Thursday, March 19, 2009

कवि मन को जिंदा रखने की एक साजिश..


जब देर रात तक
खामोशी बैठी
रही थी.. उस कमरे में
तुमने भी एक
नमी महसूस क़ी
होगी अपने सीने पर
एक दूसरे से लिपट कर
कितना रोए थे ना हम...


प्रेका मतलब सिर्फ़ पाना ही तो नही होता.. दे जाने में जो प्यार है उसकी खुमारी तो सांसो में घुल जाती है.. इतनी कोमल जैसे रूही का कोई फ़ाहा ले रखा हो हाथो में.. बस उसी को भिगो कर अपनी आँखो से सहला दे कोई गालो को तो ऐसा लगता है जैसे रेत हिचकोले खाती हुई बह रही है किनारों पर आती जाती हुई लहरो के संग.. बस उन्ही लहरो के साथ प्रेम के समंदर में डूब जाने का जो मज़ा है.. वो डिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर भी नही पाता..







पर ये मज़ा और ये रोमांच सबको नही मिलता.. कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से.. फिर उस पर चलना भी तो ज़िंदगी है.. और जब चलते चलते कही ठहरते है तो पुरानी राह क़ी याद भी जाती है.. अब जो सांसो में घुला है.. प्यार तो उसमे भी है पर दो चार बूंदे मलाल क़ी दिख जाती है...

पता है जब घर
पहुँची तो एक
पायल वही छोड़ आई
अब एक पायल लेकर
घूमती हू पाँव में
काश क़ी वो पायल
मैं भूल आती नही
ये जोड़ी तो सलामत रहती..

47 comments:

  1. बहुत दिनों बाद कुश का यह रूप देखने को मिला ..और इस पोस्ट को पढ़ कर वही लगा जो आपने कहा ." बस उन्ही लहरो के साथ प्रेम के समंदर में डूब जाने का जो मज़ा है.. वो डिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर भी नही आ पाता."".वैसा ही आनंद आपके इस लिखे के साथ और पायल की जोड़ी सलामत पढने में आया ..

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  2. हर अधूरे सवाल का जवाब होती हैं कविता
    आँख से जो बहा नहीं वो आंसूं होती हैं कविता
    कभी कभी जो किसी से कहा नहीं वो शब्द होती हैं कविता
    और
    कभी किसी ने जो सुना नहीं वो अनुरोध होती हैं कविता
    कवि तो बस लिखता हैं
    पर भावः हमेशा दूसरो का ही होती है कविता
    अधूरी बात को , अधूरी आस को
    पूरा करती हैं कविता

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  3. बढ़िया सारगर्वित रचना आभार..

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  4. कुश जी
    कवी मन को जिन्दा रखना कोई शाजिश नहीं.......ये तो एक सुनहरा एहसास है, कवी मन तो कल्पनाओं के घोडे पर बैठ का कहीं भी उड़ान भर आता है. कहते हैं न "जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुँचे कवी"

    आपकी पूरी पोस्ट बहुत खूबसूरत लगी, एहसास से भरी. आपका लिखा, आपकी नज्म दोनों ही दिल को सुकून देने वाली

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  5. कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से..

    emotional truth ......!

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  6. बहुत खूब !
    इस कवि से यही गुजारिश है की आगे भी लिखते रहें ।

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  7. प्रेम का मतलब सिर्फ पाना नही दे जाना है । दर असल असफल प्रेम की कसक ही सारी उम्र का दर्द दे जाती है । बहुत खूबसूरत अलेख और कविताएँ भी ।

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  8. ऐसी साजिशे होती रहनी चाहिए.

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  9. हालात ठीक नहीं लग रहे कुश...खुमारी...प्रेम...पायल...ह्म्म्म्म्म...आता हूँ जयपुर तुमसे बात करने...
    बहुत अच्छा और डूब के लिखा है...इसमें कोई शक नहीं.
    नीरज

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  10. कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से.. फिर उस पर चलना भी तो ज़िंदगी है.. और जब चलते चलते कही ठहरते है तो पुरानी राह क़ी याद भी आ जाती है.. अब जो सांसो में घुला है.. प्यार तो उसमे भी है पर दो चार बूंदे मलाल क़ी दिख जाती है...

