Monday, April 28, 2008

उछालता कोई मुझे तो..



उछालता कोई मुझे तो
खिलखिला देती...
मुस्कुराता कोई तो
पलकें हिला देती..

पूछता कोई जो कुछ
जवाब आँखें हिला कर देती..
गोद मैं उठाता कोई तो
उसे गीला कर देती..

डाँटता कोई मुझे तो
झटमूट् रोती..
आती जब नींद तो
माँ की गोद में सोती..

मम्मी की पहन साड़ी
श्रींगार मैं करती..
आ जाए ना कोई कमरे में
इस बात से डरती...

दादा को पकड़ कर
घोड़ा मैं बनाती..
ज़्यादा तो नही पर
खाना, थोड़ा मैं बनाती..

होती जब बरसात
ख़ूब मैं नहाती..
काग़ज़ की कश्तिया
पानी में बहाती..

फिर बड़ी हो जाती और
झूलती झूलो पे..
बन जाती तितली कोई और
घूमती फूलो पे...

सोमवार की पूजा के
फूल मैं चुनती..
आएगा कोई जो
उसके ख्वाब मैं बुनती..

ले जाता मुझे कोई
डोली में बिठाकर..
पल्को की छाओ में
आँखो में लिटाकार...

अपना फिर छोटा सा
परिवार मैं बनाती..
खशियो से सज़ा सा
संसार बसाती..

बाँट प्यार सभी को
सबके दर्द मैं लेती..
गर माँ तेरी कोख से
जन्म मैं लेती....

-------------------

Thursday, April 24, 2008

यादो की गुल्लक फूटी है..

कक्षा बारहवी के चार बारहसिंघो की कहानी...
ये चार गोप कुमार हँसी ठिठोली के लिए यूही घूमने निकल लिए.. ग्राम चोपासनी जिला जोधपुर में एक अम्यूज़्मेंट पार्क हुआ करता था "फन वर्ल्ड" इस वाटिका की खूबसूरती के हम उस समय बड़े कायल थे.. चारो गोप कुमार शाम 6 बजे अपने वाहन लेकर चल दिए.. हमारे मित्र के पास तब काइनेटिक होंडा नामक वाहन हुआ करता था और दूसरे मित्र के पास टीवीएस स्कूटी(दरअसल दोनो कंपनियो का विगयापन किया जा रहा है)

तो हम सभी गोप कुमार फन वर्ल्ड वाटिका में जाकर अपनी बाल सुलभ गतिविधिया करने लगे.. बाल सुलभ गतिविधियो से हमारा आशय है की हम वहा जाकर गोपिया देखने लगे.. तभी एक अति सुंदर गोप कन्या का हमारे मित्र के साथ नैन वार्तालाप प्रारंभ हो गया.. दोनो के नैन बतिया रहे थे.. बाकी हम लोग क्रीड़ा कर रहे थे..
परंतु इस प्रक्रति प्रदत वरदान यानी की प्रेम को इतनी सुलभता से नही प्राप्त किया जा सकता.. यही हुआ, उस गोप कन्या की चाची अथवा मौसी अथवा भुआ या फिर ऐसा ही कोई किरदार रहा होगा.. जो दो प्रेम कपोतो के मध्य चतुर काक सा खड़ा हुआ.. बस फिर क्या था..
रात्रि के 8.00 बजे वो लोग बाहर की तरफ.. और हमारे ताज़ा ताज़ा प्रेम पाश से घायल मित्र भी जाना चाहते थे उनके पीछे.. और कसम कृष्णा सुदामा की मित्रता की.. हम भी हो लिए उनके साथ.. वो लोग ऑटो में आगे आगे.. और हमारी गाडिया उनके पीछे लग चुकी.. अगर उस वक़्त धूम रिलीज़ हो चुकी होती तो उसी का बॅकग्राउंड पीच्चे चल रहा होता.. मगर हमने एम आई 2 के बॅकग्राउंड से काम चलाया.. एक ही ज़ज़्बा था.. बस इस गोप कन्या की कुटिया का पता लगाना..

ऑटो आगे आगे और हम पीछे पीछे .. कभी ऑटो आगे निकलता कभी हम पीछे रहते.. ओह माफ़ करना ये तो एक ही बात हुई..

खैर काफ़ी देर बाद हम ऑटो के करीब थे की इतने मैं ऑटो मैं से कुछ गिरा.. हम पॉपकॉर्न की तरह उछल पड़े.. वो मारा पाप वाले को !! बेटा उसने अपना पता फेंक दिया.. चल मार यू टर्न..
और चारो पलट कर पहुँचे वही जहा कुछ गिरा था.. और देखते ही सब के सब खामोश.. नीचे पडा चिप्स का खाली पॅकेट हमे देख कर मुस्कुरा रहा था..

Saturday, April 19, 2008

क्रिकेटर ले लो... क्रिकेटर ले लो...

