Thursday, June 7, 2007

"सपने........."

नींद के गर्भ में
लात मारते कुछ सपने
इनका सीमंतन..
चल रहा है .....
ये संस्कार इन सपनो को
नयी दीशाए देंगे..
तब भी जब रूठ जाएगी आँखे
ख़ुशियो का संसार देंगे.
सपनो का गर्भ में प्लना
कितना ख़ूबसूरत होता है ..
मगर जब आती है बारी
इनकी गर्भ से निकलने की
तभी कुछ हो जाता है ....
फिर अब की बार केस
कॉम्प्लेक्स हो गया है
एक सपना जीना चाहता है
बाहर आना चाहता है
नींद की गर्भ से
पर एक दाव अभी लग गया है
क़िस्मत सपने की
लिखी गयी है कुछ इस तरह
की आज फिर से सपनो वाला
गर्भ ठहर गया है ....

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..