कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर..... ये शब्द जो गिरते है कलम से.. समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में...... ....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
Monday, August 18, 2008
जब आख़िरी दफ़ा हम प्याला हुए थे हम दोनो..
वो गर्म शाम जब आख़िरी दफ़ा हम प्याला हुए थे हम दोनो.. अब भी मेरे जेहन
में जमी सीलन पर फिसलकर आती है मेरी यादो में.. हाँ वही गर्म शाम जब हम प्याला हुए थे हम दोनो..
मैं तिराहे वाले कॉफी शॉप की आराम कुर्सी पर बैठा था.. की तुम ले आई कॉफी के दो गरम प्याले.. मैं अपनी उंगलियो पर उस प्याले की गर्माहट अब भी महसूस करता हू.. हल्की हवा के झोंके ने जो उड़ाई थी ज़ुल्फ तुम्हारी
वल्लाह!! मैं अब भी उस से बातें करता हू
मेरे हाथ मैं पुखराज देखकर.. कहा था तुमने
ये क्या उल्टा सीधा पढ़ते रहते हो.. कभी गुलज़ार ..कभी ख़ुसरो पागल हो जाओगे...
तुम तो बिना पढ़े ही हो... मैने जवाब दिया था तुम इतनी ज़ोर से हँसी की पूरे कॉफी शॉप ने मुड़कर देखा था..
परवाह किसे है
तुम्हारा जवाब था..
लेकिन मैं तुम्हारा जवाब नही दे पाया.. जी तो किया था की सांसो के लिबास फाड़ के रख दु और खींच के रख दु दिल की धड़कनो को.. कब से थाम के बैठी है मुझे.. जवाब है मेरे पास.. दे भी सकता हू तुम्हे.. मगर पिताजी और उनकी इज़्ज़त.. बचपन से जवानी तक का सफ़र.. लबो को सील चुके थे सब..
तुम डरती हुई हँसी थी... तुमने पुछा.. चुप क्यू हो? कुछ बोलते क्यू नही.. मुझे घबराहट हो रही है.. जवाब दो ना..
काश की मैं दे पाता जवाब तुम्हे.. तुम्हारी आँखें जिनमे मैं अपनी तस्वीर देखता था तब मिला नही पाया था
नज़रे इनसे..
अच्छा हुआ अभी पता चल गया.. वैसे भी मैं बुज़दिल इंसान के साथ जी नही सकती.. थॅंक यू..
एक तेज़ी के साथ तुम सीढ़िया उतर गयी थी.. मैं जहा था वही रह गया...
प्याले में आधी कॉफी छोड़ गयी थी तुम.. तब से आधी ज़िंदगी जी रहा हू मैं
तब से आँसुओ से दोस्ती जो हुई की एक सीलन जम गयी जेहन में और उसी पर फिसल फिसलकर आ जाती है यादो में वो गर्म शाम
जब आख़िरी दफ़ा हम प्याला
हुए थे हम दोनो..
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sundar bhaw...par kush bhayi aap kab se aisa likhne lage.hame aapka yah andaj nahi bhaya.
ReplyDeleteमैं अपनी उंगलियो
ReplyDeleteपर उस प्याले की
गर्माहट अब भी
महसूस करता हू..
प्याले में
आधी कॉफी छोड़
गयी थी तुम.. तब से
आधी ज़िंदगी जी रहा हू मैं
दिल को छू जाने वाली पंक्तियाँ।
dilchasp andaaz-e-bayaan...poetic prose...hamesha hi alag lagta hai..aur dil ko cheer wahi chhu jaata hai..jaha wo kuch yu baith jaata hai jaise..ham mehsoos kar chuke ho..
ReplyDeletefantastic..
likhte rahe..
ठीक किया, सब को खुश नही कर सकते,लेकिन स्बार्थी बनाना भी अच्छा नही जिन्होने हमे इतना बडा किया, हमारी जिन्दगी पर पहला उन का हक हे... ओर प्यार करना जो जानते हे.... वो कभी भी गलत फ़ेसला नही लेते. अगर मे भी होता तो उस (आधी ज़िंदगी जी रहा हू मैं पर), कभी अफ़फ़्सोस ना करता अपने फ़ेसले पर, अगर यह सच हे तो मुझे मान हे ऎसे निर्णया लेने वाले पर.
ReplyDeleteधन्यवाद
ek aur devdas??? kushbhai...ye kahan aa gaye aap yun hi baat karte karte?
ReplyDeleteखुबसूरत और दर्द देती हुई।
ReplyDeleteसुंदर, प्यारी और हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteगम का फ़साना तेरा भी है ....:) बहुत भावुक कर देने वाला लिखा है .पसंद आया
ReplyDeleteआज कल नेट पर गद्यकाव्य का प्रचलन बढ़ा है यह भी सुंदर है।
ReplyDeleteमैं तो कुश की कलम से किसी नए सदस्य का परिचय पढ़ना चाह रही थी, चलो ये भी चलेगा। सस्नेह
ReplyDeleteकुश क्या खूब लिखा है भई मजा आगया पढ़ने में। आधा प्याला कॉफी और आधा प्याला जिंदगी बहुत बढ़िया। सुंदर...अति उत्तम।।।।
ReplyDeleteएक प्याला शायद उधर भी ऐसे ही सोचता हो ?
ReplyDeletejitne sunder bhav,utni sunder abhivyakti
ReplyDeletekhoobsoorat andaj hai...achha laga
ReplyDeletejane kitne ehsaas andar me umde........
ReplyDeletebhawnaaon ka chitran dil tak
khubsuraat...par udaas.....
ReplyDeleteअगली बारी ही सही -
ReplyDeleteशायद,
कोई पूरा प्याला लिये
इँतज़ार कर रहा हो :)
- लावण्या
मन के भाव में सच का एहसास घुला हो जैसे... कुश की कलम की प्रभावशाली शैली मन को छू जाती है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति है !बधाई !!
ReplyDeleteक्या बात है जी ,
ReplyDeletejab is tarah ka likhte ho to koi aur hi kush nazar aate ho...bahut sundar shabdon se dil ko chhoo liya.
ReplyDeletebahut khoob kalam chalayi !
ReplyDeleteitna ghari baat likh di
ReplyDeletebhaut hi sunder kahani aur msg
मैं अपनी उंगलियो
ReplyDeleteपर उस प्याले की
गर्माहट अब भी
महसूस करता हू..
प्याले में
आधी कॉफी छोड़
गयी थी तुम.. तब से
आधी ज़िंदगी जी रहा हू मैं
बहुत खूबसूरत तहरीर, दिल को ढेरों उदासी दे गई, अंदाज़ बहुत दिलकश है.
bahut bahut khoobsoorat.
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