कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर..... ये शब्द जो गिरते है कलम से.. समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में...... ....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
Wednesday, April 2, 2008
होंठो पे तेरा नाम लिए चलते है...
होंठो पे तेरा नाम लिए चलते है...
यू कहे क़त्ल का सामान लिए चलते है...
ज़मीनी सोच के हम नही है कायल
सर पे पूरा आसमान लिए चलते है...
वो कहते है चीर दिए जाओगे तुम भी
हम बेखौफ़ अपना ईमान लिए चलते है
क्या रोकेगी ये हवाए मंसूबे हमारे.........
हम आँखो में अपनी तूफान लिए चलते है
जाने कब पूछ बैठे वो.. क्या हेसियत है हमारी
हम साथ अपना भी एक मुकाम लिए चलते है
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vaah! bahut khuub ....behatareen gazal...
ReplyDeleteक्या रोकेगी ये हवाए मंसूबे हमारे.........
ReplyDeleteहम आँखो में अपनी तूफान लिए चलते है
मजा आ गया .....लिखते रहे
nice thought carry on
ReplyDeletenice thought carry on
ReplyDeletenice thought carry on
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