
गुमनाम ने पांव की जगह फिर बदल ली.. और इस बार ना मुराद से पहले 'साले' भी लगा दिया... तो शब्द कुछ यु बना.. साले नामुराद! <br />
<br />
रात भर जब नामचीन लोग.. शेर दहाड़ दहाड़ के ढीले हो गए तो किसी ने गुमनाम को आवाज़ मार दी.. गुमनाम फुर्ती से चप्पल उतार कर स्टेज पर चढ़ गए.. नामचीन लोग उसी बेलन के आकार वाले तकिये का सहारा लेकर बैठ गए जिनसे घरो में रोटिया बनायीं जाती है.. गुमनाम ने प्लेट में देखा पान बचे नहीं थी.. मगर लाल लाल कत्था जरुर उन्हें घूर रहा था.. गुमनाम ने भी बदतमीजी करने में देर ना लगाते हुए एक शेर ठोंक डाला.. <br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="http://2.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/Ss8JE2sZIGI/AAAAAAAABts/Yjo6Og3CTuw/s1600-h/linesofbeauty.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><br />
</a><br />
</div><blockquote>गुजारते है जो.. ज़िन्दगी अपनी उधारो में.. <br />
पिट जाते है युही.. सरे आम बाजारों में... <br />
<br />
छोटे मोटे जख्मो से कोई फर्क नहीं पड़ता उनको <br />
बदन पर ऐसे टुच्चे निशान तो होंगे हजारो में... <br />
</blockquote><br />
वाह वाह हुज़ूर ये होता है शेर.. क्या तो दहाडा है.. भई माशाल्लाह.. शुभानल्लाह!! ... गुस्ताख लोगो ने शेर की जम कर तारीफ़ कर दी.. <br />
<br />
नामचीन ने अपने पीछे से वही बेलन के आकार का तकिया हटाया और उल्टे हाथ की तरफ करवट लेकर बोले.. नामुराद! सब के सब.. <br />
फिर तो बस दहाड़ पे दहाड़ और करवट पे करवट.. करवट पे करवट और दहाड़ पे दहाड़.... इधर दहाड़ उधर करवट.. उधर करवट इधर दहाड़.. <br />
<br />
बस फिर क्या होना था..? बची रात में जब तक शमा में तेल डाल डालकर जलाना मुनासिब था.. जलाया गया.. गुमनाम को नाम मिल चुका था.. वो शेर पे शेर दहाड़ रहा था... नामचीन ने नामुराद के आगे ऐसे ऐसे शब्द जोड़े कि.. साला तो फिर भी छोटा लग रहा था.. <br />
<br />
शेरो की कुछ इसी तरह की दहाडो से पहले नामचीनों ने और फिर गुमनामो ने सारी की सारी महफ़िल लूट ली.. <br />
<br />
<input type="hidden" /><input type="hidden" /><br />
<input type="hidden" /><input type="hidden" />कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com47tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-71403681174546891092009-08-25T12:34:00.005+05:302009-08-25T13:47:19.241+05:30हलकट दुनिया का सिपाही..<div style="text-align: justify;"><span>हलकट</span> <span>दुनिया</span> <span>के</span> <span>पिछवाडे</span> <span>पर</span> <span>लात</span> <span>देकर</span> <span>उसने</span> <span>गाडी</span> <span>स्टार्ट</span> <span>कर</span> <span>दी</span> <span>थी</span>.. <span>लोग</span> <span>बाग़</span> <span>सड़क</span> <span>पर</span> <span>दौड़</span> <span>रहे</span> <span>थे</span>.. <span>सारी</span> <span>गाड़िया</span> <span>फूटपाथ</span> <span>पर</span> <span>चल</span> <span>रही</span> <span>थी</span>.. <span>अचानक</span> <span>किसी</span> <span>ने</span> <span>बिलकुल</span> <span>पास</span> <span>आकर</span> <span>ब्रेक</span> <span>मारा</span>.. @$%#$% <span>कुछ</span> <span>निकला</span> <span>था</span> <span>उसके</span> <span>मुंह</span> <span>से</span>.. <span>शायद</span> <span>कोई</span> <span>गन्दी</span> <span>गाली</span> <span>रही</span> <span>होगी</span>.. <span>नहीं</span> <span>गन्दी</span> <span>नहीं</span>, <span>सिर्फ</span> <span>गाली</span> <span>होगी</span>.. <span>गालिया</span> <span>गन्दी</span> <span>या</span> <span>अच्छी</span> <span>नही</span> <span>होती</span>.. <span>सड़क</span> <span>पर</span