Tuesday, May 27, 2008

हिन्दी ब्लॉग जगत की हालत बताता एक ब्लोगर का फ़ोन..

श्रीमति जी मायके गयी हुई थी.. तो हमने सोचा आज कोई वीरोचित काम किया जाए बस फट से हमने टी वी का रिमोट हाथ में लिया और चला दिया आई पी एल का मॅच.. वाह मज़ा आ गया सोचा आज तो छक्के चोक्के देखेंगे बैठकर.. मगर आप तो जानते ही है हमारी किस्मत.. ससुर फोन की घंटी बज गयी.. हम ने कहा धत्त तेरी की ! दो तीन बार घंटी बजी और हमने फ़ैसला किया की आज तो कुछ भी हो जाए फोन नही उठाएँगे.. अमा यार खिलाड़ी यहा चोक्के छक्को से धुलाई कर रहे है.. और यहा ये फोन.. धुलाई! धुलाई से याद आया कही ये फोन हमारी पत्नी का हुआ तो.. नही नही फोन तो उठाना पड़ेगा.. हम फ़ौरन भागे और फोन उठाया.. सामने से आवाज़ आई चरित्रहिन . ब्लॉगस्पोट. कॉम से बात हो सकती है.. आए ये भला कैसा नाम है.. हमने अपना सर खुज़ाया और पूछा क्या नाम फरमाया आपने. फिर से आवाज़ आई चरित्रहिन. ब्लॉगस्पोट. कॉम, एक तो हम पहले ही मॅच में पड़े व्यवधान से नाखुश थे उपर से ये अजीब सा नाम सुनकर हम तेश में आ गये .. हमने कहा यहा इस नाम का कोई नही रहता शायद आपने ग़लत नंबर मिलाया है.. पहले जाकर अपने चस्मे का नंबर ठीक करो फिर फोन लगाओ... वो महाशय भड़क गये उन्हे शायद ये अपनी अस्मिता पर प्रहार लगा.. उन्होने कहा साले तू मुझे जानता नही है.. कल सुबह सारे एग्रिगेटर्स में सबसे ज़्यादा बार पढ़ा गया लेख नही लिख दु तेरे बारे में तो मेरा नाम भी नेतिकता का पतन. ब्लॉगस्पोट. कॉम नही .. हम थोडा घबरा गये एक तो हमे उनकी भाषा समझ नही आ रही थी.. दूसरा हम ठहरे सीधे सादे आदमी और वो भी घर पे अकेले.. पर सामने टेबल पर पड़ी श्रीमति जी की तस्वीर देख कर हमे भी जोश आ गया...
हमने कहा की आपकी प्राब्लम क्या है क्या चाहिए आपको जो आप मुझसे इतनी अभद्र भाषा में बात कर रहे है.. वो हंसा और बोला अबे तू भी क्या एग्रिगेटर से निकाले हुए ब्लॉग जैसी बातें कर रहा है.. सीधी सी बात है अपने को तो अपने ब्लॉग की टी आर पी बढ़ानी है बस.. इसलिए सबसे पहले.. जो सबसे पॉपुलर हो उसके बारे में उल्टा सीधा लिख डालो.. फिर कोई उसका हिमायती आए तो उससे भी दो चार पेंच लड़ा लो.. ऐसी ऐसी गंदी भाषा का प्रयोग करो टिप्पणी में की खुद गलिया जो है वो कोने में जाकर टे टे करके रोने लग जाए.. बस फिर क्या कोई ना कोई आपकी पोस्ट के बारे में अपनी ब्लॉग पे पाँच सौ शब्दो की पोस्ट लिख डालेगा और उस पोस्ट में आपकी अभद्र टिप्पणी को भी हाइपरलिंक कर के देगा.. बस लोग बाग आएँगे आपकी ब्लॉग पर और हो गये आप भी पॉपुलर यही है ब्लॉग का गणित..
ये गणित में तो हम सुसुर हमेशा से ही कमज़ोर रहे.. तो हम तो बस उन साहब को ही सुनते रहे लेकिन अब खुज़ियाने की फ़ितरत हमारी भी तो जाती नही तो पूच बैठे भैया एक बात बताओ की एक बार तो तुमने कर लिया विवाद और हो गये पॉपुलर लेकिन क्या हमेशा कोई तुम्हारी ब्लॉग पढ़ेगा.. वो हंसा और बोला मुझे तो ऐसा लगता है की तू कोई ऐसा ब्लॉग है जिसे पढ़ते सब है पर टिप्पणी कोई नही देता.. अरे प्यारे... विवाद और ब्लॉग्गिंग का तो यशराज और शाहरुख जैसा साथ है.. जब भी लगे की टी आर पी डाउन है.. लिख दो औरत नरक का द्वार है बस फिर क्या महिला मुक्ति के ब्लॉग झंडा लेकर उठ जाएँगे और माँ कसम इस से बढ़िया टी आर पी बढाने का तरीका हमने आज तक नही देखा.. और सोचो एक साथ इतनी सारी महिलाओ की टिप्पणी अपने ब्लॉग पर तो मज़ा ही आ जाएगा.. हमने कहा भाई तुम तो बड़ी कमिनी प्रवर्ति के आदमी लगते हो.. वो बोला प्यारे इसीलिए तो बलॉगर हू
आजकल कमिने ब्लॉग्स ही पढ़े जाते है.. आप किसी को कुत्ता बोल दो बस फिर देखो एक ही रात में आपका ब्लॉग पॉपुलर.. मैं तो कहता हू तुम भी अपना एक ब्लॉग बना लो.. करना कुछ नही है.. बस यहा वहा से कुछ भी उठा लो और छाप दो.. और टिप्पणिया पाओ.. हम बोले लेकिन भाई कुछ भी लिखा हुआ पढ़के कौन टिप्पणी करेगा.. इस बार तो उसने अट्टहास भरा... और बोला प्यारे किसने कहा की लोग पोस्ट पढ़के टिप्पणी देते है.. दो तरीके बताता हू टिप्पणी पाने के या तो लड़की के नाम से ब्लॉग बना ले फिर देख टिप्पणियो का भंडार.. और या फिर आठ दस टिप्पणिया सेव करके रख ले दस रात को सोने से पहले और दस सुबह उठने के बाद टिप्पणी करता चल.. बस टिप्‍पणी के बदले टिप्‍पणी ब्लॉग जगत का सार्वभौमिक सत्य है ये..
हम फिर भी अड़े रहे और कहा लेकिन सारे ऐसे थोड़े ही होते है.. अच्छे लोग भी तो होते होंगे.. इस बार वो उदास हो गया और बोला बस यही सोच के परेशान रहता हू.. कुछ लोग बेवजह फँस जाते है और नये लोगो के लिए दुख होता है.. एक तरफ तो कुछ हिन्दी के बढ़िया ब्लॉगर नये ब्लॉग्स लाने की मुहिम छेड़ते है दूसरी तरफ कुछ लोग इस तरह की गंदगी फैलाते है.. नये ब्लॉग्स का स्वागत कुछ ऐसे होता है की बेचारे दो ही दिन में ब्लॉगिंग छोड़ के आई पी एल देखने बैठ जाते है.. आई पी एल का नाम आते ही हमे याद आया की हम तो मॅच देख रहे थे.. पर अब मॅच में इंटेरेस्ट नही रहा.. सामने से कोई आवाज़ नही आ रही थी शायद उसने सेनटी होकर फोन रख दिया था.. मैं पूरी रात रीसिवर हाथ में लेकर खड़ा यही सोचता रहा.. की क्या यही है हिन्दी ब्लोग्जगत.. सुबह एक ब्लॉग शुरू करने बैठा .. शांत ब्लॉग जगत. ब्लॉगस्पोट. कॉम.. लेकिन अगले ही पल मेसेज आया दिस नेम इस नोट अवेलेबल ट्राइ अनदर नेम..

