अब पढ़िए चुपचाप...! तो हरमाईनी जो है.. अरे साहब वही हरमाईनी जिसके बारे में ऊपर बताया मैंने.. हाँ तो हरमाईनी जो है वो मिसेज गुप्ता के चार गोल चक्कर काटके फुदकती हुई सड़क किनारे जा लगी ही थी कि ठीक तभी अपनी कहानी का नायक उसी खम्बे पे टांग उठाये खड़ा हुआ जिस खम्बे की बात मैंने पहली ही पंक्ति में की है.. बस जनाब जैसे ही उसने धार लगायी की खम्बे ने करंट का झटका मारा और कुत्ता फटके से पीछे जा गिरा.. हरमाईनी बेशर्मी से खींसे निपोर कर मुस्कुराने लगी.. और कुत्ते की आँखों में खून उतर आया...पर स्थिति की गंभीरता और उष्णता को देखता हुआ बेचारा अपमान का घूँट गिलास में डालकर पी गया.. लेकिन उसी दिन से कुत्ता अपने अपमान का बदला उस नामाकूल खम्बे से लेना चाहता है पर मौका है कि मिलता ही नहीं..
और आज जब शहर के बाशिंदे लिहाफो में घुसे पड़े ऊंघ रहे है तब कुत्ता जो है वो टांग पे टांग टिकाये फूटपाथ पे लेटे लेटे सामने लगे खम्बे को घूर रहा है.. चाहता तो वो ये है कि मोहल्ले के सारे सड़क छाप कुत्तो को ले जाके धार लगाकर खम्बे को नाले में बहा दे.. पर जबसे उस कुत्ते की फजीती की खबर बाकी कुत्तो को मिली है सब उस खम्बे से कन्नी काटने लगे है.. कुत्ता मन ही मन बाकी कुत्तो को गाली देता है.. "इंसान साले"
कुत्ता अपनी बेबसी के चलते रात होते होते जैसे ही जोर से रोता है पड़ोस की खिड़की से एक चप्पल आके उसके मुंह पे दर्ज हो जाती है.. "हरामी कही के.. " कुत्ता शायद ऐसा ही कुछ मन में सोचता है.. अब नहीं सोचता तो नहीं सोचता होगा लोड क्यों ले रहे है.. जाने दीजिये.. तो कुत्ता खिसियाकर चुपचाप आंसु बहाने लग जाता है.. और एक बात मैं आपको बता दूँ.. कि जब भी कोई कुत्ता उदास होता है तो वो गाना गाता है.. अब गाना सुनने के लिए उतावले मत होइए.. कुत्ते का गाना तो मैं आपको सुनाने से रहा..
तो जनाब कुत्ता गाना वाना गाकर सो तो गया है पर उसके कुत्ते जैसे मुंह पर जो मुस्कराहट चम चम कर रही है उसकी वजह सपने में उसके और खम्बे के बीच हो रहे घमासान युद्ध का सीन है.. कुत्ता धनुष बाण लेकर हरमाईनी के घर के ठीक सामने खड़ा है.. खम्बा कुछ ही दूरी पर लगभग घबराया हुआ है.. हर्माइनी की जो उंगलिया है वो उसी के दांतों के तले दबी हुई है.. कुत्ता अपने धनुष से एक बाण छोड़ता है.. और हवा में एक से छ: बाण हो जाते है. और सभी बाणों के आगे लाल पीले सितारे चमक जाते है.. बाण तो खम्बा भी छोड़ता है पर कुत्ते के तीरों से टकराकर बाण टूटकर गिर जाते है.. कुत्ता मुस्कुराता है और हरमाईनी की तरफ विजयी भाव से देखता है.. हरमाईनी जो है वो बेवकुफो की तरह पता नहीं क्यू लाल हुए जा रही है..
कुत्ता तीर पे तीर चलाते चलाते भूल गया है कि सुबह हो चुकी है.. और बाकी के कुत्ते उसकी मुद्राओ को देखकर खी खी कर रहे है.. कल रात जिस खिड़की से चप्पल आयी थी उसके मकान मालिक सूरज को अर्क देने के लिए खिड़की खोले है और उलटे लेटे हुए हवा में पाँव किये कुत्ते की मुद्रा देखकर दूसरी चप्पल कुत्ते के पेट पर धढ़ाम से अर्पित करते है.. कुत्ता भक से उठता है और चप्पल फेंकने वाले को ऐसे शब्द कहता है कि जो मैं यहाँ लिख नहीं रहा हूँ..
