लेकिन थी वही घिसीपिटी लव स्टो
इधर लव हुआ उधर पूरी बोतल खलास.. नहीं नहीं खांसी की दवाई थी बोतल में.. हीरो की पड़ोसन को खांसी जो थी.. बेटे तो विदेश चले गए थे.. अकेली पड़ी रहती थी.. सुबह शाम दवाई लेती थी बेचारी.. क्या कहा ? हीरो की पड़ोसन से हमें क्या मतलब? तो छोडिये.. जाने दिजिये.. गोली मारिये पड़ोसन को.. मास्टर की बात करते है.. मास्टर बड़े ही मास्टर आदमी थे.. कपडे सिलते थे.. फीता हाथ में लेकर लोगो को नापते थे.. नाप रहे थे एक दिन हिरोइन को... फीते से तो नाप लिया ही था आँखों से भी नाप लिए... हिरोइन जानती थी ये लव नहीं है कुछ और है.. हिरोइन को युही हिरोइन नहीं कहते.. नज़र है उसके पास.. नजरो को परखने की..
देखा..! नजरो के फेर में कहानी को नज़र लग गयी... तो हम कह रहे थे कि लव था नहीं.. अजी होता कैसे..? बचपन से हीरो बाप की लातो और मोहल्ले की लडकियों से जो कुत्ते की तरह पीटा था.. कि लव नाम का लफाडू ही भूल बैठा...फिर लवस्टोरी के हीरो को लव ही नहीं पता तो गुरु लवस्टोरी कैसी? बस यही सोच के पंडित जी को फैक्स भेजा.. तुरंत आइये..!
पंडित जी कौनसे अमरीका के राष्ट्रपति थे.. तुरंत आ गए.. पर ये क्या? फैक्स किसको भेजा था और कौन आ गया.. ये तो दुसरे पंडित जी थे..खैर अब जो आये सो अच्छा.. पंडित तो पंडित होता है.. ज्यादा से ज्यादा चोटी लम्बी या छोटी होती होगी... होती होगी से ये मतलब नहीं कि राईटर को पता नहीं कि है या नहीं.. बस वो बचना चाहता है.. उन लोगो से जो बगल में राम और बगल में ही छुरी दबा के बैठे है.. पर राईटर ही अगर डर जाएगा तो लव स्टोरी आगे कैसे बढ़ेगी..? क्या कहा वैसे भी कौनसी आगे बढ़ रही है..?
माफ़ कीजियेगा जनाब...! भावो में भटक गए थे इधर उधर.. अब भटकते है कुछ लोग भावो में भी भटकते है.. क्या कहा लापतागंज के डायलोग मार रहे है.. ? अब मारते है जी.. कुछ लोग डायलोग भी मारते है.. क्या कहा.. आप नहीं मारते?... अब कुछ लोग नहीं भी मारते है.. फिर भटक गए,,, इधर उधर की लल्लो चप्पो में असली बात गच्चा खा गयी.. असली बात थी क्या वैसे? अरे नहीं गुरु गुस्सा मत होइए.. हमें पता है हम तो ये चेक कर रहे थे कि आप तो नहीं भटके.. शुक्र है आप यही हो.. लव स्टोरी के लिए पाठक का होना बहुत ज़रूरी है.. और लव का भी..
तो लव का हम कुछ यु कह रहे थे.. कि हीरो पहली बार जब हिरोइन की गली से गुजरा तो हिरोइन अपनी नानी के यहाँ ऋषिकेश गयी हुई थी..वरना तो दोनों मिल ही जाते.. खैर जिस दिन हिरोइन की ट्रेन वापस स्टेशन पर आने वाली थी उसी दिन हीरो की भी ट्रेन थी शिमला की... पर दोनों की ट्रेन में साढे आठ घंटे का फर्क था.. सो नहीं मिले..
