जब देर रात तक
खामोशी बैठी
रही थी.. उस कमरे में
तुमने भी एक
नमी महसूस क़ी
होगी अपने सीने पर
एक दूसरे से लिपट कर
कितना रोए थे ना हम...
प्रेम का मतलब सिर्फ़ पाना ही तो नही होता.. दे जाने में जो प्यार है उसकी खुमारी तो सांसो में घुल जाती है.. इतनी कोमल जैसे रूही का कोई फ़ाहा ले रखा हो हाथो में.. बस उसी को भिगो कर अपनी आँखो से सहला दे कोई गालो को तो ऐसा लगता है जैसे रेत हिचकोले खाती हुई बह रही है किनारों पर आती जाती हुई लहरो के संग.. बस उन्ही लहरो के साथ प्रेम के समंदर में डूब जाने का जो मज़ा है.. वो डिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर भी नही आ पाता..
पर ये मज़ा और ये रोमांच सबको नही मिलता.. कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से.. फिर उस पर चलना भी तो ज़िंदगी है.. और जब चलते चलते कही ठहरते है तो पुरानी राह क़ी याद भी आ जाती है.. अब जो सांसो में घुला है.. प्यार तो उसमे भी है पर दो चार बूंदे मलाल क़ी दिख जाती है...
पता है जब घर
पहुँची तो एक
पायल वही छोड़ आई
अब एक पायल लेकर
घूमती हू पाँव में
काश क़ी वो पायल
मैं भूल आती नही
ये जोड़ी तो सलामत रहती..
बहुत दिनों बाद कुश का यह रूप देखने को मिला ..और इस पोस्ट को पढ़ कर वही लगा जो आपने कहा ." बस उन्ही लहरो के साथ प्रेम के समंदर में डूब जाने का जो मज़ा है.. वो डिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर भी नही आ पाता."".वैसा ही आनंद आपके इस लिखे के साथ और पायल की जोड़ी सलामत पढने में आया ..
ReplyDeleteहर अधूरे सवाल का जवाब होती हैं कविता
ReplyDeleteआँख से जो बहा नहीं वो आंसूं होती हैं कविता
कभी कभी जो किसी से कहा नहीं वो शब्द होती हैं कविता
और
कभी किसी ने जो सुना नहीं वो अनुरोध होती हैं कविता
कवि तो बस लिखता हैं
पर भावः हमेशा दूसरो का ही होती है कविता
अधूरी बात को , अधूरी आस को
पूरा करती हैं कविता
बढ़िया सारगर्वित रचना आभार..
ReplyDeleteकुश जी
ReplyDeleteकवी मन को जिन्दा रखना कोई शाजिश नहीं.......ये तो एक सुनहरा एहसास है, कवी मन तो कल्पनाओं के घोडे पर बैठ का कहीं भी उड़ान भर आता है. कहते हैं न "जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुँचे कवी"
आपकी पूरी पोस्ट बहुत खूबसूरत लगी, एहसास से भरी. आपका लिखा, आपकी नज्म दोनों ही दिल को सुकून देने वाली
कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से..
ReplyDeleteemotional truth ......!
बहुत खूब !
ReplyDeleteइस कवि से यही गुजारिश है की आगे भी लिखते रहें ।
प्रेम का मतलब सिर्फ पाना नही दे जाना है । दर असल असफल प्रेम की कसक ही सारी उम्र का दर्द दे जाती है । बहुत खूबसूरत अलेख और कविताएँ भी ।
ReplyDeleteऐसी साजिशे होती रहनी चाहिए.
ReplyDeleteकुश भाई! बहुत खूब!
ReplyDeleteहालात ठीक नहीं लग रहे कुश...खुमारी...प्रेम...पायल...ह्म्म्म्म्म...आता हूँ जयपुर तुमसे बात करने...
ReplyDeleteबहुत अच्छा और डूब के लिखा है...इसमें कोई शक नहीं.
नीरज
कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से.. फिर उस पर चलना भी तो ज़िंदगी है.. और जब चलते चलते कही ठहरते है तो पुरानी राह क़ी याद भी आ जाती है.. अब जो सांसो में घुला है.. प्यार तो उसमे भी है पर दो चार बूंदे मलाल क़ी दिख जाती है...
ReplyDeleteतुम्हारी ये पंक्तियाँ बेहद पसंद आई....इतनी की तारीफ़ करने को शब्द नहीं मिल रहे, बड़े करीब से जिया है एक ऐसा रिश्ता, यूँ कहूं कि डूबकर देखा है इस अहसास को...पर हर कुछ जो जिया जाता है शब्दों में ढाल कहाँ पाते हैं. किसी का लिखा एक शेर याद आ गया
"कुछ तो मजबूरियां होंगी वरना
यूँ ही कोई शख्स बेवफा नहीं होता"
सुंदर लिखा है। दिल से...
