Monday, June 7, 2010

बादल ऑन ड्यूटी हो.. और चाय की तलब..!

बादल ऑन ड्यूटी हो.. और चाय की तलब..!  ऊपरवाले क्या खालिस ज़िंदगी दी है तूने....!  इस से बढ़िया कॉम्बिनेशन तो हो ही नही सकता..  झमाझम बारिश में नहाना किसी एक्स्ट्रा केरिकुलर एक्टिविटी की तरह हर ऑफीस मे होना चाहिए.. वरना सीट पे बैठे बैठे ठंडे मौसम में जो गर्म आहें निकलती है की  सी भी तड़प कर चार गाली दे मारता है..

वैसे इधर मौसम दो चार दिनों से अच्छा है.. ठंडी हवा चल रही है.. देखते है इंदर बाबू कब तक मेहरबान रहते है. प्लास्टिक की थैलिया जेब में रख कर घूम लो बॉ... मोबाइल और पर्स गीले नही हो जाए.. एंड डोंट माइंड थैलिया प्लीज़..! प्लास्टिक कैरी बैग्स भी बोल सकता था..  पर उस से मेरी भारतीयता को ठेस पहुचती और मैं तो ठहरा पक्का देसी.. वैसे बारिश की बात करे तो किसी ने ठीक ही कहा है.. हर बारिश की अपनी अलग कहानी है..


ड्रीम : ऑफिस की खिड़की से बाहर हवा में छलांग लगाके भीगना.. और कंप्यूटर को नाव की तरह पानी में बहा देना..
फैक्ट : ऑफिस की खिड़की से बाहर गिरती हुई बूंदों को देखना.. और फिर दिल पर चट्टानें रखकर कंप्यूटर की स्क्रीन में नज़रे गड़ा लेना..
 












ये गिरी एक और बूँद खिड़की पे..
रात
नौ से बारह राजनीति देखने का प्रोग्राम है ..अभी के लिए टाटा रहेगा..