मुस्कुराहट उधार
मिल सकती है क्या ??
सुबह सुबह एक सज्जन फोन पर कहने लगे..
हम सकपकाए, भय्ये पहले ये तो बताओ की बोल कौन रिया है.. सामने से आवाज़ आई हम लल्लन लखनवी बोल रहे है.. वैसे तो हम ऐसे अंजान लोगो से बात नही करते पर जब लखनऊ का नाम जुड़ा था तो हम भी सोचे की बात कर ली जाए.. वो क्या है लखनऊ हमे बड़ा प्रिय है भले ही हम कभी गये नही वहा.. पर गये तो चाँद पे भी नही है मामा मामा तो कहते ही है.. खैर वो छोड़िए.. बात लल्लन की करते है.. हम बोले लल्लन मिया कहा नंबर मिलाया है आपने.. किस से बात करनी है..
लल्लन भाई बोले जो मिल जाए उसी से बात कर लेंगे.. हम बोले भाई अभी तो हम मिले हुए है. और धीरू भाई की मेहरबानी से इनकमिंग फ्री है, परमपिता की मेहरबानी से हम भी फ्री है तो अपना मूह खोलकर जो बोलना हो बोलिए.. हम निस्वार्थ भाव से सुनेंगे..
लल्लन जी को शायद हमारी बात समझ नही आई.. पर फिर भी अपनी बात करते रहे.. बोले आप जो भी हो आपको एक पीड़ित व्यक्ति की सहयता करनी चाहिए.. सहायता का नाम सुनकर हुमारी घंटी बजी.. हम बोले भाई साहब आपको ग़लतफ़हमी हुई है मेरे ससुराल से दहेज में मिले मोबाइल पर मत जाइए.. मैं तो बहुत मामूली आदमी हू.. लल्लन मिया बोले लाहोल विला कूवत तुम साले आम आदमी सहायता का नाम सुनते ही बटुए की तरफ देखते हो.. अमाँ मियां हर मदद पैसो से थोड़े ही होती है.. लल्लन मियां की बात सुनकर हम थोड़े सहमे... हमने भी फंटा मारा ऐसी बात नही है लल्लन जी पहले हम भी लोगो की बहुत मदद किया करते थे वो तो अब उम्र का तक़ाज़ा है वरना.. खैर आप बताइए.. कौन पीड़ित है..
इतना सुनते ही लल्लन मिया सेंटिमेंटल हो गये.. बोले अब तुम तो जानते हो छोटू.. आईला छोटू ये लल्लन मिया को कैसे पता की बचपन में हमारा कद छोटा होने से सब हमको छोटू कहते थे.. छोटू शब्द सुनते ही हमने बचपन की यादो में गोते लगा लिए वो चिल्लाए कहा गुम हो जाते हो छोटू.. हमने कहा जी माफ़ कीजिए यूही ज़रा.. आप बताइए.. क्या पीड़ा है आपको.. वो बोले रोज़ शाम को ऑफीस से घर आता हू.... बॉस की डाँट सुनके और घर आते ही बीवी परेशान करती है.. तंग आकर टीवी ऑन करता हू.. तो देखता हू हर चॅनेल लाफ्टर थेरेपी चला रहा है. .. राजू के ठहाके . .हसी के हंस्गुल्ले.. रंगीन मिज़ाज़ राजू.. सुनील पाल के क़हक़हे..
ऐसे ऐसे हँसी के प्रोग्राम आते रहते है.. की क्या बताऊ रोना आ जाता है। एक ही जोक हर चेनल पर इतनी बार दिखाया जाता है की वो जोक कम और जोंक ज्यादा लगता है। चेनल आपको तब तक हँसाने का दावा करता है जब तक की आप रो ना पड़े .. अब क्या बताऊ तुम्हे छोटू की हँसे हुए एक ज़माना गुज़र गया.. इसलिए सोचा की फोन करके किसी से हसी उधार ले लू.. ऐसे छिछोरे प्रोग्राम देख कर दूसरो की ही हँसी बर्बाद की जा सकती है.. अपनी नही.. इसलिए उधार माँग रहा हू.. तुम क्या कहते हो छोटू?