    तुम्हारी ये पंक्तियाँ बेहद पसंद आई....इतनी की तारीफ़ करने को शब्द नहीं मिल रहे, बड़े करीब से जिया है एक ऐसा रिश्ता, यूँ कहूं कि डूबकर देखा है इस अहसास को...पर हर कुछ जो जिया जाता है शब्दों में ढाल कहाँ पाते हैं. किसी का लिखा एक शेर याद आ गया
    "कुछ तो मजबूरियां होंगी वरना
    यूँ ही कोई शख्स बेवफा नहीं होता"

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  11. पता है जब घर
    पहुँची तो एक
    पायल वही छोड़ आई
    अब एक पायल लेकर
    घूमती हू पाँव में
    काश क़ी वो पायल
    मैं भूल आती नही
    ये जोड़ी तो सलामत रहती..
    wah sunder,bichudne ke marm ka ehsaas dil tak sunayi diya,lajawab post.sach kahe to nshabd hai.bahut badhai.

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  12. खुदा कसम कल रात से एक नज़्म पड़ी थी सीने में....बाहर छोडा निकल गये.शाम को देखा तो तुम्हारे दरवाजे पे खड़ी थी ...अन्दर घुसा तो वजह मालूम हुई...कभी कभी लगता है न आँखे मूँद लूँ इस दुनिया से फिर उन्ही लफ्जों की दुनिया में चला जायूं.लेकिन सच बतायुं सांस फूलने लगती है अब ....जिंदगी के मसले रूमानी नहीं होने देते ओर लफ्ज़ बगावत पे उतर जाते है ...तुम्हे पढ़ा तो सकूँ सा महसूस हुआ ..कुछ साल शायद ओर याराना रख सकते हो .......

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  13. कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से.. फिर उस पर चलना भी तो ज़िंदगी है..

    बहुत खूबसूरत अल्फ़ाज हैं. पर मेरे पास तारीफ़ के काबिल शब्दों की कमी है..बस बधाई और शुभकामनाएं कबूल करो.

    रामराम.

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  14. कुछ हुआ है क्या सबको !!!!!!!!! कितने दिनों बाद आज खुस्ब्सुरत दिन निकला है !! नज़मो की हेट्रिक !!!! और वो भी खुबसूरत नज़मो की .... तुमने कोई नोवेल लिखना शुरू किया है क्या!!!!

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  15. जियो जियो जियो.....
    ऐसी तान छेड़ी कि अपने साथ साथ सबको शब्दों संग बहा ले गए.....
    बहुत ही खूबसूरत....भाव भी और अभिव्यक्ति भी.वाह !!!

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  16. ये कौन सा रूप है?! हमारे जैसा शुष्क व्यक्ति भी भावुक सा हो रहा है!

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  17. बहुत पसँद आया आपका कवि रुप कुश भाई
    - लावण्या

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  18. अभिव्यक्ति .............. प्रेम ............
    कुश भाई लव आ गया पढ़ कर यह सब

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  19. क्या कहें कुश भाई आज तो नि:शब्द कर दिया। इस कवि मन की साजिश ने दिल जीत लिया। उधर अनुराग जी की नज़्म ने भीगो दिया इधर आपने। आपने ऐसा लिखा है कि बार बार आकर पढने का मन करेगा। दोनो ही नज़्म दिल को छू गई। और क्या कहूँ शायद दुबारा इस पोस्ट की गली में आऊँगा।

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  20. हुआ क्या है?? तबीयत तो ठीक है...

    फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही.

    -सच मगर तुमने इत्ती सी उम्र में कैसे जाना?

    बहुत दिल के उस कोने से लिखा है जिससे भाव बहते हैं...एकदम उन्मुक्त!! जिओ!!

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  21. पता है जब घर
    पहुँची तो एक
    पायल वही छोड़ आई
    अब एक पायल लेकर
    घूमती हू पाँव में
    काश क़ी वो पायल
    मैं भूल आती नही
    ये जोड़ी तो सलामत रहती..
    भाव भी और अभिव्यक्ति भी.वाह !!!

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  22. This comment has been removed by the author.

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  23. वाह भाई वाह
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  24. अरे कोई भरमाये नहीं ए कुश भाई हैं बड़े प्रोफेसनल राईटर -ऐसी पटकथाएं लिखते हैं की कमजोर दिल वाले अपने दिल पर ले बैठें और दिल खो बैठें - फीलिंग्स को दुलराने का हुनर मालूम है कुश बाबा को -रहम करो भाई !

