दुल्हे के बिना बारात कैसी.. ? घोड़े पर बैठा दूल्हा बारात का हिस्सा कभी नहीं होता वो बात अलग है कि बारात उसी की होती है.. हिसाब से उसको सबसे आगे चलना चाहिए पर वो बेचारा सबसे पीछे घोड़ी पर अपने नाते रिश्तेदारों के बच्चो को अपने पीछे बैठाये चुपचाप बर्दाश्त करता रहता है.. और लोग बाग़ भी कम नहीं है.. घोड़ी के पीछे ऐसे ऐसे मुस्टंडे बच्चे बिठा देते है.. कि घोड़ी ही बैठ जाए.. पर हाँ दूल्हा इसी बात से खुश हो जाता है कि चलो जनरेटर वाला तो उसके पीछे है..
दुल्हे के पिताजी अपने चेहरे पर मिलेजुले भाव लिए सफारी सूट पहने हाथ में काला बैग लिए मिल जाते है.. दुल्हे की माताजी अपने खराब गले और ढेर सारी जेवेलरी के साथ भीड़ में ही कही मिल जाती है.. दुल्हे की बहन अपनी हम उम्र दो चार बहनों के साथ बार बार कुछ गानों की फरमाइश करती है.. पर दुल्हे का भाई अपने दोस्तों के साथ आठवी बार "देश है वीर जवानों का.." बजवा कर नाच रहा होता है.. और आस पास कुछ बाराती नाचने की मासूम अभिलाषा लिए इसलिए खड़े होते है कि उन्हें कोई जबरदस्ती लेकर जाए और वो भी दो चार ठुमके लगा ले..
थोडी ही देर में जीजाजी आकर बनारस वाले मामाजी को बीच में ले आते है.. मन होने के बावजूद मामाजी ना ना करते हुए आ ही जाते है.. फिर तो फूफाजी जी और चाचा जी भी जोश में.. हर बारात में एक व्यक्ति ऐसा होता है जो नागिन वाला डांस करता है.. और दूसरा रुमाल से बीन बनाकर बीन बजाता है.. इनमे से एक पतंग भी उड़ाता है.. और एक चाचा मामा या जीजाजी में से कोई ऐसे भी होते है जो महिलाओ वाला डांस भी करते है.. ऐसा करके महिलाओ में तो उनकी इज्जत बढ़ जाती है.. पर नहीं नाचने वाले दुसरे चाचा मामा या जीजाजी में से कोई उन्हें किसी और नाम से अलंकृत कर देते है..
सड़क पर सांडो की तरह खुले आम नाचते हुए लोगो के बीच में हाथ में बीस का नोट लिए एक शख्स एंट्री लेता है.. और अपने हाथ को अधिकतम ऊंचाई पर ले जाता है.. बैंड वालो में से एक जो काफी देर से बाजा बजा रहा है.. वो बाजे में फूंक मारते मारते ही नोट लेने के लिए हाथ उठाता है.. जो भाईसाहब नोट उठाये खड़े है वो अपना हाथ और ऊपर उठाते है.. ये जानते हुए भी कि इस फ़ालतू नाटक के बाद नोट बैंड वाले के पास चला जाएगा.. सब उत्सुकतावश देखते रहते है कि बैंड वाला नोट कैसे लेता है.. ?
इतने में दुल्हे का जवान भाई सड़क को अपने बाप का माल समझ कर बैंड वालो को अगले चौराहे पर रुकने का फरमान सुनाता है.. पिछली बारात में हुई ठुकाई को याद रखते हुए बैंड वाला चौराहे पर बैंड रोककर "जिमी जिमी आजा आजा.." बजाने लग जाता है.. और बाहर जाम में फंसे लोगो को भीड़ में से कुछ उठे हुए हाथो में हलचल दिखाई देती है.. हालाँकि बारातियों में से एक भाईसाहब ऐसे भी होते है जो बारातियों को साईड में धक्के दे देकर ट्रैफिक सँभालने में लग जाते है..
पर जो सँभालने से संभल जाए वो बारात ही क्या.. ?
