कही आज फिर बॉस ने रात को देर तक रोक लिया तो..? नही वो साफ़ कह देगी.. ऑफीस टाइम के बाद मैं नही रुक सकती.. पहले तो गर्मिया थी शाम देरी से होती थी पर अब नही अब अंधेरा जल्दी हो जाता है.. मगर वो बॉस को कैसे मना करे समझ नही पा रही थी.. नौकरी का भी सवाल था.. अगर ये नौकरी भी हाथ से गयी.. तो क्या होगा..
उसकी धड़कने बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी..
अगर पहले कभी ऐसा होता तो वो कभी मना नही करती.. लेकिन पिछले सात दिनों से जो उसके साथ हो रहा है.. उसने उसे विचलित कर दिया है.. इन सात दिनों में तीन बार उन लड़को ने उसके साथ बदतमीज़ी की है.. रोहित को इस बारे में बताया पर उसका कहना है तुम घर बदल दो.. कही और घर ले लो.. मगर कैसे? ये घर कितनी मुश्किलो से मिला है.. फिर यहा किराया भी कम है.. लेकिन उन लड़को का क्या.. पहले वो बैठे बैठे कुछ भी बोलते रहते थे.. तब तक तो ठीक था मगर.. कल, कल रात तो वो मेरा रास्ता रोक कर खड़ा हो गया..
अकेले अकेले कहा जा रहे हो?
अचानक सब कुछ फिर से उसके चेहरे के सामने आ गया.. कल रात ऑफीस की केब उसे गली के बाहर तक छोड़ के गयी थी.. उसने तेज़ कदमो से घर की तरफ बढ़ना शुरू किया..
उसकी धड़कने बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी..
जैसे ही वो थोड़ा आगे बढ़ी. की एक लड़के ने उसका रास्ता रोक लिया..
अकेले अकेले कहा जा रहे हो?
दूसरा जो पीछे बैठा था वही से बोला.. हमे भी तो साथ ले लो जहा जा रहे हो? और सब ज़ोर से हँसने लगे..
प्लीज़ मुझे जाने दिजिये.. बोलते हुए उसकी धड़कने बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी..
अरे तो हमने कहा मना किया है.. जाइए ना.. पर हमे भी तो साथ ले जाइए..
उसकी आँखो में आँसू आ गये..
लड़का बोला अरे ये तो रोने लग गयी.. विदाई का वक़्त आ गया है..
वो रोते हुए भागने लगी.. लड़के उसके पीछे पीछे चलने लगे.. वो रोती जा रही थी.. तेज़ कदमो से जाने लगी.. थोड़ी दूर तक चलने के बाद लड़के लौट गये.. वो रोती हुई घर में चली गयी..
उसकी धड़कने बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी..
उसको गुस्सा आ रहा था खुद पर.. कितना कुछ बोल के आई थी घर पर.. माँ मैं सब संभाल लूँगी.. पापा मैं हू आपकी बहादुर बेटी.. कुछ नही होगा पापा.. कितनी लड़किया अकेली रहती है बाहर.. मैं सब संभाल लूँगी..
कुछ भी तो नही संभाल पाई थी वो.. क्यो लड़ झगड़ कर आ गयी वो यहा.. अपनी सहेलियो से बोला था उसने.. तुम्हारी तरह नही रहूंगी.. रसोई में जीकर रसोई में नही मरना मुझे.. मैं सबको दिखा दूँगी मैं कौन हू..
आज जो हुआ.. उसने रोहित को फ़ोन पे बताया.. रोहित ने फिर से इस बार उसको घर बदलने के लिए कहा..
मैने तो तुम्हे पहले ही मना किया था.. वहा मत रहो.. अब भुगतो इतना बोल कर रोहित ने फ़ोन रख दिया..
उसने फ़ोन को उठाकर ज़ोर से दीवार पर फेंका..
क्या हुआ मैडम? ऑफीस का चपरासी भागता हुआ उसके कॅबिन की तरफ आया..
कुछ नही एक गिलास पानी ले आओ..
उसने फोन लगाया और अपनी माँ को सब कुछ बताया.. उसे लगा उसकी माँ उसे वापस घर बुला लेंगी..
पर उसकी माँ बोली.. "तू मेरी बेटी होकर डर गई..पगली तू एक औरत है.. जा और जाकर बता की एक औरत की शक्ति क्या है.. औरत सिर्फ़ लक्ष्मी या सरस्वती ही नही होती.. वक़्त पड़ने पर वो काली और दुर्गा का रूप भी ले सकती है.. क्या यही सिखाया है मैने तुझे डर के हार मान जाएगी तू.. आज अगर तू डर गयी तो वो तुझे रोज़ डराएँगे.. डरने से कुछ नही होगा बेटी जाकर बता तू किसकी बेटी है बता दे.. बता दे.."