> <span>गति</span> <span>सीमा</span> <span>चालीस</span> <span>देखकर</span> <span>उसने</span> <span>स्पीड</span> <span>बढा</span> <span>ली</span>.. <span>तेज़</span> <span>ते़ज़</span> <span>और</span> <span>तेज़</span> <span>स्पीड</span> <span>से</span> <span>उसकी</span> <span>गाडी</span> <span>चल</span> <span>रही</span> <span>थी</span>.. <span>अचानक</span> <span>उसने</span> <span>देखा</span> <span>कार</span> <span>में</span> <span>बारिश</span> <span>होने</span> <span>लगी</span>.. <span>उसने</span> <span>जोर</span> <span>से</span> <span>ब्रेक</span> <span>लगाए</span> <span>पीछे</span> <span>से</span> <span>कोई</span> <span>उसे</span> <span>वही</span> <span>गाली</span> <span>वापस</span> <span>दे</span> <span>गया</span> <span>जो</span> <span>उसने</span> <span>कुछ</span> <span>देर</span> <span>पहले</span> <span>दी</span> <span>थी</span>.. <span>खिड़की</span> <span>से</span> <span>बाहर</span> <span>झाँका</span> <span>तो</span> <span>कडाके</span> <span>की</span> <span>धुप</span> <span>पड़</span> <span>रही</span> <span>थी</span>.. <span>पर</span> <span>उसकी</span> <span>कार</span> <span>में</span> <span>जोरो</span> <span>की</span> <span>बारिश</span> <span>हो</span> <span>रही</span> <span>थी</span>,, <span>उसने</span> <span>अपनी</span> <span>जेब</span> <span>में</span> <span>हाथ</span> <span>डालकर</span> <span>देखा</span> <span>शायद</span> <span>छतरी</span> <span>मिल</span> <span>जाए</span>.. <span>पर</span> <span>नहीं</span> <span>अन्दर</span> <span>से</span> <span>एक</span> <span>अस्पताल</span> <span>का</span> <span>बिल</span>.. <span>थोडा</span> <span>सा</span> <span>काला</span> <span>धुआं</span> <span>और</span> <span>कुछ</span> <span>कांच</span> <span>के</span> <span>टुकड़े</span> <span>मिले</span>.. <span>ऊपर</span> <span>वाली</span> <span>जेब</span> <span>में</span> <span>एक</span> <span>वाशिंग</span> <span>मशीन</span> <span>मिली</span> <span>पर</span> <span>वो</span> <span>चलती</span> <span>नहीं</span> <span>थी</span>.. <span>उसने</span> <span>गुस्से</span> <span>में</span> <span>फिर</span> <span>एक</span> <span>गाली</span> <span>दी</span>.. <span>पता</span> <span>नहीं</span> <span>किसको</span> ?<br /></div><br /><div style="text-align: justify;"><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SpOcehfJQmI/AAAAAAAABlU/Tsqq8yOIYW8/s1600-h/city.jpg"><img style="margin: 0pt 10px 10px 0pt; float: left; cursor: pointer; width: 103px; height: 400px;" src="http://1.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SpOcehfJQmI/AAAAAAAABlU/Tsqq8yOIYW8/s400/city.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5373810828582142562" border="0" /></a><span>वो</span> <span>कार</span> <span>से</span> <span>बाहर</span> <span>निकल</span> <span>गया</span>.. <span>चारो</span> <span>तरफ</span> <span>भीड़</span> <span>ही</span> <span>भीड़</span> <span>थी</span>.. <span>उसने</span> <span>ऊपर</span> <span>देखा</span> <span>जगह</span> <span>जगह</span> <span>पर</span> <span>पोस्टर</span> <span>लगे</span> <span>थे</span>.. <span>बड़े</span> <span>बड़े</span> <span>होर्डिंग्स</span>.. <span>एक</span> <span>बड़ा</span> <span>सा</span> <span>एड</span> <span>लगा</span> <span>था</span> "<span>डार्क</span> <span>एंड</span> <span>लवली</span>" <span>सिर्फ</span> <span>छ</span> <span>हफ्