आत्मनिर्भर बैंडवाले के एक एक कदम अपनी मर्ज़ी से आगे बढ़ जाने की वजह से बारात भी बढती जाती है.. कुछ लोग जिनका बारात में जाना मजबूरी है पर वापस लौटने के लिए अपनी गाडी होना भी जरुरी, वो लोग हर थोडी दूर आगे अपना स्कूटर खड़ा करके वापस आते है.. ऐसे लोगो को (जो जबरदस्ती बारात में है) आप जेब में हाथ डाले हुए देख सकते है.. अमूमन ये बारात में सबसे आगे या फिर सबसे साईड में होते है..
जब बारहवी बार छोटी बहन फरमाइश करती है और भाई की शर्ट पसीने में डूब जाती है तो बहने चार्ज संभाल लेती है.. इसी टाईम पे भाभी चाची और मामी भी अपना हुनर दिखाने आ जाती है.. सड़क के बीचो बीच लोगो को अपनी छुपी हुई प्रतिभा दिखाने का सुनहरा अवसर मिल जाता है.. और मामी जी के नाच शुरू करते ही कुछ एलिमेंट्स मामाजी को ढूँढने लग जाते है.. मामाजी को ये एलिमेंट्स तब खीच कर ले आते है जब वे मामीजी का डांस बड़े चाव से देखते हुए अपने जीजाजी पर नज़र रखे होते है..
मामाजी के आते ही मामीजी का एक्साईटमेन्ट डबल हो जाता है.. वो और तेज़ डांस करती है.. जीजाजी पर नज़र रखे हुए मामाजी, दोनों हाथ उठाकर नाचने लग जाते है.. पास खड़े नानाजी यानि उनके ससुर जी अपने खानदान के चश्मो चिराग और इकलौती बहु के नाच की मन ही मन तारीफ़ करके आगे कट लेते है..
इतने में पास से एक और बारात निकलती है.. अब देखिये साहब..! दोनों बारातो में ब्रूसली की आत्मा घुस जाती है.. जोर जोर से नाचने लग जाते है.. बैंड वालो को भी जोश आ जाता है.. बाजे वाला बाजा फूंक फूंक के अपनी जान देने पर ऐसे उतारू हो जाता है जैसे ऊपर समस्त देवता गण हाथो में फूल लिए उस पर बरसाने को तैयार खड़ेहो..
इसी बीच कई ऐसे लोग जो बाकियों पर रौब जमाना चाहते है.. बार बार आकर पैसे लुटाते रहते है.. पैसो के चक्कर में बैंड वाले लाईट वालो के तारो में उलझकर गिर पड़ते है.. दुल्हे को छोड़ घोड़ी वाला भी अपना हिस्सा लेने आ जाता है.. ढोल वाले और लाईट वाले तो खैर उलझते ही है..
ये जानते हुए भी कि अगर इन हरामखोरो को पता चल गया कि हम धीरे धीरे आगे बढ़ रहे है तो टाँगे टूट जायेगी, बैंड वाले जान जोखिम में डालके आगे बढ़ते रहते है.. क्योंकि इस बारात को ठिकाने लगाने के बाद उन्हें एक और को निपटाना होता है.. वैसे ये अकेले नहीं होते इनका साथ देने में ताऊजी फूफाजी टाइप लोग होते है जो बार बार थोडा आगे थोडा आगे कहकर बारात बढ़ाते रहते है..
बारात बढती रहती है.. नोट हवाओ में उठते रहते है. .ठुमके लगते रहते है.. फोटोस खींचती रहती है.. दूल्हा पकता रहता है.. और बारात आगे बढती रहती है..
: खैर ये तो हुआ हमारा देखना.. कुछ छूट गया हो तो आप भी बता दीजिये..
: खैर ये तो हुआ हमारा देखना.. कुछ छूट गया हो तो आप भी बता दीजिये..
बारात का आँखों देखे हाल सुन्दर चित्रित किया, शुरू से अंत तक बाँध के रखा !
ReplyDeleteबारात में हम भी गए हैं और अमूमन हर बारात में ऐसे ही दृश्य देखे हैं पर उन चीजों को ऐसे गहरे तक महसूस करना और फिर उनको शब्दों में ऐसे पिरोना की वो दृश्य आँखों से सामने तैर जाए.... ये सिर्फ आप ही कर सकते हैं......
ReplyDelete.... लगता है बारातों में खूब गये हैं.. वैसे मुझे तो बारात में 'जेब में हाथ डाले' ही देखा जा सकता है.
