Friday, May 18, 2007

"आज थाम लो हाथ ज़रा..."

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आज थाम लो हाथ ज़रा...
ठोकर ज़माने की लगी है...

आज थाम लो हाथ ज़रा...
फिर की किसी ने दिल्लगी है...

बहुत देर से तन्हा रहते रहते..
ना जाने कहा खो गयी थी..

आज थाम लो हाथ ज़रा..
ढ़ूँढनी मुझको ज़िंदगी है..

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..