अपना ख्याल तो हम रखते ही है बस कभी कभी दुसरो के बारे में भी सोच लिया जाये तो लाईफ भी ईस्टमैन कलर की हो जाये.. और ज्यादा कुछ तो करना ही नहीं है.. बस छोटी छोटी सी बाते.. जैसे..
आप किसी मॉल से निकल रहे है.. पार्किंग में खड़ी आपकी गाडी निकलवाने के लिए बुढा चौकीदार भी मिल सकता है.. उस से सिर्फ इतना कह दीजिये 'आज गर्मी बहुत ज्यादा है.. ' यकीन मानिए वो मुस्कुरा उठेगा.. आप तो बोल के निकल जायेंगे लेकिन वो काफी देर तक मन ही मन मुस्कुराता रहेगा..
लिफ्ट मैन से मै हमेशा बात करता हूँ.. जब भी लिफ्ट में जाता हूँ मै लिफ्ट मैन से कहता हूँ 'यार इसमें गाने वाने नहीं चलते क्या बोर हो जाते होंगे तुम तो.. ' वो मुस्कुरा के कहता है 'साहब ये तो काम है अपना..' ये कहते हुए उसके चेहरे के जो भाव होते है वो मुझे बहुत अच्छे लगते है.. इतना तो आप कर ही सकते है..
परसों मैं किसी का वेट करते हुए एक बिल्डिंग के बाहर खडा था तभी उसी बिल्डिंग की तरफ एक रिक्शा में लड़की आई वो उससे कुछ बात कर रही थी.. नीचे उतर कर लड़की ने कहा 'अच्छा भय्या.. थैंक यु.. ' रिक्शा वाले ने कहा 'शुक्रिया फिर आइयेगा' हालाँकि ये शब्द उसने बहुत धीरे कहे थे जो लड़की ने नहीं सुने पर मैंने सुन लिए थे.. धीरे कहने के पीछे उसकी वजह शायद ये रही हो की थैंक यु के बाद क्या कहा जाये उसे पता नहीं हो.. लेकिन ऐसा कहते वक़्त मैंने उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव देखे.. वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया.. शायद बार बार उसके कानो में ये शब्द गूंजे भी हो..
आप कभी कभी शूज बाहर से पोलिश करवा लीजिये.. और हर बार अलग जगह से ताकि सब बराबर कमाए.. जब वो शूज पोलिश कर रहा हो तो उस से सिर्फ ये कहिये 'यार आप पोलिश अच्छी तरह से कर रहे हो बाकी लोग ऐसा नहीं करते.." उसके चेहरे पर आयी मुस्कान आप साफ़ साफ़ पढ़ सकते है.. अब अगर वो अच्छी पोलिश नहीं भी कर रहा होगा तो करेगा.. यही बात आप हेयर कट लेते समय भी कह सकते है.. आपकी गाडी की सर्विस करते समय.. हर उस वक्त जब कोई आपके लिए मेहनत कर रहा हो.. मैंने तो कल शाम ही मेरे यहाँ आये डिश टी वी के इंस्टालर से ये कहा था..
अगर आपकी शादी हो चुकी है और अब आपकी मम्मी खाना नहीं बनाती तो आज मम्मी से कहिये.. मम्मी आज दाल आप बनाओ ना.. मम्मी तो हमेशा से ही अच्छी दाल बनाती है पर आज जो आपका विश्वास होगा मम्मी के लिए उस दाल का जायका ही कुछ अलग होगा.. ऐसा ही आप अपनी पत्नी से भी कह सकते है.. सिर्फ इतना कहिये उनसे ' सुनो आज दाल में क्या मिलाया था ? बहुत अच्छी बनी...' यकीन मानिए अगले दिन की दाल का स्वाद ही कुछ और होगा..
जितनी ख़ुशी आपको ये सब करने से मिलेगी उतनी ही सामने वाले को भी होगी.. और इन सबके लिए कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं करना है.. जेब से एक पैसा खर्च नहीं होगा..
