Wednesday, April 2, 2008

होंठो पे तेरा नाम लिए चलते है...

होंठो पे तेरा नाम लिए चलते है...
यू कहे क़त्ल का सामान लिए चलते है...

ज़मीनी सोच के हम नही है कायल
सर पे पूरा आसमान लिए चलते है...

वो कहते है चीर दिए जाओगे तुम भी
हम बेखौफ़ अपना ईमान लिए चलते है

क्या रोकेगी ये हवाए मंसूबे हमारे.........
हम आँखो में अपनी तूफान लिए चलते है

जाने कब पूछ बैठे वो.. क्या हेसियत है हमारी
हम साथ अपना भी एक मुकाम लिए चलते है

5 comments:

  1. क्या रोकेगी ये हवाए मंसूबे हमारे.........
    हम आँखो में अपनी तूफान लिए चलते है

    मजा आ गया .....लिखते रहे

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..