कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर.....
ये शब्द जो गिरते है कलम से..
समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में......
....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
Tuesday, August 12, 2008
कौन कहता है की भारतीय नारी कमजोर है..
क्या अभी भी आप यही कहते है की भारतीय नारी कमज़ोर है??
are....yaar..ye to do nari hi lad rahi hai......i wish ki vo jo sar pakda hai kisi ka ....vo koi :P ........tab koi baat bane....ye to aapas ki baat hai ....bahot purani ...nari hi nari ki dushman....
ये क्या कुश भाई....हमारे घर के अल्बम से फोटो चुरा लाये आप...शादी के 12 साल बाद का है...ये फोटो सबके अल्बम में मिल जाएगा लेकिन हमारे जैसे इस सत्य को कोई मानेगा नहीं...हर शादी शुदा का हाल एक ना एक दिन हर नारी(पत्नी) ऐसा ही करती है. नीरज
मैं तो ड्राइविंग को छोड़कर बाकि सभी चीजो में महिला को बराबर मानता हू.... ड्राइविंग में पता नही क्यों.... वैसे ये चित्र तो हसने वाली है :)
ReplyDelete"well nice thought, and i do agree with Rajesh jee bcs driving mey vakeey gadbad ho jatee hai ha ha ha "
ReplyDeleteRegards
बजा फरमाया हजूर....एक ठो फोटो ओर लगा देते तो .....
ReplyDeleteआप बिलकुल सही फरमाते हैं।
ReplyDeleteनही जी ..किसने कहा ? कौन कहता है हमें बताये कि नारी कमजोर है :)
ReplyDeleteमी लार्ड, मैंने नहीं कहा.
ReplyDeleteare....yaar..ye to do nari hi lad rahi hai......i wish ki vo jo sar pakda hai kisi ka ....vo koi :P ........tab koi baat bane....ye to aapas ki baat hai ....bahot purani ...nari hi nari ki dushman....
ReplyDeleteये क्या कुश भाई....हमारे घर के अल्बम से फोटो चुरा लाये आप...शादी के 12 साल बाद का है...ये फोटो सबके अल्बम में मिल जाएगा लेकिन हमारे जैसे इस सत्य को कोई मानेगा नहीं...हर शादी शुदा का हाल एक ना एक दिन हर नारी(पत्नी) ऐसा ही करती है.
ReplyDeleteनीरज
hahaha...kushbhai...sahi jawab hain..
ReplyDeleteहा हा हा । डर गए क्या? नारी कमजोर वहीं होती है जहाँ भावनाओं से बँध जाती है। सस्नेह
ReplyDeleteहम तो न पहले कहते थे और इसे देखकर तो कही नहीं सकते. :)
ReplyDeleteha ha ha........jabardast
ReplyDeleteनारी तू, नारायणी !!!
ReplyDelete.
ReplyDeleteनारी को कमजोर बोलता
ऒऎ बावला हुआ है क्या ?
किधर से नारी कमजोर दिखती तेरे को
घुटने टेक तभी नारी खुस करती तेरे को
नारी की ताकत तू क्या जाने,
ऒऎ बावले तुझसे क्या बोलूँ
मन्नें तो लाग्गे कि अभी तलक
अपनी शादी के लड्डू भी ना मिले तेरे को