कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर.....
ये शब्द जो गिरते है कलम से..
समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में......
....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
बादलऑनड्यूटीहो.. औरचायकी तलब..! एऊपरवाले! क्याखालिसज़िंदगीदीहैतूने....! इससेबढ़ियाकॉम्बिनेशनतोहोहीनहीसकता.. झमाझमबारिशमें नहानाकिसीएक्स्ट्राकेरिकुलरएक्टिविटीकीतरहहरऑफीसमेहोनाचाहिए.. वरनासीटपेबैठेबैठेठंडेमौसममेंजोगर्मआहें निकलतीहैकीएसीभीतड़पकरचारगालीदेमारताहै.. वैसेइधरमौसमदोचारदिनों सेअच्छाहै.. ठंडीहवाचलरहीहै.. देखतेहैइंदरबाबूकबतकमेहरबानरहतेहै. प्लास्टिककीथैलियाजेबमेंरखकरघूमलोबॉस... मोबाइलऔरपर्सगीलेनहीहोजाए.. एंडडोंटमाइंडथैलियाप्लीज़..! प्लास्टिककैरीबैग्सभीबोलसकताथा.. परउससेमेरीभारतीयताकोठेसपहुचतीऔरमैंतो ठहरापक्कादेसी.. वैसे बारिश की बात करे तो किसी ने ठीक ही कहा है.. हर बारिश की अपनी अलग कहानी है..
ड्रीम : ऑफिस की खिड़की से बाहर हवा में छलांग लगाके भीगना.. और कंप्यूटर को नाव की तरह पानी में बहा देना.. फैक्ट : ऑफिस की खिड़की से बाहर गिरती हुई बूंदों को देखना.. और फिर दिल पर चट्टानें रखकर कंप्यूटर की स्क्रीन में नज़रे गड़ा लेना..
येगिरीएकऔरबूँदखिड़कीपे..
रात नौ से बारह राजनीति देखने का प्रोग्राम है ... अभी के लिए टाटारहेगा..