पिछली कड़ी में आपने देखा किस तरह चंदू फुलो के घर तक जाने में कामयाब हुआ, फुलो का भाई माखन चंदू को घर में ले गया.. चंदू खटिया पर बैठा ही था की एक आवाज़ आई..
चंदू!!
पीछे से एक आवाज़ आई.. चंदू ने मुड़कर देखा तो फुलो खड़ी थी.. पीले सलवार कमीज़ और सफेद चुननी में बालो में लाल रीबिन लगाए.. आँखो में काज़ल डाले किसी परी जैसी लग रही थी.. चंदू ने उसकी आँखो में देखा तो बस देखता ही रह गया.. दोनो एक दूसरे को देखने में इतना खो गये की पता ही नही चला कब माखन आ गया..
अरे भाई कहा खो गये.. माखन बोला.. चंदू हड़बड़ाया.. क क क्या.. माखन बोला ये हमारी बहना है फूलकंवर .. इसको देखके हर कोई चकरा जाता है.. इधर आ फुलिया. हम मिलाते है तुझको चंदू से.. ये चंदू है अपने पीछे वाली गली में ही रहता है.. हमारे साथ स्कूल में पढता था.. फुलो और चंदू मंद मंद मुस्कुरा रहे थे.. चल अब जल्दी से दो गिलास लस्सी ले आ हम दोनो के लिए... माखन बोला.. फुलो ने कहा लस्सी तैयार है आप ले लो मुझे तो डूंगरी वाले हनुमान जी के मंदिर जाना है,.. शीला मेरी राह देख रही होगी.. अच्छा चल ठीक है तू जा मैं खुद ही ले लूँगा ..
फुलो तिरछी निगाओ से चंदू को देखकर बाहर चली गयी.. हाए ये प्यार की तिरछी नज़र का नज़राना, कितनो की लस्सी छुड़वा चुका है.. चंदू बोला यार माखन मैं भी चलता हू.. लस्सी फिर कभी पी लूँगा.. घर पे बापू इंतेज़ार कर रहे होंगे.. लेकिन माखन बोला बस दो मिनिट का काम है. बैठ तो सही.. नही माखन फिर कभी, आज ज़रा जल्दी है.. चल ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी.. चंदू फटाफट उठा और साइकल संभाली.. तेज़ तेज़ पेडल मार के बाहर निकल गया.. थोड़ी दूर जाते ही उसे फुलो दिख गयी.. लेकिन यहा आस पास लोग काफ़ी थे.. तो अपना चंदू आगे जाकर पुराने बरगद के नीचे बैठ गया और फुलो का इंतेज़ार करने लगा.. इतने में फुलो पहुँची वहा.. क्यो चंदू दुनिया के सामने हमसे बात करने में शरम आती है क्या.. हम इतनी दूर से पैदल आए और तू मज़े से साइकल पे आकर यहा बैठा है.. चंदू ने कहा अरे पगली सब ख्याल रखना पड़ता है.. फिर मुझे परवाह मेरी नही तेरी है.. मैं तो सारे गाँव के बीच तुझे कंधे पे बिठा लू.. मगर कल को किसी ने तुझे मेरे साथ देख कर तेरे बापू को कुछ बोल दिया तो तेरी बदनामी हो जाएगी.. और चंदू के रहते कोई फुलो को कुछ बोल दे ये हो नही सकता..
फुलो के चेहरे पे मुस्कान आ गयी.. इतना प्यार करता है मुझसे?.. नही इस से भी ज़्यादा चंदू बोला.. चल अब तो यहा कोई नही बिठा के ले चल अपनी साइकल पर.. बस फिर क्या.. चंदू अपनी फुलो को आगे साइकल पर बिठाकर पेडल मारने लगा.. दोनो बातें करते हुए खिलखिलाते हुए पहुँच गये डूंगरी वाले हनुमान जी के मंदिर पे.. दोनो हनुमान जी के आगे हाथ जोड़ कर खड़े हो गये.. चंदू ने मन ही मन कहा "हे हनुमान जी आप तो संकट मोचन हो.. ये मेरे साथ जो आई है ना फुलो, बड़ी भोली है इसके सारे संकट मुझे दे देना और मेरी सारी खुशिया इसे" उधर फुलो हनुमान जी से कह रही थी.." हे बजरंग बली इस फुलो को तो आपने हमेशा जो माँगा वो दिया.. मुझे कुछ नही चाहिए बस मेरा चंदू हमेशा खुश रहे.." किसी ने सच ही कहा है प्यार में लोग एक दूसरे के लिए जीते है.. हनुमान जी को हाथ जोड़ के दोनो पीछे वाली डूंगरी पे जाकर बैठ गये जहा से सारा गाँव नज़र आता है..