अब नहीं मिले तो नहीं मिले.. हम क्यों अपना खून जलाये.. क्या कहा.. जलाएंगे ? तो ठीक है जलाइए. आप पाठक है कुछ भी जला सकते है.. आपकी बात तो माननी ही पड़ेगी.. तो बात कुछ ऐसी है..कि उस शाम लव स्टोरी की हिरोईन बहुत कन्फ्यूज थी.. बैठे बैठे सोच रही थी कि लव स्टोरी में वो क्यों झक मार रही है.. तभी राईटर ने उसका एक प्रेमी पैदा कर दिया.. अरे नहीं नहीं महाशय.. अभी के अभी थोड़े ही पैदा किया है. वो तो लव स्टोरी में अभी आया है.... क्या कहा.. जबरदस्ती घुसाया है..? साहब अब आप हद पार कर रहे है.. पाठक की औकात में रहिये.. राईटर की कहानी है जो मर्जी आये करे.. आप क्यों कहानी के पजामे में हाथ घुसा रहे है..
क्या कहा.. इस से अच्छा है कहानी ख़त्म कर दे... ? लीजिये फिर.. तो अंत कुछ ऐसा हुआ कि.. हिरोईन को एक प्रेमी मिल गया.. दोनों ने शादी कर ली...हीरो अब चालीस पार कर चुका है.. अजी बिलकुल शादी शुदा है.. पिताजी के कहने पर शादी कर ली थी साढे तीन बच्चे भी है.. अजी एक अभी अन्दर ही है ना.. क्या कहा हीरो की बीवी प्रेग्नेंट है ? अजी नहीं अभी तो हीरो के अन्दर है.. वो भी आएगा.. थोडा सब्र रखिये.. एक तो आप उतावले बहुत जल्दी हो जाते है..
तो मैं कहा था..? हाँ शादी... ! तो दोनों ने शादी कर ली.. पर हिरोईन का प्रेमी साला निकम्मा निकला..और हीरो की पत्नी? अजी हीरो की पत्नी हीरो के घर कम रहती है और अपने मायके ज्यादा.. और लव..? यही पूछ रहे है ना आप.. तो यार एक तो आप लोग सवाल बहुत करते हो.. राईटर बेचारा क्या क्या लिखे.. उसकी खुद की लाईफ तो लव स्टोरी विद आउट लव है.. परेशान होंकर उसने अज्ञातवास ले लिया.. और लव स्टोरी की वाट लग गयी.. बस खुश!
आफ्टर अ लॉन्ग लॉन्ग टाईम-
राईटर जो है.. वो अभी तक लव ढूंढ रहा है.. आपको कही मिले तो बता देना प्लीज.. इट्स अ हम्बल रिक्वेस्ट!
हम्म... खोजता हूँ लव... फिर से एक दिलचस्प पोस्ट...
ReplyDeleteराईटर और पाठक के बहाने कई लिखने वालों की क्लास ले ली... सही किया... लफ्फाजी का अच्छा उदहारण और उदहारण से निकलता अच्छा निष्कर्ष
बाप रे....क्या लव था कहानी में! भावुक होकर आँखें छलक पडीं! कहीं राईटर को बुरा न लग जाये इसलिए हंसी दबा ले रहे हैं!
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteachi kahani he
BADHAI IS KE LIYE AAP KO
SHAKHE KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
कुछ एक दो साल पहले रात को बारा एक बजे ऐसे ही एक राईटर से रु-ब-रु मुलाकात हुइ थी....जिसे अभी तक हम भूले नही.... उस दिन जिस से मिले थॆ कही आप तो नहि थे????? बडे दिनो बाद मिले ठाकुर!!!
ReplyDeleteपुराना पता हमसे पूछ लो ....कोई नया हो ,तो बात और ....
ReplyDeleteकिसको क्या बताना है...कौन मिलने वाला है...राइटर मिले तो उसको बताना है की लव का एड्रेस ये रहा...या लव को राइटर का एड्रेस बता दें. या फिर लव और राइटर दोनों मिलें तो तुमको बता दें. हाय राम कैसी भूल भुलैय्या बने है रे पूरी पोस्ट में भुतला गए हम तो. कोई हमको बताये हमारा एड्रेस कहाँ है :)
ReplyDeleteये लव कुश की जोड़ी तो गज़ब की है. :)
हम बड़े बेवकूफ हैं कासी भी कहानी सुनावो सुन ही लेंगें....वसे जलाया अच्छा जल जल के पढ़ा पोस्ट........शुक्रिया
ReplyDeleteGood Love Story.