बड़ी ख़ुशी से अच्छा है छोटी छोटी खुशिया बांटते चले.. इसीलिए तो कहता हूँ खुशनुमा हो जाओ यारो..
अब चलते चलते मदर्स डे की बयार में अपना लिखा कुछ बाँट लेता हूँ आपसे..वैसे साल में सिर्फ़ एक दिन माँ का नही होता.. हर दिन माँ का होता है.. इसी तर्ज़ पर आज समर्पित है कुछ शब्द माँ के लिए..
उम्मीद बुझने वाली है
मगर जाने कौनसा
तेल डाल रखा है..
लौ बूझने का नाम ही नही लेती
हर थोड़ी देर बाद
और भड़क जाती है..
शायद जवान बेटे का इंतेज़ार करती
मा की आँखें होगी....
पड़ोस के घर में
लड़का हुआ था...लड्डू
आए थे घर में
पूरे चार लड्डू थे..
लेकिन घर में हम पाँच
अचानक एक आवाज़ आई
मुझे तो लड्डू नही
खाना... मैं
जानता हू वो माँ ही थी...
khoobsoorat likha hai kush..khushiya aksar in chhoti baton me hi hoti hai. lift man se baat karne ki aadat ke karan mujhe yahan bangalore me apne shahar deoghar ka ek liftman mil gaya tha...aur khushi mujhe bhi utni hi huyi thi jitni use.
ReplyDeleteसही है मुन्ना भाई.. थैक्यु बोलने का.. ये छोटी छोटी बातें बहुत असर करती है...
ReplyDeleteऔर माँ के लिये बेहतरीन शब्द लाये कुश.. सदा रहो खुश..
कुश भाई...बहुत अच्छी बातें लिखी हैं...ये वो बातें हैं जिसमें हींग लगे ना फिटकरी...रंग भी चोखा होय... छोटी छोटी बातों में ही ज़िन्दगी की खुशियाँ छुपी होती हैं...बेहतरीन पोस्ट...और माँ पर लिखी पंक्तियाँ...अद्भुत.
ReplyDelete(जयपुर के क्रोस वर्ड में मंटो की कहानियों पर किताब आयी हुई है बेटे ने बताया था जिसे मैंने मंगवा लिया है...आप ने सुशील जी के ब्लॉग पर लिखा है की मंटो से आप परिचित नहीं हैं...इसलिए सूचित कर रहा हूँ...)
नीरज
माँ पर लिखी पंक्तियाँ बेहतरीन लगी ..और खुशियाँ तो छोटी छोटी देने से ही बढती है ..बस अपना अहम् थोडा नीचे रखने की जरूरत है ..
ReplyDeleteउम्मीद बुझने वाली है
ReplyDeleteमगर जाने कौनसा
तेल डाल रखा है..
लौ बूझने का नाम ही नही लेती
हर थोड़ी देर बाद
और भड़क जाती है..
शायद जवान बेटे का इंतेज़ार करती
मा की आँखें होगी....
पड़ोस के घर में
लड़का हुआ था...लड्डू
आए थे घर में
पूरे चार लड्डू थे..
लेकिन घर में हम पाँच
अचानक एक आवाज़ आई
मुझे तो लड्डू नही
खाना... मैं
जानता हू वो माँ ही थी...
हर घर में माँ एक सी ही होती ही है....! सच माँ ऐसी ही होती है।
tips अच्छी हैं...!
जैसे हम अमूमन अपने ब्रॉड बंद का बिल चुपचाप जमा करके निकल जाते थे ....आज देख तो दुकान गायब....दूसरी जगह शिफ्ट हुई...अन्दर पहुंचे...एक मिनट गुजरा....फिर पूछा काहे शिफ्ट किये भाई....वे साहब बतलाने लगे...अच्छा किया ..उधर एक वक़्त के बाद धूप पड़ती थी.....वे साहब खुश हो गये....हमने तो बस बात ही की थी......
