Friday, May 2, 2008

साला! छोटा कही का..

सुबह सुबह हम अलार्म घड़ी को धता बता कर सो रहे थे की अचानक फोन की घंटी बज गयी.. वो घंटी तो फिर भी कुछ नही थी.. श्रीमती जी रसोई में से चाय बनाते बनाते बोली अजी इतनी सुबह हो गयी खुद नही उठते कम से कम फोन तो उठा लो.. और हमने उस कर्कश ध्वनि से बचने के लिए फोन उठाया.. सामने से आवाज़ आई.. एडिटर साहब है.. हमने कहा भय्ये लगता है तुम कोई ग़लत नंबर डायल कर दिए हो.. यहा एडिटर नाम की प्रजाति नही पाई जाती है.. उसने पूछा तो फिर आप कौन है.. मुझे थोड़ी देर सोचने के बाद याद आया.. मैने कहा जी मैं तो पति हु..पर आप कौन है.. उसने कहा आप सिर्फ़ पति है? हम बोले भइया शादी कर लो तुम भी सिर्फ़ पति ही रहोगे.. उसने कहा बकवास बंद करो और मेरी बात सुनो.. ये सुनते ही हमे तेश आ गया.. हम बोले जनाब अपनी ज़बान संभालिए इस तरह से हमारी श्रीमती जी के अलावा कोई हमसे बात नही कर सकता.. सामने से आवाज़ आई माफ़ कीजिए भाई साहब.. दरअसल किसी और का गुस्सा आप पे निकाल दिया.. हमने पूछा मगर इतनी सुबह सुबह इतना गुस्सा क्यो हो भाई.. इतना सुनते ही वो थोड़े गंभीर हो गये बोले मैं तो परेशान हो गया हु.. ये साले एडिटर लोग खुद को समझते क्या है.. जो मर्ज़ी आए लिख देते है.. बर्दास्त करते करते उमरा बीत गयी है.. अभी एक किताब पढ़ रहा था.. सात राजकुमार.. इसमे साले राजा की बीमारी दूर करने के लिए हिमालय से जड़ी बूटी लानी थी तो सारे राजकुमार गये.. और साले बड़े बेटे जो थे एक एक करके गये और सौरव गॅंगली की तरह वापस लौट आए..हमने कहा मतलब सौरव की तरह टीम में वापस आ गये.. वो बोले आदमी हो या ढक्कन.. बेटिंग करने गये और जाते ही वापस पॅवलियन में आ गये.. अब बीच में टोकना मत और सुनो... एक एक करके छ: राज कुमार तो खाली हाथ आ गये लेकिन सबसे छोटा राजकुमार ले के आ गया जड़ी बूटी.. अब यार ये कोई बात हुई जब देखो तब छोटा छोटा.. राजा की तीन रानिया हो तो हमेशा ये छोटी रानी ही क्यो बुद्धिमान और सुंदर होती है.. सारे बेटो में छोटा ही लायक होता है.. हमने सोचा बात तो ससुरे ने बिल्कुल ठीक कही है.. हमे बचपन में हमारे पिताजी की याद आ गयी.. हमारे चप्पल जब भी जल्दी घिसते थे तो पिताजी कहते इतनी जल्दी घिस गये.. देख छोटे को वो कैसे चलता है तू हमेशा लल्लू ही रहेगा..
वो बोला अरे श्रीमान इतना ही नही.. ये तो हम बर्दास्त भी कर ले पर अमा ये कोई बात हुई की जादूगर रहता यहा है और उसकी जान सात समुंदर पार वाली काली पहाड़ी की लाल घाटी में सोने के पिंजरे में बैठे नीले तोते में है.. लोगो को अपने काले खाते तो सात समुंदर पार खुलवाते देखा था उनका पैसा तो वही रहता है पर जान कोई कैसे रख सकता है.. इस बात से मैं सहमत नही हुआ क्योंकि मेरी जान भी तो नुक्कड़ वाले मकान पर रहती थी.. वो बात अलग है की मेरी कभी उससे जान पहचान नही हुई.. वो बोला अरे और क्या बताऊ साहब इन राजाओ का तो क्या कहना कोई बंदा तलवारबाजी में जीत क्या गया बेटी की शादी उससे करवा देते है.. अमा यार तुम्हारी बेटी की कोई वेल्यू नही है क्या?.. राजा की बेटी है थोड़ा तो स्टॅंडर्ड मैंटेन करो.. हम बोले ये तो तुम ठीक कह रहे हो जब हमारी शादी की बात थी तो श्रीमती जी के पिताजी हमारे पिताजी के साडू की भाभी के मामा की ताई की ननद के पास में रहने वाले मिश्रा जी के बेटे से पूछ आए थी की बंदे का कैरेक्टर कैसा है.. फिर वो तो राजा की बेटी है..वो बोला और नही तो क्या.. लेकिन किताबो में चलता था तब तक तो ठीक था.. अब तो ये आम ज़िंदगी में होने लग गया तो हमसे सहा नही गया.. हम बोले आम ज़िंदगी में.. क्यू क्या हुआ... उसने कहा देखिए आई पी एल के मैच में जितने भी बड़े खिलाड़ी थे, बड़ी टीम थी वो तो कुछ कर नही पाए.. छोटे खिलाड़ी और छोटी टीमे जीत रही है... बड़ी कार् के होते हुए छोटी छोटी कारे बन रही है.. गोया की छोटे लोग भी अब कारो में बैठेंगे ये बात बड़े लोगो को हज़म नही हो रही है और हम ठहरे बड़े लोगो के स्पून... तो हमारा काम है एडिटर को पकड़ना और धमकाना की उल जुलूल लिखना बंद करो.. तुम्हारे छोटे लेख पढ़कर छोटे लोगो को हिम्मत मिल रही है.. बड़े बन रहे है.. लिखना बंद कर दो वरना प्रेस बंद करवा देंगे.. नही तो तुम्हारी टाँगे तोड देंगे.. टांगे टूटने की बात सुनकर हम सहम गये.. हम बोले लेकिन आप ये सब मुझे क्यो कह रहे है भइया.. मैं तो आपके छोटे भाई जैसा हू.. इतना सुनते ही उसे गुस्सा आ गया.. उसने फोन हमारे मुँह पर मारा और बोला कहाँ फोन मिला दिया.. साला! छोटा कही का..

