आप हमेशा की तरह उन्हें मना रहे है.. उनको मानना ही है ये वो भी जानती है और आप भी.. फिर भी आप मना रहे है.. वो चाहती है बस थोडी देर और मनाया जाये.. आप कोशिश तो कर रहे है,, पर आपको प्रोमिस भी करना पड़ेगा.. कि आज के बाद आप उनके घरवालो के खिलाफ कुछ नहीं कहेंगे.. वो जानती है आप ये वादा निभाने नहीं वाले.. पर हर बार की तरह वो फिर इस बार भी आश्वस्त हो जाती है कि आप ऐसा नहीं करेंगे.. अब वो मुस्कुरा चुकी है.. आप फिर से उन्हें छेड़ देते है.. वो फिर से मुंह फेर लेती है.. बस इसी को तो कहते है.. लाईफ में लीम्बू सोडा..
लाईफ कभी भी लड्डू नहीं हो सकती.. ना ही हमेशा ये नीम सी होती है.. लाईफ तो होती खट्टी मीठी.. बिलकुल जैसे कच्चे लीम्बू की तरह.. वैसे तो इसे नींबू भी कहा जा सकता है.. पर जो मज़ा लीम्बू में है वो नींबू में कहा.. ?
घर में सब खाना खा रहे हो.. तो बस अपने 'उनकी' दाल की कटोरी में नमक ज्यादा डाल दीजिये.. फिर देखते रहिये उनके चेहरे की हालत.. और अगर आप 'उन' है तो खाने की प्लेट रखने जाते वक़्त मैडम को चिकोटी काट के निकल लीजिये.. वो आउच तो करेंगी.. पर कुछ बोलेगी नहीं.. आप के और उनके नैन ही बतिया लेंगे बस.. हाँ लेकिन धमकी जरुर मिलेगी कि आओ रात को कमरे में.. अब इसके लिए तो कोई उपाय नहीं "सिम्पली एंटर एट योर ओव्न रिस्क"
लाईफ खट्टी हो रही है क्योंकि फिर से लडाई हो रही है.. वो आप से आपका मोबाइल मांग रही है और आप है की दे नहीं रहे है.. आपको डर है कि वो कही इसमें नॉन वेज मेसेज्स नहीं पढ़ ले.. और वो सोच रही है कि आखिर इसमें ऐसा क्या है जो आप छुपा रहे है.. अब उनका जतन और बढ़ रहा है.. आप पैंतरा फेंकिये तुम अपना मोबाइल दिखाओ पहले.. अब बात इगो पे आ जायेगी..
मैं क्यों दिखाऊ जब तुम नहीं दिखा रहे हो तो..
दिखाना तो पड़ेगा..
अरे ऐसे कैसे दिखाना पड़ेगा.. तुम अपना मोबाइल नहीं दिखाते हो तो मैं क्यों दिखाऊ?
ठीक है मैं भी नहीं दिखाऊंगा..
हाँ तो मत दिखाओ.. वैसे भी मुझे कोई इंटेरेस्ट नहीं है तुम्हारा घटिया मोबाइल देखने में..
चलो बला टली.. (अरे अरे मन में.. ये जोर से नहीं बोलना है.. वरना इसका कोई इलाज नहीं.. )
आप मोबाइल को साइड में रख कर सेंसर करते है.. सारे लफडे वाले मेसेज्स डिलीट करते है .. फिर देते है.. अच्छा चलो देख लो मोबाइल..
नहीं अब मुझे नहीं देखना..
ओवियसली अगर साफ़ सुथरा मोबाइल सीधे सीधे देख लिया.. तो फिर लाईफ में लीम्बू सोडा कहाँ से आएगा.. ??
आप दोस्त से फोन पे बात कर रहे है.. वो आ गयी है.. कमरे में.. आपकी आवाज़ धीरे हो रही है.. आप हाँ हूँ में जवाब दे रहे है.. वो कुछ नहीं कहती है पर कुछ इस तरह से देखती है कि आप समझ जाते है.. और फोन रख देते है.. वैसे ये निगाहों की भाषा सिर्फ वो ही नहीं जानती है.. आप भी अच्छे से जानते है.. जब वो बुआ जी और बच्चो के बीच बैठी होती है.. तब आप आँखों से उन्हें देखकर बेडरूम में चले जाते है.. वो भी आपके पीछे आ जाती है लीम्बू अपना खट्टा मीठा स्वाद बरकरार रखता है..
