कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर.....
ये शब्द जो गिरते है कलम से..
समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में......
....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
Tuesday, July 22, 2008
काफ़ी विद कुश का अगला एपिसोड
नमस्कार दोस्तों,
अगर आपने नही देखा है अब तक 'काफ़ी विद कुश' का सांतवा एपिसोड तो फ़िर बिना देर किए जल्दी से यहाँ क्लिक कीजिये और देखिये
देख लिया. :)
ReplyDeleteअच्छा प्रयास कर रहे हैं ।
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