ReplyDeletefun25.com
लव अभी अभी पास से गुजरा था, आपने पुछने में देरी कर दी. वरना यहीं बैठा लेते, धर के. अभी तो बिना नमक का खाना...सॉरी बिना लव की स्टोरी करो...
ReplyDeleteवाह...बढ़िया लवस्टोरी, बढ़िया व्यंग
ReplyDeleteलव मिले तो मुझे भी बता देना भैया,मैं भी बहुत सालों से ढूंढ रहा हूं.
ReplyDeleterochak post
ReplyDeleteलव तो चला गया पर उसका क्लोन है मेरे पास,पता बताइए अभी एक आपको भी भिजवा देते है
ReplyDeleteलवली..क्या कहा? सच बोल रहा हूँ? हाँ सच ही तो बोल रहा हूँ.
ReplyDeleteहमारे से पहले आपको मिले तो हमें बता देना कुश भाई। वैसे दो लाईन यूँ ही याद आ गई।
ReplyDeleteप्यार का मतलब साथ साथ रहना नही साथ साथ जीना होता है।
सही बात है.....कौन रोक सकता है लव को......अब तो ससुरा बेनरो पे बाकायदा नम्बरों के साथ चुनौती देता है .....हिन्दुतान की आधी आबादी बिना लव के लव मेरिज करे जनसँख्या में इतना विस्फोट कर रही है के सरकार को कंट्रोल के कई बटन बनाने पढ़ रहे है .........
ReplyDeleteवैसे एक साहब ने बड़ा सा उपन्यास लिखा था लव पर ..........पर कमाल की बात थी कोई लव नहीं था उसमे.....मनोहर श्याम जोशी नाम है उनका ......बड़ा धक् चिक नोवेल था जी वो...
फोटुवा बड़ा मस्त लगाये हो......
very nice
ReplyDeleteलव स्टोरी कुश के द्वारा .......
ReplyDeleteye ishq nahi aasaan..bas itna samjh lijiye..kush ki kalam ka lamba sa fasana hai :))))))))))))
ReplyDeleteतुम्हारे लिखने से ज्यादा शाबाशी तो उन्हे देनी पड़ेगी जिन्हे कहानी समझ आ गई....!
ReplyDeleteपब्लिक को इतना ज्यादा कन्फ्यूज़ कर दिया है तुमने कि सब घबड़ा कर ताली बजाने लगे हैं।
भईया अब तो कहानी में दि एण्ड लाओ
रोचक..प्रेम..कथा..,अपना नजरिया,भई वाह.
ReplyDeleteचित्र बहुत प्रतीतात्मक है ।
ReplyDeleteए भाई, हमारा तो मुडिया इतना बार गोल गोल घूमा कि एकदम्मे से कन्फ्यूजिया गए...
ReplyDeleteराइटर > हीरो > बीबी > दरजी > हिरोइन > ट्रेन > साढ़े तीन बच्चे > राईटर > शिमला > ऋषिकेश > लव > हीरो >हिरोइन > बीबी > नालायक >>>
बाप रे बाप >>>>> बहुत्ते हाई फाई लभ इस्टोरी है भाई...
एक कहानी मुझे भी याद आ रही है.. ध्यान से सुनना..
ReplyDeleteपप्पू पिंकी से प्यार करता है, मगर पिंकी पप्पू के भाई से प्यार करती है.. उधर पप्पू का भाई पिंकी कि बहन से प्यार करता है और पिंकी कि बहन पप्पू से प्यार करती है.. अब बात दरअसल यह है कि पप्पू जो पिंकी कि बहन से प्यार नहीं करता है और पिंकी कि बहन पप्पू के भाई से प्यार नहीं करती है और पिंकी पप्पू से प्यार नहीं करती है.. छोडो यार.. काहे को इनके पर्सनल अफेयर में मीडिया जैसे नाक घुसा रहे हो..
वैसे लव सिन्हा का नाम सुना है कि नहीं? अरे वही अपने शत्रु भैया का बिटवा..