मैं क्या कहता उनकी बात सुनकर मुझे मेरी पीड़ा याद आ गयी। मैं टे टे करके रोने लगा। लल्लन मियांघबरा गये... उन्हे लगा की यहा से तो हँसी मिलना मुश्किल है उन्होने कहा मैं फोन रखता हू..... तुम अपना ख्याल रखना छोटू.. छोटू शब्द के सम्बोधन ने और रुला दिया.. परेशानी दूर करने के लिए मैने टीवी ऑन किया तो देखा हसी के गुलगुले आ रहा है.. मैं और ज़ोर से रोने लगा.. फिर फट से मोबाइल उठाया और कॉल किया.. सामने से आवाज़ आई कौन.. हम बोले
मुस्कुराहट उधार
मिल सकती है क्या ??
मिल सकती है क्या ??
सुबह सुबह एक सज्जन फोन पर कहने लगे..
हम सकपकाए, भय्ये पहले ये तो बताओ की बोल कौन रिया है.. सामने से आवाज़ आई हम लल्लन लखनवी बोल रहे है.. वैसे तो हम ऐसे अंजान लोगो से बात नही करते पर जब लखनऊ का नाम जुड़ा था तो हम भी सोचे की बात कर ली जाए.. वो क्या है लखनऊ हमे बड़ा प्रिय है भले ही हम कभी गये नही वहा.. पर गये तो चाँद पे भी नही है मामा मामा तो कहते ही है.. खैर वो छोड़िए.. बात लल्लन की करते है.. हम बोले लल्लन मिया कहा नंबर मिलाया है आपने.. किस से बात करनी है..
लल्लन भाई बोले जो मिल जाए उसी से बात कर लेंगे.. हम बोले भाई अभी तो हम मिले हुए है. और धीरू भाई की मेहरबानी से इनकमिंग फ्री है, परमपिता की मेहरबानी से हम भी फ्री है तो अपना मूह खोलकर जो बोलना हो बोलिए.. हम निस्वार्थ भाव से सुनेंगे..
लल्लन जी को शायद हमारी बात समझ नही आई.. पर फिर भी अपनी बात करते रहे.. बोले आप जो भी हो आपको एक पीड़ित व्यक्ति की सहयता करनी चाहिए.. सहायता का नाम सुनकर हुमारी घंटी बजी.. हम बोले भाई साहब आपको ग़लतफ़हमी हुई है मेरे ससुराल से दहेज में मिले मोबाइल पर मत जाइए.. मैं तो बहुत मामूली आदमी हू.. लल्लन मिया बोले लाहोल विला कूवत तुम साले आम आदमी सहायता का नाम सुनते ही बटुए की तरफ देखते हो.. अमाँ मियां हर मदद पैसो से थोड़े ही होती है.. लल्लन मियां की बात सुनकर हम थोड़े सहमे... हमने भी फंटा मारा ऐसी बात नही है लल्लन जी पहले हम भी लोगो की बहुत मदद किया करते थे वो तो अब उम्र का तक़ाज़ा है वरना.. खैर आप बताइए.. कौन पीड़ित है..
इतना सुनते ही लल्लन मिया सेंटिमेंटल हो गये.. बोले अब तुम तो जानते हो छोटू.. आईला छोटू ये लल्लन मिया को कैसे पता की बचपन में हमारा कद छोटा होने से सब हमको छोटू कहते थे.. छोटू शब्द सुनते ही हमने बचपन की यादो में गोते लगा लिए वो चिल्लाए कहा गुम हो जाते हो छोटू.. हमने कहा जी माफ़ कीजिए यूही ज़रा.. आप बताइए.. क्या पीड़ा है आपको.. वो बोले रोज़ शाम को ऑफीस से घर आता हू.... बॉस की डाँट सुनके और घर आते ही बीवी परेशान करती है.. तंग आकर टीवी ऑन करता हू.. तो देखता हू हर चॅनेल लाफ्टर थेरेपी चला रहा है. .. राजू के ठहाके . .हसी के हंस्गुल्ले.. रंगीन मिज़ाज़ राजू.. सुनील पाल के क़हक़हे..