तों</span> <span>में</span> <span>आपकी</span> <span>त्वचा</span> <span>को</span> <span>सांवला</span> <span>बनाये</span>.. <span>कितनी</span> <span>ही</span> <span>लड़कियों</span> <span>का</span> <span>ख्वाब</span> <span>होगा</span> <span>सांवला</span> <span>होना</span>.. <span>गोरे</span> <span>होने</span> <span>की</span> <span>वजह</span> <span>से</span> <span>उनकी</span> <span>शादिया</span> <span>नहीं</span> <span>हो</span> <span>रही</span> <span>थी</span>.. <span>वो</span> <span>पलटा</span>, <span>अगला</span> <span>विज्ञापन</span> <span>था</span> <span>बालो</span> <span>में</span> <span>डैंड्रफ</span> <span>उगाने</span> <span>का</span>.. <span>मोटा</span> <span>होने</span> <span>के</span> <span>इश्तेहार</span>.. <span>बाल</span> <span>सफेद</span> <span>करने</span> <span>का</span>.. <span>पर</span> <span>उसे</span> <span>इन</span> <span>सब</span> <span>की</span> <span>जरुरत</span> <span>नहीं</span> <span>थी</span>.. <span>वो</span> <span>इस</span> <span>जगह</span> <span>से</span> <span>भाग</span> <span>जाना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>..<span>उसने</span> <span>कार</span> <span>की</span> <span>खिड़की</span> <span>में</span> <span>देखा</span> <span>बारिश</span> <span>अभी</span> <span>तक</span> <span>जारी</span> <span>थी</span>.. <span>वो</span> <span>सामने</span> <span>जाकर</span> <span>मेट्रो</span> <span>पकड़ना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>.. <span>पर</span> <span>इस</span> <span>ट्रैफिक</span> <span>की</span> <span>वजह</span> <span>से</span> <span>सड़क</span> <span>पार</span> <span>नहीं</span> <span>कर</span> <span>पा</span> <span>रहा</span> <span>था</span>..<br /><br /><span>उसे</span> <span>पास</span> <span>में</span> <span>ही</span> <span>अखबार</span> <span>का</span> <span>दफ्तर</span> <span>दिखा</span>.. <span>वो</span> <span>दौड़के</span> <span>अन्दर</span> <span>गया</span>.. <span>अन्दर</span> <span>सब</span> <span>लोग</span> <span>स्कूटर</span> <span>चला</span> <span>रहे</span> <span>थे</span>.. <span>उसने</span> <span>रोकने</span> <span>की</span> <span>कोशिश</span> <span>की</span> <span>पर</span> <span>कोई</span> <span>रुक</span> <span>नहीं</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>सबको</span> <span>जल्दी</span> <span>थी</span>.. <span>सब</span> <span>तेज़</span> <span>बनना</span> <span>चाहते</span> <span>थे</span> <span>सबसे</span> <span>तेज़</span>.. <span>उसने</span> <span>भी</span> <span>पास</span> <span>में</span> <span>पड़ा</span> <span>एक</span> <span>स्कूटर</span> <span>उठा</span> <span>लिया</span>.. <span>फटाफट</span> <span>उसने</span> <span>जाकर</span> <span>अखबार</span> <span>में</span> <span>खोया</span> <span>पाया</span> <span>कॉलम</span> <span>में</span> <span>विज्ञापन</span> <span>दिया</span>.. "<span>जेब्रा</span> <span>क्रोसिंग</span> <span>खो</span> <span>गयी</span>" <span>उसे</span> <span>लगा</span> <span>इसे</span> <span>पढ़कर</span> <span>शायद</span> <span>उसे</span> <span>सड़क</span> <span>पर</span> <span>जेब्रा</span> <span>क्रोसिंग</span> <span>मिल</span> <span>जाए</span> <span>और</span> <span>वो</span> <span>सड़क</span> <span>पार</span> <span>कर</span> <span>ले</span>.. <span>पर</span> <span>ऐसा</span> <span>हुआ</span> <span>नहीं</span>.. <span>सड़क</span> <span>के</span