ReplyDeleteयाद है आज से दस साल पहले ट्रेन हमारे के डब्बे में एक दम्पती सफ़र कर रहे थे ...एक विकलांग बेचने वाला उधर से निकला .बीवी के मना करते करते मियां ने कुछ खरीद लिया..शायद कंघी....बीवी उसके जाने के बाद डांटने लगी...क्या जरुरत थी....वे बोले ...वो मेहनत कर रहा है इन हालातो में .उसका हौसला बढ़ाना था ....
कभी कभी जिंदगी कुछ शब्दों से आसान हो जाती है.....
सच कहा तुमने ... छोटी छोटी बातें ही बड़ा खुश कर देती है......अक्सर ये मैने भी किया हुआ है....और सच में किसी अंजाने के चहरे पर खुशी देखकर अच्छा सुकून मिलता है ..... तभी तो ..... अचानक ये मन किसी के जाने के बाद ... करे फिर उसकी याद ... छोटी छोटी सी बात......
ReplyDeleteसही कहा kush जी.........दो शब्द ही काफी हैं दूसरों को muskuraahat देने के लिए.........
ReplyDeleteआपकी rachnaa भी बहूत ही सुन्दर है.........माँ sachmuch aisee ही होती है
सच में किसी तारीफ करने से थोडी देर के लिए ही सही उसे सूकून जरूर मिलता है...सारे सारे दिन धूप में पसीना बहाने वालों के लिए तारीफ ठंडी फुहार जैसा काम करती है...अच्छा लिखा आपने...
ReplyDeletebehad khubsurat vichar hai utni hi sunder post...
ReplyDeleteतभी तो कहा गया है कि- वचने किम दरिद्रता .
ReplyDeleteवाह क्या नायाब फ़ार्मुले दिये हैं? बस अगर इतना ही हम करले तो हमारे साथ साथ ये दुनियां भी खुश रहेगी भाई कुश.
ReplyDeleteरामराम.
सही कहा दोस्त, जिंदगी आखिर है ही कितने दिन की।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary- TSALIIM / SBAI }
लिखते क्या हो, कमाल कर देते हो भाई.
ReplyDeleteवाह!
ऐसी बातें जिदंग़ी में खुशहाली लाती है। और हर कोई ऐसा करने लगे तो वाकई दुनिया कितनी सुन्दर,प्यारी बन जाए। और माँ का तो जवाब नही। माँ पर आपने सच लिखा कि
ReplyDeleteमुझे तो लड्डू नही
खाना... मैं
जानता हू वो माँ ही थी...
सच्ची। आज की पोस्ट मीठी सी लगी।
aap main aur hum sabhi jante hain ki wo maa hi ho sakti hai ...koi aur nahi
ReplyDeletepadhkar achchha laga
बात तो पते की कही है भाई.. जहां तक संभव हो मैं इसे फॉलो भी करता हूं..
ReplyDeleteहमारे ऑफिस में हर दिन गार्ड सभी सामानों को चेक करता है.. मैं हर दिन अपने सामानों को चेक कराने के बाद उसे थैंकयू बोलता हूं.. अब हालत ये हो गया है कि मुझे जैसे ही देखता है वैसे ही मुस्कुरा कर गुड मॉर्निंग सर कहता है(जो वह सी.ई.ओ. को छोड़कर शायद ही किसी को बोलता है).. मेरा बॉस इससे बहुत चिढ़ता है कि यह गार्ड बस प्रशान्त को ही गुड मौर्निंग क्यों बोलता है.. ;)
:) कुश खुश रहो सदा...यही दुआ है..
ReplyDeleteपड़ोस के घर में
ReplyDeleteलड़का हुआ था...लड्डू
आए थे घर में
पूरे चार लड्डू थे..
लेकिन घर में हम पाँच
अचानक एक आवाज़ आई
मुझे तो लड्डू नही
खाना... मैं
जानता हू वो माँ ही थी...
....हर माँ ऐसी ही क्यूँ होती हैं ?
kushji ji khush kar diya....BADHAI
ReplyDeleteह्म्म्म,, आपकी हर पोस्ट पढ़ कर 'कुश-कुश' होता है.