वो अपनी कुर्सी से खड़ी हुई.. एक अनोखी शक्ति का अनुभव हुआ उसे.. उसकी आँखो में एक फ़ैसला था..
उसकी धड़कने बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी..
चपरासी पानी देकर जाने लगा..
"सुनो.. ये लिस्ट लो और सामने से ये सामान ले आओ.." वो बोली
मैडम जी ये सामान ?
"जो कहा वो करो.. जाओ.." उसने फ़ैसला कर लिया था.. आज पहली बार वो देर होने से घबरा नही रही थी..
केब ने उसे छोड़ा .. वो गली की तरफ़ बढ़ी ..
उसकी धड़कने बहुत तेज़ी से बढ़ रही थी..
सारे लड़के वही बैठे हुए थे.. वो उनकी तरफ़ बढ़ी.. एक लड़के की बाइक के पास जाकर उसने बाइक को लात मारकर गिरा दिया.. हे दम तो आ.. वो गरज़ी .. लड़के सहम गये.. वो कुछ समझे नही.. उसने अपने बालो में लगा क्लचर खोला और बोली आ अगर अपनी माँ अपनी का दूध पिया है तो..
उनमे से एक लड़का तेज़ी से उसकी और बढ़ा.. वो तैयार थी.. जैसे ही वो पास आया.. उसने अपने पर्स में रखा डियो निकाला.. और उसकी आँखो में स्प्रे किया.. लड़का ज़ोर से चिल्लाया.. वो आगे बढ़ी और उस लड़के के पेट पे ज़ोर से लात मारी..
बाकी के लड़के आगे आए.. साली तेरी ये हिम्मत... और चारो लड़के उसके सामने आए.. उसने अपने पर्स में से लाल मिर्च निकाली और उनकी आँखो में उछाल दी.. एक लड़के ने उसे धक्का दिया.. वो नीचे गिर गयी.. उसका पर्स दूर जा गिरा.. वो लड़का आया और उसके बाल पकड़ कर.. घुमा दिया..
उसने अपनी कोहनी से लड़के के पेट में मारा.. लड़का संभल नही पाया.. वो उछली... दूसरा लड़का आया... लड़की ने उसकी टाँगो के बीच में ज़ोर से लात जमा दी.. लड़का उछलकर पीछे जा गिरा.. वो आगे बढ़ी.. बाकी तीनो लड़को को धक्का दिया.. और उनके पेट में ज़ोर से लात मार के तीनो को गिरा दिया..
उनमे से एक उठा.. उसने चाकू निकाला.. और लड़की के सामने खड़ा हो गया.. लड़की ने अपनी आँखे बंद की और ज़ोर से चिल्लाते हुए छलाँग लगाई.. लड़के की बाइक पर एक पाँव लगाते हुए दूसरे पाँव से लड़के के मुँह पर वार किया.. लड़का तैयार नही था.. उसके हाथ से चाकू छूट कर गिर गया.. लड़की ने चाकू हाथ में लिया और लड़के के सीने पर पाँव रखकर खड़ी हो गयी..
उग्रचंडा प्रचंडा च चंडोग्रा चंडनायिका..
चन्डा चंडवती चैव चंडरूपातिचंडिका..
उसके खुले बाल हवा में लहरा रहे थे..बालो के बीच से झांकती उसकी रक्त सी लाल आँखों को देखकर लड़के काँप उठे.. गिरा हुआ लड़का हाथ जोड़कर माफी माँग रहा था... बाकी चारो लड़के उसके पाँव में गिरकर माफी माँगने लगे.. उसने चाकू फैंका...अपना पर्स उठाया और अपने हाथ झटकते हुए आगे बढ़ गई..
लड़के सहमे हुए उसे जाते हुए देख रहे थे..
ज्वालाकारालाम्त्युग्रमं अशेषासुरसूदनं..
त्रिशूलं पातुनोऽर्भीते भद्रकाली नमोस्तुते..
वो घर पहुँची... रोहित के बीस मिस काल थे.. उसने रोहित को फ़ोन किया... रोहित बोला कहा हो तुम मैं कब से तुम्हे फ़ोन कर रहा हू.. मैने तुम्हारे लिए घर देख लिया है..
क्या हुआ.. कुछ बोल क्यो नही रही हो.. जवाब दो ना..
तुम मेरे लिए अब परेशान मत होना रोहित... मुझे घर नही बदलना.. मैने अब अपना इरादा बदल दिया है.. गुड बाय
नमस्चंडिके चंडोर्दंडलीला लसत्खण्डिताखण्डलाशेषशत्रो..