> <span>इस</span> <span>पार</span> <span>बैठे</span> <span>बैठे</span> <span>वो</span> <span>सामने</span> <span>आने</span> <span>जाने</span> <span>वाली</span> <span>मेट्रो</span> <span>देख</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>उसे</span> <span>लगा</span> <span>अगर</span> <span>मेट्रो</span> <span>के</span> <span>ड्रायवर</span> <span>ने</span> <span>एक</span> <span>बार</span> <span>उसे</span> <span>देख</span> <span>लिया</span> <span>तो</span> <span>वो</span> <span>मेट्रो</span> <span>इधर</span> <span>ले</span> <span>आएगा</span>.. <span>मेट्रो</span> <span>का</span> <span>ड्रायवर</span> <span>उसे</span> <span>जानता</span> <span>था</span>.. <span>इतनी</span> <span>जान</span> <span>पहचान</span> <span>तो</span> <span>चलती</span> <span>ही</span> <span>है</span>.. <span>मेट्रो</span> <span>आ</span> <span>चुकी</span> <span>थी</span>.. <span>पर</span> <span>ड्रायवर</span> <span>देख</span> <span>नहीं</span> <span>रहा</span> <span>था</span>..<br /><br /><span>वो</span> <span>घबराया</span>.. <span>उसने</span> <span>जमीन</span> <span>पर</span> <span>पड़ा</span> <span>पत्थर</span> <span>उठाया</span> <span>और</span> <span>सामने</span> <span>की</span> <span>तरफ</span> <span>उछाल</span> <span>दिया</span>.. <span>पत्थर</span> <span>मेट्रो</span> <span>की</span> <span>खिड़की</span> <span>को</span> <span>तोड़ता</span> <span>हुआ</span> <span>आसमान</span> <span>की</span> <span>तरफ</span> <span>चला</span> <span>गया</span>.. <span>पत्थर</span> <span>हवा</span> <span>में</span> <span>उड़ता</span> <span>ही</span> <span>जा</span> <span>रहा</span> <span>है</span>.. <span>वो</span> <span>देखता</span> <span>रहा</span>.. <span>पत्थर</span> <span>और</span> <span>ऊपर</span> <span>चला</span> <span>गया</span>.. <span>अचानक</span> <span>आसमान</span> <span>में</span> <span>से</span> <span>जोर</span> <span>की</span> <span>आवाज़</span> <span>आई</span>.. <span>शायद</span> <span>उसने</span> <span>आसमान</span> <span>फाड़</span> <span>दिया</span> <span>था</span>.. <span>आसमान</span> <span>से</span> <span>मोम</span> <span>जैसा</span> <span>कुछ</span> <span>पिघलकर</span> <span>नीचे</span> <span>गिर</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>जैसे</span> <span>ही</span> <span>वो</span> <span>उसके</span> <span>ऊपर</span> <span>गिरता</span> <span>मेट्रो</span> <span>उसके</span> <span>करीब</span> <span>आ</span> <span>गयी</span>.. <span>वो</span> <span>फटाफट</span> <span>उसमे</span> <span>चढ़</span> <span>गया</span>.. <span>पर</span> <span>अन्दर</span> <span>मेला</span> <span>लगा</span> <span>हुआ</span> <span>था</span>.. <span>बहुत</span> <span>भीड़</span> <span>थी</span>.. <span>खेल</span> <span>तमाशे</span> <span>वाले</span>.. <span>चाट</span> <span>पकोड़ी</span> <span>वाले</span>.. <span>झूले</span> <span>वाले</span>.. <span>बहुत</span> <span>सारे</span> <span>लोग</span> <span>जमा</span> <span>थे</span>.. <span>मेले</span> <span>में</span> <span>हंस</span> <span>खेल</span> <span>रहे</span> <span>थे</span>.. <span>उसे</span> <span>ये</span> <span>सब</span> <span>अच्छा</span> <span>नहीं</span> <span>लग</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>वो</span> <span>बाहर</span> <span>जाना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>.. <span>पर</span> <span>मेट्रो</span> <span>का</span> <span>दरवाजा</span> <span>खुलता</span> <span>नहीं</span> <span>था</span>.. <span>सिर्फ</span> <span>स्टेशन</span> <span>आने</span> <span>पर</span> <span>ही</span> <span>खुलता</span> <span>था</span> <span>ये</span>.. <span>वो</span> <span>मेट्रो</span> <span>में</span> <span>फंस</span> <span>चुका</span> <span>था</span>..