वाह! क्या दृष्य दिखाया है!मजा गया।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आपने बारात का इतनी बारीकी से निरीक्षण किया .. विश्वास नहीं हो रहा है कि इसपर भी एक आलेख लिखा जा सकता है .. सचमुच सभी बारात में एक जैसी ही तो कहानी होती है .. और आपके लिखने का स्टाइल तो जानदार है ही !!
ReplyDeleteऐसा लगा मानो बारात निकली जा रही है. खुब बारिक विश्लेषण किया है. लगता है इन दिनो गहराई से अध्ययन हो रहा है.
ReplyDeleteदूल्हा पकता रहता है.. ना जी मन में लड्डू फुटते है तब पकना कैसा? :)
देखने लायक सारी चीजें देख ली हैं आपने...कुछ भी नहीं छोड़ा :)
ReplyDeleteतुम निकालो तो सही.. बाकि देखा जायेगा..
ReplyDeleteabhi post nahi padhi hai..bas dekhte hi ye kane chali aai hun ki tum itna Nervous kyo ho rahe ho baraat nikalane se pahale....!
ReplyDeleteitani lambi lambi post..???? Sab theek ho jayega KUSH :)
post ke sath sath pic bhi khoob hai.....
ReplyDeleteKuchh nahi chhota....poora drishy aankhon ke saamne jeevant kar diya tumne....waah !!! bas laga ki ek barat ka hi hissa ban gaye ham....utna hi aanand aur hansi aayi,jitna wahan upasthit rah aati....Lajawaab likha hai lajawaab !!!
ReplyDeleteमुहँ में रुमाल दबाये नागिन वाला डांस..
ReplyDeletewaah waah !!!
ReplyDeletemast hai jee :)))))))
आज ही सोच रहा था कुश बहुत दिनो से नही दिखे , आज ही मिल गये और वह भी बारात मे . क्या खूब लिखा एसा लग रहा है कि एक ही बारात मे शामिल थे कुश नाचने वालो मे और मैं सबसे आगे चलने वालो मे
ReplyDeleteजिमी आजा आजा ओर आज मेरे यार की शादी है .बरसो से बंद वालो का फेवरेट सोंग है .इसके अलावा यू पी में एक ओर बजता है.....तेरी.....पिपनी में टे टे टे टे......दुल्हन के घर पे आते ही कोई न कोई एक बाराती फैलता है ....ऐसे नाच करता है के बस उसके बाद कोई दूसरा चांस नहीं.....ओर एक दो तो दुल्हे को घोड़ी से उतार ने की जिद करते है ...बेचारे मामा जी बीच बचाव करते है .....दुल्हन का बाप हाथ जोड़ के होठो पे फेविकोल की हंसी चिपकाए दरवाजे पे खड़ा देखता है .....ओर आखिर में सबसे मुश्किल दुल्हे की बेचारा स्टेज पर खड़ा निहारता रहता है कुछ कर नहीं सकता ............
ReplyDeleteखैर तैयारी ठीक जा रही है .....एक दम परफेक्ट....गाने थोड़े चेंज मांगता ......चल चल सडको पे होगी ..धन टेन ..
अपने यहाँ राजा बेन्ड वालो के लिए इसका प्रिंट आउट निकल कर ले जा रहा हूँ....शायद तुम्हे इमोशनल होकर चिट्ठी लिख दे
waah aisa laga hum bhi baaraati ban gaye padhte padhte,bahut khub
ReplyDeleteइसमें कौन सा वाला हरीष बैंड वाला था भाई? जो जा रहा था या फिर जो आ रहा था? :)
ReplyDeleteवैसे भविष्य का शीन देखकर अच्छा लगा.. बेचारा कुश, जेनेरेटर वालों से बस कुछ ही आगे बच्चों को संभालता चल रहा है.. ;)
और हां.. कंचन दी की बात पर ध्यान दो और जवाब भी..
ReplyDeleteबड़ा शाकाहारी टाइप का बारात वर्णन किया है, बच्चा !
दूल्हे के घोड़े के ठीक आगे चल रहे लेडिस ( लेडीज़ ) लोगों पर तो नज़र ही डाली, धुत्त !