कभी आप उनकी बिंदी आईने से हटा दो.. तो कभी वो सुबह सुबह अखबार छुपा देंगी. जब वो बर्तन धो रही हो तो पीछे से जाकर सर से पल्लू हटा दीजिये.. चिंता मत करिए वो भी चाय में नमक मिलाकर लाती ही होगी.. क्या कहा..? वो शर्माती नहीं..? आज उनसे कह दीजिये इतना काम करती हो तुम.. सोचता हु तुमको तो राष्ट्रपति से भारत रत्न दिलवा दू.. देखा शरमा गयी ना.. वैसे शर्म से लाल तो आप भी हो जायेंगे जब वो बोलेंगी कि आज तो आप बिलकुल वैसे लग रहे है जैसे शादी के दिन लगे थे.. बस फिर क्या आज आप कंघी करने में दो मिनट एक्स्ट्रा लगायेंगे..
कभी ऑफिस के टिफिन में एक नोट भी मिल जायेगा 'मिस यु' लिखा हुआ.. तो आईने पर लिपस्टिक से आई लव यु आप लिख देंगे.. अरे बाप रे आज तो ये आपकी छोटी बहन ने पढ़ लिया था.. अब क्या उसकी फरमाहिशो की फेहरिस्त संभालिये.. उन्होंने अपनी आँखों से तो पहले ही डांट पिला दी है आपको..
वैसे एक बात बता दू मैं आज तीसरा दिन है और आप आज फिर शैम्पू लाना भूल गए... अब क्या ये भी बताऊ मैं कि आप फिर से उन्हें मना रहे है.. वो फिर से मानने वाली है.. लेकिन चाहती है आप कल पक्का शैम्पू लाने का प्रोमिस करे.. ये जानते हुए कि..................
लाईफ युही चलती जा रही है ...... और लीम्बू का खट्टा मीठा स्वाद आता जा रहा है..
लीम्बू!गांव मे(महाराष्ट्र)नींबू को लीम्बू ही कहते हैं,मज़ा आ गया पढ कर लींबू-सोडा का।वैसे ये स्वाद तुम्हे कैसे पता गुरू?
ReplyDeleteशादी के शुरुवात के एकाध साल ऐसा लिम्बू सोडा---फिर लिम्बू--फिर नीबू---फिर सिर्फ सोडा..अब गंगा जल!!
ReplyDelete--मस्त लिखा है बिना अनुभव के. :)
pyaara likha hai kuch...behad rangeen...barishon ke mausam ke anooroop :)
ReplyDeleteहे भगवान बिना फर्स्ट हैण्ड अनुभव के ही यह सब .....
ReplyDelete"लाईफ युही चलती जा रही है ...... और लीम्बू का खट्टा मीठा स्वाद आता जा रहा है.."
ReplyDeleteजीवन-दर्शन है यह । प्रविष्टि बेतरह अच्छी है ।
भाई बिना अनुभव के ऐसी गहन अनुभव युक्त पोस्ट? घोर कलियुग आगया जी.:)
ReplyDeleteरामराम.
समीर जी पतले वालो के साथ , बिना अनुभव के इतना अच्छा लिखा कैसे
ReplyDeleteसच कहें तो लाइफ़ निम्बू से अधिक संतरा है- कुछ खट्टा पर अधिक मीठा:-)
ReplyDeleteअब शैम्पू लाने की तकरार नहीं क्योंकि हर आनेजाने वाला याद दिलाएगा कि आपको शैम्पू खरीदना है....अरे वही, आपकी कमीज़ के पीछे जो नोट टांक दिया गया है:-)
खुबसूरत लिखा है आपने.... ये तो रोज़ हर किसी के साथ होता है... पर जैसा आपने इसे शब्दों में बयां किया, वो निश्चय ही काबिले तारीफ है... मेरा नमन स्वीकार कीजिये... और हाँ इस महीने के राशन में शम्पू लाना अवश्य भूल गया... :)
ReplyDeleteछुपे रुस्तम हैं आप तो कुश भाई ...
ReplyDeleteलिम्बू लिम्बू ...
लाइफ is फन ;-)
रक्षा बंधन पर स्नेह
- लावण्या
ReplyDeleteयार ऎसी आपबीती इस तरियों करके तुमने राख्या सै के,
मानना पड़ेगा कि शादी ना की तो बारात हज़ारों किये हैं.. पर लगता है कि, तुमने मेरी ही बारात निकाल दी है !
इस राबचिक बयान के डायरेक्टर अपनी भाभी जी को बधाई देना !