ReplyDeleteपता है जब घर
ReplyDeleteपहुँची तो एक
पायल वही छोड़ आई
अब एक पायल लेकर
घूमती हू पाँव में
काश क़ी वो पायल
मैं भूल आती नही
ये जोड़ी तो सलामत रहती..
wah sunder,bichudne ke marm ka ehsaas dil tak sunayi diya,lajawab post.sach kahe to nshabd hai.bahut badhai.
खुदा कसम कल रात से एक नज़्म पड़ी थी सीने में....बाहर छोडा निकल गये.शाम को देखा तो तुम्हारे दरवाजे पे खड़ी थी ...अन्दर घुसा तो वजह मालूम हुई...कभी कभी लगता है न आँखे मूँद लूँ इस दुनिया से फिर उन्ही लफ्जों की दुनिया में चला जायूं.लेकिन सच बतायुं सांस फूलने लगती है अब ....जिंदगी के मसले रूमानी नहीं होने देते ओर लफ्ज़ बगावत पे उतर जाते है ...तुम्हे पढ़ा तो सकूँ सा महसूस हुआ ..कुछ साल शायद ओर याराना रख सकते हो .......
ReplyDeleteकुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. हम खींचते रहते है.. धागे को.. वो ख़त्म ही नही होता.. फिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही. तो चलते चलते मुड जाते है किसी अलग मोड़ से.. फिर उस पर चलना भी तो ज़िंदगी है..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अल्फ़ाज हैं. पर मेरे पास तारीफ़ के काबिल शब्दों की कमी है..बस बधाई और शुभकामनाएं कबूल करो.
रामराम.
कुछ हुआ है क्या सबको !!!!!!!!! कितने दिनों बाद आज खुस्ब्सुरत दिन निकला है !! नज़मो की हेट्रिक !!!! और वो भी खुबसूरत नज़मो की .... तुमने कोई नोवेल लिखना शुरू किया है क्या!!!!
ReplyDeleteजियो जियो जियो.....
ReplyDeleteऐसी तान छेड़ी कि अपने साथ साथ सबको शब्दों संग बहा ले गए.....
बहुत ही खूबसूरत....भाव भी और अभिव्यक्ति भी.वाह !!!
ये कौन सा रूप है?! हमारे जैसा शुष्क व्यक्ति भी भावुक सा हो रहा है!
ReplyDeleteबहुत पसँद आया आपका कवि रुप कुश भाई
ReplyDelete- लावण्या
अभिव्यक्ति .............. प्रेम ............
ReplyDeleteकुश भाई लव आ गया पढ़ कर यह सब
क्या कहें कुश भाई आज तो नि:शब्द कर दिया। इस कवि मन की साजिश ने दिल जीत लिया। उधर अनुराग जी की नज़्म ने भीगो दिया इधर आपने। आपने ऐसा लिखा है कि बार बार आकर पढने का मन करेगा। दोनो ही नज़्म दिल को छू गई। और क्या कहूँ शायद दुबारा इस पोस्ट की गली में आऊँगा।
ReplyDeleteहुआ क्या है?? तबीयत तो ठीक है...
ReplyDeleteफिर एक दिन लगता है अब खींचने से कुछ होगा नही.
-सच मगर तुमने इत्ती सी उम्र में कैसे जाना?
बहुत दिल के उस कोने से लिखा है जिससे भाव बहते हैं...एकदम उन्मुक्त!! जिओ!!
पता है जब घर
ReplyDeleteपहुँची तो एक
पायल वही छोड़ आई
अब एक पायल लेकर
घूमती हू पाँव में
काश क़ी वो पायल
मैं भूल आती नही
ये जोड़ी तो सलामत रहती..
भाव भी और अभिव्यक्ति भी.वाह !!!
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ReplyDeleteवाह भाई वाह
ReplyDelete- हिन्दुस्तान जॉब्स . कॉम
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अरे कोई भरमाये नहीं ए कुश भाई हैं बड़े प्रोफेसनल राईटर -ऐसी पटकथाएं लिखते हैं की कमजोर दिल वाले अपने दिल पर ले बैठें और दिल खो बैठें - फीलिंग्स को दुलराने का हुनर मालूम है कुश बाबा को -रहम करो भाई !
ReplyDeleteअब सभी ने इतनी तारीफ़ कर दी कि हमारे हिस्से मओ तो बस वाह वाह ही बची जो हम आप की कविता के नाम कर रहे है.
ReplyDeleteधन्यवाद, इस सुंदर कविता के लिये
कविता भी मनमोहक है और आपका यह रूप भी बहुत पसन्द आया।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
bilkul sach
ReplyDelete.. वो डिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर भी नही आ पाता.. :)
कुछ साजिशें बहुत खूबसूरत क्यों कर होती हैं?