छोटी उम्र की लड़कियाँ, ज़बरन ज़वान दिखने के प्रयास में बेहाल, " मैं ये सँभालूँ या वो सँभालू " कि अदा अँकलों तक पर उछाल रही हैं ।
किशोरियाँ बरबस लजाते हुये इधर उधर को आँखें नचा रही हैं, गोया उनकी आँखें गा रही हों, " आयेऽऽगा.. आयेगाऽऽ, आने वाँला आयेग्गा ।"
ढलान पर जाती हुई महिलायें, अपनी उम्र पर ब्रेक लगाने के प्रयास में हाँफ़ रहीं हैं । पैदल चला नहीं जा रहा, मटक कर चलने के डिस्टैंस की सीमा कहाँ तक है, यह जाँचनें को गरदन उचका उचका कर अँदाज़ा लगा रहीं हैं ।
और.. नाचते नाचते ब्रेक लेकर पीछे को जीप के पीछे जाकर बियर के घूँट भरते नव-जवानों को यदि छोड़ भी दो तो,
एक साइड में जाकर झुक कर बाँयें दाँयें डोलते हुये उल्टी करते हुई भाई साहब को अनदेखा करके पेट में खलबलाती माल-ए-मुफ़्त दारू का अपमान नहीं करना था ।
अब जाने भी दो, बारात तो गुज़र चुकी...
भई तुमने ही न्यौता था, ’ कुछ छूट गया हो तो आप भी बता दीजिये.. " सो बता दिया ।
तोरा मन बड़ा पापी कुशवा रेऽऽ, बारातों का वर्णन करके अपने कुँवारेपन पर ध्यानाकर्षण कराने का तुम्हारा यह प्रयास अच्छा लगा !
जिस आधार पर इतना जोश सडक पर झलकता है उस मूविंग फ़ोर्स को ही नज़रअंदाज़ कर गए। ज़ाहिर है कि इतना जोश कुछ की कॉफ़ी में नहीं ही होता . वो तो किसी बोतल से छलकता है :)
ReplyDeleteआहा..बरात में घूम कर आ गए ऐसा फील हो रहा है! कुछ मैं भी बताऊ! एक और ट्रेंड है....जब बैंड का प्रमुख सिंगर अपनी भौंपू जैसी आवाज़ में गाने का जिम्मा खुद ही उठा लेता है! एक के बाद एक तान छेड़ते हुए वो एक स्पेशल गाने पर पहुँचता है....." हमि तेरे शहरि में आये हैं मुसाफिरी की तरह, सिर्फी इकी बारी मुलाकाती का मौका देदे" और एक और ख़ास बात ज़रूर होती है...किसी न किसी मामी , काकी , बुआ या भाभी की साडी या लहंगे पर नाचते हुए मतवालों का पैर पड़ता है और गालियों का एक गुबार उठता है जो बैंड के शोर में ऐसा गुम होता है की सिर्फ बोलने वाली के कानों में ही पड़ पाता है!
ReplyDeleteकहीं यह अपनी बारात निकलवाने के लिए GROUNDS तो नहीं तैयार कर रहे
ReplyDeleteकुश भाई आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी मुझे.... वाह!
ReplyDeleteमुझे लगता है कि 'ये देश है वीर जवानो का' के बिना तो शादी ही नहीं हो सकती. पटाखे बजाने वालो को तो भूल ही गए ? ये बताओ हमें कब बुला रहे हो नाचने के लिए? डॉक्टर अमर बाबू भी बढ़िया जोड़े हैं.
ReplyDeleteतुम डेट बता देना टाइम से यार...तेरी बारात में वो नागिन वाला डांस तो मैंने ही करना है...रुमाल लेकर बीन के लिये पीडी या फिर डा० अनुराग को पटाता हूं।
ReplyDeleteपल्लवि जी ने "हमि तेरे शहर में..." की खूब याद दिलायी और हां वो बैंड आर्केस्टा का जो लीड सिंगर होता है वो लड़का और लड़की दोनों की आवाज में जिस तरह से इरिटेट करता हुआ गाता है वो अगर तेरी बारात में आया तो पिटेगा मुझसे।
लेकिन इन सबसे परे, पोस्ट बड़ी जबरदस्त है।
पर भाई यह बारात है किस की यह तो बता दो ??
ReplyDeleteवैसे बहुत बढ़िया लिखा है म़जा आ गया !
kya badhiya baraat nikalee bhai....laga ki hum bhi vahi hain bheed me shamil....zara ek nazar sadak ke dono or khade aankh faade logon par bhi daal lete.to achchha hota....
ReplyDeleteवाह! वाह!! बारात का क्या शानदार चित्रण किया है!!!