थोडी दूरी पर जाते ही सामने खड़े कुत्तो को हँसते हुए देखकर.. कुत्ता अपने सपने को याद कर के खिसिया जाता है.. उसे ऐसा लगता है जैसे इस संसार में उसका अब कोई नहीं रहा.. वो धरती पर दो दो कौड़ी के खम्बो से झटके खाने के लिए ही पैदा हुआ है.. या फिर मुए मरदूदो की चप्पल झेलने के लिए.. पर इस कुत्ते जैसी ज़िन्दगी से तो मरना ही बेहतर है.. यही सोच के कुत्ता सामने से आ रही ट्रक के चक्के के कदमो तले शहीद होना चाहता है.. कि तभी हरमाईनी भागती हुई आकर उसकी पूँछ पर पांव रख देती है..
मुझे मर जाने दो मैं जीना नहीं चाहता.. कुत्ता फ़िल्मी डायलोग मारता है.. हरमाईनी उसके मुंह पर अपने हाथ रखके कहती है मरे तुम्हारे दुश्मन.. कुत्ता उसकी बात सुनकर खम्बे को देखता है.. पर खम्बा अपनी बत्ती को दिन में भी जलाकर जैसे कुत्ते के अरमानो की बत्ती बना देता है.. कुत्ता हरमाईनी की तरफ देखता है.. हरमाईनी कुत्ते की तरफ देखती है और फिर दोनों एक दुसरे की तरफ देखते है.. अरे आप उधर कहाँ देख रहे हो आप तो इधर देखो.. हाँ तो दोनों एक दुसरे को देख रहे है.. अचानक हरमाईनी कुत्ते के कान में कुछ कहती है.. और कुत्ता गुस्से से भोंकने लग जाता है.. हरमाईनी को वही छोडके भाग जाता है.. हरमाईनी उसे आँखों से ओझल हुए देखती जाती है... कुता दोबारा हरमाईनी के पास नहीं आता है..
और कई सालो बाद...
हरमाईनी कई बार दूसरी कोलोनी के किसी कुत्ते के साथ देखी गयी थी कालांतर में उसके आठ दस बच्चे भी हुए.. और मिसेज गुप्ता के भी पर वो दूसरी कोलोनी में नहीं गयी.. इसी कोलोनी में रहने वाले उनके पति से उन्हें एक प्यारी सी लड़की मिली... जी हाँ लड़की का नाम भी हरमाईनी रखा है.. मिसेज गुप्ता दोनों में कोई भेदभाव नहीं करती.. चप्पल वाले पडोसी की चप्पल एक बार एक कुत्ता मुंह में दबाकर नाले में फेंक आया था तभी से उन्होंने चप्पल फेंकनी बंद कर दी है.. पर इस बात से बेखबर की खम्बे में कभी किसी एक दिन बारिश की वजह से करंट था और कुत्ते के खम्बे के पास धार लगाने की कोशिश में उसे करंट लग गया था... वो कुत्ता अब भी कभी कभी आकर खम्बे के सामने भौंकके चला जाता है.. खम्बे में अब हाई मास्क लाईट लग चुकी है.. वो और ज्यादा रौशनी दे रहा है...कुत्ते के भौंकने का शायद ही खम्बे पर कोई असर हो...मोहल्ले में पुराना जो था वो सब कुछ ख़त्म हो चुका है बस बाकी है तो 'कुत्ते का इंतकाम'.......... जो ना जाने कब पूरा होगा..???
:-)
ReplyDeleteइंतकाम !!
harmainy ne kutte ke kaan mein kya kaha?
ReplyDeleteहरमाईनी नाम रखना या कोई भी अंग्रेजी नाम रखने को कौन अंग्रजों से बदला लेने वाली बात सोचता है???अरे अंग्रेजी नाम रखना वो भी हेरी पोटर की किताब से...बस टशन है टशन!ये कोई आमिर और शाहरुख वाला झगड़ा थोड़े ही है .