ReplyDeleteया कभी अधूरा होना दर्द भले ही दे पर अच्छा होता है
प्रेम का मतलब सिर्फ़ पाना ही तो नही होता.. दे जाने में जो प्यार है उसकी खुमारी तो सांसो में घुल जाती है.. इतनी कोमल जैसे रूही का कोई फ़ाहा ले रखा हो हाथो में.. बस उसी को भिगो कर अपनी आँखो से सहला दे कोई गालो को तो ऐसा लगता है जैसे रेत हिचकोले खाती हुई बह रही है किनारों पर आती जाती हुई लहरो के संग.. बस उन्ही लहरो के साथ प्रेम के समंदर में डूब जाने का जो मज़ा है..bahut khoob kaha Kush...
ReplyDeleteprem ki peer premi hee jaane...aur na jaane koi....raajha gaate heer lut gayi,kanha ki meera hoi...prem aas hai prem pyas hai,prem hee hai taqdeer...dard baant le,neer laangh le..prem ki yahi tasveer....
कहाँ सलामत रह पाती है कोई जोड़ी
ReplyDeleteवाह! वाह!
ReplyDeleteकविमन हमेशा जिन्दा रहता है भाई...अद्भुत भाव है.
कुश भैया,
ReplyDeleteदर्द में क्या मजा है... मालूम था.. और मालूम चल गया...
जब देर रात तक
खामोशी बैठी
रही थी.. उस कमरे में
तुमने भी एक
नमी महसूस क़ी
होगी अपने सीने पर
एक दूसरे से लिपट कर
कितना रोए थे ना हम...
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ReplyDelete
ReplyDeleteअरे, काहे हड़बड़िया रहे हो..
कविता के कीटाणू ईहाँ भी हैं..
पण लिखूँगा संस्कृत में नज़्म.. तो कैसे करोगे हज़म ?
फ़िलहाल एक असली पीस लेयो ..
جب دیر رات تک
کھاموشی بیٹھی
رہی تھی۔۔ اُس کمرے میں
تُمنے بھی ایک
نمی مہسُوس قی
ہوگی اَپنے سینے پر
ایک دُوسرے سے لِپٹ کر
کِتنا روئے تھے نا ہم۔ّ۔
आदाब अर्ज़ है, भाई कुश की ज़ान !
अपने इस कवि रूप को इतने दिनों से कहाँ छुपा रखा था.....इतनी खूबसूरत पंक्तियाँ मन के किस कोने से चुरा कर लाये हो!कसम से....तीन बार पढ़ गयी पूरी पोस्ट!
ReplyDeleteकाश क़ी वो पायल
ReplyDeleteमैं भूल आती नही
ये जोड़ी तो सलामत रहती..
कवितायेँ भी उतनी ही अच्छी लिखते हो कुश जितनी अच्छी तरह फिल्म की पटकथा
प्यार को गहराई से तराशकर परोसा है.. बहुत खूब
ReplyDeleteवाह जी वाह ! क्या बात है.
ReplyDeleteनिराली अदा कुश...अच्छी लगी
ReplyDeletehi......ur blog is full of good stuffs.it is a pleasure to go through ur blog...
ReplyDeleteby the way, why don't you start a new blog in your own mother tongue...? now a days typing in Indian Language is not a big task..
recently i was searching for the user friendly Indian language typing tool and found ... " quillpad ". do u use the same..?
heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration...!?
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Jai..HO....
क्या बात है..दिल को छू लेनेवाली बातें लिखी हैं कुश भाई। भावनाओं की फुहार सराबोर कर गयी हमें..आपके इस कवि रूप के चिरस्थायी रहने की दुआ मांगनेवालों में हम भी हैं जनाब।
ReplyDeleteडिज्नीलैंड के रोलर कोस्टर में बैठकर अगर प्यार का रोमांच जो आता होता तो प्यारे हम तो इससे महरूम ही रह जाते। लेकिन कवि मन को जिंदा रखने की साजिश कमाल की रची है, कवि मन को अक्सर जिंदा रखने के लिये खुराक मिलती रहनी चाहिये।
ReplyDeletesach bahut din baad aap laut se aaye :-) khoobsurat kavita
ReplyDeleteNew Post - Memorable Moment - A Sweet Journey with an Unknown Girl
आपने मेरी पोस्ट पढी समस्या को समझा व सुझाव दिया इसके लिए हार्दिक शुक्रिया मैं पुराना टेम्पलेट नहीं रखना चाहता था इस लिए थोडा मेहनत करके फिर से लिंक बना लिए हैं
ReplyDeleteएक बार फिर से आपको हार्दिक धन्यवाद
--
आपका वीनस केसरी
प्रेम का मतलब सिर्फ़ पाना ही तो नही होता..कुछ लोगो का किरदार बहुत छोटा होता है ज़िंदगी में.. दोनों दिल को छु लेने वाली बातें .. आपके ब्लॉग पर इतनी भावनाए ,संवेदनाये होती हैं .एक एकदम जीता जागता ,जिन्दगी से परीपूर्ण ,जिन्दा ब्लॉग हैं आपका.
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