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घने मुलायम काले बॉल
खिले खिले मतवाले बॉल
डाबर आँवला केश तेल...
रेशम सा एहसास जगे
चेहरा कितना ख़ास लगे..
आपके बॉल हो या श्रीदेवी के बॉल, सालो साल रखे ख्याल..
डाबर आँवला केश तेल..
विज्ञापन समाप्त
दोनो उपर डूंगरी पे बैठे थे.. वहा से सारा गाँव नज़र आता था.. और दरिया में बहता पानी भी.. सुन फुलो! हा बोल.. अगर आज तेरे भाई माखन को पता चल जाता तो? .. तो क्या माखन तो तुझे छोड़ता ही नही पहलवानी जो करता है.. अरे जा जा मैं भी कोई कम नही हू.. बिज्जो मौसी के घर जब चोर घुसे थे.. तो मैने ही पकड़ा था उसको.. माखन मेरे आगे तो चूहा है.. देखो चंदू हमारे भाई को कुछ ना बोलना.. अरे क्यो ना बोले वो तो है ही चूहा.. बंदर जैसे तो हंसता है.. चंदू ने चिढाया.. जाओ हम तुमसे बात नही करते.. अब प्यार में हिरोइन रूठेगी नही तो फिर प्यार कैसा? और हमारा चंदू लगा मनाने .. अरे मेरी फुलो मैं तो मज़ाक कर रहा था.. तू भी ना छोटी छोटी बातो का बुरा मान जाती है..
अब मान भी जाओ फुलो . आइन्दा कुछ नही कहूँगा तुम्हारे भाई को.. चल एक काम करता हू परसो जो अष्टमी का मेला लगेगा ना गाँव में वहाँ से तुझे काँच की चूड़िया दिलाऊँगा.. फुलो ने चंदू के सामने देखा और पूछा सच्ची? हा बाबा सच्ची.. तू आएगी ना वहाँ ? तेरे साथ ? और नही तो क्या.. तेरे साथ कैसे आऊ चंदू ? वहा तो सब घरवाले आएँगे हमारे साथ.. बाबूजी,माँ, माखन भैया और भाभी और मेरा छोटा भाई.. सब तो होंगे वहा.. मुझे कुछ नही पता चंदू गुस्से में बोला.. तुझे मेरे साथ झूले में बैठना पड़ेगा.. वो बड़े वाला झूला है ना 'ढोलर चाकरी' उसमे.. बहुत तेज़ तेज़ घूमता है.. अच्छा बाबा देखूँगी.. अच्छा बता मैं क्या पहन कर आऊ? फुलो ने पूछा,.. अब मैं क्या बताऊ जो मन में आए पहन लेना.. अरे ऐसे कैसे.. तेरी पसंद तो बता..
कुछ भी पहन ले फुलो तेरे पे तो हर रंग फबता है.. फुलो ने चंदू को देखकर पूछा सच्ची ? मूच्ची.. चंदू बोला.. और ढलते हुए सूरज को देखते हुए दोनो देर तक बातें करते रहे.. चंदू के कंधे पे सर टिका कर फुलो सब सुनती रही.. दरिया के पीछे से शाम धीरे धीरे ज़मी पे गिर रही थी..
चल फुलो अब चलते है.. और चंदू फिर से फुलो को अपनी साइकल पे बिठाकर साइकल चलता हुआ जा रहा था.. दरिया के पानी की आवाज़ फ़िज़ा में घुल रही थी.. अस्त होते हुए सूरज की रोशनी में दोनो चले जा रहे थे.. चंदू सोच रहा था की ये शाम कभी ढले ही नही.. और वो ज़िंदगी भर यू ही साइकल के पेडल मारता रहे...