ReplyDeletewaah! kya scene hai!
ReplyDeleteArsa ho gya baraat[aur aisa naach -gana ] dekhe...
aap ne to pooora 'manoram'dhrshy hi prastut kar diya..
आज मेरे यार की शादी है...., और क्यों भीगै कमला खड़ी खड़ी.. इन गानों का बारात में अलग ही महत्व होता था पहले
ReplyDeleteअब तो खैर वो बारात करी नहीं बहुत दिन से
और में अंधेरे कमरे में दीपक राग( कुल्हड़मार, चप्पल मार ) होना आम बात थी ।
पूरी बारात में सबसे उपेक्षित,पकने को अभिशप्त,घोड़ी पर योगासन की मुद्रा में,जोधपुरी साफे में बंद सर को खुजा न पाने की खीझ से त्रस्त ,इस अन्यमनस्क योद्धा के शानदार शाही लवाजमे का बेजोड़ वृत्तान्त!
ReplyDeleteकई बारातों में बाराती बनकर आनंद लिया पर यहाँ अपनी वाली ज्यादा याद आ रही है.
इतनी मेहनत से एक लम्बी कमेन्ट लिखी थी... एक backspace पता नहीं कैसे दब गया... सब चौपट हो गया...
ReplyDeleteबहरहाल, कुछ छूटा नहीं... पटना में कुछ भोजपुरी गाने याद आये जो बजते है... जैसे - बगलवाली जान मारेली, पिन्किया की पापा, हमरा हौऊ... कुछ अश्लील गीत भी...
बारीक़ चीजों पर कुछ कहना चाहता था लेकिन पी डी ने हरीश बैंड और डॉ. अमर जी ने अपने इस्टाइल में बात कह दी...
... शादी में ठुमके लगाने की फरमाइश आप मुझसे से कह चुके हो... सोंग सेलेक्सन दे रहा हूँ... मूडी आदमी हूँ ऐसे नहीं कमर लचकता है मेरा...
१. तौबा तेरा जलवा... (वो भी बैंड की धुन पर)
२. घोड़ी पे हो के सवार चला है कुश यार (यही चाहिए)
३. जोगी जे धीरे-धीरे (नदिया के पार)
४. तारे गिन-गिन रात गुज़ारूँ में जागा नु राता नु (सुखबीर)
५. शराबियों के पैसे बच गए (मानसून वेडिंग)
फिलहाल इतने याद आ रहे हैं... कुछ यहाँ रिकॉर्ड करवा लेंगे... हाँ एक-आध भोजपुरी भी होगी...
गज्ज्जब गुरु क्या आँखों देखा हाल सुनाया है ....! हम तो बिलकुल धृतराष्ट्र बने पूँछ रहे थे " हे संजय ! मुझे ज़रा उधर मामी जी के पास ले चलो।" तबतक तुमने जीजाजी पर निगाह रखे मामाजी और मामी जी का डांस दिखा दिया क्या बात है। पैसा लुटाते मेरे बड़े भईया और डांस करते हुए बड़की भौजाई और छोटके जीजाजी आँख के सामने थे़ और वो ताऊ जी जिन्हे जब जोश आता है तो उनका भँगड़ा देख सारे युवाओं मे उत्साह की लहर आ जाती है और बड़े भईया पैसा लुटाना छोड़ ताऊ जी के भंगड़े में शामिल हो जाते है। पैसे लुटाने का जिम्मा तुरंत छोटके जीजा जी उठा लेते हैं। आखिर बड़े भैया ने उन पर लंबी रकम न्यौछावर की है।....!!!!!!!!!!
ReplyDeleteबिंदास....!!
डॉ० साब, पल्लवी जी और डॉ० अमर ने की टिप्पणियों ने दूल्हे के मौर मे कुछ लड़ियाँ और लगा दीं...!
अब डेट बताओ संजय....! मुझे मेजर और डॉक्टर को नाग बन के फुफकारते देखना है :)
फिर से आया हूं.. कुछ और गाना बताने जो हमारे तरफ़ खूब बजते हैं..
ReplyDeleteकनवा में शोभे बाली,
जूड़ा में लगा के जाली..