हमें तो खुद आपका एड्रेस नहीं पता राईटर को क्या ख़ाक बताएँगे
ReplyDeleteबढ़िया लिखा भाई जी
झकास! :-)
ReplyDeleteराइटर की कहानी पर खुश होकर डेढ़ किलो लव भेज रहे हैं। पावती तुरन्त भेज देना! ठीक है न!
ReplyDeleteइस तरह के प्रयोग और होने चाहिये। सुन्दर!
'ढूंढते रह जाओगे' से 'दाग अच्छे हैं' तक का सफ़र याद कीजिये और फिर आगे बढिए....
ReplyDeleteऐसा लग रहा था कि हम कुछ पढ़ नहीं रहे हैं बल्कि किसी अच्छॆ से सपने में खोये हुए हैं और सपने के मुगालते कुश दूर करते भी जा रहे हैं आखिर राईटर जो हैं :)
ReplyDeleteयह लव क्या होता है? इस शब्द का अर्थ हमें समझ नहीं आया। फ्लू की तरह की कोई बीमारी है क्या? जो उड़कर ही कही चले जाती है। मैंने तो सुना है कि आजकल एक देश से दूसरे देश में भी यह उडकर फुनवा के सहारे ही चले जाती है। खैर आपको लव मिल जाए तो मुझे भी बता देना। अपने भी बाड़े में बांध लेंगे।
ReplyDeleteगुड (गोबर )लोव स्टोरी है ...लव नामक लफ्ज़ लापता है आज कल .खोज जारी है ....
ReplyDeleteलव के लिए साला कुश भी करेगा !!!
ReplyDeleteदो बातें कहॅूगा-
ReplyDelete1) प्रेम अब उस फ्रेम की तरह दीवार पर टंगा हुआ है जिसमें कोई तस्वीर नहीं है।
2) लव अब एकल परिवार की तरह संकुचित हो गया है।
कुश, ये तुम्हारी लव स्टोरी तो नहीं है न , जब जब लव खोजा तब तब प्रेमिका नानी के घर गई थी :-)
ReplyDelete... गुड है यार लव स्टोरी विदाउट लव
तो मैं कहा था..? हाँ शादी... ! तो दोनों ने शादी कर ली..
ReplyDelete.......
पहले,
जब छेड़ता था,
तो लडती थी...
झगडती थी.
पास आती थी
दूर जाती थी
मुझसे लिपट जाती थी
मेरे छेड़ने से देर तक सच में भी रूठ जाती थी
कभी बिना मनाये मानी भी
तेरी कविताओं वाली काली मखमली रातों में तारों का गजरा लगाया था...
तेरे उजले सूरज-चेहरे में नौकरी की खोज सी मीठी खीझ याद है.
अब,
मुझे खाना बना के देती हो...
मेरे कपडे धोती हो..
लेकिन.... खुद...
निढाल सी पड़ी रहती हो.
...कर लो जो करना है !
न समर्थन का जोश...
न विरोध का गुस्सा !
ज़िन्दगी तू प्रेयसी ही अच्छी थी .
...एवें ही ;)
an c0mplete nonsense write...heheh...i enjoyed reading it..... :) yaar chhodne ka dil hi nahi hua aakhir tak ....han luv dhundhna zaroori hai
ReplyDeleteबढि़या है 'स्टोरी' है... बहुत ही कलात्मक और बुद्धिजीवी प्रकार की फ़िल्म के लिए बिल्कुल उपयुक्त है :-)
ReplyDeleteअरे यार लव नाम का लौंडा तो हमारे साथ ही काम करता था... ससुरा नौकरी छोड़ के खुद की कंपनी खोलने भाग गया. कुछ दिनों पहले बोले होते तो मिलवा देता :)
ReplyDeleteहद्द है यह तो..एक दम गलत बात..बाहर लेबल पे इन्ग्रेडिएंट कुछ और लिखे और अंदर पैकेट मे कुछ और..कन्ज्यूमर फ़ोरम का पता खोज रहा हूँ!..भई हम तो समझे थे कि लव-स्टोरी होगी..मगर कुश-स्टोरी निकली..खैर रामानंद सागर ने इतना तो सिखा दिया है कि जहाँ लव होगा..वहाँ कुश भी होगा..अरे मेरा मतलब वहीं पर कुश भी होगा..उसी जगह..! और राइटर हैं तो कुछ भी करेंगे क्या..मतलब अगर हीरो बचपन से सैंडल-फोबिक हो कर बैठा है तो हीरोइन का टाँका किसी से भी भिड़ा देंगे?..मतलब मास्टर जी से ही? (मतलब हम पाठक मर गये हैं क्या)...और यह सब राइटर की साजिश है हीरो के खिलाफ़..वरना चाहता तो क्या ट्रेन साढे आठ घंटे लेट होती क्या?(वैसे लेट ट्रेन का इंतजार करती हीरोइन को सूने प्लेटफ़ार्म पर रात के बारह बजे कुछ आवारा गुंडों (बोले तो राइटर-टाइप) से बचाते हुए हीरो की कहानी खुद ही परम-सेट हो जाती)..या हीरो को भी ऋषिकेश भेज सकता था..मगर यहाँ तो राइटर की खुद की नियत खराब दिखे है हमें..! गलत बात एकदम..राइटर के लिये अंडे-टमाटर खोज रहा हूँ..ओह राइटर भी लव खोजने गया है शायद..!
