पिछले कुछ दिनो से बस यूही मशरूफ था ज़िंदगी के साथ.. अब आया हू तो सोचा की नये रूप में मिला जाए.... बस इसी लिए ब्लॉग को एक नया रूप दिया है.. बताएगा कैसा लगा आपको... तक तक पढ़िए कुछ दिल से लिखी क्षणिकाए..
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दूर अंतरिक्ष से
गिरा एक उल्कापिंड
सीधा टकराया मेरी
कल्पनाओ से..
तुम्हारे टुकड़े टुकड़े
कैसे संभाल कर
जोड़े थे मैने...
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रात गिर गयी
तूफ़ान तेज़ आया था
या फिर दरारो से
महक तेरी गयी ,
कल रात मैने
चाँद को हिलते देखा था
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शाम से थोड़ा परेशान हू
तुम आयी नही ऑफीस से अब तक,
सोचता हू एक फोन कर लू तुम्हे
फिर याद करके कुछ..
आँखो मैं नमी आ जाती है
तुम अब ऑफीस से घर जो नही आती हो...
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याद है
तुम्हारी बनाई सब्ज़ी
में, कितने नुक्स
निकालता था..
करेला नही खाने के
कितने बहाने थे,
तुम अब मुझे खिलाती
नही हो, पर
अब मुझे करेला अच्छा
लगता है..
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आज क्या क्या हुआ,
हर बात ऑफीस की
घर आकर बताते थे हमे
इक रोज़ ना जाने कहा
बिन बताए चले गये..
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baHut kHoobsooorat rang , baHoot kHooobsooorat roooop YAkinan.badHai.
ReplyDeleteविरह की तीव्र सेण्टीमेण्टालिटी है मित्र। भाव तो बहा ले जाते हैँ कोसी की बाढ़ जैसे!
ReplyDeleteblog sundar lag raha hai KUSH!!!
ReplyDeleteabhi vyast hun ..bad me tippni karti hun ..abhi upsthiti darj kar len...
ReplyDeleteblog aakarshak,yaaden kuch bolti si,kuch bechain si........aisi bhi baateb hoti hain,
ReplyDeletejo haath se fisalti par dil me utarti jaati hain.
वाह! नया रूप सुहावना है. कविता भी अच्छी लगी. बधाई.
ReplyDeleteसुंदर लग रहा है नया रूप। और आप की क्षणिकाएँ लाजवाब हैं।
ReplyDeleteकुश भाई, बहुत सुंदर! आनंद आ गया!
ReplyDelete.
ReplyDeleteऒऎ रब्बा, हुण की कराँ...
इस बारि फेर इक होर न्ू आइडिया...
मर जावाँ, खंड खा के .. ।
पदाइयाँ ...
इन पंक्तियों के मर्म में यादों की जो तड़प है, उसे शब्दों से कह पाना कठिन है-
ReplyDeleteयाद है
तुम्हारी बनाई सब्ज़ी
में, कितने नुक्स
निकालता था..
करेला नही खाने के
कितने बहाने थे,
तुम अब मुझे खिलाती
नही हो, पर
अब मुझे करेला अच्छा
लगता है..
कह सकते हैं कि करेले की कड़वाहट वियोग की पीड़ा से कम ही तीखी है।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
बहुत बेहतरीन क्षणिकायें उर उस पर चार चांद लगाती ब्लॉग की सुन्दर नई साज सज्जा!! बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteआज तो बस मुग्ध हूँ भाई...... पढ़कर कल टिपियायेगे .......सुंदर ......
ReplyDeleteबहुत ही मर्मस्पर्शी चित्रण है।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई।
लिखते रहिये।
bhai kush
ReplyDeleteaaj pehli baar aap ke blog ko visit kar raha hun.....
blog wakai bahut khubsurat hai.
aur साथ में कुछ क्षणिकाए to aur bhi khubsurat hai.....
bhai kya aap mujhe batayenge ki main apne blog ko itna khubsurat kaise bana paunga...
please help me.....
hum blogging ki duniya me naye hain.
www.kkavita.blogspot.com
नया रुप पंसद आया और ये भी...
ReplyDeleteयाद है
तुम्हारी बनाई सब्ज़ी
में, कितने नुक्स
निकालता था..
करेला नही खाने के
कितने बहाने थे,
तुम अब मुझे खिलाती
नही हो, पर
अब मुझे करेला अच्छा
लगता है..
कुश, जब अपनी संक्षेपन से इतना कुछ कह जावगे तो कभी पल्ल्वन लिखोगे तो क्या होगा?? मजा आ गया बदले मिजाज से... नियमित रुप से लिखते रहो....
ReplyDeleteनया रूप और नई क्षणिकाएँ दोनो ही लाजवाब...!
ReplyDeleteजिन्दगी के रंग अनोखे
ReplyDeleteघूम-टहल कर हमने देखे
यायावर सी बात निराली
क्षणिकाओं में क्या भर डाली
अमृतपान हुआ है हमसे
निसृत अहा! कुश की कलम से...
नया रूप तो जम रहा है !
ReplyDeleteबधाई हो कुश भाई, ब्लॉग की नई साज-सज्जा बहुत सुंदर है। क्षणिकाएं भी सीधे दिल पर असर करती हैं।
ReplyDeleteनया रूप लाजवाब है -क्षणे क्षणे यन्न्वतामुपैति तदैव रूपं रमणीय्ताः -बाकी क्षणिकाएं तो लाजवाब है हीं ! जो कुछ ही कह कर बहुत कुश/कुछ कह जा रही हैं !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत है नया रंग रूप, बस देखती रह गई...
ReplyDeleteAap sab kuch bahut sundar lekar aaye hai.. blog ka naya roop bhi.. aur kuch bhav purn क्षणिकाए.. bhi.. bahut sundar kush ji
ReplyDeleteNew Post :
I don’t want to love you… but I do....
रात गिर गयी
ReplyDeleteतूफ़ान तेज़ आया था
या फिर दरारो से
महक तेरी गयी ,
कल रात मैने
चाँद को हिलते देखा था
सबसे पहले तो ब्लॉग को इतना खूबसूरत बनाने की बधाई....इससे ज्यादा सुन्दर ब्लॉग मैंने नहीं देखा!और क्षणिकाएं भी बहुत अच्छी हैं....ये वाली ख़ास पसंद आई!
आपके ब्लॉग का नया रूप बहुत सुंदर लग रहा है ...और लिखा हुआ तो लाजवाब है ..लिखते रहे
ReplyDeleteCongratulations on the Beautiful New look of this Blog Kush ji ....
ReplyDeleteKshanika are all wonderful as well.
Regards,
- Lavanya