चाल चलेली मतवाली,
बगल वाली जान मारेली... :)
उस गाने वाले से ध्यान आया, जो लड़का और लड़की दोनों की आवाज में गाता है.. भैया की शादी में वो गधे की तरह रेंक रहा था और मैंने उससे माईक लेकर अपनी दिल की तमन्ना भी पूरी कर ली.. बाद में लगा कि साफ्टवेयर प्रोफेशनल नहीं होता तो ये नौकरी भी बुरी नहीं होती मेरे लिये.. :D
@ गौतम जी, बारी-बारी से हम(मैं और डॉ साहब) ये भूमिका निभा लेंगे.. बस रूमाल की जगह नागिन असली होनी चाहिये.. ;)
लगता है बरात की तैयारी है ..डांस करने वाले भी रेडी हैं ..फिर देर किस बात की है कुश जी ...:)
ReplyDeleteदेखा "पी डी" ने मेरे बताये गाने का एक पैरा भी दे दिया... उनसे गुज़ारिश है गुड्डू रंगीला और मनोज तिवारी का भी गाना पेश किया जाये हाँ कल्पना आर्केस्ट्रा भी चेलेगी... :)
ReplyDeleteबारात का ऐसा सजीव चित्रण देख तो मेरा भी मन मचलने लगा किसी बारात में शामिल होने को....सब आस लगाए बैठे हैं...आप जल्दी ही ये मौका क्यूँ नहीं दे देते :)...और हाँ! कई बरातों में मैंने दुल्हे को भी डांस करते देखा है...इसलिए इत्मीनान रखें आप इसका लुत्फ़ उठाने से महरूम नहीं रहोगे.
ReplyDeleteबारात का एकदम जीवन्त चित्रण..... कुछ भी छूटने न पाया ।
ReplyDeleteऎसा लगा मानो इस बारात में हम भी शामिल हैं :)
वाह जी वाह कमाल की तस्वीर खींची है आपने। शुरु से लेकर आखिर तक ऐसा लगा जैसे किसी बारात के साथ साथ हम भी झूमते हुए जा रहे है। वैसे कुश भाई ये गाना "देश है वीर जवानों का.." मैंने कहीं नही सुना शादी में। पर जो अक्सर सुनता हूँ। वो तो ये है" हट जा ताऊ पाछे ने....।" वैसे शादी से पहले हर कोई सोचता है कि वह अपनी शादी में ऐसा करेगा वैसा करेगा पर हो जाता है कैसा कैसा....।
ReplyDeletehum to aaj hi ek shadi se laute hain
ReplyDeleteaur ka batayein sarkaar Barat mein maza aa gawa
jyadatar aisa hi hota hai barataon mein...
वाह कुश वाह...ना जाने कितनी ही बरातें आँखों के सामने घूम गयीं...जिया बैंड वाला तब रथ की तरह बने ठेले टाइप स्टेज पर रखे आर्केष्ट्रा के साथ एक जवान को खड़ा किया करता था जो हमेशा गाया करता..."आज मेरे यार की शादी हे, आज मेरे यार की शादी हे...लगता हे जैसे सारे संसार की शादी हे..."और मैं हमेशा इसे सुन कर बुक्का फाड़ कर हँसता...गायक का है को हे कहने का अंदाज़ लाजवाब हुआ करता था...बाकि जो तुमने बयां किया है वो गज़ब का है...अब देखते हैं तुम्हारी शादी में क्या होता है...गौतम और अनुराग जी तो संपेरा नृत्य की ठान चुके हैं मैं सोचता हूँ भांगरा करूँ...तुम्हें या तुम्हारी घोड़ी को कोई आपत्ति तो नहीं...पूछ लेना...
ReplyDeleteमुझे याद आता है की अपने एक मित्र की शादी में हम दो जन उसकी घोड़ी की सामने "ये देश है वीर जवानों का..." पर भांगरा कर रहे थे की हमारे दूल्हा मित्र जोश में आ गये, और घोड़ी पर बैठे बैठे ही फुदकने लगे...उन्हें जोश में आता देख घोड़ी भी जोश में आ कर उछली, जिस से दूल्हा मियां धडाम से सड़क पे आ गिरे और उनकी पगड़ी सीधी गन्दी नाली में जा गिरी...आपकी पोस्ट पढ़ते पढ़ते मुझे वो दृश्य याद आ गाया...और तब से बस हँसे जा रहा हूँ...
नीरज
किसकी बारात ,कैसी बारात ? क्या सबकी बारात ? या किसी खास की बारात ?
