कल शाम को घर जल्दी चले आए.. सोफे पे खुद को अड्जस्ट करके बैठे ही थे की घंटी बज गयी.. अब आप तो जानते ही है घंटी किसकी बजी थी.. हमने फोन उठाया, सामने से किसी के गाने की आवाज़ आई.. "टिप टिप टिप्पा के टिप्पणी चलाए.. सोच सोच लेखक भी खोपड़ी खुज़ाए.. अरे वाह वाह वाह अरे वाह वाह वाह.. " हमे लगा कोई नेपाली रिंगटोन का ऑफर होगा हम काटने ही वाले थे की गाना ख़त्म हुआ.. हमने कहा कौन वो बोले हम है टिप्पणी दाता.. टिप्पणी दाता? हमने कहा कौनसी टिप्पणी और कैसी टिप्पणी.. उसने कहा जी मैने तो आपको टिप्पणी देने के लिए फोन लगाया था.. हमने कहा भैय्या लेकिन किस बात की टिप्पणी दे रहे हो.. वो बोला जी आपने अपनी ब्लॉग पे कुछ लिखा होगा उसी की.. हम बोले भैया ये ब्लॉग क्या होता है.. अब की बार उसकी आवाज़ में गुस्सा था.. वो बोला क्या तुम ब्लॉग के बारे में नही जानते.. हमने कहा ना तो हम जानते है ना ही जानने में हमारी कोई रूचि है.. उसने पलट के पूछा क्या आप कोई साहित्यकार हो? हम बोले भैया ये क्यो पूछा.. वो बोला नही बस यूही कन्फर्म कर रहा था..
हमने कहा लेकिन आप ऐसे कैसे बिना किसी को जाने पहचाने टिप्पणी दे रहे हो.. वो हंसा और बोला यही तो अपना काम है प्यारे, हमको कोई फ़र्क़ नही पड़ता सामने कौन है हम तो बस टीपिया देते है बिना देखे पढ़े.. ये सुनकर हमे आश्चर्य हुआ.. क्या बात कर रहे है आप? इस तरह से तो गड़बड़ हो जाती होगी.. उसने कहा काहें की गड़बड़.. बस ख्याल रखो की लिख क्या रहे हो.. हमने कहा आप क्या लिखते हो वो बोला एक रामबाण लाइन है कही भी सूट हो जाती है.. हमने कहा जैसे? वो बोले.. "बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.. बधाई" कहो कैसी रही उसने पुछा.. हमने कहा बात तो ठीक है श्रीमान जी. लेकिन अगर वो अभिव्यक्ति सुंदर ना हो तो? उसने कहा ना हो तो मेरी बला से, सान्नु की फर्क पैंदा है ? ..." बस टिप टिप टिप्पा के टिप्पणी चलाए.. सोच सोच लेखक भी खोपड़ी खुज़ाए.. अरे वाह वाह वाह अरे वाह वाह वाह.."
हमने कहा भैया ये नेपाली गाना तो बढ़िया गाते हो आप.. धत ससुर का नाती ये नेपाली गाना नही ये तो टिप्पनीदाताओ का राष्ट्रगान है.. सारे टिप्पणी दाता यही गीत गाते है.. और बस टिप्पणी बजाते जाते है.. अच्छा तो इसका मतलब सारे लोग ऐसे ही टिप्पणी देते है.. अरे नही प्यारे हमारी कम्यूनिटी बहुत छोटी सी है.. हम कुछ एक लोग ही ऐसा काम करते है. हम बाकी के लोगो की तरह बेवकूफ़ नही है की पहले तो सबकी सारी पोस्ट पढ़ते फिरे.. फिर एक एक को अच्छे से टिप्पणी दे, अमाँ यार हम ये फ़िज़ूल काम करने के लिए थोड़े ही बैठे है.. हम तो बस पतली गली से एक आध टिप्पणी सरका के निकल लेते है..
