कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर.....
ये शब्द जो गिरते है कलम से..
समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में......
....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
यह सभी लडके लड्कियो के पिछे क्यो लग जाते हे, ओर लडकिया भी कनखियो से देख कर खुश होती हे उपर से गुस्सा भी दिखाती हे,लेकिन वह उम्र ही कुछ ऎसी होती हे,यह दिन कोई नही भुलता,ओर सभी करते हे.
मह्श्य उस चिप्प्स के पैकट को गौर से देखना था कही उसके आगे पीछे कोई फोन नुम्बर न लिखा हो ? खैर सबक न १ ...स्कूटर को नियमित दूरी पे रखो.....ओर लक्ष्य पे कायम रहो
:)
ReplyDelete:)
ReplyDeleteतो अब गुल्लक मे से और भी कुछ छुट्टे किस्से पढने को मिलेंगे।
ha ha ha... :D
ReplyDeleteयह सभी लडके लड्कियो के पिछे क्यो लग जाते हे, ओर लडकिया भी कनखियो से देख कर खुश होती हे उपर से गुस्सा भी दिखाती हे,लेकिन वह उम्र ही कुछ ऎसी होती हे,यह दिन कोई नही भुलता,ओर सभी करते हे.
ReplyDeleteवाह ! :-)
ReplyDeleteयादों की गुल्लक से गिरा ये सिक्का बहुत खूब था! मज़ा आया पढ़कर!
ReplyDeleteमह्श्य उस चिप्प्स के पैकट को गौर से देखना था कही उसके आगे पीछे कोई फोन नुम्बर न लिखा हो ? खैर सबक न १ ...स्कूटर को नियमित दूरी पे रखो.....ओर लक्ष्य पे कायम रहो
ReplyDelete[:)]..........यादों की गुल्लक में मस्ती भरी थी,
ReplyDeleteमज़ा आ गया.....
हा हा हा.. खैर उस चिप्स के पैकेट को देकते रहने में कन्या का साथ छूट गया होगा?
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