ReplyDeleteजब से हमने कुश के आगे मगरुआ देखा था तभी से हम किसी ऐसी पोस्ट के इंतज़ार में थे. वैसे हमें लगता है आज कल कुश किसी इमेज बिल्डिंग अभियान पर हैं तभी तो डॉ अमर के पहलुओं को उन्होंने हाथ नहीं लगाया था वरना हमें तो नहीं लगता की उनकी नज़रों से कुछछूटा रहा होगा
ReplyDeleteअभी हमारे दरवाजे के बाहर से एक बारातत गुज़र रही थे इसे पढने के बाद बारात देखने में कुछ ज़ियादा ही मज़ा आई
@ ऐ सगरबा,
ReplyDeleteएगो और बजेगा..."जब स चढ़ल हई जवानी मुछमुंडा खोजलीं" वाला....
@कुश,
मैं तो आया था तुम्हें तुम्हारी कलम की एक और फैन के बारे में बताने। ब्लौगर नहीं हैं...नैना नाम है उनका...और तुम्हारे लिखे पर हँस-हँस के पगला रही है उधर कहीं दिल्ली में...और हां, वो "लिम्बु-सोडा" वाला भी उसे खूब भाया था। सेंटी हो रही थी...
@नैना,
हमने "प्रजेंट" लगा दी है। खुश?
क्या जबरदस्त बारात ले आये कुश भैया ....
ReplyDeleteये कोइ ख़ास तरह की हिंट है क्या ? :-)
हम भारतीयों के उत्सव और तीज त्यौहार ,
सब पब्लिक दीस्प्ले में अव्वल हैं -
- लावण्या
@कंचन कँवर
ReplyDeleteनर्वस थोड़े ही हूँ.. बस थोडी सी घबराहट है :)
@डाक्टर
फैलने वाले बारतियों पर तो पुरी एक और पोस्ट बन सकती है..
@गुरुवर
सारी दुनिया ही शाकाहारी हो रही है.. वैसे भी वैसी वाली बाराते कम ही अटैंड की है.. फिर मैंने कहा था ना कुछ छूता हो तो आप जोड़ ले.. सब मैं लिख लेता तो आप तो कुछ लिखते ही नहीं.. :) वैसे लिखते वक़्त सुलह की लड़की का इक्कीस का बनना दिमाग में आया तो था.. पर पता नहीं कैसे भूल गया..
@हवलदारनी
ये तो भोपाल की बारात का गाना लगता है.. हमारे यहाँ बज जाए तो ".................. बोर्ड ऑफिस हो" जाता है..
@अभिषेक
देश है वीर जवानों का के बिना तो बारात अधूरी ही है..
@मेजर
चिंता मत करिए मेरी बारात में सिंगर नहीं आएगा.. यहाँ पर गाने वाला ट्रेंड अब नहीं रहा.. वैसे अब तो आपका नागिन वाला डांस देखने के लिए जल्दी बारात निकालनी पड़ेगी.. सोच रहा हूँ कार्ड में लिखवा दू स्पेशल अट्रेक्शन : मेजर और डाक्टर का नागिन सपेरा डांस.. क्या ख्याल है ?
@संजय भासा
साफे वाली खुजली के बारे में तो सोचा ही नहीं.. आप तो डरा रहे हो..
@सागर बदनाम
सब रेडी है.. नाचने की प्रेक्टिस कर लो..
@सुशिल भाई. .
देश है वीर जवानों के बिना तो बारात अधूरी ही है.. हट जा ताऊ पाछे ने तो मुझे बड़ा वीयर्ड लगता है.. पता नहीं लोग क्यों बजाते है..
@नीरज जी
मेरी घोड़ी तो क्या घोड़ी के घोड़े को भी कोई आपत्ति नहीं.. आप तो बस भांगड़ा चलाये रखिये.. आपको तो शिव कुमार जी के साथ नाचना है..
सारे ही कमेंट्स बड़े मज़ेदार रहे इस बार तो..
@मेजर अगेन
ReplyDeleteभूल गया..
नैना जी तक हमारा धन्यवाद् पहुचाइएगा वाया ब्लूटूथ.. और कहियेगा इस लीम्बू सोडा का टेस्ट अपनी लाईफ में... लाईफ लॉन्ग बरकरार रखे.
@सैयद भाईजान
ReplyDeleteहमारी बारात में तो हाथ निकलेंगे ही..
