Saturday, May 31, 2008

बुरे फंसे बच्चू... ( यादो की गुल्लक फूटी है....)

स्कूल के दिन थे.. शायद नौंवी कक्षा में था, नयी गर्ल फ्रेंड मिली थी. नाम बताया तो रुसवाई होगी ..उम्मीद है आप पूछेंगे भी नही.. हमारा बर्थडे तब शायद दीवाली वाले दिन था.. उसका फोन आया (हमारे पास मोबाइल नाम की चीज़ तबसे ही है) हम बड़े खुश हो गये.. अगले दिन मिलने के वादे के साथ.. मगर रात को ही यार दोस्तो ने कंगाल कर दिया.. जेब में सिर्फ़ 70 रुपये बचे थे.. अगले दिन की चिंता हो रही थी.. फिर ख्याल आया की कल सब रिश्तेदारो के यहा जाएँगे.. सभी से कुछ ना कुछ तो मिलेगा ही पार्टी का अरेंज्मेंट हो जाएगा ..यही सोच के सो गये रात को..

लेट सोए थे तो सुबह आँख खुली 10 बजे, नहा धो के रेडी हुए की मैडम का फोन आ गया.. हम उस से मिलने चले गये.. बर्थडे विश किया उसने. और बोली की मेरे फ्रेंड्स भी पार्टी चाहते है(मेरे आज तक समझ में नही आया की साले लोग दूसरो के बॉय फ्रेंड से पार्टी क्यू लेते है) वैसे तो जेब में 70 रुपये ही थे.. पर मन में आस हो तो फिर क्या बात.. उपर से उसे कैसे कह दे की पैसे नही है.. तो उसको बोला की ठीक है.. आ जाओ

उसने कहा की 1 बजे तक वो अपने फ्रेंड्स को लेकर आ जाएगी और मुझे कॉल करेगी ..ऐसे मौको पर ओम का जाप बढ़ा काम आता है.. मेरे भी आया मेरा फ्रेंड मिल गया रास्ते में, वो अपने मामा के यहा से बोनी करके आ रहा था.. मैने उस से पूछा तो उसने कहा 100 रुपए है.. मैने कहा 100 से कुछ नही होगा तो बोला मौंसी के यहा भी हो आता हू कुछ और मिल जाएँगे.. फिर ले लेना.. मैने कहा ठीक है थोड़ी देर बाद मैदान पर मिलना..(अजी वही मैदान जहा हम क्रिकेट खेलते थे) फिर मैं एक दूसरे दोस्त के यहा गया.. उसके पास 600 थे.. अपना काम बन गया.. 600+100+70 अपना काम तो बन ही गया. मैने उस से कहा एक काम कर तू भी मेरे साथ चल ले. उसने बोला मैं तैयार होकर आता हू.. मैं मैदान पर पहुच गया.. अब 600 वाला दोस्त तो आ गया लेकिन 100 वाला नही आया.. और दिल है की मानता नही आख़िर बात पैसो की थी.. अब जैसे ही वो आया ठीक उसी वक्त मैडम भी आ गई.. उन्होने हमे देखते ही बुला लिया.. और कहा चलो.. अब उसके सामने पैसे कैसे माँगे.. पहले लिए होते तो अच्छा होता...

मैं चुपचाप बाइक उठाकर जाने लगा 700 रूपये मुझे अलविदा कह रहे थे.. या फिर शायद मेरी किस्मत पर हंस रहे थे.. अब सारी लाज जेब में पड़े 70 रुपयो को बचानी थी.. वो आगे आगे मैं पीछे पीछे इतने में हमारे पड़ोस में रहने वाले भैया मिल गये.. बोले मुझे आगे तक छोड़ दे.. अब जब किस्मत रूठी हो तो ऐसा होना आम बात है, काहे के भैया साले मेरी गाड़ी पे बैठ कर आगे जा रही मेरी ही गर्ल फ्रेंड पे लाइन मार रहे थे. मुझे बोलते है की इसको कही देखा है.. मुझे गुस्सा आ रहा था.. क्योंकि हम दोनो बात नही कर पा रहे थे.. मैने सोचा उसे पहले बता दूँगा.. लेकिन बात हुई नही.. खैर उन भैया से पीछा छूटा तो मैने एक कॉफी शॉप पे बाइक रोकी वो भी आ गयी.. और अकेली नही आई साथ में खुशख़बरी भी लाई की उसके दोस्त नही आ रहे है.. हमारा दिल गार्डेन गार्डेन हो गया.. वहा कॉफी 20 रुपये की थी.. और 20 के कोई स्नॅक्स ले लो फिर भी हम अमीर के अमीर.. लेकिन हाय री फूटी किस्मत हमारी.. दीवाली का नेक्स्ट दे था सो कॉफी शॉप बंद!

