जी हा ठीक समझे आप ये ठाकुर बलदेव पांडे के यहा जा रहे है...
नमस्कार ठाकुर साहब..
नमस्कार .. यहा तक आने में कोई तकलीफ़ तो नही हुई?
नही नही ठाकुर साहब... ब्लॉगगढ़ में आकर तो बहुत खुशी हुई है.. पर आपने बताया नही आपने मुझे कैसे याद किया?
मुझे दो आदमियो की तलाश है..
जय और वीरू..
जय और वीरू? ये कौन है.. ?
ये दोनो ब्लॉग जगत के छंटे हुए ब्लॉगर है.. मुझे आज भी याद है वो दिन... जब मैं पहली बार उड़नतश्तरी के ब्लॉग पे कमेंट करके अपनी माल गाड़ी से आ रहा था.. जय और वीरू वहा बैठे टिप्पणियों के बारे में सोच रहे थे...
की ताऊ नाम के एक डकैत ने मेरी रेल पर हमला कर दिया.. चारो तरफ से उसके आदमियो ने हमे घेर लिया.. तब जय और वीरू ने अपनी जान पर खेल कर मेरी मदद की..
मैं बेहोश हो चुका था.. ताऊ ने पटरी पर अपनी भैंस को खड़ा कर दिया.. जय और वीरू चाहते तो वहा से भाग सकते थे.. पर उन्होने मेरी माल गाड़ी को बचाना ज़्यादा ज़रूरी समझा..
क्या बोलता है जय? चले यहा से
इसे इस हालत में छोड़कर ?
इस हालत में छोड़ा तो ये ब्लॉग्गिंग नही कर पाएगा..
तो फिर क्या करे.. भैंस को उड़ा दे?
निकाल वही...
हेड आया तो भाग चलते है.. टेल आया तो भैंस को उड़ा देते है..
टेल !!
तू यही रुक जय.. मैं इस भैंस का काम तमाम करता हू..
वीरू ने कोयले डालने शुरू किए.. मगर भैंस बड़ी होशियार थी.. भाग कर खेतो में घुस गयी.. अपने जय और वीरू ने भी हार नही मानी.. ट्रेन को लेकर खेतो में घुस गये.. सत्रह दिन तक खेतो में ट्रेन चलाने के बाद भी जब भैंस नही मिली.. तो वो मुझे स्टेशन पर छोड़कर चले गये...
वो बेवकूफ़ है.. मगर ईमानदार है..
ब्लोगर है ... मगर समझदार है
सोच सकते है.. मगर सोचते नही..
मुझे ऐसे ही आदमी चाहिए.. क्या आप मुझे लाकर दे सकते है..
ठाकुर साहब मैं पूरी कोशिश करूँगा उन्हे ढूँढने की.. मगर ऐसे लोगो का कोई ठिकाना तो होता नही.. आज यहा तो कल वहा.. पता नही अभी वो कहा होंगे...
हेहे
ये ब्लोगरी........
हम नही छोड़ेंगे..
तोड़ेंगे... दम मगर..
इसका साथ ना छोड़ेंगे...
अरे मेरा ब्लॉग तेरा कमेन्ट
तेरा कमेन्ट मेरा ब्लॉग .. सुन ए मेरे यार..
जान पे भी खेलेंगे...
तेरे लिए ले लेंगे..
सबसे टिप्पणी...........
ये ब्लोगरी ..
हम नही छोड़ेंगे...
बाकी है अभी... डाकुओ का टिप्पणिया लूटने आना... टंकी पे चढ़ना.. बसंती का तांगा.. होली का गीत.. और भी बहुत कुछ.. बस देखते रहिए.. ब्लॉगीवूड़ की शोले
पहले ही सीन से रंग जम गया है
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग तेरा कमेन्ट, तेरा ब्लॉग मेरा कमेन्ट की तर्ज पर ये लीजिये मेरा कमेन्ट.
आगे की पिक्चर का इंतज़ार रहेगा
कॉमर्शियल ब्रेक लंबा मत खींचना
हा हा ! ब्लोगीवुड की फिल्में ब्लॉग का दर्पण है... और शोले सुपरहिट दर्पण :-)
ReplyDeleteमज़ा आ गया.
ReplyDeleteशोले के इस भाग के प्रायोजक थे- ताऊ की भैंस.
ReplyDeleteअगले भाग के प्रायोजक होंगे- ताऊ.
भाई कुश, ये तो ग़लत बात है ! ताऊ समझ रहा है की उसकी चम्पाकली ( भैंस ) चाँद पर है और आप उसको बहला फुसलाकर खेतो में शूटिंग कर रहे हो ? और वो भी १७ दिन का नॉन स्टाप शेड्यूल ? मेरी इतनी नाजुक चम्पाकली से इतना काम लेते आपको कुछ तो सोचना चाहिए था ? कितने में साईन किया था ? कांट्रेक्ट मनी इधर भेजिए और उस चम्पाकली से मेरी बात करवाईये तुंरत ! :)
ReplyDeleteबहुत शानदार और धमाके दार ओपनिंग .. शुभकामनाएं !