9 comments:

  1. ek bade aadmi ki chhoti samasyaein...dekhi hai hamne..ham ghar mei chhote bade bhai aur behen ko dekh maze loot te the...

    bahut hi badhiya..bahut mazaa aaya..
    likhte rahe...

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  2. ha ha ha
    bahut achha....maza aaya padhte padhte...
    aur hamari jaan bhi nukkad waale us makan mein rahti thi....hee hee
    badhiya hai
    mann hi mann jo soch rahe the [hone par baat karte waqt..hum to bas yahi sochte-Kya hai!! ha ha

    saala chhota aadmi
    bahut achhe :)

    ab agar main na bhi likhun ki Likhte raho..phir bhi likhte hi rahoge..isliye nahin bol raha :D :D

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  3. ha ha ha bahut hi mazedar raha:):),apka naam kush ki jagah khush hona chahye,hamesha hasate ho,bahut badhiya lekh,badhai.

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  4. ab kushbhai kya kahe aap ki likhai ke baare mein....CHHOTA muh aur BADI baat ho jayegi...

    kitni baatein ek chhote lekh mein....raja se le kar dada (ipl) tak....mehlo ki talwarbaazi se le kar nukkad ke kone tak...

    aur har baat mein kuchh vyang....

    bahot khub...

    likhte rahiye....

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  5. पढ़ते पढ़ते बीच मे ३ बार रूकावट आयी साला हर बार फ़िर से पढ़ना पड़ा .....ये छोटा मुझे भी परेशां करता है.....पर वाकई दिलचस्प मह्श्य थे फोन पर ,उनको बता देना गांगुली बाबु पर जुर्माना हो गया है.....ओर एक बात अब छोटी रनिया सुंदर नही रही....चलिए आप का फोन बज रहा है.......

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  6. छोटू ने हैरान कर डाला. :) बेहतरीन लेखन!

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  7. ye chote ki samasya se bade pareshan rahe...bade bhai jo thehre. Hame hidayat di gayi...ki chota kuch bhi kare, magar aap aadarsh ki moorat bane rahye.

    Dil ke bahut kareeb hai ye lekh :)

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  8. हा हा....चलो अच्छा है मैं घर में छोटी नहीं हूँ नहीं तो आपके कोप का सामना करना पड़ता! मज़ा आया पढ़कर!

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  9. अरे भाई हम ने भी कि थी टिपण्णी तो लेकिन दिखाई नही दे रही.
    चलिये फ़ोन बज रहा हे.

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..