Friday, June 20, 2008

कहानी फूलकंवर और चंदू की...

वाह तो सब लोग आ गये.. बैठो जी बैठो.. ओहो तो दरी चटाई सब लाए हो! बढ़िया.. शुरू करते है चंदू और फुलो की कहानी.. कल मना किया फिर भी कुछ लोग बच्चे ले कर आए है.. खैर अब लाए जो तो ठीक है पर ध्यान रखना इनका ज़्यादा शोर ना मचे.. जैसा की आप सब जानते है की गाँव में हाई स्कूल बनाने के लिए पैसा चाहिए तो इस कहानी के बीच में कुछ विज्ञापन भी रखे है.. जिससे आने वाला पैसा स्कूल बनाने में लगाया जाएगा.. तो अब शांति से बैठो और सुनो कहानी...

ये कहानी है बसंतपुर के दो नौजवानो चंद्रकांत और फूलकंवर की…..फूलकंवर दीनानाथजी(पांडे जी के ऑफीस वाले नही) की बेटी थी.. बड़ा भाई माखन पहलवानी करता था, और छोटा जिसे सब छुटकु कहते थे स्कूल में पढ़ने जाता था.. फूलकंवर स्कूल की पढ़ाई पूरी करके कॉलेज में दाखिला ले चुकी थी... दो महीने बाद उसे शहर जाना था. गर्मी की छुट्टिया थी तो वो वही रह गई..

यहा तक तो सब ठीक था लेकिन 11 जून के उस इतवार ने सब कुछ बदल दिया.. दिन का समय था.. फूलकंवर दूरदर्शन पर चित्रहार देख रही थी. की अचानक छत पर आई तेज हवा से एंटीना हिल गया. उस वक्त घर पर कोई नही था तो फूलकंवर खुद ही छत पर चली गई.. जैसे ही फूलकंवर एंटीने को ठीक करने लगी की बड़ी ज़ोर से एक पतंग उसके पास से लहराई.. और तेज हवा से फूलकंवर के चहरे पर उसके बाल आ गये.. फूलकंवर ने बालो को हटाकर देखा तो पीछे वाली छत पे अपनी कहानी का हीरो चंद्रकांत उर्फ चंदू पतंग उड़ा रहा था..

यू तो फूलकंवर उसे पहले भी कई बार देख चुकी थी पर आज चंद्रकांत उसे अलग लगा.. उधर चंद्रकांत भी फूलकंवर के चहरे पे उड़ते बालो के बीच से उसका चेहरा देखकर देखता ही रह गया.. इतने में उसके हाथ से पतंग की डोर छूट गई,वो आगे भागा और पकड़ने की कोशिश की पर उसका पाव फिसला और वो छज्जे से लटक गया. फूलकंवर की सास अटकी , वो दो कदम आगे बढ़ी चंद्रकांत छज्जे पे लटका फूलकंवर को देख रहा था. उसने पतंग की डोर को भी पकड़ लिया और फूलकंवर के सामने विजयीभाव से देखा फूलकंवर भी मुस्कुरा दी उसके मुस्कुराते ही चंद्रकांत का हाथ फिसला... फूलकंवर ने अपना हाथ दिल पे रखा और धीरे से बोली “हाय राम!!!” शायद रामजीने उसकी सुन ली थी चंद्रकांत फिरसे छत पर आ गया. फूलकंवर के मन ही मन कितनी ही सारंगिया बजने लगी.. वही चंद्रकांत के मन में उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का तबला दनादन बजने लगा दोनो एक दूसरे को देख ही रहे थे की नीचे से फूलकंवर की मा ने एक आवाज़ लगाई वो शायद लौट आई थी और फूलकंवर नीचे जाने लगी.. चंद्रकांत एक कदम आगे बढ़ा और दोनो हाथ छत की दीवार पे टीका दिए फूलकंवर नीचे जा चुकी थी और अपना चंद्रकांत वही खड़ा रहा हाथ में पतंग की डोर लिए.

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फिर तो ये रोज़ का सिलसिला बन गया फूलकंवर किसी ना किसी बहाने से छत पर आ जाती कभी कच्चे आम की केरिया सुखाने कभी सूखे हुए पापड़ लेने.. बस दोनो छत पे एक दूसरे को सबसे नज़ारे चुरा चुरा के देखते रहते.. चंद्रकांत हर रोज़ अपनी पतंग फूलकंवर की छत पे लगे एंटीने मे फसा देता था. और फूलकंवर उसे छुड़ाती थी. फूलकंवर को इस तरह पतंग छुड़ाने में बहुत मज़ा आता था और अपना चंद्रकांत सोचता रहता की कब तक मैं पतंग फ़साता रहूँगा और ये छुड़ाती ती रहेगी क्या कभी उससे मुलाकात होगी भी या नही.