ऐसे ऐसे हँसी के प्रोग्राम आते रहते है.. की क्या बताऊ रोना आ जाता है। एक ही जोक हर चेनल पर इतनी बार दिखाया जाता है की वो जोक कम और जोंक ज्यादा लगता है। चेनल आपको तब तक हँसाने का दावा करता है जब तक की आप रो ना पड़े .. अब क्या बताऊ तुम्हे छोटू की हँसे हुए एक ज़माना गुज़र गया.. इसलिए सोचा की फोन करके किसी से हसी उधार ले लू.. ऐसे छिछोरे प्रोग्राम देख कर दूसरो की ही हँसी बर्बाद की जा सकती है.. अपनी नही.. इसलिए उधार माँग रहा हू.. तुम क्या कहते हो छोटू?
मैं क्या कहता उनकी बात सुनकर मुझे मेरी पीड़ा याद आ गयी। मैं टे टे करके रोने लगा। लल्लन मियांघबरा गये... उन्हे लगा की यहा से तो हँसी मिलना मुश्किल है उन्होने कहा मैं फोन रखता हू..... तुम अपना ख्याल रखना छोटू.. छोटू शब्द के सम्बोधन ने और रुला दिया.. परेशानी दूर करने के लिए मैने टीवी ऑन किया तो देखा हसी के गुलगुले आ रहा है.. मैं और ज़ोर से रोने लगा.. फिर फट से मोबाइल उठाया और कॉल किया.. सामने से आवाज़ आई कौन.. हम बोले
मुस्कुराहट उधार
मिल सकती है क्या ??
अद्भुत!
ReplyDeleteबहुत ज़बरदस्त लिखा है छोटू....:-)
वाह ! छोटू मियां सुभानअल्लाह !
ReplyDeleteहंसा हंसा कर इत्ती बड़ी बात कह गए.....वाह .
छोटू !पहला उधार तो चुका भैय्ये !
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है....
ReplyDeletehaahaa
ReplyDeleteउधार क्यों? आप तो बस ले जाइये..:)
उधार मिलेगी तो बाँट देना :) मुस्कराहट .बढ़िया कहा मजाक मजाक में
ReplyDeleteये छोटू तो हमें भा गया। सुना है कि मोहन राकेश ऐसे हँसते थे कि बस वाला भी उतार देता था। वैसे अब वैसी हँसी मिलती कहाँ है। बहुत उम्दा लिखा।
ReplyDeleteमुस्कुराहट उधार
ReplyDeleteमिल सकती है क्या ??
"हा हा हा हा हा हा आपको मिली या नही पर यहाँ तो अपने सबको मुस्कुराहट के साथ साथ हंसी भी बाँट दी .."
Regards
ha mil sakti hai....par hamare saath himalay par aana padega :P
ReplyDeleteऐसी बात है तो ये लो.. :)
ReplyDeleteबाकी बात मर्म की कर दी.
मुस्कराहट उधार नही मिलती है भाई चहरे पे लाना पड़ती है
ReplyDeleteमुस्कुराहट के बारे में आज मेरा पन्ना समयचक्र देखे.
http://mahendra-mishra1.blogspot.com/2009/01/blog-post_19.html
udhaar nahi pyaare poori ki poori le jaao mere paas bahut hai
ReplyDeletemera chhota sa beta hai wo bahut muskurata hai aur uske saath ham sab muskuraate rahte hain
वाह मजा आया मुस्कराहट ही नही हंसी भी आयी !