हमे इस टिप्पणी दाता की बात कुछ ठीक नही लगी.. हमने उस से कहा भाई लेकिन एक बात सोचो कभी किसी ने कोई दुख भरी बात लिखी है और तुम उसपे सुंदर अभिव्यक्ति लिख दो तो उसको तो ठेस पहुँचेगी ही दोबारा क्या वो तुम्हे सम्मान की दृष्टि से देख पाएगा, वो बोला क्या मतलब? हमने कहा भाई जैसे को तैसा वाली बात तो तुमने सुनी ही है.. कोई तुम्हारी ब्लॉग पे भी तो आता होगा अगर तुम वहा अपने दादाजी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजली दो उन्हे और कोई वहा आकर टिप्पणी दे जाए की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई.. तो कैसा लगेगा तुम्हे? वो चुप हो गया.. हमने कहा क्या सोच रहे हो प्यारे इतना अगर टिप्पणी देने में सोचो तो बढ़िया रहेगा.. जानता हू की ये थोड़ा मुश्किल होता है.. लेकिन एक बार टिप्पणी देने से पहले एक सरसरी निगाह ज़रूर डाल लेनी चाहिए.. कम से कम किसी और के दिल को ठेस तो ना पहुँचे..
वो बोला माफ़ करना भाईसाहब मैं लिंक बिल्डिंग और पेजरैंक की दौड़ में अँधा हो गया था.. मुझे बस यही लगता था की मेरी ब्लॉग पे भी लोग आए मुझे भी जाने मेरी ब्लॉग पे भी कमेंट हो.. मेरी भी पेज की रैंक सबसे ज़्यादा हो.. बस इसी चक्कर में टिपियाता गया बिना सोचे समझे.. आइन्दा में इस बात का ख़याल रखूँगा.. आपने मेरी आँखें खोल दी बहुत बहुत धन्यवाद आपका.. आगे से कम से कम एक निगाह तो देख ही लूँगा की पोस्ट किस सन्दर्भ में लिखी गयी है.. फिर टिप्पणी दूँगा दिल से..
हम मुस्कुराए वाह भाई अब बने ना तुम असली टिप्पनीदाता.. और अब वो गाना गाओ जो मैं तुम्हे बताता हू.. टिप टिप टिप्पा के टिप्पणी चलाए.. पढ़ पढ़ के लेखक भी मुस्कुराए.. अरे वाह वाह वाह अरे वाह वाह वाह..
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.. बधाई"
ReplyDeleteयह एक सरसरी निगाह के बाद लिखी गई है।
:D
घुघूती बासूती
kushbhai...badhiya vyang kiya hai aap ne...(ye tippani padhne ke baad ki hain...)
ReplyDeleteक्या लिखते हैं आप ..बहुत खूब वाह वाह ..क्या पॉइंट लिया है ....[यह इसको पढने के बाद है ] आपका लेख इस बात पर भी भरपूर रौशनी डालता है कि अब हिन्दी ब्लोग्स पढने वाले व टिपयाने वाले अधिक हो गए हैं जो हिन्दी ब्लोगिंग के लिए शुभ संकेत हैं ..:) और यह विचार सर्वसम्मति से पास किया जाए कि यह गाना ब्लॉग नेशनल सोंग बनाया जाए "टिप टिप टिप्पा के टिप्पणी चलाए.. सोच सोच लेखक भी खोपड़ी खुज़ाए.. अरे वाह वाह वाह अरे वाह वाह वाह..:)
ReplyDeleteवाह वाह; झाड़े रहो कलक्टरगंज!
ReplyDeleteab ye kya hua--
ReplyDeletemaine ek baar tippani likh kar post ki aur --page aa gaya ki duplicate tippani hai???
ye naya kya hai?yahan to koi tippani nahin dikhayee de rahi??
chalo dobara likhti hun---
bahut badiya likha hai--
naye naye topic dhuundh laate ho Kush!!!
ek dum mazedaar!!
sach hai isey blog geet bana dena chaheeye--''tipp tippa ke...LOL!!!!!!
har blog par lagana bhi jaruri ho--aur jab tak tippani na de tab tak bajta rahe-!!!