ReplyDeleteइंतकाम की आग ............ यह आग भी बुझेगी लेकिन
ReplyDeleteकुत्ता पुराण.. ये व्यथा तो हर इंसान की...सोरी कुत्ते की है...
ReplyDeleteinteresting!!
खम्बे में अब हाई मास्क लाईट लग चुकी है.. वो और ज्यादा रौशनी दे रहा है...कुत्ते के भौंकने का शायद ही खम्बे पर कोई असर हो...मोहल्ले में पुराना जो था वो सब कुछ ख़त्म हो चुका है
ReplyDeleteबहुत गंभीर.
इस 'स्किट' में बहुत से पंचेज हैं. लगता है कि किसी जबरदस्त व्यंग नाटक की वन लाइन स्टोरी है. बधाई.
"इंसान साले"
ReplyDeleteअब इस से अधिक कुत्ता किसी का क्या अपमान करेगा...कुत्ते पर आपकी ये पोस्ट पढ़ सभी कुत्ते कुछ मुंह दबा कर कुछ खिसियाकर तो कुछ बुक्का फाड़ कर हंस रहे हैं...सोचते हैं देखो इंसानों को उनको और कोई काम ही नहीं है कुत्ते पर लिख रहे हैं...कभी किसी कुत्ते को इंसानों पर लिखते देखा है...??? यार इंसान अजीब चीज़ है धेला मार ले चप्पल मार ले पत्थर मार ले वहां तक तो ठीक है लेकिन हमारी निजी ज़िन्दगी की बातें क्यूँ सार्वजानिक कर रहा है...???हमने तो नहीं बताया की फलां की बीवी अपने मर्द को कुत्ता कहती है...फलां अपने बच्चों को पिल्लै कहता है...फलां बड़ा फ़िल्मी हीरो बात बात पे कहता है कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा...हद है यार हम कुत्ते अधिक अधिक किसी को हाथ टांग पे काट के रफूचक्कर हो जाते हैं किसी का खून नहीं पीते लेकिन इंसान हमारा खून पीने पर तुला है...ये इंसान आखिर चाहते क्या हैं?
कल रात ज्ञान चतुर्वेदी जी का इंडिया टुडे के ताज़ा अंक में कुत्ते पर लिखा एक बहुत मजेदार लेख पढ़ा और अब आज सुबह सुबह आपका बेजोड़ लेख पढने को मिल गया... तबियत जोर से भों भों करने की हो रही है...कर लूं?
नीरज
क्या बढ़िया डायरेक्ट है. फिलिम पूरी बरछी की तरह धंस गई. बड़ी धाँसू फिलिम है.
ReplyDeletelekin kaan mein bola kya tha??
ReplyDeletekush ji bahut dino baad dastak di,vo bhi ek anokhe vishay ke saath..anokhi kehani lekar..ek anokhe andaaz mein ... :) dua karungi ye intkaam jaldi hi pura ho ...!gud one!!
ReplyDeleteगुदगुदाती कहानी और धाँसू इंतकाम :) !!
ReplyDeleteसर, किसी को पता चले या नहीं..पर में समझ गया की उसने कुत्ते के कान में क्या कहा था....:)
ReplyDeleteहिट फिल्म है शर्तिया ...सारे मसालों के साथ :) ..
ReplyDeleteहरमाईनी के नाम पर इन्होने अपनी प्यारी कुतिया का नामकरण किया है.. नहीं जनाब कुत्तो का नाम अंग्रेजी में रखके अपनी गुलामी का बदला नहीं लिया जा रहा है..
एकदम सही .
धरमेंदर से कोपी राईट लिया था छोटे ! वैसे हर्माइनी अब बड़ी हो गयी है .ओर निर्देशक के आगे समस्या उसे छोटा कैसे दिखाए के आ रही है .....
ReplyDeleteजी वो मिसेज़ गुप्ता की लड़की का नाम हैरी पॉटर से डायरेक्ट लिया गया है या वाया इस कहानी की नायिका?