कभी कभी तो उसको देखते हुए चंद्रकांत की पतंग कट भी जाती थी लोग मोहल्ले में सब उसका मज़ाक उड़ाने लग गये थे.. बेंत भर के छोकरे उसकी पतंग काट जाते थे.. चंद्रकांत को ये सब बर्दास्त नही होता था लेकिन वो कर भी क्या सकता था.. आख़िर ऐसा करते करते उसकी सारी पतंग कट चुकी थी.. अब तो उसके पास ज़्यादा पैसे भी नही थे उसने आसमान की तरफ देख कर कहा “ओ मुरली मनोहर, तुम तो सब के पालनहार हो!!! अपना भी कुछ जुगाड़ लगाओ “ इतना कहना था की आसमान से एक कटी हुई पतंग उड़ते हुए उसके छत पर आ गई बस चंदू तो खुश हो गया बोला “ जय हो बांके बिहारी! तूने लाज रख ली हमारी!! “ लेकिन ये क्या? पतंग पे लिखा था “ पतंग लूटने वाले तेरा मुंह काला “ ये पढ़ते ही अपने चंद्रकांत ने उपर देखा और कहा “ क्या बांके बिहारी !! भक्तो से मज़ाक करते हुए शरम नही आती???" उसने सोचा की पतंग ही फाड़ डाले जैसे ही वो पतंग फाड़ने वाला था की उसने देखा पतंग पे जो लिखा था वो तो बड़े काम की चीज़ थी इस तरह तो वो भी अपने दिल की बात पतंग पे लिख के फूलकंवर की छत तक पहुचा सकता था..

बस, फिर क्या!! उसने अपनी जेब में बची आखरी अठन्नी निकाली और लाला के यहाँ से दिल के आकार वाली पतंग ले आया और पानी गरम करने वाली अंगीठी से दो चार कोयले ले लिए और अपना हाले दिल लिख डाला.. अब पतंग लेके चंदू बैठ गया और इंतज़ार करने लगा अपनी फूलकंवर का... छत का दरवाजा खुला और फूलकंवर आ गई. उसे देखते ही चंदू की आँखो में दो सौ वाट के बजाज के बल्ब की चमक आ गई. और वो फ़ौरन पतंग उड़ाने लगा लेकिन हवा भी आज उसका साथ नही दे रही थी.. उधर फूलकंवर अपने हाथ में डाबर आवला केश तेल लेकर अपने घने मुलायम काले बालो पे लगा रही थी..

और इतने में अचानक....

अचानक क्या हुआ ? क्या हवा ने चंदू का साथ दिया ? क्या फूलकंवर को चंदू का संदेश मिला ? अगर नही मिला तो क्या हुआ पतंग का ? इन सब सवालो के जवाब जानेंगे अगली कड़ी में 'हम लोग'

25 comments:

  1. फूलो और चंदू के चाचा कुश जी.... क्या शानदार पोस्ट मारा है.... ये विज्ञापन वाला आइडीया मस्त है... और एंटीना तो पूछो मत.... इन्तजार रहेगा

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  2. क्या कहानी है :) विज्ञापन के साथ आईडिया [फोनवा नही ] अच्छा है ..क्या हुआ ? आगे यह पढने का इन्तजार करेंगे .... ""HAM LOG "'

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  3. ओह्हो अब पता चला हमारी सोसाइटी में इतनी सारी लव स्टोरी कैसे बनी......भला हों दूरदर्शन और चित्रहार का ......और वो अन्तेना वाले टीवी का ...... अब तो केबल कनेक्शन है कुश ..... उस पर भी कोई कहानी मिलेगी क्या? :P

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  4. kya baat hai aajkal kahani main bhi aap
    bahut achhi aur bandhi hui kahani hai

    kahani likhna bahut kathin hai ek jara sa flow toota ki khyaal bikhar jaate hain

    achha laga tumhara is tarah ka pyaas aage ka intezar rahega

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  5. kush ji acchi kahaani chal rahi . aage kya hota hai intjaar rahega .