भई वाह...निर्देशन और पट-कथा तो अभी तक बड़ी चुस्त-दुरूस्त लग रही है...
ReplyDeleteइंतजार है अगले टेक का...
तेरा कमेंट्स न ए मेरा कमेंट्स न जाए
ReplyDeleteये ब्लागरी हम न छोडेंगे
तेरा गम मेरा गम ब्लॉगर का
ये ब्लागरी हम न छोडेंगे
छोडेंगे कमेंट्स देना कर देंगे हम बंद
ये दोस्ती ये ब्लागरी छोडेंगे हम.
चलो भाई अपुन ने भी आपकी फ़िल्म ये लेना अपनी तरफ़ से जोड़ दी अगली बार अपनी बसंती को भी दिखा देना अगले पार्ट में ...बहुत ही मजेदार फिल शोले ले लिए. भविष्य में आप अच्छे निर्माता साबित होंगे.
ब्लोगीवुड की पहली फिल्म के निर्माता-निर्देशक को बधाई..पहली फिल्म ही सुपर डुपर हिट हो गयी। खबर आयी है कि बॉक्स ऑफिस पर धुआंधार चल रही है..बॉलीवुड हॉलीवुड से लेकर टालीवुड व पालीवुड के फिल्मकारों में हलचल मच गयी है कि कहीं उनकी दुनिया के सारे रिकार्ड ध्वस्त न हो जाएं :)
ReplyDeleteकुशजी अगर कहीं रमेश सिप्पी को आप की स्क्रिप्ट मिल जाती तो शायद सलीम जावेद को कोई नहीं पूछता...आप की ही जयकार होती आज....किस्मत का खेल इसे कहते हैं....बहुत दिलचस्प रही आप ये पोस्ट...आगे क्या होगा...????
ReplyDeleteनीरज
सुपर है जी यह ..ब्लॉग की कहानी सही सही ..आगे के सीन का इन्तजार
ReplyDeleteताऊ नाम के एक डकैत ने मेरी रेल पर हमला कर दिया..
ReplyDelete------
सामान्य की तरह रेलवे पुलीस सीन से गायब? शायद फिल्म के लास्ट शॉट में आये! :)
वाह! क्या सीन है। इस के साथ संगीत भी होता थोडा़ तो आनंद आ जाता। कोई संगीत निर्देशक नहीं पकड़ा क्या? यूनुस भाई और सागर नाहर कब काम आएँगे।
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteकमाल की कल्पना शक्ति है भाई. 'छोले' खाकर मज़ा आ गया. आगे के डिशेज का इंतजार है.
----अंग्रेजों के जमाने के ब्लॉगर
जम गया भई सीन जम गया !
ReplyDeleteबॉक्स ऑफिस पर पहला ही शो हाउसफुल रहा....जनता ने बहुत पसंद किया इस फ़िल्म को! पहले शो के कलेक्शन ने तो इतिहास रच दिया! इंडिया क साथ ओवर सीज में भी जनता फ़िल्म पर टूट पड़ी! कई जगह जनता की विशेष मांग पर रात १२ से तीन का शो चलाया गया....ये थी इस फ़िल्म की समीक्षा! एक और ख़ास ख़बर....सुना है फ़िल्म के कलेक्शन से प्रभावित होकर हीरोइन ने अपनी कीमत भी बढ़ा दी है!
ReplyDeleteअगली पंक्ति में बैठ सीटी मारने में मजा आ रहा है.
ReplyDeleteओये तेरे समझ में क्या आयी ,जो तूने ब्लागगढ़ की शोले बनाई ?
ReplyDeleteएक भैंस दो मुस्टंड़े। ब हो त नाइंसाफी है।
ReplyDeleteha ha bahut mazedaar rahi opening tho,aage ka intazaar hai
ReplyDeleteक्या बात है .मज़ा आ गया .
ReplyDeleteसड़क पर चारो ओर सन्नाटा पसरा है। ब्लॉगवाणी टाकीज पर भगदड़ मची है। ...चिठ्ठाजगत भी हाउसफुल है। ...टिकट ब्लैक होने से रोकने में पुलिस पसीने-पसीने हो रही है। ...बाक्स ऑफिस पर बैठा आदमी खिड़की की ओर से घूसे खा चुका है।
ReplyDeleteबिक्री बन्द होने से दंगा शुरू हो गया है। पहली बार फिल्म में कई बार इण्टरवल किए जाने से जनता परेशान है। लेकिन फॉर्मूला इतना हिट है कि लोग खड़े रहकर इन्तजार करने को तैयार हैं।
भई वाह! ये तो अभूतपूर्व हो लिया। :D
ये फ़िल्म तो लगता है दूरदर्शन के ब्योस्कोपे की तरह देखना पड़ेगा || जो भी हो कुश की रचना में कुछ तो बात होती ही है || इंतज़ार करना सफल रहा .......