ReplyDeleteदेखना बॉस, ये क्रेडिट सही जगह पर ही जाये नहीं तो झमेला हो सकता है।
पता नहीं क्यों, ये पोस्ट पढ़ने के बाद फ़िर से ’उस्ताद, जमूरा, बिल्ली और चूहा’ वाली पोस्ट पढ़ने का मन कर रहा है। दोनों का कोई तारतम्य तो नहीं है, शायद आजकल के मौसम के कारण ही उस पोस्ट की याद आ गई।
:)
ReplyDeleteआप बहुत अच्छा लिखते हैं, क्यों ना ब्लॉग जगत में एक-दुसरे के धर्म को बुरा कहने के ऊपर कुछ लिखें. किसी को बुरा कहने का किसी को भी हक नहीं है. लोगो का दिल दुखाना सबसे पड़ा पाप है.
ReplyDeleteमुझे क्षमा करना, मैं अपनी और अपनी तमाम मुस्लिम बिरादरी की ओर से आप से क्षमा और माफ़ी माँगता हूँ जिसने मानव जगत के सब से बड़े शैतान (राक्षस) के बहकावे में आकर आपकी सबसे बड़ी दौलत आप तक नहीं पहुँचाई उस शैतान ने पाप की जगह पापी की घृणा दिल में बैठाकर इस पूरे संसार को युद्ध का मैदान बना दिया। इस ग़लती का विचार करके ही मैंने आज क़लम उठाया है...
आपकी अमानत
देखो ओ दीवानों, तुम ये काम ना करो...
ReplyDeleteडोगा का नाम बदनाम ना करो.. बदनाम ना करो..
डोगा समस्या को हल नहीं करता उसे जड़ से उखाड़ फेंकता है, सो संभल कर मियां..
नीरज श्रीधर ! आईला ! नीरज गोस्वामी जिस व्यंग की चर्चा कर रहे हैं वो मैंने भी पढ़ा था... बड़ा मजेदार था. एक बानगी
ReplyDeleteका रे बिल्लू कल तोहर तोले में बड़ा कुकरहाव रहा ?
अरे कुछ नहीं भाई, चिंटू ने यूँ ही मोती को मन बहलाने के लिए काट लिया था.... आप तो जानते ही है केत्ता बड़ा हरामी है वो.
और ... कौनो कुतिया - उतिया फासी की नहीं
भैया आपके आशीर्वाद से कौनो कमी नहीं इ सब की....
त कब तक मुंह मारते रहोगे ? कभी किसी दक्ष कन्या से शादी भी कर लो
आप देखो भैया!
देखा तो है, पर उ बिल्लू छोड़े तब ना, तुम तो जानते हो बिल्लू केत्ता बड़ा हरामी है... अपने ही मोहल्ले की कुतिया के पीछे लगा रहता है, साला कौनो जात-धरम है की नहीं, अब ही मोहल्ले के रहने वाले एक ही गोत्र के हुए ना ! अरे भाई-बहन लगे.
... वैसे कोशिश करने के मामले में आदमीं कुत्ता से कम कुत्ता है का ! :)
प्लीज पहले बताओ...हरमाईनी ने नायक(कुत्ते)
ReplyDeleteके कान में क्या कहा ????
चाहता तो वो ये है कि मोहल्ले के सारे सड़क छाप कुत्तो को ले जाके धार लगाकर खम्बे को नाले में बहा दे.. पर जबसे उस कुत्ते की फजीती की खबर बाकी कुत्तो को मिली है सब उस खम्बे से कन्नी काटने लगे है.. कुत्ता मन ही मन बाकी कुत्तो को गाली देता है.. "इंसान साले"
ReplyDeleteहा हा हा
बेहद मजेदार कथा/फिल्म.
पैसा वसूल.
किशोर चौधरीजी की कमेन्ट को समर्थन है ।
ReplyDeleteइंतकाम, बस इतना काम।
ReplyDelete.
ReplyDeleteपूरा भँटूश मचायेला ।
क्या पोस्ट निकाला तुम,
मुफ़्त में यह पोस्ट पढ़ रहा हूँ,
इसलिये पैसा वसूलने का दावा तो नहीं कर सकता हूँ ।
यह दीवाने कुत्ते तुझसे ही क्यों टकरा जाया करते हैं ?
सो, नाच मेरी जान फटाफ़ट.... कहना मेरा मान फटाफट
मेरा कहना मान कर लोगों को पेट-दर्द की गोली क्यों नहीं दे देता ?
इसमें लिहाज़ कैसा ?