ReplyDeleteबहुत अच्छा अच्छा सँदेश दियेला कुश,
ReplyDeleteकविता माता पर करती है, दिल खुश
पण, निट्ठल्ला " ऐसा ही आप अपनी पत्नी से भी कह सकते है.. सिर्फ इतना कहिये उनसे ' सुनो आज दाल में क्या मिलाया था ? बहुत अच्छी बनी...' यकीन मानिए अगले दिन की दाल का स्वाद ही कुछ और होगा.." के तज़ुर्बे का आपसे हिसाब मँगता है !
ऎसा ही.. पत्नी.. दाल में मिलावट.. यकीन.. में जरा पत्नी तत्व को स्पष्ट करें । ना ना, स्माइली नहीं लगेगी !
apne rojmra ke jeevan me ane vali bhumuly tips de di hai dhanywad.
ReplyDeleteयार तुम्हारी पोस्ट पे कमेन्ट करने को कुछ बचता ही नहीं है !
ReplyDeleteजरूर ऐसी जादुई झप्पियाँ बहुत काम की होती हैं !!
ReplyDeleteव्यक्तिगत अनुभव है हमारा !!
छोटी बातेँ, छोटी छोटी बातोँ की हैँ यादेँ बडी
ReplyDeleteभूले नहीँ बीती हुई एक छोटी घडी ..
माँ ऐसी ही होतीँ हैँ ..
किसी दूसरे के जैसी
कभी नहीँ
परँतु हर माँ एक जैसी होतीँ हैँ -
ये हमारा सौभाग्य है -
बहुत अच्छा लिखे हो
खुश रहो "कुश बेटे "
- लावण्या
वाह कुश !
ReplyDeletebahut khusnuma baat kahi aapne tarif ke liye shbd nhi mere pas.is tippni ko upasthiti praman smjhen.
ReplyDeleteथोड़ी थोड़ी खुशियां बांटने से भी कितनी बढ जाती हैं और जब वापिस बाउंस बैक होकर हमारे पास आती हैं तो वाकई यह अहसास ही अलग होता है. ऐसे ही खुशियां बांटते रहिए, आपके बहाने हम सब भी मुस्कुरा लेते हैं
ReplyDeleteबड़ी ख़ुशी से अच्छा है छोटी छोटी खुशिया बांटते चले-कितनी सही बात कही...
ReplyDeleteमाँ विषय पर दोनों ही रचनाऐं: सच, माँ ऐसी ही तो होती है.
बहुत बढ़िया, कुश!
आपने सही कहा- ऐसे कुछ लम्हें दूसरों को ही नहीं, खुद को भी खुशी दे जाते हैं।
ReplyDeleteमॉ पर लिखी कविता अच्छी लगी।
वाह, कितनी डेल कार्नेगियत है पोस्ट में। सब यह सीख जायें तो दोस्त बनाना और लोगों को प्रभावित करना नेचुरल हो जाये।
ReplyDeleteसुन्दर।
कितनी अच्छी बातें लिखी है पोस्ट में .. उम्र इतनी कम और अनुभव इतने .. मां क्या होती है .. क्या खूब बताया .. शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबड़ी बढ़िया बढ़िया बातें बताई आज.....हम भी खुशनुमा हो गए!
ReplyDeleteतुम्हारी ये बात तो अपन ब्लौग वाले कम-से-कम इस ब्लौग जगत में तो बड़े कायदे से अनुसरण करते हैं,कुश....हर लेखनी, हर पोस्ट उम्दा होती है। सब के मुख पर मुस्कान बनी रहती है...
ReplyDeleteकविता बेहद भायी
छोटी छोटी खुशियाँ बाटते चलो भाई .... वरना बड़ी खुशियों का इंतज़ार करते रहे तो छोटी भी चली जायेंगी.... इस भागम भाग भरी जिन्दगी में दूसरों के लिए भी थोड़ा वक्त निकालना चाहिए | बहुत अच्छी बातें
ReplyDeleteदुनिया चार दिनों की है
ReplyDeleteरोके जी या फिर हंसले।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
वाह प्यारे वाह इस बेहतरीन पोस्ट की बधाई एवं शुभकामनाएं
ReplyDeleteshayad maa ki aankhen hongiiiiiiiiiiii........