<br /><br /><span>उसने</span> <span>पीछे</span> <span>वाली</span> <span>जेब</span> <span>से</span> <span>पर्स</span> <span>निकाला</span>.. <span>अन्दर</span> <span>पैसे</span> <span>नहीं</span> <span>थे</span>.. <span>बस</span> <span>एक</span> <span>कंडोम</span> <span>का</span> <span>पैकेट</span> <span>था</span>.. <span>जो</span> <span>यूज</span> <span>नहीं</span> <span>किया</span> <span>गया</span> <span>था</span>.. <span>उसने</span> <span>देखा</span> <span>बाहर</span> <span>सबके</span> <span>हाथ</span> <span>में</span> <span>ऐसा</span> <span>ही</span> <span>एक</span> <span>पैकेट</span> <span>था</span>.. <span>किसी</span> <span>ने</span> <span>भी</span> <span>इस्तेमाल</span> <span>नहीं</span> <span>किया</span> <span>था</span>.. <span>बाहर</span> <span>भीड़</span> <span>और</span> <span>बढ़ने</span> <span>लगी</span> <span>थी</span>.. <span>सब</span> <span>पैकेट</span> <span>लेकर</span> <span>घूम</span> <span>रहे</span> <span>थे</span>.. <span>उसने</span> <span>जेब</span> <span>में</span> <span>हाथ</span> <span>डालकर</span> <span>तलवार</span> <span>निकाल</span> <span>ली</span>.. <span>वो</span> <span>उन</span> <span>सब</span> <span>लोगो</span> <span>को</span> <span>काट</span> <span>डालना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>.. <span>जिसने</span> <span>पैकेट</span> <span>खोला</span> <span>भी</span> <span>नहीं</span> <span>था</span>.. <span>पर</span> <span>अगर</span> <span>वो</span> <span>ऐसा</span> <span>करता</span> <span>तो</span> <span>उसे</span> <span>खुद</span> <span>को</span> <span>भी</span> <span>मारना</span> <span>पड़ता</span>.. <span>यही</span> <span>सोच</span> <span>के</span> <span>उसने</span> <span>तलवार</span> <span>जमीन</span> <span>में</span> <span>घुसा</span> <span>दी</span>.. <span>और</span> <span>पास</span> <span>वाली</span> <span>गली</span> <span>में</span> <span>मुड</span> <span>गया</span>..<br /><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://3.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SpOcoh43OsI/AAAAAAAABlc/kdZFodbIvME/s1600-h/city1.jpg"><img style="margin: 0pt 0pt 10px 10px; float: right; cursor: pointer; width: 195px; height: 355px;" src="http://3.bp.blogspot.com/_M6URJOwMRoo/SpOcoh43OsI/AAAAAAAABlc/kdZFodbIvME/s400/city1.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5373811000488704706" border="0" /></a><span>पास</span> <span>वाली</span> <span>गली</span> <span>में</span> <span>बड़ा</span> <span>सा</span> <span>सिनेमा</span> <span>हॉल</span> <span>था</span>.. <span>वो</span> <span>अन्दर</span> <span>चला</span> <span>गया</span>.. <span>अन्दर</span> <span>फिल्म</span> <span>चल</span> <span>रही</span> <span>थी</span>.. <span>हिरोइन</span> <span>नाच</span> <span>रही</span> <span>थी</span>.. <span>लोग</span> <span>सीटिया</span> <span>बजा</span> <span>रहे</span> <span>थे</span>.. <span>चारो</span> <span>तरफ</span> <span>अँधेरा</span> <span>था</span>.. <span>उसे</span> <span>कुछ</span> <span>नज़र</span> <span>नहीं</span> <span>आ</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>उसने</span> <span>किसी</span> <span>के</span> <span>पांव</span> <span>पर</span> <span>पांव</span> <span>रख</span> <span>दिया</span>.. <span>एक</span> <span>गाली</span> <span>सुनाई</span> <span>दी</span>.. <span>लोगो</span> <span>ने</span> <span>जोर</span> <span>से</span> <span>तालिया</span> <span>बजायी</span>.. <span>वो</span> <span>अपनी</span> <span>सीट</span> <span>पर</span> <span>जाकर</span> <span>बैठ</span> <span>गया</span>.. <span>उसी</span> <span>सीट</span> <span>पर</span> <span>तीन</span> <span>चार</span> <span>लोग</span> <span>और</span> <span>बैठे</span> <span>थे</span>.. <span>पांचो</span> <span>लोग</span> <span>उसी</span> <span>सीट</span> <span>पर</span> <span>बैठे</span> <span>थे</span>.. <span>पिक्चर</span> <span>ख़तम</span> <span>होने</span> <span>वाली</span> <span>थी</span>.. <span>हीरो</span> <span>ने</span> <span>डाकुओ</span> <span>से</span> <span>हिरोइन</span> <span>को</span> <span>छुडा</span> <span>लिया</span> <span>था</span>.. <span>अब</span> <span>वो</span> <span>डाकुओ</span> <span>को</span> <span>मार</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>उसने</span> <span>सबको</span> <span>मार</span> <span>दिया</span> <span>और</span> <span>घोडे</span> <span>पर</span> <span>बिठाकर</span> <span>हिरोइन</span> <span>को</span> <span>ले</span> <span>गया</span>.. <span>पिक्चर</span> <span>ख़त्म</span> <span>हो</span> <span>चुकी</span> <span>थी</span>.. <span>सब</span> <span>लोग</span> <span>बाहर</span> <span>जा</span> <span>चुके</span> <span>थे</span> <span>वो</span> <span>अन्दर</span> <span>अकेला</span> <span>रह</span> <span>गया</span> <span>था</span>.. <span>चारो</span> <span>तरफ</span> <span>पोपकोर्न</span> <span>बिखरे</span> <span>हुए</span> <span>थे</span>.. <span>इतने</span> <span>में</span> <span>उसने</span> <span>देखा</span> <span>फिल्म</span> <span>वापस</span> <span>शुरू</span> <span>हो</span> <span>गयी</span>.. <span>हीरो</span> <span>परदे</span> <span>में</span> <span>से</span> <span>निकलकर</span> <span>बाहर</span> <span>आ</span> <span>गया</span>.. <span>और</span> <span>उसके</span> <span>पीछे</span> <span>भागा</span>..<br /><br /><span>वो</span> <span>तेजी</span> <span>से</span> <span>बाहर</span> <span>निकला</span>.. <span>हीरो</span> <span>उसके</span> <span>पीछे</span> <span>पीछे</span> <span>भाग</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>उसने</span> <span>ट्रैफिक</span> <span>सिग्नल</span> <span>उखाड़</span> <span>कर</span> <span>पीछे</span> <span>फैंका</span>.. <span>पर</span> <span>हीरो</span> <span>को</span> <span>खरोंच</span> <span>तक</span> <span>नहीं</span> <span>आई</span>.. <span>वो</span> <span>तेजी</span> <span>से</span> <span>भाग</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>उसने</span> <span>देखा</span> <span>कुछ</span> <span>लोग</span> <span>बन्दूक</span> <span>लेकर</span> <span>स्टेशन</span> <span>पर</span> <span>लोगो</span> <span>को</span> <span>मार</span> <span>रहे</span> <span>है</span>.. <span>उसने</span> <span>उनके</span> <span>हाथ</span> <span>से</span> <span>बन्दूक</span> <span>छीन</span> <span>कर</span> <span>हीरो</span> <span>पर</span> <span>अंधाधुंध</span> <span>गोलिया</span> <span>चलायी</span