हमे फोन उठाते ही आवाज़ आई क्रिकेटर ले लो.. क्रिकेटर ले लो.. हम बोखलाए.. भाई ये क्या है.. नयी रिंगटोन. नया फोन.. ओर लोन के लिए तो फोन आते थे ये अब क्रिकेट का क्या चक्कर है. हमने पूछा भय्ये माज़रा क्या है.. क्या बक बक कर रहे हो. वो बोला देखिए श्रीमान मैं तमीज़ से बात कर रहा हू और आप इसे बक बक कह रहे है. आप नही जानते आप कितने भाग्यशाली है की मैने आपको फोन किया है.. अमा क्रिकेटर्स की नयी टीम बन रही है.. आप भी खरीद लीजिए. फ़ायदा ही फ़ायदा है.. फ़ायदा ! हिन्दुस्तानी आदमी के लिए इस से बढ़िया शब्द क्या हो सकता है.. ओर हम भी ठहरे पक्के हिन्दुस्तानी.. सो हमने कहा बतलाओ जी कैसा फ़ायदा.. वो खुश होकर बोला.. अजी आप रातो रात स्टार बन जाओगे.. कॅमरा मैदान पर खिलाड़ियो से ज़्यादा आप पर रहेगा.. आप आगे आगे खिलाड़ी पीछे पीछे.. इतना सुनते ही हमने ख्यालो की तलैया में डुबकी मार ली.. वो बोला ये तो कुछ नही है सर.. नाचने गाने का पूरा मौका है.. बड़ी बड़ी म्यूज़िक कंपनिया स्पॉंसर कर देगी. एक पोप अलबम बनाओ ओर पूरी टीम के खिलाड़ियो के साथ ठुमके लगाओ.. हमने पूछा खिलाड़ी ओर ठुमके..? वो तो खिलाड़ी है उनका काम तो खेलना है.. वो हमारी अग्यान्ता पर मुस्कुराया. ओर बोला क्या साहब आप भी. आजकल तो जिसे देखो वो ठुमका लगा रहा है.. समय बदल रहा है सर पहले सरस्वती जी के सुर होते थे अब माता लक्ष्मी की ताल होती है ओर सब बस उसी ताल पर बेताल नाचते रहते है.. खिलाड़ी हो या नेता कोई फ़र्क नही पड़ता.. हम अपनी इस अग्यान्ता पर बहुत लज्जित हुए.. हमे लगा जैसे हम कौनसी दुनिया में जी रहे है.. बाहर इतना सब हो रहा है ओर हमे पता ही नही.. हमने कहा लेकिन भैया खाली खिलाड़ी के आगे चलना ओर ठुमके लगाने से क्या होगा.. इसमे भला क्या मज़ा है.. वो हसा और बोला क्या सर आप भी दुनिया मेट्रो ट्रेन में भाग रही है ओर आप है की साइकल रिक्क्षा में बैठे है.. अरे जनाब पैसा ओर क्या.. टीम जीती तो आपको पैसा मिलेगा.. टिकट बिके तो आपको पैसा मिलेगा.. उनके हेल्मेट पे स्पॉंसर का एड दे सकते हो.. बात पे दे सकते हो.. ग्लव्स पे दे सकते हो.. यहा तक की उनके चड्डी बनियान पर भी एड दे सकते हो आप.. अजी क्रिककेटर खरीदा है आपने.. कोई मामूली बात थोड़े ही है.. हम बड़े खुश हो लिए.. भाई बात तो तुम्हारी ठीक है.. अच्छा अब ज़रा सौदे की बात भी कर ले.. ये बताओ क्या भाव दिए क्रिककेटर.. उसने कहा वैसे तो बाज़ार बहुत गर्म है.. पर क्योंकि आप मुझे भले आदमी लगते है इसलिए आपको डिसकाउंट दूँगा.. आप ऐसा करो की सौ की कीमत है पर आप चाहो तो नब्बे दे दो.. हमने कहा अरे कैसी बात करते हो बंधु. पुर सौ लो..दस रुपये के लिए क्या सोचना.. इस बार वो ज़ोर से हसा क्या अंकल आप भी मज़ाक बहुत करते हो.. मैं सौ रुपये नही सौ करोड़ की बात कर रहा हू.. सौ करोड़ !!!!!!!! हमने दिल पे हाथ रखकर अटॅक को आने से रोका.. ओर बोले भय्ये सौ करोड़ अबे तू आदमी है या घनचक्कर.. तुम क्या दुनिया को बेवकूफ़ समझते हो की कोई इतनी महँगी टीम खरीदेगा.. वो फिर मुस्कुराया ओर बोला सर आप बहुत भोले हो.. सारी टीम बिक गयी है बस एक बची है.. आप जल्दी से बता दो वरना में किसी ओर को फोन लगाऊँगा.. हमने अपना घर बार सबकी कीमत लगाई तो ही बीस लाख से ज़्यादा नही हुआ.. टीम कहा से खरीद ते... हमने कहा बाबू साहब मेरे पास तो इतना रुपया नही है.. वो फिर ज़ोर से हंसा ओर बोला सर क्यो मज़ाक करते हो आपके पास पैसा नही होगा तो फिर किसके पास होगा.. आप तो इतने बड़े आदमी है.. हम सकपकाए ओर बोले भैया बड़े सड़े कुछ नही हम तो मामूली आदमी है बॅंक में नौकरी करते है.. वो चौंक गया बोला लेकिन आप तो मशहूर अभिनेता हृतिक कुमार है.. हम बोले भैया कहा हृतिक कुमार ओर कहा हम.. लगता है आपने रॉंग नंबर मिलाया है.. ओर सामने से खट्ट की आवाज़ आई.. शायद सुबह से बोनी नही हुई थी उसकी...