ReplyDeletegood one छोटू
ReplyDeletewaah bahut khub:):)
ReplyDeletehasa diya aapne to :-)
ReplyDelete'ऐसे ऐसे हँसी के प्रोग्राम आते रहते है.. की क्या बताऊ रोना आ जाता है--क्या बखिया उधेडी है ! वाह!'
ReplyDeleteछोटू!!!!!!!!!हँसी उधार नहीं मिलती...कमानी पड़ती है आज कल !
['कल पढ़ा था न -कभी कभी टैक्स भी चुकाना पढता है-विवेक जी की तरह!]
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआज मुस्कराहट उधार चाह रहे है हम . क्योकि हम हकीक़त का सामना करना नही चाहते
ReplyDeleteछोटू जी, नमस्कार
ReplyDeleteहाँ जी, मुस्कुराहट उधार मिल सकती है. मेरे पास है फ़ालतू. एक रुपये प्रति मिनट.
ये लो....
हँसो!!!!
हाँ ठीक है, लाओ अब दस रुपये.
गजब ,बहुत ही बढ़िया लिखा हैं जी ,ये हँसी के कार्यक्रम वाकई बहुत रुलाते हैं ,क्या कहू इतना अच्छा लिखा हैं की तारीफ के लिए शब्द नही हैं छोटू जी .
ReplyDeleteचलो; आपने अच्छा बताया - जब संजीदा/गमगीन होने का मन होगा तो टीवी पर ये कार्यक्रम देख लेंगे! :)
ReplyDeleteताऊ छोटू्रामजी, ये तो गजब..बेमिसाल और लाजवाब लिखा है. परदेश मे भी मजा आगया.
ReplyDeleteरामराम.
हास,परिहास का पुट देते हुए क्या जबरदस्त कटाक्ष किया है,
ReplyDeleteसच कहा ....... इन सिरिअलों में रोना ही आता है......
वाह रे छोटू मियाँ, बढ़िया बांटे हो इस पोस्ट के थ्रू.
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट छोटू जी :)
ReplyDeleteहमारे यहाँ भेज दो लल्लन मियां को यहाँ मुस्कुराहटें और ठहाके उधार में नहीं थोक में मिलते हैं, कहना एक खली ट्रोला लेकर आयें भरने के लिए ट्रक में शायद वो ना समां पाये...और हाँ...उनको यहाँ भेजने पर आप को भी पार्सल से ठहाके भेज देंगे...कमीशन के रूप में भाई...
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है...कुश...खूब माने कमाल का...
नीरज
जोक कम और जोंक ज्यादा लगता है
ReplyDelete...बहुत खूब कुश जी
milegi dost par ek shart hai ...byaj sahit loutani hogi
ReplyDeleteअरे कुश भाई लखनऊ इतना ही पसंद है तो आ जाइए एक बार कितनी दूर है आख़िर
ReplyDeleteहम लखनऊ वाले पलकें बिछा के इन्तजार करेंगे
और हाँ अपने लल्लन भाई आपके ब्लॉग को पढ़ पढ़ के इमोशनल हो गए थे हमसे कहने लगे अब जिसने इमोशनल कर कर के रुलाया है उसी से मुस्कराहट लूंगा
नगद न सही उधार ही सही
हमने तो कहा था कि कुश भाई गुरु आदमी हैं लेकिन नही माने
फिलहाल उनको हमने आपकी ऑरकुट प्रोफाइल का लिंक दे दिया है अभी उनके घर से फ़ोन आया था कि फ़िर से नॉर्मल करना है बहुत ज्यादा मुस्कुरा रहे हैं . अब सोच रहे हैं कि किसके ब्लॉग का लिंक दें
अरे ससुराल से दहेज में मोबाइल आ गया ?