त्वमेका गतिर्देवी निस्तार्हेतु नमस्ते जगत् तारिणी त्राहि दुर्गे..
stri-shakti ko darshati huyi aapki ye kahani achchi lagi
ReplyDeletekush जी
ReplyDeleteआपकी post पड़ कर अच्छा लगा .
दो दिन pahle ही मैंने एक story की थी ladkion की surksha पर .....aab एक pepper spre मिल रहा है baajaar me ....
लेकिन unme himmat or aatamvishwaas भी होना jaruri है जो आपने लिखा है
Intresting Fiction Kush ! But a bit trite and Bollywood type !
ReplyDeletehmm...kush ab action story mein bhi...... :)
ReplyDeletekush jee
ReplyDeletebahut he sundar likha hai aapne...padh kar accha laga...
naari shakti jaruri hai..unhe pata hona chaaiye ki unhe apni raksha kaise karni hai...
कुश जी नमस्कार,
ReplyDeleteभाई लड़कियों की सुरक्षा तो आपने कर दी है. अब हमारी सुरक्षा भी तो करो. मैं तो इसीलिए इनसे दूर रहता हूँ.
तेज धड़कनों ने मुझे स्तब्ध कर दिया था,
ReplyDeleteपर चंडिका के रूप ने सोच को नया आयाम दिया,
बहुत ही अच्छा लगा बदला स्वरुप !
Sahi baat..rone se raasta nahi milta...raasta chal dene se hi milta hai.
ReplyDeletedil aur dimaag dono kholkar himmat se kaam liya jay to rasta nikalta hi hai.
Sundar prernadayak post ke liye aabhaar.
हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ ..deo और लाल मिर्ची...का उपयोग करने के लिए सही समय पर बुद्धि के इस्तमाल की जरुरत है..यह कहानी नारी के शक्ति रूप को जरुर दिखा रही है..मगर क्या यह एक वास्विकता हो सकती है...??
ReplyDeleteजिस तरह से acid फेंकने की घटनाएँ हो रही हैं --जिसे बदला लेने वाले अपना रहे हैं.. उन से कैसे बच सकते हैं..?
यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है..इस घटना के बाद की कहानी भयावह हो सकती है...जो आज कल आम बात है..एक आदमी की कीमत सिर्फ़ चंद रूपये हैं..ह्यूमन बोम्ब भी अब तो बिक रहे हैं..
--कहानी की बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है.
-पूरा ताना बना कसा हुआ है..कहानी रोचक hai.
Kash aisa ho sakta... lekin mumkin nahi lagta..
ReplyDeleteबहुत शानदार कहानी ! लगता है किसी फ़िल्म या play की पटकथा पढी हो ! पर लडकियां जब तक इतनी सशक्त नही होंगी तब तक उनकी सहायता करने दुसरा कोई नही आयेगा !
ReplyDeleteइसमे लडकी का दिमाग (I mean presence of mind) बहुत फ़ुर्तिला है ! जब्कि अमूमन घबराहट मे कुछ भी नही करके इन्सान हिम्मत ही छोड देता है !
बहरहाल कहानी हो या सही घटनाक्रम हो ! लाजवाब प्रस्तुतिकरण के साथ अनुकरणिय उदाहरण ! बिना मरे स्वर्ग नही दिखता ! हमको ही हिम्मत करनी पडेगी ! बहुत बधाई आपको इस लेखन के लिये !
राम राम !
वाह बहुत सुन्दर लिखा है। नारी को यही रूप दिखाना है- मैने एक बार लिखा था-
ReplyDeleteमेरी इच्छा वह दिन आए
जब तू जग में आदर पाए ।
दुनिया के क्रूर आघातों से
तू जरा ना घायल हो पाए
तेरी शक्ति को देखे जो
तो विश्व प्रकंपित हो जाए ।
यह थोथा बल रखने वाला
नर स्वयं शिथिल-मन हो जाए ।
गूँजे जग में गुंजार यही-
गाने वाला नर अगला हो
नारी तुम केवल सबला हो ।
acchi kahani
ReplyDeleteरणचण्डी बन जाए तो अच्छा है.
ReplyDeleteकुछ भाई पोस्ट पढकर दो फिल्में याद आ गई। पहली तो मिर्च मसाला और दूसरी चक दे इंडिया। हिम्मत और आत्मविशवास आना ही चाहिए लडकियों में। एक अच्छी पोस्ट फिल्मी सी।
ReplyDeleteकुश भाई काश देश की हर लड़की ऐसी ही रन चंडी बन जाए...इस लेख के लिए जयपुर आ कर आप को गरमा गरम कोफी जरूर पिलाऊंगा...वादा रहा...
