घड़ी की टिक टिक की आवाज़ के अलावा और कोई शोर नही था कमरे में.. पर्दे का कोना बहुत मैला हो गया था शायद बार बार हाथ पोंछे जाने से.. पलंग पर शरलोक होम्स की कुछ किताबे बिखरी हुई पढ़ी थी.. उसी पलंग पर वो उल्टा लेटा हुआ था.. एक अंगड़ाई लेता हुआ वो उठा.. आँखें अभी तक बंद थी.. बंद आँखे किए हुए भी उसका हाथ ठीक टेबल पर पड़ी सिगरेट पर पड़ा.. आख़िरी सिगरेट थी.. वो उठा और खिड़की से परदा हटाकर देखा शाम हो चली थी.. हल्के हल्के बादल थे..
उसने रेडियो के पास पड़ी माचिस उठाई.. सिगरेट जलाने के लिए तीली जलाई..
एक रोशनी सी हुई उसकी आँखो में.. इस से पहले इस से खूबसूरत लड़की उसने नही देखी थी... लंबे बाल जो बार बार उड़ते हुए उसकी आँखो के आगे आ रहे थे.. सफेद रंग का चूड़ीदार और गुलाबी रंग का कुर्ता.. कंधे पर बेग लटकाए हुए.. कितनी सुंदर लग रही थी उसे.. वो जैसे ही उसके पास गया.. बस आ गयी थी.. वो बस में चढ़ गयी..
तीली बुझ गयी.. सिगरेट जली नही..
उसने फिर से तीली जलाई..
अगले दिन फिर वो बस स्टॉप पर पहुँचा.. और उस लड़की के पास खड़ा हो गया..
इस बार सिगरेट जल गयी थी..
अब तो ये रोज़ का सिलसिला बन गया.. लड़की भी जानती थी.. की वो यहा क्यो आता है.. धीरे धीरे सब कुछ ऐसे हुआ की लड़की को वो लड़का पसंद आने लगा.. लड़का अपनी बाइक लेकर बस स्टॉप पर आया.. और लड़की की तरफ देखा.. लड़की उसकी बाइक पर बैठ गयी.. फिर तो रोज़ उनका मिलना होता था..लड़की और लड़के में प्यार हो गया था..
उसने सिगरेट से एक लंबा कश लिया.. और खिड़की से झाँका.. बाहर बहुत शोर था..
कभी किसी गार्डन में.. कभी किसी कॉफी शॉप में.. दोनो मिलने लगे.. लड़की को लड़के का साथ सुकून देता था.. दोनो ने साथ जीने मरने की कसमे खाई थी..
उसने एक और कश खींचा.. और चुटकी बजाते हुए सिगरेट की एश ज़मीन पर गिरा दी..
उस दिन लड़का कार लेकर आया.. और लड़की ने घर पे कहा था की आज देर से घर पहुँचुँगी.. दोनो ने साथ साथ डिनर लिया.. फिर लड़का उसे लेकर समंदर किनारे गया.. दोनो हाथो में हाथ लेकर चलते रहे.. कुछ देर बाद दोनो लड़के के दोस्त के बीच हाउस में थे..
जलती हुई सिगरेट से एक चिंगारी गिरी जमीन पर..
हल्की हल्की रोशनी पूरे कमरे में फैली थी.. एक महक चारो तरफ फैली हुई.. जैसे बहुत दिनो से इंतेज़ार करती हुई.. दोनो एक दूसरे के बेहद करीब आ चुके थे.. लड़के ने उसे अपनी बाहो में भर लिया..
इस बार उसने बड़ी ज़ोर से कश खींचा... और खिड़की पर परदा लगा दिया..
सिगरेट अपने आख़िरी पड़ाव पर थी.. शायद एक या दो कश और ले सकता था वो..
बहुत दिन हो चुके थे.. इस बार भी बात नही हुई.. लड़की ने आज फिर से फ़ोन किया .. उसकी ऊंगलिया काँप रही थी.. नंबर मिलाने के लिए.. शायद वो जानती थी अब क्या होने वाला है.. उसने नंबर मिलाया.. सामने से फ़ोन काट दिया..
उसने सिगरेट का आख़िरी कश लिया.. और बची हुई सिगरेट को ज़मीन पर फेंका.. हल्का सा धुँआ अभी भी सिगरेट में बाकी था.. की तभी उसने अपनी जूते के नीचे दबा कर सिगरेट को मसल डाला..
एक हाथ गिरा बिस्तर पर.. जिसकी कलाई से लगातार खून बह रहा था..
सिगरेट बोलती है.
ReplyDeleteबहुत मार्मिक पोस्ट ! ये पोस्ट मुझे कलात्मक सिनेमा की याद दिला रही है ! कितनी खूबसूरती से बात कह गए आप ? ईश्वर ने बहुत उम्दा हुनर दिया है आपको ! भाई कुश , बहुत पसंद आया ये अंदाज ! बहुत बहुत शुभकामनाएं !