ReplyDeletekya baat kahi hai kush bhai
aapka javab nahi ..bhaav ko jis dhang se baandhte ho..yakinan kabil-e-tariif
Kahaan ho kush?
ReplyDelete"maatru diwas"ke uplakshme jo aapne likha uskee to pehlehee itnee sarahnaa ho chukee hai, mai apnee boltee bandee rakhtee hun..haan...ek nimantran leke ayee hun..mere "lalitlekh" is blogpe "maatru diwas" sheershak tehet 3 kadiyaan likhee hain..padhenge?
URL
http//lalitlekh-thelightbyalonelypath.blogspot.com
Gar ispe naa mile to kisee aur "lalitlekh" kee URL ke tehet ghusa padaa hogaa...hanso mat..."The Light by..." inactive karke vishayanusar 13 blog kar diye..unheenke makkad jaalme fansee hun..!
Sach kahte ho bahut chhoti baaten hai lekin kisi ka din bana sakti hai
ReplyDeleteaaj ke zamane mein jaha insaan apno ko bhul raha hai
waha par watchman ke liye bhi sochna bhaut achha laga
mujhe tumhara ye likha bhi bhaut pasand aaya
पड़ोस के घर में
लड़का हुआ था...लड्डू
आए थे घर में
पूरे चार लड्डू थे..
लेकिन घर में हम पाँच
अचानक एक आवाज़ आई
मुझे तो लड्डू नही
खाना... मैं
जानता हू वो माँ ही थी...
sach kahte ho pata hi nahi chalta kab kitna kurbaan kar jaati hai
आपके अगले पोस्ट का बड़ी बेसब्री से इंतजार हैं.
ReplyDeleteवाह वाह वाह !!!!!! क्या बात कही है.....
ReplyDeleteएकदम सही....
एकदम बेहतरीन पोस्ट ! शुभकामनाएं।
ReplyDeleteमुन्ना भाई आपकी जादू की झप्पी पसंद आई। मेरी तरफ से आपको भी एक झप्पी :)
ReplyDeleteसब के साथ हम भी कुशनुमा हो गए. दिल को कुश कर दिया.
ReplyDeleteसब के साथ हम भी कुशनुमा हो गए. दिल को कुश कर दिया.
ReplyDeleteसब के साथ हम भी कुशनुमा हो गए.
ReplyDeletebhaiyya ,
ReplyDeletemain bahut der se aapke blog par hoon , bahut kuch padh raha hoon aur speachless ho gaya hoon .ki kya kahun .. aap bahut shaandar likhte hao yaar. man kahin kahin bheeg gaya hai .. kahin aankho ke kinaare aansu ki boonde jami hui hai .. main aur kuch nahi kahunga .. bus naman karta hoon..
aapke saare lekhan ke liye badhai ..
meri nayi kavita padhiyenga , aapke comments se mujhe khushi hongi ..
www.poemsofvijay.blogspot.com
Maa Ke Tyaag Se Wo Laddo Aur Bhi Meethe Ho Jaate The...Bachpan Yaad Dila Diya Aapne
ReplyDeleterikshaw waale ko paise dete samay,mess waale se khaana lete huye,yahaan tak ki dukaan se bhi saaman lete smaay mujhe thanks bolne ki aadat hai...aise to ye andar se aati hai par umeed hai ki itna achha,itna prabhaavi aur dil se nikla hua lekh padhke mujhe bhi kuch aur achhe naye aadat banae ki prerna milegi,aur aisa hi auro ke saath hogaa....
ReplyDeleteiske alaawa train athwa bus yaatra ke dauraan apne umr se bade logo se baatein karna bhi aap apni list me shaamil kar sakte hai...ye ek aur baat hai jo mujhe bahut pasand hai :)
बड़े दिन हुये...
ReplyDeleteअनुराग जी के ब्लौग पर टिप्पणी में पढ़ा कि नयी पोस्ट लगा रहे हो...
ढ़ूंढ़ रहा हूँ...!!!
Kush bhai sab kahan hain aap?
ReplyDelete