17 comments:

  1. ्व्यंग्य करने की कोशिस तो हुई है पर टीआरपी की गंध इसमें भी आ रही है महाश्य. आपकी भषा में ही लिपटा है वो टीआरपी वाला लेशा. खैर. लगे रहिये.

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  2. हम भी टिपिया रहे है बंधू ......पर इस बार आपका विषय ऐसा है की हम बस चुप रहेगे.......

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  3. ब्‍लाग जगत के हाथ तो बद्द से बत्‍तर है, सभी एक दूसरे की टॉग खीचने में लगे है। क्‍या किया जा सकता है।


    आपके ब्‍लाग का रूप बहुत सुहावना है।

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  4. Lijiye..ham bhi TRP wali daud me shamil ho jaate hain :)

    Vaise ye teeka-tippani karne ki aadat bloggers tak seemit nahi, kai swanaam dhanya author bhi yahi sab karke safal author ban rahe hain. Aur Mahabhart me kha hai..."Mahajano yen gatah sa pantha". Isiliye controversy se hi success ka safar shuru kijiye

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  5. हा हा हा
    सही कहा बंधू.
    सुंदर चित्रण है परिस्थिति का.

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  6. Dr. Anurag ji jaisa haal hai.. :)

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  7. अच्छा है, बहुत हद तक यथार्थ का चित्रण ही तो है .

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  8. कुश जी

    बिल्कुल ध्यान न दें अपने दोस्त की सीख पर. एक भी काम की नहीं हैं. अंतिम पेरा में जो आप सोच रहे हैं, वो ही ठीक है .अपना कार्य करते रहिये अपनी तरह से.शुभकामनाऐं.

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  9. मैं मस्त चला मस्ती में
    थोड़ी- थोड़ी मस्ती लेलो ....!!
    हम अपना काम अपने लक्ष्य को लेकर चलें
    दाँएँ-बांयें की परवाह न हो
    सिर्फ़ संकल्प पूरे करने पर बजिद रहना

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  10. हम यूं ही अपना कर्म करते जायें......एक दिन कारवां बन ही जाएगा

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  11. सही कहे हैं बन्धुवर...एक दम सही..

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  12. टिप्‍पणी के बदले टिप्‍पणी ब्लॉग जगत का सार्वभौमिक सत्य है ये..


    aur aisa lag raha hai..jaise blog posts [TRP]sambandhit mansikta ka postmortem hi kar dala ho-

    [blog ka naya ruup sukhkar hai]

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..