तो , यह है कुश का असली लीम्बू-सोडा , सच सच !
जय हो। क्या-क्या लिख जाते बालक। पढ़कर ही हम तो लीम्बू पानी हो लिये। :)
ReplyDeleteऔर जब आप कमरे में मोबाइल भूल के अचानक बाहर पापा को सुनने चले जाते हैं, तो पहला काम है उनका कि चेंज के बहाने कमरा बंद करके आपके वो सभी मैसेज पढ़ना जो आप सेंसर्ड करना चाह रहे थे और जल भुन जाना " आदमी की जात...!! मैं तो कभी नही समझ पाऊँगी।"
ReplyDeleteफिर जब आप सेंसर्ड कर रहे हैं मोबाइल को तब तो और भी कुढ़न होती है उन्हे देख देख कर। मगर करें क्या कह भी तो नही सकती हैं,...गुर्रा भी तो नही सकती आपको कैरेक्टरलेस बता कर.....क्योंकि वो इतनी ईमानदार जो है कि जो कुछ करेंगी आपके सामने ही करेंगी.....! :):)
उम्दा उस्ताद....! मगर ये सब हो क्या रहा है..???
बारातें देख कर शादी का इतना अच्छा अनुभव....??? बात कुछ हजम नही हुई....!!! :) :)
क्या सॉलिड बिना शादी के एक्सपेरिएंस है भाई जी आपको ..:) सुघड़ ग्रहस्थ जीवन के अनमोल टिप्स हैं यह ....सुघड़ पति बनोगे जी आप तो :) वैसे समीर जी सही कह रहे हैं बाद में न सोडा न लीम्बू ..ओनली सादा वाटर
ReplyDeleteबेहतरीन लीम्बू-सोडा
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार करें
अनुभवों की बात ऐसे हो रही हैं जैसे बाकी सब
ReplyDeleteजो कुछ भी अपने ब्लॉग पर डालते हैं उसको
पहले कर गुजरते हैं
बढिया लेखन , तारीफ़ के काबिल हैं आपका
बहुत रोचक पोस्ट है फ़ोन वाले कुश!
ReplyDelete"अभी कुछ दिनों पहले हमारी एक-भोली भाली, मासूम दोस्त का मोबाइल हाथ लग गया... फिर क्या था एक से एक फुल फॉर्म और मासूमियत खुली... आदेश हो तो यहाँ भी लिखू ?... रहने दीजिये... सिर्फ मुस्कुराकर काम चलता हूँ... जो महिलाएं इसे पढ़े वो कतई ना समझें की हम सुधरे हुए है जो उनपर तोहमत लगा रहे हैं... असलियत यह है दोनों ही लिम्बू-सोडा है!!!!!"
वैसे कभी कभी हम ऐसा कर लेते हैं... पर अब आपकी सलाह मान कर रेगुलर करेंगे...
ReplyDeleteशुक्रिया
very interesting post ,padhkar bahut maza aaya sir
ReplyDeleteregards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
हमारी उम्र का यह नफा है - न लिम्बू, न सोडा! जाहि बिधि राखे राम,ताहि बिधि रहिये! :-)
ReplyDeleteRochakta se bharpoor.
ReplyDelete{ Treasurer-T & S }
मज़ा आ गया पढ कर लींबू-सोडा का।वैसे ये स्वाद तुम्हे कैसे पता
ReplyDeleteसौ बातों की एक बात।
ReplyDeleteलाईफ कभी भी लड्डू नहीं हो सकती.. ना ही हमेशा ये नीम सी होती है.. लाईफ तो होती खट्टी मीठी
सच्ची बात।
वक़्त बदल गया है .जिंदगी कुछ अनुभव पहले दे देती है .इससे लाइफ में नीबू मसाले का अनुपात सही बना रहता है ..वैसे भी आजकल की पीढी ....इस नीम्बू सोडे का दर्शन समझती है ...वो इज़हार करने में हिचकती नहीं ....गुलाब का एक फूल जो काम कर देता है .सोने की बालिया वो काम नहीं कर पाती.....
ReplyDeleteकल से सोच रहा हूँ पढ़ने के लिये.. लेकिन नहीं पढ़ा.. सोचा कि फुर्सत से पढुगां.. निराश नहीं हुआ.. जादू है तुम्हारे लेखन में.. और मजा ये कि दिमाग पर जोर नहीं डालना पड़ता...