ReplyDeleteभाई कुश, या फिल्म तो घणी चौखी बनाई.अगले भाग का घणे बेसबरी तै ईन्तजार रवेगा.
ReplyDeletewah ! wah! Wah!
ReplyDeletecensor certificate nahin dikha picture se pahle??
kitne reel ki hai??
bahut hi jabardast scenes hain a ur gaana bhi mazedaar bilkul patkatha se match karta hau--aagey ki kahani ka intzaar hai-
मान गये कुश गुरु जी !
ReplyDeleteआप एकदम बढिया जा रहे हो
जारी रहे :)
- लावण्या
तेरा क्या होगा ब्लागिया।
ReplyDeleteवाह! मजा आ गया .....
ReplyDeleteसबसे अच्छा,सबसे प्यारा,
सबसे सुंदर सबसे न्यारा
ब्लॉग तुम्हारा ब्लॉग तुम्हारा
और रही बात शोले की एक वो वाली शोले सुपर हिट थी एक ye
वाली है और जो bich में aai उसमे आग लग गई.....
चलो कम से कम आपने तो लाज रख ली शोले की .......
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
सब कुछ हो गया और कुछ भी नही !!
मेरी शुभकामनाये आपकी भावनाओं को आपको और आपके परिवार को
आभार...अक्षय-मन
अरे कोई बतायेगा मुझे, यह ब्लागगढ़ में आइडिया-शहंशाह कब घुस आया ।
ReplyDeleteभरोसा है, कि मालिक इसको जय वीरू ...
अमें छोड़ो यार कुश, पहले यह बताओ कि महबूबा महबूबा बंजारन का रोल किसे दिहै हो ?
उस इपिसोड की सभी टिप्प..टिप्प.. अरे भाई, वही.. टिकटें मेरी !
pallavi ji ki baat se sahmat hun, bas thodi chook ho gayi, actually dono heroines ne apni keemat badha di hai. :)
ReplyDeleteहा हा!! बहुत सालिड...मजा आ गया!!
ReplyDeleteब्लोगर है ... मगर समझदार है
ई कैसे ब्लॉगर हैं कि समझदार भी हैं..बड़ी अजीब से बात!!!
जारी रहो-इन्तजार है.
@ दिनेशरायजी
ReplyDeleteइस फिल्म के संगीत का ठेका यूनुस-सागर जोड़ी को ही दिया गया था, पर जैसा आम तौर बॉलीवुड में नई प्रतिभाओं का शोषण होता आया है, इस फिल्म के निर्माता- निर्देशक श्री कुश ने पोस्ट पर और फिल्म में हमारा नाम ना देकर हमारे साथ अन्याय किया है।
आप वरिष्ठ अधिवक्ता है, इस मामले में क्या किया जा सकता है, राय दें। क्या आप हमारा केस लड़ाना चाहेंगे, बदले में आपके ब्लॉग पर पचास टिप्पणीयाँ दी जायेगी?
*******
मजेदार पोस्ट (फिल्म) कुश भाई।
अब यह सहज ही सोचा जा सकता है कि यदि "ठाकुर" टिप्पणी नहीं करेगा तो उसके "हाथ"… हाँ हाथ… याद है ठाकुर क्या कहे थे तुम, "ये हाथ नहीं है, कॉम्पेक का कीबोर्ड है…" अब भुगतो…
ReplyDeleteबढ़िया है....बात निकली है तो उम्मीद है दूर तलक जायेगी ...... एक बात है खली दिमाग शैतान का घर तो होता है पर ऐसी शैतानी ज़रूरी है तो लगे रहे
ReplyDeleteआगे की किस्तों का इंतज़ार सभी को है
हमें नही करनी तुम्हारी पिक्चर .पैसे देने तो दूर भैंसों के पीछे भगवा रहे हो......हमारी कमीज भी इस्तेमाल की ...ड्राई क्लीन के पैसे .भी नही दिए ऊपर से ...ताऊ को तो घोडे पर बिठा दिया ....ओर वो घोड़ा जिस पर हम बैठे थे ....कितना पेट ख़राब था उसका.....रुक रुक कर.........
ReplyDeleteवाह ई सिनेमा अभी तक देखे ही नहीं ! शानदार!
ReplyDeleteये फिल्लम तो उस शो में भी आ गई टीवी पर.... 100 films must see before u die.... :D ... बसंती कब आ रही है... तांगे पर आ रही है या आज की तरह ऑटो चलाके ? .... इंतजार है ....
ReplyDeleteमैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
ReplyDelete๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन
Waah ! ekdam jama diya rang.
ReplyDeletekya seen hai.....maza aa gaya.