बादल ऑन ड्यूटी हो.. और चाय की तलब..! ए ऊपर
वाले! क्या खालिस ज़िंदगी दी है तूने....! इस से बढ़िया कॉम्बिनेशन तो हो ही नही सकता.. झमाझम बारिश में
नहाना किसी एक्स्ट्रा केरिकुलर एक्टिविटी की तरह हर ऑफीस मे होना चाहिए.. वरना सीट पे बैठे बैठे ठंडे मौसम में जो गर्म आहें
निकलती है की ए सी भी तड़प कर चार गाली दे मारता है..
वैसे इधर मौसम दो चार दिनों से अच्छा है.. ठंडी हवा चल रही है.. देखते है इंदर बाबू कब तक मेहरबान रहते है. प्लास्टिक की थैलिया जेब में रख कर घूम लो बॉस... मोबाइल और पर्स गीले नही हो जाए.. एंड डोंट माइंड थैलिया प्लीज़..! प्लास्टिक कैरी बैग्स भी बोल सकता था.. पर उस से मेरी भारतीयता को ठेस पहुचती और मैं तो ठहरा पक्का देसी.. वैसे बारिश की बात करे तो
किसी ने ठीक ही कहा है.. हर बारिश की अपनी अलग कहानी है..
ड्रीम : ऑफिस की खिड़की से बाहर हवा में छलांग लगाके भीगना.. और कंप्यूटर को नाव की तरह पानी में बहा देना..
फैक्ट : ऑफिस की खिड़की से बाहर गिरती हुई बूंदों को देखना.. और फिर दिल पर चट्टानें रखकर कंप्यूटर की स्क्रीन में नज़रे गड़ा लेना..
ये गिरी एक और बूँद खिड़की पे..
रात नौ से बारह राजनीति देखने का प्रोग्राम है
... अभी के लिए टाटा रहेगा..
चच्च्च्चचच ! बेचारे ऑफिस वाले! तरस आता है इनकी बेचारगी पर ... हमको देखो जब चाहा छत पर जाकर बारिश में भीग लिए या बालकनी में खड़े होकर अदरक की चाय की चुस्कियां ले लीं...keep it up ..पीसो चक्की ऑफिस में हम तो चले चाय बनाने ...by the way...बाहर बादल ऑन ड्यूटी हैं...
ReplyDelete...सुन्दर भाव!!!
ReplyDelete:)
ReplyDeletekunwar ji,
दिल पे कई चट्टानों का एवरेस्ट है भाई !!!!
ReplyDeleteha mosam to achha he garmi se bhi kuch kuch rahat he
ReplyDeleteवरना सीट पे बैठे बैठे ठंडे मौसम में जो गर्म आहें निकलती है की ए सी भी तड़प कर चार गाली दे मारता है..
ReplyDeleteGood one.:)
सार ये ही है कि हर बारिश की अलग कहानी है ..
ReplyDeleteये चित्र कहाँ से लाते हैं! ड्रीमि ड्रीमी चित्र है!
राजनीति बढ़िया है अगर राजनीति विषय में रूचि हो..हाँ ..रणबीर कपूर का अभिनय बेहद खास है.काईट से तो बेहतर ही है.
बारिश मे एक चिन्ता तो नही रहती मुझे .....मेरा मोबाइल वाटर प्रूफ़ है
ReplyDeleteबारिस की चिंता जी , लेकिन हमारे यहां नही.... क्योकि हम तो आदी है इस बरसात के ,चलिये जब पकोडे खाये तो दो चार हमारे हिस्से के भी खा ले
ReplyDeleteबारिश एक अजीब सी बयार लाती है नयेपन की ।
ReplyDeleteचाय के साथ पकोड़ा भी होना चाइए जी, तब आएगा बारिश का मज़ा!
ReplyDeleteबारिश और फिल्म के साथ पकौडे .. मनोज जी सही कह रहे हैं !!
ReplyDeletenice post
ReplyDeleteहम जो आने वाले हैं इसलिए इन्द्रदेव पहले ही स्वागत के लिए आ पहुँचे :)
ReplyDeleteफोटू बहुत शानदार है।
ReplyDeleteउससे शानदार आपका ड्रीम...
लेकिन शब्दों से जो चित्र खींचा वह अव्वल है।
इलाहाबाद में बारिश का नामोनिशान नहीं और वहाँ राजस्थान में ठण्डा मौसम? मुझे ईर्ष्या क्यों न हो...?
सारा मजा कंप्यूटर पर ही ले लिया.. या पानी को छुआ भी..