यह क्यों नहीं बता देता कि हरमाईन नें कुत्ताश्री के सामने स्वयँवर की एक टेढ़ी शर्त रखी थी ।
इस पोस्ट की हिरोईन ने भी लिहाज़-लिहाज़ में कुत्ताश्री के कान में यही कहा था ।
मैं ब्लॉगर पर इस फ़्राईडे को रिलीज़ होने वाली हूँ, हम एक ही गाँव के ( आउच, मोहल्ले के ) है.. वह रिस्क मैं ले लूँगी.... तुम इस बीच जाकर डॉ. अमर कुमार की एक पोस्ट पढ़ आओ ।
बेचारा श्वान है तो क्या, उसके स्वाभिमान नहीं है.. क्या वह इँसानों से भी गया-गुज़रा है,, सो वह मेरी पोस्ट पढ़ने से मुकर गया ।
नतीज़ा सामने है, आज कुछेक दर्ज़न पिल्ले-पिल्लियों का यह घोषित कुत्ता-मामू जी, अपनी मुहब्बत के ताज़महल उस खम्बे को सूनी रातों में तकता रहता है । इब तो रोयेंगाइच रोयेंगा.. रो.. फ़ुलटॉस रो ले.. मेरा क्या ?
bahut khoob!!
ReplyDeleteकुत्ते का इंतकाम कब पूरा होगा???? अत्यंत गंभीर प्रश्न हैं, सोल्वे के लिए इन्सान बैठक बुलाये पड़े
ReplyDelete....और हरमाईनी के चले जाने के बाद मेनका जी ने कुक्कुर सेवा का व्रत लिया।
ReplyDeleteबाबू कुश! भयन्कर कुक्कुरनामा लिखे हो भाई.. ओफ़िस मे पढी थी.. घर आते आते जितने कुत्ते दिखे, सबमे तुम्हारा हीरो दिखा।
ओन अ सीरियस नोट इसकी एक अनीमेटेड मूवी बनाओ (बनवाओ)..
हा हा ...एकदम कातिल पोस्ट है. सुपर....हा हा!! कुछ पंक्तियों को हाई लाईट करके अपने दोस्तों को भेज रही हूँ.
ReplyDeleteकुत्तों की बड़ी सॉलिड नॉलेज रखते हो भाई :)
ReplyDeletepallavi trivedi
ReplyDeleteAugust 6, 2010 12:32 AM
harmainy ne kutte ke kaan mein kya kaha?
Meena
August 6, 2010 11:38 AM
lekin kaan mein bola kya tha??
रंजना
August 6, 2010 6:02 PM
प्लीज पहले बताओ...हरमाईनी ने नायक(कुत्ते)
के कान में क्या कहा ????
...आखिर ऐसा क्या है जिसे आप बताना नहीं चाहते ? जब आपने इतनी बातें सुनीं तो आप जानते ही होंगे..!
Shaandaar ..Padhker maza aaya.
ReplyDelete..इन कुत्तों के सामने मत नाचना..हरमॉइनी!
ReplyDeleteइस इश्टोरी मे ट्रेजिडी है, इमोसन है, ड्रामा है, कामेडी है...चप्पल है और दुखियारे कुत्ते के आँसू हैं..
भई खम्बे का कुत्ते से उतना ही रिलेशन है जितना आदमी से..धोखा खाये इंसान का गम ग़लत करने को खम्भा ही काम आता है (वैसे छोटे ग़म मे काम क्वाटर से भी चल जाता है)..ऐसे ही .. बेवफ़ा दुनिया से बेजार लातखाया कुत्ता गम ग़लत करने को खम्भे पर टाँग उठा देता है..जैसे पूरी दुनिया को इंतकाम की गंगा मे बहा देगा..मगर खम्भे का पलटवार..और हरमाइनी के सामने?..बहुत ट्रेजिडी है..आँसू आ गये भाई..पता नही किसका झटका जोरदार था..खम्भे का या हीरोइन का!!..बदले की आग तो डिजर्व करता है कुत्ता..कुत्ते की तीसरी आँख होती..तो नरक की आग मे झटके खा रहा होता खम्भा...जैसे कि ड्रीम सीक्वेंस मे खम्भा बेचारा शर-शैया पर पड़ा हुआ कुत्ते से जान की भीख माँग रहा है..खम्भे की गरदन कुत्ते के पंजे के नीचे दबी है..और हमारा सैडिस्टिक हीरो इंतकाम की धार मे खम्भे को पूरा नहला देता है..