रोज २०-३० टिपण्णी पाने वाला कुछ ऐसा ही लिखता है ,["ये वाला नही वो वाला" या फ़िर "मेरा वाला येलो " टाइप ] पढ़ता चला आ रहा हूँ .फ़िर भी इसे खूबसूरत ख़याल ही कहूँगा. अभी बहुत से साहित्यकार [ब्लॉग जगत के ] का पदार्पण नही हुआ आपके ब्लॉग पर .प्रयास करें
ReplyDelete"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.. बधाई" :P
ReplyDeleteरीँग टोनवाले ने तर्ज तो एकदम फर्स्ट क्लास बनाई ..अच्छा लिखा है ! :D
ReplyDeletebahut mazedar:)
ReplyDeleteमजा आ गया। आज तो यही टिपियाने को मन कर रहा है - बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बधाई।
ReplyDeleteजी हाँ तीन दिन पहले ही किसी ने कोई गाना पोस्ट किया था टिपियाने वाले ने कहा "अति सुंदर लेखन बधाई "हम भी हैरान हो गये... वैसे हम भी सोच रहे है २५-३० टिपण्णी का स्टॉक बना ले ओर maintain करके रखे.....उठायो...कॉपी -पेस्ट....
ReplyDeletesabse jyada maza to mujhe wo tippani padhkar aaya jise dekhne ke baad aapne ye post likhi....
ReplyDeleteकुशजी,
ReplyDeleteमैं तो हमेशा उल्टा बोलूँगा, सो...
वह मेरे दर पे आये, यही क्या कम है
हँसे या झल्लाये.. यह क्या सितम है ?
अब हम तो क्या कहें-इस तरह की गल्ती की संभावना तो हमारे साथ सतत बनी रहती है. :)
ReplyDeleteha ha ha ha सही है सही है
ReplyDeleteअब इतना लिखेंगे सब, और उम्मीद भी सब आए और इतना लंबा लंबा पढ़े भी तो बेचारे टिप्पणी कर की यही हालत तो होनी ही है
मैने देखा है कि बहुत सारे लोग रोज लिख रहे है और रोज लिखने को प्रेरित कर रहे हैं
अगर सभी रोज लिखे तो कितना टाइम लगेगा एक इंसान को अपने सर्कल को पढ़ने में
सोचने वाली बात है ..................
और अगर लोग सोचते हैं कि सबको रोज पढ़ कर उन्होने सही से पढ़ा है तब भी मेरा ख्याल है कि नज़र तक भले गया हो दिल तक जाना नही हो सकता
खैर पेज रेंक और उपर जाने की ललक कहाँ कोई मिटा पाया है इंसान है कोई योगी तो नही
wakai bahut sundar abhivyakti... badhaai bahut bahut....
ReplyDeletedekhiye maine kuchh alag likha hai....
ek nigah daal li thi na isiliye
:D
aap bhi gajab hain.....
ReplyDeleteअद्बुत अभिव्यक्ति… सुँदर। क्या वर्णन किया है दीनदयाल का।
ReplyDeleteहा हा हा… ऐसी ही कुछ गलतियाँ हो जाती होंगी ऐसे लोगों से। अच्छे मुद्दे पर लिखा आपने। समझ नहीं आ रहा किसकी बात मानूँ, आपकी या टिपियाने वाले की? पेजरैंक बढ़ाना है भाई। ;)
शुभम।
kis sandarbh me AAPNEY TEEKAA TIPAANI ki hai yahan.....kuch kuch samjh aa raha hai:)
ReplyDeletebahut mazedaar aur interesting post...
ReplyDeleteaapka vyang kaafi useful ..
bahut saari ghatnao par nazar daalta hai..jis par nazar padni chahiye..
likhte rahe...
भई
ReplyDeleteक्या सुंदर अभिवक्ति है , टिप्पणी गान भी कमाल का है। आपको भी बहुत जल्दी ब्लॉगकवि की उपाधि प्रदान की जानी चाहिये।
:)
कुश भाई कया खाते हो जो हर बात से एक नई बात इतने रोचक ढगं से निकाल लेते हो, पिस्ता बदमा तो हम ने भी खाया, लेकिन यह दिमाग ओर भी मोटा हो गया,आप का लेख सच मे अदभुत हे. धन्यवाद
ReplyDeleteab badhiya abhivyakti kahenge to ajeeb lagega
ReplyDeletebarhall...vyang kafi chatpata tha..padhkar maza aaya
लेख तो पढ़ लिएलेकिन बिना जान पहचान के कैसे टिपियाए दें "बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, नहीं नहीं व्यंग"
ReplyDelete