ReplyDelete(दो शब्दों मे: झक्कास लभ-स्टोरी) :-)
आहा! आखिर पूरी पोस्ट पढ़ ले गये! लव की ढुंढ़ाई विषय ही ऐसा है - अधेड़ावस्था में भी ईवरग्रीन है!
ReplyDeleteका हो मिल जाएगा !!
ReplyDeleteनहीं हमारा मतलब है कि उम्मीद का है !!
मिल जाए तौ एक ठो हमको भी चाहिए.
राईटर से कहो आजकल लव ऐसे नही दिखेगा.. एकता कपूर के सीरियल देखा करे.. नही तो आजकल तो न्यूज मे भी लव है..आयशा का शोएब के लिये तो शोएब का सानिया के लिये और मीडिया का इन दोनो के लिये..
ReplyDeleteबाकी तुम्हारा राईटर भटकटा बडा जल्दी है.. बीवी को मायके मे सन्देशा पहुचवाओ..
नए अंदाज़ में लिखी पोस्ट के लिए कुश भाई आप १०० में १०० के हकदार हैं.......
ReplyDeletekush ji , sachi bataye ki kahin love to nahi ho gaya hai aapko .. ki man me ye saari baate aane lagi hai ....
ReplyDeletewell, agar ho gaya ho to ji hi daalo yaar..
vijay
bahot hi mast likha hai aapne, sarad joshi ji ka pura feel hai. bole la-pata-ganj... hahaha.
ReplyDeleteलव का क्या है, वो तो हवाओं में बहता है, कुश का क्या है, वो तो कुछ भी कहता है... इहाँ हमरे मुहल्ले में कम्पटीशन की तैयारी में लगे पूर्बी यू.पी. (खासकर इलाहाबाद पढ़े) और बिहार के (बिहारी नहीं बोलने का, गाली लगता है दिल्ली में) भाई लोग लव की तलाश में फ़्रस्टिया-फ़्रस्टिया के नॉर्थ-ईस्ट वालों को गरियाते हुये बुढ़ाये जा रहे हैं(कुछ लोग नहीं भी गरियाते हैं-)---न लव मिलता है, न सिलक्शन होता है.
ReplyDeleteहमको मिलेगा तो हम अपने भाई लोग को नहीं बतायेंगे. आपके राइटर को क्यों बतायेंगे भला?
अद्भुत प्रयोग. बहुत सुन्दर.
ReplyDeletehe he he Love ko kush style mein padh kar maza aaya
ReplyDeletebahut din baad itna sunder lekh padha .....
sorry .. though i can read hindi, it takes me very very long to read a full article ... but i did enjoy looking around your blog ..
ReplyDeleteThanks To all..! Friends
ReplyDeleteअच्छी लगी कुश की लव बिन स्टोरी ..... शब्ज जाल भी बाँध लेता है बिना किसी स्टोरी के ही..
ReplyDeleteकुश भाई इतने सारे लव वाले खड़े हैं कभी लैपटॉप से नज़रे हाता के तो देखो ........बढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteआपका ब्लॉग बहुत अच्छा है. आशा है हमारे चर्चा स्तम्भ से आपका हौसला बढेगा.
