कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर.....
ये शब्द जो गिरते है कलम से..
समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में......
....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
Monday, May 26, 2008
कीजिए स्वागत एक और नये ब्लॉग का..
कीजिए स्वागत एक और नये ब्लॉग का.. हिन्दी ब्लॉग्स की सुंदर बगिया में एक और कली खिल गयी है.. जी हा हिन्दी चिट्ठाजगत में एक और चिट्ठा शामिल हो गया है.. कृपया इनका हौसला बढ़ाए..
ब्लॉगर का नाम - मनीषा शर्मा ब्लॉग का लिंक - "मोरपंख"
अच्छा ब्लाग है मोरपंख. धन्यवाद इंगित करने के लिए.
ReplyDeleteस्वागत है, स्वागत है...
ReplyDeleteस्वागत है. आपका आभार लिंक देने के लिए.
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