क्या चंदू जो सोच रहा था वो सच होगा? क्या ज़िंदगी भर चंदू फुलो को साइकल पे घुमाएगा? क्या होगा मेले में? क्या ढोलर चाकरी झूले पे चंदू और फुलो झूला झूलेंगे? ये सब जानेंगे अगली कड़ी में 'हम लोग'
पहले यह बताओ इस तरह के प्रेमी नुमा दोनों युगल प्राणी कौन से ग्रह पर बसते हैं अब :) लाल रिबन :)
ReplyDeleteसमीक्षा
चंदू और फूलो की कहानी अच्छी तो है..पर कहानी को थोड़ा हाई टेक करने की जरुरत है कुश जी :)
कहानी चल रही है सदाबहार।
ReplyDeleteकोई नया रंग तो लाओ।
कुश जी, आपके तीन से खुश था कहानी में संतुलन था आज खोता दिखा , नायिका का पीला सुट, सफ़ेद चुन्नी ,लाल रिबन, यहाँ तक संतुलन है .आगे नज़रे टकटकी लगाए रही माखन के आने तक फ़िर माखन द्वारा फुलिया का परिचय मुझे थोड़ा फिल्मी लगा . आगे फ़िर वही .वैसे मुझे जो लगा लिख दिया बुरा नही मानना भाई साहित्य की सोंच अपनी कम है .
ReplyDeleteढोलर चाकरी .... mele mein aur kya kya hoga? waise i agree with ranju ji.....thoda hi-fi karo yaar....aur pili dress par safed chunni tak thik hai....par lal ribbin...sorry yaar...designer hu to :P .... (waise aaj kaun si gudiya ribbin dalti hai?) aur thodi lambi rakho....hamesa coffee khatam hone se pahle hi kahani puri ho jaati hai...
ReplyDeleteबहुत खूब...सुंदर सी प्यारी कहानी...हम पढ़ रहे हैं. खुश भी हैं.
ReplyDeleteham to pahuch gaye..chunni lallan aur mohan babu ke zamane mei 70s mein...bahut mazaa aaya...ek saadgi ek paakpan hai is lovestory mein..:) mele ka to intezaar rahega...
ReplyDeletelikhte rahe :)
अच्छा लिखते हो यार,
ReplyDeleteविपिन जैन
haye ye pyar ka andaaz ,aur mulakaat ka aagaz:):),khuda kare ye shaam kabhi na dhale,mele ki chahal pahal ka intaazar hai:)
ReplyDeletekahani achchi chal rahi hai par dungri par kam se kam ek gaane ka scene to banta hai boss.
ReplyDeleteAb mele ka intezaar rahega.
अब लग रहा है कि प्रेम-प्यार चले चलेगा?
ReplyDeleteएक आध विलेनवा की एण्टरी का सीन बन रहा है क्या?
तीन एपिसोड ओर एक भी गब्बर नही ....ओर विज्ञापन भी बस एक ...हमने एक आईटम सोंग की फरमाइश की थी आपने डाला नही......खैर चलिये फुलवा को फेयर एंड लवली नही लगवाई आपने....
ReplyDeleteaisa laga is baar jaise rajesh khanna ki mahbooba ya noori type koi movie chal rahi ho...gaon ki gori wali. romantic kar di is baar tumne...good hai. sabhi rang hone chaahiye..mast ja rahe ho.
ReplyDeleteफूलो और चंदू का प्यार तो मस्त गति से आगे बढ रहा है, इसे तेज-तेज पैडल मार कर आगे बढ़ाए , ब्रेक लगाकर रोकिए नहीं। अगले एपिसोड का इंतजार रहेगा
ReplyDeleteबेहतरीन बहाव है...अगली कड़ी का इन्तजार.
ReplyDeleteप्रेम कहानी हमेशा प्यारी लगतीँ हैँ
ReplyDeleteये भी :)
हम पढते जा रहे हैँ आपके साथ कुश भाई -
लिखिये आगे ..
aur ek baar...chha gaye tussi...maza aa gaya kushbhai...lage raho...
ReplyDelete[ye geet rakhna tha---jo shayd censor en kaat liya hoga--cycle ke dande pe tujhko bitha kar...mele ke khuub chakkar laga kar--fekunga kuen ke paas[:D]--just joking...
ReplyDeletekahani mein ab same old story wali baat aagayee--lekin prastuti -jabardast hai!
tumhrare vigyapan ka asar hai--UAE ki saari mahilayen--डाबर आँवला केश तेल... lagane lagi hain-ki unhen koi--chandu mil jaye!!!![waise us ki smell se jo aayega wo bhi bhaag jayega![:D]
badiya badiya hai---agle episode mein kuchh dhmaal hone wala hoga--yah tay hai--
hahaha sachhi muchhi
ReplyDeletekitni bholi si baat hai na
magar pyaar main man ko gudgudati hai
kya hoga mele main ?
pura socha hua plot hai ki
badalta jaa raha hai ?
mele ghoomne ka hamein intzaar rahega..;)
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