ले देके एक ऐसा रेस्टोरेंट खुला मिला जिसमे जाने की इज़ाज़त मेरी जेब नही दे रही थी.. वो आगे थी और मेरे पैरो को ज़मीन ने पकड़ लिया.. लेकिन भारी चूमबक से जैसे लोहे को छुड़ाते है वैसे अपने पैरो को छुड़ाकर अंदर गया..

दोनो टेबल पर बैठे बातें कर रहे थे..मैने मेनू देख के कहा की आज तो बर्थडे बॉय की पसंद का ही आएगा.. वो बोली वैसे भी रोज़ तुम अपनी पसंद का ही खिलाते हो.. और उसने मेनू मेरे हाथो से छीन लिया.. मुझे ऐसा लगा जैसे साक्षात यम के दूत आकर मेरे प्राण मुझसे छीन कर ले जा रहे है.... उसके हाथ में पड़ा मेनू मेरी लाचारी पे मुस्कुरा रहा था...

फाइनली उसने दो आइस क्रीम का ऑर्डर दिया.. एक आइस क्रीम ही 50 की थी.. मेरी उंगलियो ने हिसाब लगाया.. दो के 100 और जेब में सत्तर.. अब तेरा क्या होगा रे कालिया ..शोले फिल्म का ये कालजयी डायलॉग वहा पर सच साबित हो रहा था...

वेटर की टिप तो भूल ही गया था... थोड़ी देर बाद आइस क्रीम आ गयी.. मैने पूछा कुछ और लोगी.. उसने मना कर दिया... थोड़ी राहत मिली.. जैसे जैसे आइस क्रीम ख़तम हो रही थी.. साँसे और तेज़ होने लगी.. मैने मन में फिर ओम जपा और हिम्मत करके उसको बोल ही दिया.. की मेरे पास पैसे कम पड़ गये.. और ज़रा बहाना तो देखिए.. 600 रुपए वाले फ्रेंड का नाम लेकर कहा की उसे कुछ रुपए चाहिए थे वो अपनी गर्ल फ्रेंड को कही ले जा रहा था. तो सारे रुपए उसको दे दिए अभी सिर्फ़ 70 रुपए है..

अबकी बार झटका खाने की बारी उसकी थी.. क्योंकि उसके पास भी पैसे नही थे..उस्के हाथ में पकड़ी आइस क्रीम अचानक पूरी पिघल गयी.. उसने कहा पहले क्यो नही बोला.. मैं क्या बोलता.. अब दोनो आइस क्रीम ख़त्म हो चुकी थी.. मैने उस से कहा की तुम बाहर जाओ और वहा जाकर मुझे भी आवाज़ दे देना मैं आऊंगा और भाग जाएँगे... लेकिन उसने मना कर दिया.. वो बोली की मैं बात कर लेती हू.. और कोई चारा नही था..

इतने में सामने से वेटर हाथ में बिल लेकर आ रहा था.. मैने खुद को दो रस्सियो के बीच बँधा पाया और वेटर के हाथ में बिल की जगह खंजर नज़र आ रहा था.. मेरी शायद हलाल होने की बारी थी... वो बिल देके थॅंक यू बोलके चला गया.. अब हम दोनो बैठ गये .. किसी में इतनी हिम्मत नही की खोल के देखे.. खैर मैने बिल खोला .. और मुझे सारे देवी देवता साक्षात सामने नज़र आने लगे.. इस बार भगवान में और विश्वास हो गया था.. पिछले जन्मो के किए अच्छे काम यहा काम आ गये.. उसने मेरी तरफ देखा और पूछा क्या हुआ... मैने उसे बिल दिखाया.. जिसपे लिखा था... दीवाली ऑफर 50% ऑफ ऑन एवरी बिल !!