>.. <span>पर</span> <span>हीरो</span> <span>को</span> <span>कुछ</span> <span>नहीं</span> <span>हुआ</span>.. <span>वो</span> <span>बन्दूक</span> <span>वही</span> <span>फेंक</span> <span>कर</span> <span>भागा</span>.. <span>उसने</span> <span>जेब</span> <span>से</span> <span>मोबाइल</span> <span>निकाला</span> <span>पर</span> <span>जैसे</span> <span>ही</span> <span>उसने</span> <span>कॉल</span> <span>बटन</span> <span>दबाया</span>.. <span>मोबाइल</span> <span>से</span> <span>खून</span> <span>का</span> <span>फव्वारा</span> <span>छूट</span> <span>पड़ा</span>.. <span>उसने</span> <span>हाथ</span> <span>से</span> <span>झटका</span> <span>पर</span> <span>मोबाइल</span> <span>नहीं</span> <span>गिरा</span>.. <span>वो</span> <span>और</span> <span>तेज़</span> <span>भाग</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>मोबाइल</span> <span>से</span> <span>लगातार</span> <span>खून</span> <span>बहता</span> <span>जा</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>हीरो</span> <span>अब</span> <span>भी</span> <span>उसके</span> <span>पीछे</span> <span>था</span>.. <span>उसे</span> <span>सामने</span> <span>डस्ट</span> <span>बिन</span> <span>दिखाई</span> <span>दिया</span>.. <span>वो</span> <span>उसमे</span> <span>छुप</span> <span>जाना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>.. <span>पर</span> <span>अफ़सोस</span> <span>डस्ट</span> <span>बिन</span> <span>खाली</span> <span>पड़ा</span> <span>था</span>.. <span>हीरो</span> <span>उसके</span> <span>और</span> <span>करीब</span> <span>आ</span> <span>चुका</span> <span>था</span>..<br /><br /><span>वो</span> <span>आगे</span> <span>जाकर</span> <span>मेडिकल</span> <span>की</span> <span>दुकान</span> <span>पर</span> <span>रुका</span>.. <span>उसने</span> <span>वहा</span> <span>से</span> <span>साढे</span> <span>सताईस</span> <span>हज़ार</span> <span>की</span> <span>दवाईया</span> <span>खरीदी</span>.. <span>वो</span> <span>उन्हें</span> <span>लेना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>.. <span>पर</span> <span>उसे</span> <span>कही</span> <span>पानी</span> <span>नहीं</span> <span>मिल</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>सब</span> <span>तरफ</span> <span>कोल्ड</span> <span>ड्रिंक</span> <span>मिल</span> <span>रही</span> <span>थी</span>.. <span>उसने</span> <span>कोल्ड</span> <span>ड्रिंक</span> <span>की</span> <span>बोतल</span> <span>खरीदी</span> <span>और</span> <span>सारी</span> <span>दवाईया</span> <span>ले</span> <span>ली</span>.. <span>फिर</span> <span>भी</span> <span>हीरो</span> <span>उसके</span> <span>पीछे</span> <span>ही</span> <span>लगा</span> <span>था</span>.. <span>हीरो</span> <span>ने</span> <span>सड़क</span> <span>पर</span> <span>पड़े</span> <span>कचरे</span> <span>में</span> <span>से</span> <span>पोलीथिन</span> <span>बैग्स</span> <span>उठा</span> <span>लिए</span>.. <span>हीरो</span> <span>बिलकुल</span> <span>उसके</span> <span>करीब</span> <span>आ</span> <span>चुका</span> <span>था</span>..