Tuesday, June 24, 2008

कहानी फूलकंवर और चंदू की... (भाग - तीन)

पिछली कड़ी में आपने देखा कैसे हुआ चंदू और फुलो के प्यार का इजहार.. लेकिन घर लौटने पर फुलो के सामने बाबूजी खड़े थे.. आइए देखते है आगे क्या हुआ..

सामने बाबूजी खड़े थे.. फुलो को देखते ही बोले अरे बिटिया रानी.. ये क्या हुआ ? गीली कैसे हो गयी.. बाहर बारिश हुई क्या.. फुलो ने मन में सोचा हा बाबूजी बारिश तो हुई लेकिन प्यार की.. जो आप नही समझेंगे.. अरे क्या हुआ कुछ बोलती क्यो नही फूलवा.. व व वो बाबूजी हम आ रहे थे.. दरिया के पास से तो पैर फिसल गया और पानी में गिर गये.. दरिया के पास लेकिन वहा क्या करने गयी थी? वो तो सुनसान जगह है.. हमको एक अच्छी पतंग दिखी तो वोही लेने गये..पतंग तो मिली नही हम दरिया में गिर गये.. तुझे कहा ज़रूरत पड़ गयी पतंग उड़ाने की ये सब तो लड़को के काम है.. क्यो बाबूजी जो काम लड़के कर सकते है क्या वो लड़किया नही कर सकती.. बस बस हमसे बहस मत कर.. चार जुमले क्या पढ़ लिए बेटी बाप बन गयी है.. अरे सुनती हो फूलवा की माँ.. ज़रा अंदर से नींबू मिर्ची लाकर इसकी नज़र उतार दो.. अंदर से फुलो की माँ नींबू मिर्ची और आरती की थाली लेकर फुलो की नज़र उतारने आती है.. क्या बाबूजी आप भी इन सब अंधविश्वासो में यकीन करते हो.. तू नही समझेगी रे फुलवा जब बेटी बड़ी होती है तो बाप ज़रा पुराने ख्यालो का हो जाता है.. माँ सुन रही हो बाबूजी पुराने ख्यालो के हो गये है.. पुराने ख्यालो में तो आप ही आती होगी.. चुप कर माँ से ज़बान लडाती है.. चल जा अपने कमरे में..

सुनो जी! कोई अच्छा सा लड़का देखकर अब इसका ब्याह करा दो और गंगा नहा लो..अब सुन भी रहे हो.. या हुक्का ही पीते रहोगे.. हा भाई सुन रहा हू.. पहले कालेज तो ख़त्म होने दे.. कालेज वालेज नही.. पहले ब्याह करा दो.. फिर ये जाने और इसके करम.. अच्छा अच्छा अब खाना ला दे.. बहुत भूख लगी है..

..उधर फुलो अपने कमरे में बैठी.. हाथ में किताब लिए आज जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोच रही थी रह रह कर उसके मन में चंदू का ही ख्याल आ रहा था.. उधर चंदू का भी यही हाल था दोनो एक दूसरे के सपनो में खो गये थे और जब हीरो हिरोइन सपनो में खोते है तो क्या होता है आप सभी को पता है.. जी हा दोस्तो पब्लिक डिमांड पर एक गाना और जब तक गाना चलेगा जानकी भौजी सबको गुड का शरबत भी पिलाएगी.. तो लीजिए पेस है चंदू और फुलो की कहानी का ये पहला गाना..




तू मेरा चंदू है
मैं तेरी फुलो....
तू मेरा चंदू है
मैं तेरी फुलो..

भूल जाओ चाहे दुनिया सारी
पर मुझको ना भूलो..

तुम बन जाओ पतंग
और ले चलो मुझे उड़ाकर
कब से अटकी हू एंटीने में
ले चलो छुड़ाकर..

हम दोनो मिलकर बाँधे
प्रेम का झूला
मैं झूलु.. तुम झूलो

तू मेरा चंदू है
मैं तेरी फुलो....
तू मेरा चंदू है
मैं तेरी फुलो....