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  25. अब सभी ने इतनी तारीफ़ कर दी कि हमारे हिस्से मओ तो बस वाह वाह ही बची जो हम आप की कविता के नाम कर रहे है.
    धन्यवाद, इस सुंदर कविता के लिये

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  26. कविता भी मनमोहक है और आपका यह रूप भी बहुत पसन्द आया।
    घुघूती बासूती

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  27. bilkul sach

    .. वो डिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर भी नही आ पाता.. :)

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  28. कुछ साजिशें बहुत खूबसूरत क्यों कर होती हैं?
    या कभी अधूरा होना दर्द भले ही दे पर अच्छा होता है

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  29. प्रेम का मतलब सिर्फ़ पाना ही तो नही होता.. दे जाने में जो प्यार है उसकी खुमारी तो सांसो में घुल जाती है.. इतनी कोमल जैसे रूही का कोई फ़ाहा ले रखा हो हाथो में.. बस उसी को भिगो कर अपनी आँखो से सहला दे कोई गालो को तो ऐसा लगता है जैसे रेत हिचकोले खाती हुई बह रही है किनारों पर आती जाती हुई लहरो के संग.. बस उन्ही लहरो के साथ प्रेम के समंदर में डूब जाने का जो मज़ा है..bahut khoob kaha Kush...

    prem ki peer premi hee jaane...aur na jaane koi....raajha gaate heer lut gayi,kanha ki meera hoi...prem aas hai prem pyas hai,prem hee hai taqdeer...dard baant le,neer laangh le..prem ki yahi tasveer....

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  30. कहाँ सलामत रह पाती है कोई जोड़ी

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  31. वाह! वाह!
    कविमन हमेशा जिन्दा रहता है भाई...अद्भुत भाव है.

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  32. कुश भैया,
    दर्द में क्या मजा है... मालूम था.. और मालूम चल गया...

    जब देर रात तक
    खामोशी बैठी
    रही थी.. उस कमरे में
    तुमने भी एक
    नमी महसूस क़ी
    होगी अपने सीने पर
    एक दूसरे से लिपट कर
    कितना रोए थे ना हम...

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  33. अरे, काहे हड़बड़िया रहे हो..
    कविता के कीटाणू ईहाँ भी हैं..
    पण लिखूँगा संस्कृत में नज़्म.. तो कैसे करोगे हज़म ?
    फ़िलहाल एक असली पीस लेयो ..
    جب دیر رات تک
    کھاموشی بیٹھی
    رہی تھی۔۔ اُس کمرے میں
    تُمنے بھی ایک
    نمی مہسُوس قی
    ہوگی اَپنے سینے پر
    ایک دُوسرے سے لِپٹ کر
    کِتنا روئے تھے نا ہم۔ّ۔
    आदाब अर्ज़ है, भाई कुश की ज़ान !

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  34. अपने इस कवि रूप को इतने दिनों से कहाँ छुपा रखा था.....इतनी खूबसूरत पंक्तियाँ मन के किस कोने से चुरा कर लाये हो!कसम से....तीन बार पढ़ गयी पूरी पोस्ट!

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  35. काश क़ी वो पायल
    मैं भूल आती नही
    ये जोड़ी तो सलामत रहती..
    कवितायेँ भी उतनी ही अच्छी लिखते हो कुश जितनी अच्छी तरह फिल्म की पटकथा

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  36. प्यार को गहराई से तराशकर परोसा है.. बहुत खूब

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  37. वाह जी वाह ! क्या बात है.

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  38. निराली अदा कुश...अच्छी लगी

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  40. क्‍या बात है..दिल को छू लेनेवाली बातें लिखी हैं कुश भाई। भावनाओं की फुहार सराबोर कर गयी हमें..आपके इस कवि रूप के चिरस्‍थायी रहने की दुआ मांगनेवालों में हम भी हैं जनाब।

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  41. डिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर अगर प्यार का रोमांच जो आता होता तो प्यारे हम तो इससे महरूम ही रह जाते। लेकिन कवि मन को जिंदा रखने की साजिश कमाल की रची है, कवि मन को अक्सर जिंदा रखने के लिये खुराक मिलती रहनी चाहिये।

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  42. आपने मेरी पोस्ट पढी समस्या को समझा व सुझाव दिया इसके लिए हार्दिक शुक्रिया मैं पुराना टेम्पलेट नहीं रखना चाहता था इस लिए थोडा मेहनत करके फिर से लिंक बना लिए हैं
    एक बार फिर से आपको हार्दिक धन्यवाद
    --
    आपका वीनस केसरी

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  43. प्रेम का मतलब सिर्फ़ पाना ही तो नही होता..कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. दोनों दिल को छु लेने वाली बातें .. आपके ब्लॉग पर इतनी भावनाए ,संवेदनाये होती हैं .एक एकदम जीता जागता ,जिन्दगी से परीपूर्ण ,जिन्दा ब्लॉग हैं आपका.

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..