ReplyDeleteवैसे.. हम बारिश में बाईक पर बैठ.... चौपासनी से सूरसागर होते हुए.. किले पर जाते थे.. किले से भीगते हुए शहर को खूब निहारते.... और वापसी में पावटा स्टेशन होकर घर पहुंचते... स्टेशन पर चाय.. और जालोरी गेट पर शाही समोसा जरुर खाते.... क्या दिन थे...
बहुत बढ़िया. बरसात से तुम्हें बहुत प्यार. पुरानी पोस्ट याद है.
ReplyDeleteऔर बरसात के लिए मुबारकबाद.
ReplyDeleteपर तुम तो कल सिर से पैर तक सूखे दिख रहे थे ?
जुकाम से बहुत डरते जो हो, और वह तुम्हें डराती रहेगी !
ऑफ़िस से शॉर्ट-लीव लेकर या क्लाइँट से मिलने के बहाने निकल लेना था ।
आह्हः, बारिश में भीगते हुये बाइक दौड़ाने का क्या मज़ा रहा करता था !
मैं और मेरी बीबी कराह उठते हैं, " कोई लौटा दे मेरे बीते हुये दिन... बुहू हू हू !"
धन्य है बरसात जिसने तुमको इतने दिनों बाद फिर से ब्लॉग पर लिखने को मजबूर किया...बाहर बारिश हो रही हो और आप भीगना चाह कर भी न भीग पा रहे हों इस से अधिक दारुण स्तिथि क्या होगी...बहुत खूब लिखा है आपने...जयपुर में बरसात बहुत नहीं होती इसलिए जितना आनंद ले सकते हो लेलो...और हाँ आपके जोधपुर में तो जयपुर से अधिक छमाछम हो रही है...
ReplyDeleteराजनीति हमने भी परसों अंकित सफ़र के साथ देखी...अच्छी लगी...खासतौर पर सबका अभिनय कमाल का है...रणबीर ने बहुत व्यस्क अभिनय किया है...
नीरज
बारिश और बेबसी को बढिया से परोसा है ब्लाग की थाली में
ReplyDeletewah..sir ..boondon ka lutf shbdon se ris raha hai..hum bhi intazaar mein hai mausam ke!!
ReplyDeleteकोई बात नहीं .....जल्दी ही मौसम मेहरबान होगा और ऑफिस टाइम के बाद भी बरसेगा...तो फिर ऑफिस से निकल भींग लेना मन भर....
ReplyDeleteराजनीति देख बताना कैसी लगी...
मुझे तो मायूसी हुई,क्योंकि सोचकर गयी थी,प्रकाश झा ने बनाया है.....कहानीकार जब व्यवसायी हो जाता है तो इसी तरह के प्रोडक्ट मार्केट में उतारता है...झा जी भी व्यवसायी हो गए हैं...
same here bhai..... baring programe of rajniti....
ReplyDeletesatya
achcha aur seedha likhte hai aap... aapka dream kuch jayada hi achcha hai.. bas dhayn rkhna k gir na jaayen aap.. aur mere blog par aane k liye shukriya, vahi se aapke blog ko padhne ka bhi avsar mila.
ReplyDeleteबबुआ.. जैसे हमारी व्यथा दर्शा दिये हो.. बस मूड ही बूट करते रहते है .. और बडा तकलीफ़देह होता है कि बाहर बूदे तरस रही हो और अन्दर हम.. वैसे आशा भोसले जी का ये विडियो देखना जो उन्होने कल ही अपनी फ़ेसबुक प्रोफ़ाईल पर डाला है.. बारिश और भीगने लगेगी...
ReplyDeletehttp://www.facebook.com/video/video.php?v=443834408744&ref=mf
हमारे यहाँ बादल फुल टाइम ड्यूटी करते हैं. आज भी सीट से दिख रहे हैं :) तुम्हारे तरफ तो बस 'पे पर यूज' हैं...तो जब बादल आयें, बारिश हो, भीग लिया करो, इत्ता सोचने का क्या जरूरत है.
ReplyDeleteआप तो तर लिए बारिश में ...खूब बरसे बादरवा अभी तक आपके देस में ...यही फोटो देख ली होगी
ReplyDelete:-))
ReplyDeleteहाय, इस फोटो वाली छोरी को अन्तत कौन से अस्पताल में भर्ती कराया गया! :(
ReplyDeleteपुणे में तो मस्त झमाझम बारिश हो रही है !