कुछ चीजें अच्छी लगती हैं..जैसे गोद ली किताबेँ, पूँछ पे पाँव, नाले मे चप्पलार्पण, अपमान के घूँट का गिलास..मगर कुत्ते की करुण कहानी मे लेखक का बार-बार कूदना अच्छी मूवी के बीच विज्ञापनों की तरह लगता है..
लगे हाथ कुत्ते की उदासी वाला गाना भी गा कर सुना देते तो कुत्ते का ग़म थोड़ा और शेयर होता.. ;-)
bho bho bho bho bho bho bho bho bho bho
ReplyDeletemazaa aa gaya bhai saheb!!
ReplyDeletemunshi premchand ki "kutte ki kahani" yaad aa gayi..
ओह ! इस कहानी का नायक हर गली के कुत्ते का प्रतिनिधित्व करता है... तुम्हारे कुक्कुरनामे को शत-शत प्रणाम. उस पर नीरज जी, अनुराग जी, अमर जी, सागर, अपूर्व और पंकज की टिप्पणियाँ एक अच्छी फिल्म की क्रिटिक का काम कर रही हैं. इस फिल्म को मेरी ओर से साढ़े तीन स्टार... अच्छा चलो चार ले लो.
ReplyDeleteसागर से अनुरोध है कि ज्ञान चतुर्वेदी के उस व्यंग्य का लिंक भेज देवें. तो ज़रा हम भी थोड़ा और हँस लेवें. वैसे तो सुबह-सुबह "कुत्ते का इंतकाम" पढ़कर हलकान हो गए हैं. अब थोड़ी देर इसके कुछ डायलोग याद करके हँसेंगे :-)
हमें तो उस पोस्ट का इंतजार है जब कुत्ता इंतकाम लेगा :)
ReplyDeleteबहुत खुराफ़ाती है लेखक।
ReplyDeletekutte ka intakaam.....par insan ko gaali....insan sale,,,,,khub hai
ReplyDeleteकुत्ता मन ही मन बाकी कुत्तो को गाली देता है.. "इंसान साले"
ReplyDeleteYe sahi kahaa aapne :))
kutta aaj aapka lekh padh sakta to shayad apne kutte mitron ko...INSAAN KAHIN KE gaali na deta...aakhir ek insaan ne uske intkaam ko aawaz jo di hai...
ReplyDeletebahut badiya.... :)
ReplyDeleteMeri Nayi Kavita par Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Bas Accha Lagta Hai...
Banned Area News : I always aspired to be an actor: Nicolas Cage
waah kya baat hai........
ReplyDeleteगजब...
ReplyDeleteपल्लवी का सवाल मेरा भी...कि हरमोइने ने कुत्ते के कान में क्या कहा था?
ReplyDelete...और हाँ शुक्रिया आज के लिये... :-)
इम्पोर्टेंट ये नहीं कि हरमाईनी ने कुत्ते के कान में क्या कहा.. इम्पोर्टेंट ये है कि कुत्ते ने बात क्यों नहीं मानी.. बालिका वधु की स्टाईल में अगर एंड मेसेज की तरह बात करे तो..
ReplyDeleteप्रतिशोध की आग में सुलगते मनुष्य (कुत्ते) इस कदर उग्र हो जाते है कि अपने शुभचिंतको की बात भी नहीं सुनते और अक्सर अपने सम्बन्ध खराब कर लेते है.. ये दुनिया भी ना जाने कितने ही प्रतिशोध की आग में जलते कुत्तो से भारी पड़ी है जो यदा कदा खम्बो पर आकर भौंकते रहते है.. किशोर जी और भीम प्रसाद जी ने नब्ज़ भी पकड़ी है कहानी की.. उनकी सूक्ष्म दृष्टि को सलाम..
दरअसल प्रतिशोध की आग में लोग कभी कभी व्यर्थ ही जलते रहते है.. यदि अपनी ऊर्जा को सही जगह लगाया जाए तो बात ही कुछ और हो.. बाकी अंदाज़ अपना अपना..:)