23 comments:

  1. i love ur sense of humour yaar.good hai ye waali bhi

    log doosron ke Boyfriend se party kyun maangte hain!!
    sach to ye hai ki log Gf ki dpston ko party dene ko betaab hote hain....
    iski wajah dhoondho bhaiye!!
    :D :D

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  2. खुदा आप जैसी किस्मत हरेक को नसीब करे .......यही दुआ है ......वैसे काफी कम उम्र मे गर्ल फ्रेंड थी आपकी ......

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  3. bahut kam baar aisa hota hai ki..aapko sunne ke badle padhne mei zyada mazaa aaya ho..is baar yahi hua..is lekh ko itna zyada mazedaar aur interesting banaya hai..shabdo ka tadka maar ke..

    maze lete rahe..
    likhte rahe..

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  4. वाह खूब बचे आप तो :) नही तो जन्मदिन का बहुत यादगार तोहफा मिलता आपको :)अच्छा रोचक लिखा है आपने इस घटना को :)

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  5. सच.
    बहुत हंसा आज. तुम्हारी इस आपबीती को पढ़कर.
    शायद कुछ अपनी भी आपबीती याद आगई.
    लाजवाब लिखा.
    बधाई.

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  6. नौवि कक्षा में गर्लफ्रेंड और मोबाइल फोन .... दोनो का होना ख़तरे से खाली नही .... ना आपके पास उस वक्त मोबाइल होता ... ना आप की गर्लफ्रेंड आपको फोन करती ... ना आपकी ऐसी हालत होती .... और ना आप ब्लॉगवानी पर कुछ लिख पाते....

    यानी की ... काश की आपके पास दो चार मोबाइल होते..... :)

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  7. मस्त!
    ऐसी किस्मत सबकी रहे
    लेकिन हमें तो रश्क हो रहा है, आपकी तब भी गर्लफ़्रेंड थी और हमारी तो आज भी एक अदद नही है ;)

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  8. कहा हो भाइ मै तुम्हे गुरू बनाना चाहता हू, यही एक आखिरी ख्वाहिश बची है, लगता है अब पूरी हो ही जायेगी

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  9. bhagwan aap par kitna meherban hai ye aapki khubsurat kalam se nikli kavita keh detideti hai,bhadwan ki marzi aap par hamesha bani rahe,:):);),icecream yuhi khane ke mauke aate rahe.:):)bahut sundar yaad.

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  10. आप सभी की स्नेहिल प्रतिक्रियाओ का धन्यवाद.. अरुण भाई आप को गुरु की ज़रूरत नही.. दिल से पुकारिये कोई ना कोई ज़रूर मिल जाएगी.. आप सभी यूही मुस्कान बिखेरते रहे.. दिल से दुआ करता हू.. एक बार फिर 'पधारो सा'

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  11. बस बच ही गये, समझो. :)मजा आया पढ़कर.

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  12. हा हा...मज़ा आ गया पढ़कर! मैं कल्पना कर रही हूँ कहीं वो दीवाली ऑफर नहीं होता तो पोस्ट और मजेदार बन जाती!

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  13. bahut hi rochak..Kush --aur prastuti itni rang birangi!!!!!wah!! kya kahne!!!!!!really aisa laga ki koi patrika hi padh rahi hun....wah!

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  14. पुराने उस्ताद निकले आप तो :-)

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  15. bhai...aap to woh wale poot nikle jiske paat paalne me nazar aa jate hain. Navi class tak kafi tarakki kar chuke the.

    vaise aap gadya bahut hi rochak likhte hain..padhne me maza aata hai

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  16. climex mazedar raha varna hum to bartan maanjne ke drishya ki kalpana karne lage the :)

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  17. aaj pahli baar aapke blog ko pura padh rahi hun..aap bahut achcha likhten hain...waise ek bat bataun main aise mouke me na pad jaun isliye hmesa paise sath rakhti hun..boyfriend kya kisi par bharosha nahi :-)

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  18. kya kamaal ki timing thi diwali offer ki. aisi diwali sabki aaye. vaakya kaafi accha laga.

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  19. bahut hi badhiya hasya rachna hai...mazaa aa gaya padhkar....aapki kalam mein kuch baat hai janab

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  20. hey bhagwaan Kush...! tumne ye sab bhi kar rakha hai...?

    mai kahan chhupaun apna munh ?

    majedar Guru...maja to tab aati jab ye jo turra tha ki mobile hamare paas usi jamaane se tha vahi rakh liya jaat hotel me :)

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..