ReplyDeleteटे टे करके रोने वाले मुझे बहुत पसंद हैं :)
सच कहूँ, हँसने के लिए मूड की जरूरत होती है, अच्छे मूड में आप बासी चुटकुले पर भी जी खोलकर हॅस सकते हैं। हॅसने का बहाना भर चाहिए और अपनेपन का माहौल, फिर जितना मर्जी हॅस लो। उधार मॉगने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी:) है ना कुश भाई।
ReplyDeleteठहाकों की गारंटी नही है मुस्कुराहट तो जब चाहो हम से फ्री ले लो
ReplyDeleteसुन्दर। तुम्हारी मुस्कान कामना पर हम फ़िदा हुये। कभी लिखे थे-
ReplyDeleteहंसी की एक बच्ची है
जिसका नाम मुस्कान है
अब ये अलग बात है
कि उसमें
हंसी से कहीं ज्यादा जान है।
ये देख के अच्छा लगा कि मुस्कान से तुम्हारा कांटा लग गया। :)
कंगाली में आटा गीला जैसी बात मत करो छोटू.. यहाँ भी मुस्कराहट का अकाल पड़ा है..
ReplyDeleteलखनऊ पंसद तो हमें भी बहुत है ...पर हमने कभी देखा नहीं ...आपका लेख बहुत अच्छा लगा ...वास्तव में बहुत हँसी आई ...जो आजकल बहुत मँहगी हो गई है...
ReplyDeleteबहुत खूब। पढकर मजा आ गया।
ReplyDeletebahut mast kush bhai....
ReplyDeleteare mukuraahat kya aap puri hasi le lo hamse...
Shukriya
ReplyDeleteKush bhai khalis lucknwi shtyle men likha hai maza aa gaya.
zabardast....
maine apki kshdikayen ke liye creative kiye hain aap ijazat den to mail karun.
@ij@z
Shukriya
ReplyDeleteKush bhai khalis lucknwi shtyle men likha hai maza aa gaya.
zabardast....
maine apki kshdikayen ke liye creative kiye hain aap ijazat den to mail karun.
@ij@z
उधार की बात हम क्या करे...चंदा मामा की बात की तो दो लाईने अर्ज हैं...
ReplyDeleteये चाँद भी कैसे अजीब सितम ढाता है,
बचपन में मामा और जवानी में सनम नजर आता है
bahut achcha likha hai kush bhai. hasane ke hasyaspad koshish hoti hain in channels par. vaise isi vishy par ek mera ek vyang december ki kadambni me chapa tha.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं
ReplyDeleteवाह...छोटू...
ReplyDeleteवाह......... बेहतर भावाभिव्यक्ति के लिये बधाई
ReplyDeleteक्या जमाना आगया है !
ReplyDeleteलोग अपने घर बुला लेते हैं और तीन दिन का बासी नाश्ता कराते हैं :)
इतनी मंहगी और दुर्लभ चीज आज की दुनिया की-और वो भी उधार? नह्ह्हीं!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है, छोटू.
गणतंत्र दिवस की आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं
ReplyDeletehttp://mohanbaghola.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
इस लिंक पर पढें गणतंत्र दिवस पर विशेष मेरे मन की बात नामक पोस्ट और मेरा उत्साहवर्धन करें
बहुत खूब!
ReplyDeleteआपको, आपके परिवार एवं मित्रों को भी गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई!
वंदे मातरम!
ज़बरदस्त
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस को हार्दिक शुभकामना .
ज़रूर मिलेगी उधार छोटू लेकिन उसके लिये ठहाके गिरवी रखना पडेगा।
ReplyDeleteवाकई, मुस्कुराहट उधार मिल सकती है क्या?
ReplyDeleteलखनऊ आए नहीं तो आ कर देखिये.आपको और प्रिय हो जाएगा .रही मुस्कान की बात तो हम सबसे कहते हैं..मुस्कराइए की आप लखनऊ में हैं! या फ़िर...SMILE YOU ARE IN LUCK NOW ! मुस्कान लाने के लिए शुक्रिया .
ReplyDeleteadhbhut
ReplyDeletekamaal likhte ho
hans hans kar pet mein dard ho gaya
aur saath mein baat bhi sikha gaye