ReplyDeleteHe bhagwaan! Prayog to adbhut haihi! Khoda pahad,nikla chuha! Ha,Ha!
ReplyDelete!!
ReplyDelete:)
हा हा हा मजेदार लव एंगेल है भाई...बड़ी दिलचस्प पोस्ट है...मजा आया पढ़ के ...पंकज भाई ने मस्त कहा :)
ReplyDeleteये मोडेरेशन कब लगवा लिये?
ReplyDeleteबड़े दिनों बाद इस तरफ आया तो अपना कुश पूरे कुशावतार के उफ़ान पर मिला....
ReplyDeleteतुम्हारी लेखनी को सलाम मियां...कहाँ से लाते हो ऐसे रपचिक आइडिये और वपोस्ट के मुतालिक तस्वीर भी...उफ़्फ़्फ़!
ओह ! मन दुखी हो गया ।
ReplyDelete:)
ReplyDeleteखुद को ढूंढने का सूत्र
ReplyDeleteहै (शाश्वत )
जीव (जो मान रहा है )
प्रकृति ( में हलचल हो रही है )
कर्ता ( होते में हो रहा है )
नीचे के तीन प्रश्न हल होते ही सब प्रश्न हल हो जाते हैं .
kya kush poori kahani padhwadi...aur last fusssssss....aji matrimonial site mein ad. de digiyea na ...rihgter ko heroine mil hi jaayegi kahe ko fokat mein keyboard gistey hain :-)
ReplyDeleteसचमुच,मज़ा आ गया!
ReplyDeleteइस पोस्ट की तारीफ के लिए जो शब्द सबसे पहले आता है दिमाग में वो है "दिलचस्प"
ReplyDeleteहैलो दोस्त,
ReplyDeleteआपकी कहानी पढ़ी लेकिन मुझे कहानी से ज्यादा रोमांचक लगा आपका अपना परिचय।
पहली ही लाइन मे इतना दम है कि शहर और जीवन दोनों को भूनकर रख देता है। बहुत रोमांचक दुनिया खड़ी की है आपने इस परिचय से।
मुबारक
लख्मी
एक शहर है ब्लॉग से।
hah haahahah sahaahaha haahah
ReplyDeleteअरे कुश औफिस मे हूँ यार हंसाओ मत. हीरो पहली बार जब हिरोइन की गली से गुजरा तो हिरोइन अपनी नानी के यहाँ ऋषिकेश गयी हुई थी..वरना तो दोनों मिल ही जाते..
अभी आधा ही पहुंचा हूँ ह कि तुमने कमेँट के लिये मज्बूर कर दिया अगकली कोमेँट पूरी करने के बाद ..
सत्य
आपका अंदाज़े-बयां अपना है भाई.... साधुवाद...
ReplyDeleteप्रशंसनीय ।
ReplyDeleteसाधु साधु
ReplyDeleteनमस्कार,
ReplyDeleteराजस्थान से नित्य-प्रति अनेक चिट्ठे (ब्लॉग) लिखे जा रहे हैं। हम जैसे अनेक हैं जो उनको पढ़ना चाहते हैं। खासकर चुनिंदा ताजा प्रविष्ठियों को।
परंतु दिक्कत ये आती है कि एक जगह सभी की सूचना उपलब्ध नहीं है। कुछ प्रयास भी इस दिशा में हुए हैं और कुछ चल भी रहे हैं।
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सूचित करें।
नित्य-प्रति हम एक-दूसरे से जुड़ा रहना चाहते हैं। ब्लॉगिंग का विस्तार ही हमारा ध्येय हैं।
सुझाव-सलाह आमंत्रित है।
सादर।
दुलाराम सहारण
चूरू-राजस्थान
www.dularam.blogspot.com
राजस्थान के ब्लागरों के लिए एग्रीगेटर बनाकर श्रेष्ठ काम किया है आपका आभार।
ReplyDeletekush tum pagla gaye ho kya?
ReplyDeleteItne saare commets padhne ke baad,samajh me nahee aata kya kaha jaye!
ReplyDelete