@संजय भाईसाहब
अब क्या करे.. ? दिमाग खुद ब खुद इधर दौड़ जाता है. :)
@धीरू जी
आप सबसे आगे कैसे चल सकते है.. पीछे आइये आपके लिए डा. साहब वाला गाना बजवा दिया है.. चल चल सडको पे होगी धेन ट धेन..
@पी. डी.
सोफ्टवेयर में वैसे भी मंदी है.. कहो तो बात कर लु किसी बैंड वाले से..
bahut sundar kushhji........aapne gram ki yaad taza kar di.... ek line chodna mushkil tha... bahut pasand aai.. aapko bahut bahut badhai....
ReplyDeleteबहुत बढिया बारात निकाली आपने कुश जी. कभी दूल्हे की दयनीय हालत पर भी लिखियेगा, पूरा जश्न जिसके कारण होता है वही सबसे ज़्यादा उपेक्षित रहता है...बेचारा.
ReplyDeletelag raha hai date pakki ho gai tumhari shaadi ki aur hume bataya tak nahi... ???? shaadi pakki hote hai dostose ekta kam ho gai kya ?? :P
ReplyDeletebahut jor shor se taiyaari ho rahi hai, nagin dance wagairah ho raha hai...
ReplyDeletesab apne apne tarike se taiyyari kar rahe hain...main chali shopping karne :)
PD ka gaana sunte hi dimag mein scene jor se flash kar gaya...mast likhe ho bhai barat ka scene. tumhari shadi ho jaaye, ham bhi ek aisi post thok maarenge :D
हूँ .... आ ??? बचे खुचों का काम ??? के बारें ही बैठ्या हूँ!!!
ReplyDeleteबहुत खूब एक सबक मिला अब संजीदा न रहकर मैं भी कुछ ...............
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्रण.....
ReplyDeleteअगर ये पता चल जाए कि आज के इम्तिहान में ये सवाल पक्का आएगा तो पेपर देने में मजा आ जाता है।
ReplyDeleteमैंने ये पोस्ट आज ही पढ़ी है और इत्तिफाक से शाम चार बजे गुड़गाव एक बारात एटैंड करने जा रहा हूँ:)
(लगता है पप्पू का पास होना तय है)
.. दूल्हा पकता रहता है.. और बारात आगे बढती रहती है..
ReplyDelete..... बिल्कुल सही कहा !!!!
Waah kya thikane lagee barat! Padhte hue laga jaise ham bhee shamil hain barat me!
ReplyDelete"Aajtakyahantak" pe comment ke liye tahe dilse shukriya!"Seeriyaka baadshaah mar gaya"!
आपने बारात का जो सजीव चित्रण किया है....उसे पढ़ कर यही लगा बारात कहीं की हो.....तरीके हर जगह कोमन हैं.......!
ReplyDeleteआज मेरे यार जकी शादी है....और मेरे देश का यारों क्या कहना......में रच पगी रचना के लिए बधाई!
nice
ReplyDeleteकुश जी,
ReplyDeleteबारात का चित्रण बिलकुल वैसा ही हुआ है जैसा होता है....
इस आलेख की तारीफ कितनो ने की ..यह तो द्रष्टव्य है ही...
मैं भी अपने दो शब्द कहना चाहूंगी...हालाँकि वो इतने प्रशंसकों के बीच में गौण होंगी ...
आपकी लेखनी से बहुत प्रभावित हुई हूँ...
आज पहली बार पढ़ा है आपको....और अब तो बार-बार पढने की आकांशा है...
धन्यवाद..
क्या छूटा सब कुछ तो लिख दिया आपने। पोस्ट इतना रोचक है कि पूरा पढ़ गया। दु:ख सिर्फ बात का है कि देर से आया आपके ब्लाग पर।
ReplyDeleteवर्ष नव-हर्ष नव-उत्कर्ष नव
ReplyDelete-नव वर्ष, २०१० के लिए अभिमंत्रित शुभकामनाओं सहित ,
डॉ मनोज मिश्र
आप पूरी तरह सही फरमाते हैं।
ReplyDeleteनव वर्ष की अशेष कामनाएँ।
आपके सभी बिगड़े काम बन जाएँ।
आपके घर में हो इतना रूपया-पैसा,
रखने की जगह कम पड़े और हमारे घर आएँ।
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2009 के ब्लागर्स सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
jabardast
ReplyDelete