ReplyDeleteनीरज
अच्छी कही ..
ReplyDeleteक्या तेवर है कुश भाई...वाह मजा आ गया और संग में पृष्ठ-भूमि में चलते ये श्लोक
ReplyDeleteनये साल की समस्त शुभकामनायें...दुआ है कि आने वाले साल में आपकी की ये जबरदस्त लेखनी यूं ही तेज-तरार्र चलती रहे !!!
ahut saahas aur himmatwali adki rahi,abhut achhi kahani sfurti se bhari.
ReplyDeleteहर बार की तरह आपकी लेखनी ने जादू बिखेरा!
ReplyDeleteअरे वाह इस पर तो फ़िल्म बनानी चाहिये...
ReplyDeleteधन्यवाद
सही किया उसने....केवल स्त्री को ही नहीं, सबको अपनी शक्ति का आभास होना चाहिए. बहुत बढ़िया पोस्ट है.
ReplyDeleteभयभीत कोई हो, लड़का या लड़की या कोई भी, यह टान्सफार्मेशन ही मुक्ति है।
ReplyDeleteसही है कुश!! ये ही सहारा है.. खुद ही करना होगा... बहुत अच्छे..
ReplyDeleteलेखनी में आया यह टिवस्ट वाकई जोरदार है।
ReplyDeleteबढ़िया कहा कुश....
ReplyDeleteबचपन से घरों में यह सब सिखाया जाना चाहिए। मौजूदा दौर की मांग है...समय रहते समझ लेनी चाहिए। वरना समय बीते पुनि का पछताने। बढ़िया और प्रेरक रचना।
kush kahani achhi hai lekin sabhi ladki karate nahi jaanti na hi itni taqatwar ho sakti hai ki bike par pair rakhte hue kisi ladke ko aisi maar de ki wo gir pade
ReplyDeleteulta bhi ho sakta tha
maanti hoon bahaduri zaruri hai magar kayi baar bahaduri mahngi bhi padti hai
pahile agar isse bacha ja sakta hai bachna chhaiye jab marta
kya na krta wali baat ho to phir jaan ki baji khelni chahiye
नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल कामनाओ के साथ .धन्यवाद.
ReplyDeletekuch bahi chaaa gaye yar aap..!
ReplyDeleteek dam filmi...
bachpan me main comics padha karta tha..usme CHANDIKA ka character aaya karta tha...aur wo sare scens mere dimag me ghoom gaye padhte waqut...
sanskrit manchoocharan ne post me jaan dal di hai..
gudd kuch bhai..
keep writing..[:)]
sundar kahani par kafi had tak filmi.
ReplyDeleteकुछ रहे वही दर्द के काफिले साथ
ReplyDeleteकुछ रहा आप सब का स्नेह भरा साथ
पलकें झपकीं तो देखा...
बिछड़ गया था इक और बरस का साथ...
नव वर्ष की शुभ कामनाएं..
हालांकि ऐसा सच में हो भी सकता है,लालमिर्ची के साथ लड़कियों को कुछ कराटे-वराटे भी सिखाना चाहिए। वैसे फिल्म का आइडिया भी बुरा नहीं है।
ReplyDeleteनव वर्ष है..... नव हर्ष हो
ReplyDeleteएक नई सुबह का स्पर्श हो ....
नव कामना का एहसास हो
नव कल्पना का वास हो
नव यौवन का उल्लास हो
नव कोपल का आभास हो
नव वर्ष को धारण करे
नव किरणों का स्वागत करे ....
नव वर्ष है ...नव हर्ष हो....
उत्प्रेरक कहानी।
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएँ।
काश सब लडकियाँ ऐसी हो जाएं !प्रेरक पोस्ट !
ReplyDelete...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआपके पोस्ट का क्या कहना । काफी खूबसूरत लिखते है आप । पढ़कर दिल खुश हो गया । कुश भाई आप अपनी लेखनी के जलवे इसी तरह विखेरते रहिए । आपको बधाइयां । वक्त मिले तो मेरे खलिहान में आये
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया कहानी लिखी है कुश, रोंगटे खड़े हो गए मेरे तो. खास तौर से जिस तरह अंत में श्लोक बेहद प्रबावी बनता है घटना को. मुझे लड़की की माँ की बात बड़ी अच्छी लगी, उन्होंने उसे डराया नहीं, उसे विश्वास दिया. पर अफ़सोस की ऐसे बातें बस कहानियो में सम्भव हो सकती हैं. वास्तविक जीवन में तो ऐसे किसी घटना के बाद उस लड़की का जीना मुहाल हो जायेगा.
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