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दम लगाकर............ हईसा
ज़ोर लगाकर................ हईसा
जीतेंगे हम .............हईसा
अरे खीँचो सारे ...........हईसा
तोड़ भी दो.......... हईसा
ज़ोर लगाकर ...................हईसा

मानते ही नही.. अरे कितनी बार समझाया है ये फेविकोल का मजबूत जोड़ है टूटेगा नही.. फर्निचर का साथी जिसकी निशानी है हाथी
फेविकोल 30 साल से चॅंपियन.. फेविकोल ऐसे जोड़ लगाए अच्छे से अच्छा ना तोड़ पाए..

हईसासासासा ....



विज्ञापन समाप्त



उधर चंदू भी अपना फुलो के ख्यालो में जाने कब सो गया.. पता ही नही चला.. सुबह से चंदू बैचैन था.. आज मंदिर पे फुलो आएगी या नही.. क्या होगा आज.. शाम बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी.. सुबह से दस बार वो छत के चक्कर लगा चुका था.. शायद फुलो को देखले एक बार.. बहुत देर से उसे फुलो दिखी नही.. चंदू परेशान हो गया.. उसने सोचा कही कुछ गड़बड़ तो नही.. नही नही गड़बड़ नही होगी.. शुभ शुभ बोल चंदू शुभ शुभ बोल.. चंदू से रहा ना गया,.. वो अपने बापू की साइकल उठाके चल दिया फुलो के घर की ओर.. दो तीन चक्कर लगा लिए फुलो के घर के आगे.. मगर वो दिखी नही.. इस बार अपने चंदू ने साइकल की चैन उतार दी फुलो के घर के आगे.. और वही बैठकर साइकल की चैन ठीक करने लगा.. इतने में पीछे से फूलो का भाई माखन आ गया.. अरे चंदू तू यहा क्या कर रहा है..

म म मैं कुछ नही साइकल की चैन ठीक कर रहा था.. उतर गयी थी. चंदू ने घबराते हुए कहा..
अरे यार इतना बड़ा हो गया एक साइकल की चैन नही लगा सकता .. चल मैं अभी किए देता हु .. और माखन ने चंदू की साइकल की चैन चढा दी.. लेकिन उसके हाथ गंदे हो गये.. माखन ने चंदू को बोला चल अंदर चल हाथ धो ले.. वैसे भी बहुत दिन हुए बात किए हुए..चल आजा.. चंदू थोड़ा घबरा रहा था.. माखन से स्कूल में तो कभी कभी बात हुई थी.. लेकिन कभी उसके घर नही आया.. और आज अगर उसे कुछ पता चल गया.. तो गड़बड़ हो जाएगी.. वो दरवाजे पे साइकल लेके खड़ा हो गया.. माखन ने कहा अरे अंदर आजा साइकल वही खड़ी कर दे... चंदू ने कहा साइकल में स्टॅंड नही है.. हा हा तू और तेरी साइकल चल वो पेड़ से टीका के आजा.. चंदू अंदर गया.. माखन कुँए से पानी निकालने लगा.. लेकिन रस्सी कम पड़ गयी.. वो खीझ के बोला.. कहने को तो सब कहते है दुनिया ऊँची जा रही है.. पर सुसरी देखती नही पानी कितना नीचे जा रहा है.. तू रुक यही, मैं अंदर से रस्सी लेकर आता हू..

चंदू वही खटिया पर बैठ गया.. सामने बँधी भैंसे चंदू को देख रही थी.. चंदू ने अपनी नज़रे भैंसो से हटा ली.. पास ही हुक्का पड़ा हुआ था.. शायद फुलो के बाबूजी का था.. चंदू इधर उधर अपनी फुलो को ढूंड ही रहा था.. की पीछे से एक आवाज़ आई

चंदू!!!