ReplyDeleteएक सिगरेट ओर जल गयी ....इस पोस्ट का शीर्षक ही इस का अंजाम बता रहा है...... आज अंदाज जुदा है ....ओर अच्छा है
ReplyDeleteसिगरेट .और यह कहानी ..बहुत सुंदर ढंग से आपने इसको अभिव्यक्त किया ..मार्मिक है यह ..
ReplyDeleteवैसे किसी नावेल का आख़िरी पेज-सा लगता है... पढ़ा अच्छा लगा!
ReplyDeleteअच्छी कहानी थी..उसने लड़की को जो समझा वह लड़की ने साबित किया.
ReplyDeletesach hai...ye short story kalatmak cinema ki yaad de jaati hai....
ReplyDeleteKush,
ReplyDeleteBohot achhee likhee gayee kahanee hai....ant harek apne manse sonch sakta hai....ye dhang behtareen hai jo pathkon kee chetna ko, kalpna shaktiko ek awaahan deta hai. Baaqee sabheeke saath shamil hun...alagse kya likhun ?
jalaney vaaley ke haath kabhi nahi jaltey kya??
ReplyDeleteमार्मिक कहानी
ReplyDeleteविश्वास घात करती इस दुनिया में दोष विश्वास करने वालों का भी होता है क्या?
पता नही
पर अंजाम यही क्यों होता है?
कुश, आपके ब्लॉग को अभीःअभी पढ़ना शुरू किया है। बॉस ब्लॉग का कलेवर बेहद खूबसूरत है लेकिन उससे ज्यादा खूबसूरत है आपके विचार और विचारों का व्यक्त करने का तरीका। एक बेवकूफ कन्या की भावनाओं का सही उकेरा। माफ कीजिएगा अपकी नायिका को मैंने बेवकूफ कहा......क्योंकि मैं बेवकूफ बनने और स्वयं को छलने देने को मासूमियत की उपाधी नहीं देती। एक छल के बाद खुद को खत्म कर लेने के जुनून से मुझे नफरत है। हाँ लेकिन आपने जिस तरह एक लड़की का फलसफां व्यक्त किया वह सुंदर था...उम्मीद करती हूँ कि 21 वीं सदि की लड़की के लिए ऐसी दास्तां सिर्फ फलसफा रहें हकीकत न बने।
ReplyDeleteयह हादसा होने के बावजूद बार बार क्यों घटता है?
ReplyDeletebahut marmik katha,bas kisi ke saath hadsa na bane,bahut achha flow raha kahani ka ek saans mein padh li.
ReplyDeleteछुब्धता होती है, फिर क्रोध आता है कायर/विश्वासघाती चरित्र पर।
ReplyDeleteलड़की का मरना दुखद।
marmik katha...kahani ka ant dukhad hai..:(
ReplyDeleteतुम्हारा एक नया और अलग अंदाज़ नज़र आया इसमे....बहुत बढ़िया लिखा! सिगरेट का जलना,सुलगना,राख का झाड़ना....बहुत अच्छी तरह से कहानी को आगे बढ़ा रहा था!
ReplyDeleteसिगरेट का इतना अनुठा अंदाज कि हाय रे““‘
ReplyDeleteबहुत सुंदर शिल्प और प्रस्तुती
आपकी कहानी में तारतम्यता बनी रहती है कहानी के साथ घटनेवाली इतर गतिविधियों से। पीछे भी एक कहानी पढ़ी थी, जिसमें पन्ने के फड़फडाने से घटनाओं को गति और दिशा मिल रही थी। आपकी एक विशिष्ट शैली बनती जा रही है। शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteमार्मिक कहानी/दुखद अंत---सोचने पे मजबूर करता है कब तक लड्की कहानी बनती रहेगी?बहुत अच्छा लिखते हो बधाई/
ReplyDeleteएक सिगरेट और जल गई... एक कलाई और कट गई !
ReplyDeleteएक नया अंदाज दिखा. मार्मिक कथा. कितनी ही सिगरटें रोज जलती बुझती रहती हैं मगर बार बार वही...
ReplyDelete"Jab Dil jalta hai, tub cigerette jaltee hai "...
ReplyDeleteBhavukta , insaan ko kayar banatee hai aur khudgarzee, beraham insaan ka roop dikhatee hai !
Nicely written Scene ..
( sorry to comment in Eng. I'm away from my PC )
बेहतरीन पोस्ट.... जो लोग रिश्ते और सिगरेट में फर्क नहीं करते एक दिन सिगरेट ही उन्हें ख़त्म कर देती है...लाजवाब लेखन...
ReplyDeleteनीरज
har cheez jaise khood mehsoos ki hoo aisa lagta hai..!
ReplyDeleteawesome writes..
kalam ke dhani...[:)]
बहुत मार्मिक पोस्ट !
ReplyDelete