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  6. मस्त एड था जी.. कहानी से ज्यादा एड होना चाहिये.. :D
    अब क्या करें.. टी.वी पर देखते-देखते यही आदत हो गई है.. ;)

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  7. एकदम मस्त कहानी।
    और विज्ञापन का कहानी मे होना । गजब की सोच है। :)
    आगे के कहानी का इंतजार कर रहे है हम लोग।

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  8. अरे गुरु ये विज्ञापन का क्या रेट है... मुझे भी विज्ञापन देना है एक :-)

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  9. pehla episode badhiya raha..

    hum log..agle episode ki intezaar mei hai..ye daily hoga ya weekly zaraa bataaiyega...

    likhte rahe..

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  10. गांव-कस्बा-टीवी-नौटंकी का जबरदस्त राग दरबारी है यह पोस्ट।
    हमें तो बेला-बद्री पहलवान-रुप्पन और रंगनाथ की याद आ गयी।

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  11. yaar ....yaad aaya....agar aage kahi inki shaadi vadi ho...aur vo log kahi naya ghar war le ...to unko mera card de dena....advertisement kar do mere Satva Interiors ka bhi ..... aur bhala...pata hai ..tum dosto se rate to loge nahi :P

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  12. wah ji wah... kya baat hai..
    maza aa raha hai..intzaar rahega aage ki kahnai ka.
    shukr hai ek hee break tha.. nahi to bahut jyada ad to bas poocho mat ji..
    waise agar ye kahani hit hai to aap do teen episode ke baad, ad ke rates bhi badha sakte hain (mkting idea.. hehe)

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  13. kahani 'top gear' mein hai bhaya...baali umar ka pyar hai...dekhte hain kya gul khilata hain...

    kathakar-nirmata-nirdeshak...kushbhai...aap khub paise bana liye...ads se...aur meherbani ki ki bich mein POP UP nahi daale...varna pathako ka kya hota?

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  14. बहुत शानदार...मुहल्ले की प्रेम कहानी के क्या कहने. बहुत खूब आईडिया है कुश.

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  15. How cute Kush ji ...
    & romantic 2 ! :-)
    आपकी कहानी पढकर मुस्कुराने लगे हैँ ..
    शानदार ..
    जानदार ..
    और ऐडज़ भी सही वक्त पे !
    अगली बार कथा मेँ क्या पेश करेँगेँ आप , इसका इँतज़ार रहेगा
    स -स्नेह्,
    - लावण्या

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  16. :):)bahut chweet chweet kahani,phir yaad aaya wo gujara solahawa saal:):),jab dil hots kisi ke intazaar mein behaal :):),sandesa mila ya nahi,iska intazaar rahega ham logon ko aage :):)

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  17. आपका ब्‍लॉग तो बाकायदा टीवी चैनल हो गया। इसका नाम कुश टीवी रख दीजिए।

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  18. क्या मस्त कहानी है, शानदार

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  19. उड़न तश्तरी का विज्ञापन लगाओ-तब तक हम छ्ज्जे पर टंगे हैं. क्या कहानी अटकाई है-सबको इन्तजार लग गया अगली कड़ी का!! वाह रे चंदु, फूलकंवर और कुश भाई.. हा हा!!

    अगली बार के लिए भी आगे की सीट बुक कर लें.

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  20. aap vighapan ka kya rate lete hai??? hamen bhi apna tel-saabun bechna hai... :))

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  21. kush...dekhna thode din mein sab ekta kapoor ko bhool jayenge. aur agli baar es vigyaapan bhi badha dena...hit raha pahla hi episode....waiting for next...

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  22. ये विज्ञापन को कौन प्रायोजित किये है, पैसा केतना दिये है , बताईये जी ? हमकॊ मिलना है उससे और हमरी काफ़ी ससुरी अबै तक नही आई , कितना देर और बैठेगे हम हिया ?

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  23. उफ़ ....क्या लव स्टोरी है ...कोई पंखा तो दो भाई हाथ वाला .....अगला पार्ट कब आयेगा भाई ?

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  24. अरे यार आपकी कहानी का पहला एपिसोड तो कुछ-कुछ मेरी कहानी से मिलता है। फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि मैंने पतंग पे नहीं लिखा था। हा हा हा
    मज़ा आ गया यार कहानी का पहला एपिसोड पढ़कर। जल्दी-2 पढ़ाओ पूरी कहानी।

    बधाई हो आपको

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  25. bahut badiya kahani aur isey pesh karne ka andaaz bhi nirala hai-'main late hun lekin Gud ki chay ka kya hua???mausi ke haath ki???


    ad jaruri tha nahin to bina break sab baithey rahte-bhuke -pyase..

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..