किसकी थी ये आवाज़ ? क्या हुआ चंदू का? क्या माखन को चंदू और फुलो के बारे में पता चल गया? अब आगे क्या होगा चंदू और फुलो का जानेंगे अगले एपिसोड में 'हम लोग'

21 comments:

  1. bhai ham to niraash ho gaye..hame laga aaj to mandir pe mil lenge fulo aur chandu..kya karen..

    waise geet badhiya tha..aur babuji aur fulo ka scene bhi...

    intezar rahega :)

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  2. ye baat hui na..hero ho to aisa..doosre hi din heroine ke ghar tak pahunch gaya. bahut badhiya

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  3. वाह वाह वाह....
    क्या कहें.... इस प्रेम कहानी में लग रहा है जैसे चित्रकारी भी की जा रही है! कुआँ, भैंस, साइकिल की चैन, ये फूलो का भाई कहीं परमीत सेठी तो नही! अरे वही 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे "वाला परमीत सेठी!!
    और गाने का तो क्या ही कहना!! ५० और ६० के सुनहरे दशक में भी किसी की सोच यहाँ नही पहुँची होगी! क्या बोल हैं वाह वाह !!
    और अब तो ब्रांड भी फेविकोल आ गया है ! पता लग रहा है कितनी पसंद की जा रही है ये कहानी!

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  4. hahaha...kahani mein twist....bapu bade bhole hain humari phulo ke...aur kahani ka hero bada hi hushiyar hai babua...ghar tak pahunch hi gaya...

    aur sabse mazedar ye 4 lines...

    तुम बन जाओ पतंग
    और ले चलो मुझे उड़ाकर
    कब से अटकी हू एंटीने में
    ले चलो छुड़ाकर.. .

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  5. haa yaar....vo gud ka sharbat pura ho usse pahle episode khatam....aisa nahi karte....thodi kahani aage to badhao....ha, ye sahi hai...ki dusre din hero pahuch gaya heroine ke aangan mein....ab kya bhais par bithaoge!!! cycle to waise hi nahi chalti :P

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  6. कुश, पब्लिक डिमांड पर गीत भी डाल कर अच्छा किया...बहुत खूब चल रही है फूलो और चंदू की कहानी...अगले एपिसोड का इंतजार कर रहे हैं, हम लोग.

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  7. गनवा तो मस्त लगाईले हैं जी..
    मजा आ गया.. अब तो ई एपिसोडवा का चक्कर छोड़िये और पूरा फिलिम एके बार में दिखा दिजीये.. :)

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  8. :):) unke chaukhat tak pahunch to gaye chandu,bhagwan karein aawaz phulo ki hi ho:):),gana bahut badhiya aha.

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  9. तो यह बात :) अच्छी कहानी ,अच्छा गीत अच्छी एड ..कहानी हिट है :)

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  10. kahani apni raftar se badh hi rahi thi-KI--cycle ki chain utar gayee--
    chalo achcha hua--MAKHAN se mil liye--chandu!!!-ye awaz --jarur--fulo ki hi hogi--
    --Geet badiya raha-
    --vigyapan bhi mazedaar

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  11. aur haan जानकी भौजी -gud ka sharbat bahut tasty tha--agli bar Bada gilas laungi-- :D

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  12. कहानी के दूसरे भाग में विज्ञापन में आपने हमीं को सर्फ बेच दिया। आप तो कहानी लिखने के साथ-साथ अच्छी खासी मार्केटिंग भी कर लेते हैं।

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  13. wonderful episode ..i liked the dialogues , inter action between Maaji & Babuji :) Very natural -- Bahut acchee chul rahee hai ye Katha --
    Film HIT hai jee ...

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  14. आपके ब्लॉग के लेआउट की तरह आपकी कहानी भी बडी जबरदस्त है।

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  15. the film fare award for best lyricist goes to "kush" for tu mera chandu,main teri fulo"

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  16. bhaiyya jara vigyapan ka rate bhi kahi kone me dal dete to aasani ho jati..ham soch rhe the koi scheeme ho to ham bhi vigyapan dal dete is film ke beech.....

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  17. भाई वाह!कमाल लिखा है आपने.
    आलोक सिंह "साहिल"

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  18. हमारी टिप्पणी इत्ती मेहनत से किये थे, गायब हो गई..कोई बात नहीं..अगले एपिसोड का इंतजार करते हैं.

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  19. kya baat hai aapki kala to ab samne aa rahi hai gazab likhte ho aisa lagta hai kahani ek saans main padh le aur us par berahami ki kishton main de rahe ho
    kya hua chandu ka jaldi se apni soch ki udhaan bharo aur batao

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  20. wah!! simple wonderful thoughts...

    MAZZA AA GAYA!!
    CHANDU naam mast hey!!
    ;)

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..