ReplyDeleteपर एक बात समझ नहीं आई.. ये सही लोग अनुभव कि बात क्यों कर रहें है? मैं अनुभवी हूँ और बता देता हूँ कि अनुभव के बाद भी ये हि लिखेगें.. बिल्कुल सही :)
kushbhai...limbu soda pee kar ek mas dakaar bhi aa gayi...ab chain ki neend aayegi..
ReplyDeletevaise abhi subeh subeh chai banane wali aayi nahin hai...to namak ka dar nahin... :)
तुमने कोई जबरदस्त दूरबीन तो नहीं लगा रखी है अपने पास कुश, ये तो मेरे घर का और इस बार की छुट्टी की दास्तान है पूरी-की-पूरी...???
ReplyDeleteपता नहीं क्या था इस खत्ते-मीठे चरचे में, लिम्बु-सोदा के मिश्रण में कि किसी की याद ने पलकें नम कर दी...
god bless u kush !
हम तो नया आईपॉड लेके आये हैं टाच वाला. इसे भी देखने-दिखाने में नखरे होंगे क्या :) सब अपने पे ले रहे हैं तो हमने भी ले लिया.
ReplyDeleteकुश भाई ये पढ़ कर पक्का हो गया की तुम्हारा बाल-विवाह हो गया था और ये बात तुमने हम सब से छुपा कर रख्खी हुई थी वरना बिना विवाह के ये सब लिखना...असंभव...कहो पकडे गए ना?
ReplyDeleteनीरज
बच्चे बड़े हो रहे हैं .
ReplyDeleteगुरु ! मैंने यह पोस्ट ड्राफ़्ट में डालकर रखी थी , पोस्ट करने के लिए, अचानक गायब हो गयी, आज यहाँ देख रहा हूँ, यह ठीक नहीं किया आपने !
शादी कर लो तुम......
ReplyDeleteपक्के उस्ताद हैं जी अपने कुश भाई, इतने लोगों ने बस एक ही सवाल पूछा लेकिन जवाब किसी को नहीं मिला। मुझे तो यह पढ़ने के बाद अपने एक मित्र की बात सच लगने लगी कि शादी कर लेने के बाद वेरायटी खतम हो जाती है, एक ही राग धीरे-धीरे प्रबल हो जाता है। आदमी सिर्फ़ पति बनकर रह जाता है। ज्ञान जी ने सबूत दे ही दिया है। वहीं, बिना शादी के रहने पर अपार सम्भावनाएं बनी रहती हैं, और बहुत कुछ जानने का स्कोप भी बना रहता है।
ReplyDeleteबहुत शानदार लिखा है आपने। झक्कास। सभी इसे आपबीती जैसा मान बैठे, यही इसकी सफ़लता की कहानी बयान करता है।
मुझे लगता है बलागिन्ग करने वाले सभी बच्चे अब जवान हो गये हैं अब इनसब की शादी कए ही देनी चाहिये कमाल का लिखा है
ReplyDeleteranjanaji sahi kah rahin hain lekin neerajji ki baat par yakeen karne ka man karta hai........
ReplyDeletezindgee ki tarah post bhi khatti meethhi thi....
ReplyDeleteअब तो लग रहा है कार्ड छपकर ही रहेगा:)
ReplyDeletehmmm....jara shaadi kar lijiye , fir dekhungi ki aisi baaten kaise karte hai...
ReplyDeleteAnubhvon ki chandi hai.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. "शब्द सृजन की ओर" पर इस बार-"समग्र रूप में देखें स्वाधीनता को"
अरे कुश भाई...आपने तो हमारे बीच का किस्सा बयान कर दया. डिप टू यही होता है रोज. रोज लडाई और रोज का रूठना मानना. आप तो बिना शादी किये ही सब जान गये ...अब शादी भी कर डालो....कुछ प्रैक्टिकल हो जाये...
ReplyDeleteआज पता चला कि आपकी लाईफ.....लाईफ दरअसल लाईफ नहीं बल्कि नींबू पानी हैं...अरे नहीं नहीं.....लिम्का है .....वाह....वाह...क्या कहने आपके.....!!
ReplyDeleteएक खट्टा मीठा सा स्वाद घुल गया मुंह में....ऐसी खट्टी मीठी जिंदगी का मज़ा ही अलग है!
ReplyDeleteभाई कुश लिम्बू सोडा का स्वाद याद आ गया पर इस समुन्द्र में मिले कहा ? :)
ReplyDeletebehad dilchisp laga !
ReplyDeleteजिन्दगी कुछ ऐसी ही दोस्त कुछ खट्टी कुछ मीठी मज़ा आ गया पढ़ कर
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