ReplyDeletehar baarish ki alag kahani aur dil par chattan ... yaar kush , kaise likh lete ho aap itna acha , thoda sa hame bhi sikha do ..
ReplyDeleteman kaha kaha chala jaata hai
Jis kisi tarah,baarish ka maza uthahi lena!
ReplyDeleteyanha to garam garam pakoudiya khane ka programme ban raha hai.....
ReplyDeletesabhee nimantrit hai.........
Rajasthan me to peacock ka naach dekhane layak hota hai......
acchee post ke liye aabhar....
wow..barish mein bheegna meri kamzori hai...Mehdi hasan ki ghzal ho, surmai mousam ho,baraish aor ham...ek nasha sa chha jata hai..kabhi try kijiyega...
ReplyDeleteकाश गिरती एक बूँद अपने भी छत पर.
ReplyDeleteहम बहाल हैं गर्मी से.
ये बारिश सपने दिखा कर चली गयी, फिर से इन्तजार है.
ReplyDeletehehe...i liked the dream and the fact....it's still not raining at my place :(
ReplyDeletethank you for being on my blog.
इस ड्रीम और फैक्ट के बीच अटके पेन और एगोनी को समझ सकता हूं...शीर्षक ने एकदम से भीगा दिया है और यहां इतनी दूर बिहार का ये गांव बारिश में मुस्कुरा रहा है।
ReplyDeleteनिकट भविष्य में मुलाकात हो रही है ना अपनी...?
कम्प्यूटर से नाव हो जाने की अपेक्षा रखना उसके साथ ज्यादती है बॉस..बेचारे को वैसे भी पानी से अलर्जी रहती है..बारिश मे तर-बतर सड़क पर चलते हुए फ़ुहार मे भीगने का मजा हम ही ले सकते हैं..अगर हम कम्प्यूटर नही हैं... :-)
ReplyDeleteकिसी ने यह दुआ क्यों नहीं की कि तुम्हारा कम्प्यूटर नाव बनने के ही काबिल रह जाये। :)
ReplyDeleteऑफ़िस में होते हुए सचमुच बारिश कभी न हो, भले हे थोड़ी गरमी और बर्दाश्त कर लें....
ReplyDeleteYe barish kis chidiya ka naam hai ? jo hamko mil jaaye to do slap pakke....aap log blog hi geela karo likh likh kar....hamari to memory se hi barsaat kya sare synonyms hi gayab hai :-)
ReplyDeleteकुशजी,
ReplyDeleteबहुत बढिया ।
मेरी हिन्दी अच्छी नही । फिर भी आप का नोट्स पढ्दा रहुँ तो बात बन जाये । आप की अफिस वाली इच्छा और कुण्ठा की प्रस्तुती पढ्ने के बाद मुझे कुछ शेयर करने की चाहत हुइ । आप के नोट्स मे मुझे फिल्म रक अन की शीर्ष गीत याद आइ । दिल करता है टीभी छावर पे मै चढ जाउँ ।
इजाजत हो तो मै भी कुछ शेयर करुँ । मेरा काम कुछ ऐसा है, रात के १२ तो बज ही जाते है । कभी काम जल्दी निपटाने की इच्छा हुइ की उसी दिन रात को ही कोइ विशेष खबर के लिए तथ्य जुटाना, भाषा देखना और पेज पर डिजाइन बनाने की दिक्कत नियमितता है । मौसम बारिश का है । इसलिए मेरा छोटा सा सहर मे १० बजे के बाद रात को चाय पिने की चाहत पुरी करनी हो तो अस्पताल के आगे जाना होता है । १२ कट जाये तो कभी बारिश मे भिगते वहाँ जाते है । चाय पिते है । और घर जाते है । विजली चमकती है । रास्ते पे कागज, प्लाष्टिक हवा के साथ होता है । आदमी तो क्या और दिन दुर तक मोटरसाइकलका पीछा करनेवाला कुत्तों का समूह नही होता । जैसा भी हो बारिश का मौसम दुसरे ही प्रकार की मजा देती है । धन्यवाद
@भीम प्रसाद जी
ReplyDeleteये छोटी छोटी बाते ही तो ज़िन्दगी को हसीं बनती है.. हिंदी से ज्यादा परिचय ना भी होते हुए आपने ब्लॉग पढ़ा और अपने विचार बांटे इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्.. अब तो लगता है हमको भी नेपाली सीखनी पड़ेगी..
हम तो खूब नहाये अबकी बरसात में... बॉस ने टांग भी नहीं adayaa
ReplyDelete