कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर..... ये शब्द जो गिरते है कलम से.. समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में...... ....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
Thursday, April 24, 2008
यादो की गुल्लक फूटी है..
कक्षा बारहवी के चार बारहसिंघो की कहानी...
ये चार गोप कुमार हँसी ठिठोली के लिए यूही घूमने निकल लिए.. ग्राम चोपासनी जिला जोधपुर में एक अम्यूज़्मेंट पार्क हुआ करता था " फन वर्ल्ड" इस वाटिका की खूबसूरती के हम उस समय बड़े कायल थे.. चारो गोप कुमार शाम 6 बजे अपने वाहन लेकर चल दिए.. हमारे मित्र के पास तब काइनेटिक होंडा नामक वाहन हुआ करता था और दूसरे मित्र के पास टीवीएस स्कूटी( दरअसल दोनो कंपनियो का विगयापन किया जा रहा है)
तो हम सभी गोप कुमार फन वर्ल्ड वाटिका में जाकर अपनी बाल सुलभ गतिविधिया करने लगे.. बाल सुलभ गतिविधियो से हमारा आशय है की हम वहा जाकर गोपिया देखने लगे.. तभी एक अति सुंदर गोप कन्या का हमारे मित्र के साथ नैन वार्तालाप प्रारंभ हो गया.. दोनो के नैन बतिया रहे थे.. बाकी हम लोग क्रीड़ा कर रहे थे..
परंतु इस प्रक्रति प्रदत वरदान यानी की प्रेम को इतनी सुलभता से नही प्राप्त किया जा सकता.. यही हुआ, उस गोप कन्या की चाची अथवा मौसी अथवा भुआ या फिर ऐसा ही कोई किरदार रहा होगा.. जो दो प्रेम कपोतो के मध्य चतुर काक सा आ खड़ा हुआ.. बस फिर क्या था..
रात्रि के 8.00 बजे वो लोग बाहर की तरफ.. और हमारे ताज़ा ताज़ा प्रेम पाश से घायल मित्र भी जाना चाहते थे उनके पीछे.. और कसम कृष्णा सुदामा की मित्रता की.. हम भी हो लिए उनके साथ.. वो लोग ऑटो में आगे आगे.. और हमारी गाडिया उनके पीछे लग चुकी.. अगर उस वक़्त धूम रिलीज़ हो चुकी होती तो उसी का बॅकग्राउंड पीच्चे चल रहा होता.. मगर हमने एम आई 2 के बॅकग्राउंड से काम चलाया.. एक ही ज़ज़्बा था.. बस इस गोप कन्या की कुटिया का पता लगाना..
ऑटो आगे आगे और हम पीछे पीछे .. कभी ऑटो आगे निकलता कभी हम पीछे रहते.. ओह माफ़ करना ये तो एक ही बात हुई..
खैर काफ़ी देर बाद हम ऑटो के करीब थे की इतने मैं ऑटो मैं से कुछ गिरा.. हम पॉपकॉर्न की तरह उछल पड़े.. वो मारा पापड वाले को !! बेटा उसने अपना पता फेंक दिया.. चल मार यू टर्न..
और चारो पलट कर पहुँचे वही जहा कुछ गिरा था.. और देखते ही सब के सब खामोश.. नीचे पडा चिप्स का खाली पॅकेट हमे देख कर मुस्कुरा रहा था..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
:)
ReplyDelete:)
ReplyDeleteतो अब गुल्लक मे से और भी कुछ छुट्टे किस्से पढने को मिलेंगे।
ha ha ha... :D
ReplyDeleteयह सभी लडके लड्कियो के पिछे क्यो लग जाते हे, ओर लडकिया भी कनखियो से देख कर खुश होती हे उपर से गुस्सा भी दिखाती हे,लेकिन वह उम्र ही कुछ ऎसी होती हे,यह दिन कोई नही भुलता,ओर सभी करते हे.
ReplyDeleteवाह ! :-)
ReplyDeleteयादों की गुल्लक से गिरा ये सिक्का बहुत खूब था! मज़ा आया पढ़कर!
ReplyDeleteमह्श्य उस चिप्प्स के पैकट को गौर से देखना था कही उसके आगे पीछे कोई फोन नुम्बर न लिखा हो ? खैर सबक न १ ...स्कूटर को नियमित दूरी पे रखो.....ओर लक्ष्य पे कायम रहो
ReplyDelete[:)]..........यादों की गुल्लक में मस्ती भरी थी,
ReplyDeleteमज़ा आ गया.....
हा हा हा.. खैर उस चिप्स के पैकेट को देकते रहने में कन्या का साथ छूट गया होगा?
ReplyDelete