<br /><br /><span>उसने</span> <span>देखा</span> <span>आसमान</span> <span>में</span> <span>हवाई</span> <span>जहाज</span> <span>उड़</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>वो</span> <span>उचक</span> <span>कर</span> <span>हवाई</span> <span>जहाज</span> <span>को</span> <span>पकड़</span> <span>कर</span> <span>भाग</span> <span>जाना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>.. <span>जैसे</span> <span>ही</span> <span>वो</span> <span>हवा</span> <span>में</span> <span>उछला</span>.. <span>हीरो</span> <span>ने</span> <span>पीछे</span> <span>से</span> <span>उसका</span> <span>कोलर</span> <span>पकड़</span> <span>लिया</span>.. <span>वो</span> <span>पूरी</span> <span>तरह</span> <span>से</span> <span>हीरो</span> <span>की</span> <span>गिरफ्त</span> <span>में</span> <span>आ</span> <span>चुका</span> <span>था</span>.. <span>हीरो</span> <span>ने</span> <span>पोलीथिन</span> <span>से</span> <span>उसका</span> <span>मुंह</span> <span>बाँध</span> <span>दिया</span>.. <span>उसे</span> <span>सांस</span> <span>लेने</span> <span>में</span> <span>तकलीफ</span> <span>होने</span> <span>लगी</span>.. <span>वो</span> <span>सांस</span> <span>लेने</span> <span>की</span> <span>कोशिश</span> <span>कर</span> <span>रहा</span> <span>था</span> <span>पर</span> <span>हीरो</span> <span>ने</span> <span>पोलीथिन</span> <span>से</span> <span>उसका</span> <span>मुंह</span> <span>और</span> <span>जोर</span> <span>से</span> <span>दबा</span> <span>दिया</span> <span>था</span>.. <span>उसकी</span> <span>आँखों</span> <span>के</span> <span>आगे</span> <span>अँधेरा</span> <span>आ</span> <span>चुका</span> <span>था</span>.. <span>वो</span> <span>हवा</span> <span>में</span> <span>उड़ते</span> <span>हुए</span> <span>किसी</span> <span>पेड़</span> <span>के</span> <span>पास</span> <span>जाकर</span> <span>ऑक्सीजन</span> <span>लेना</span> <span>चाहता</span> <span>था</span>.. <span>पर</span> <span>उसे</span> <span>कही</span> <span>पेड़</span> <span>नज़र</span> <span>नहीं</span> <span>आ</span> <span>रहा</span> <span>था</span>.. <span>उसने</span> <span>जोर</span> <span>से</span> <span>मुंह</span> <span>से</span> <span>सांस</span> <span>खिंची</span> <span>पोलीथिन</span> <span>उसके</span> <span>नाक</span> <span>पर</span> <span>चिपकी</span> <span>और</span> <span>बस</span>... ये उसकी आखिरी साँस थी .. <span>हीरो</span> <span>ने</span> <span>उसको</span> <span>नीचे</span> <span>फेंक</span> <span>दिया</span>.. <span>ठीक</span> <span>जेब्रा</span> <span>क्रोसिंग</span> <span>के</span> <span>ऊपर</span>.. <span>पास</span> <span>में</span> <span>एक</span> <span>अखबार</span> <span>पड़ा</span> <span>था</span> <span>जिस</span> <span>पर</span> <span>खोया</span> <span>पाया</span> का <span>विज्ञापन</span> <span>था</span>.. <span>सड़क</span> <span>के</span> <span>दूसरी</span> <span>तरफ</span> <span>खडी</span> <span>कार</span> <span>में</span> <span>बारिश</span> <span>बंद</span> <span>हो</span> <span>चुकी</span> <span>थी</span>.. <span>कंडोम</span> <span>के</span> <span>कुछ</span> <span>खाली</span> <span>पैकेट्स</span> <span>सड़क</span> <span>पर</span> <span>पड़े</span> <span>थे</span>.. <span>लोग</span> <span>सड़क</span> <span>पार</span> <span>करके</span> <span>मेट्रो</span> <span>की</span> <span>तरफ</span> <span>जा</span> <span>रहे</span> <span>थे</span>.. <span>पर</span> <span>इन</span> <span>सबसे</span> <span>बेखबर</span>... <span>हलकट</span> <span>दुनिया</span> <span>में</span> <span>सड़क</span> <span>पर</span> <span>एक</span> <span>लाश</span> <span>पड़ी</span> <span>थी</span>..<br /></div>कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.com47