Wednesday, May 27, 2009

फ़िर भी दिल है हिन्दुस्तानी..

जितनी शिद्दत से मैं मंदिर के सामने से गुज़रते वक़्त सजदा करता हूँ उसी भावना से किसी मस्जिद पर भी सर झुकाता हूँ.. गुरूद्वारे और चर्चो पर भी इसी तरह की एक प्रक्रिया स्वत: ही हो जाती है.. और यकीन मानिए इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है.. ये बिलकुल सहज है..

दरअसल हम भारतीय बहुत ही भावुक होते है.. अपनी रूट से जुड़े हुए.. हमने पश्चिम को भी अपनाया और अपनी संस्कृति भी नहीं छोडी.. लेकिन सिक्के का एक पहलु देखकर ही कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता...

मैं मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर जाता हूँ और कभी कभी शनिवार या रविवार को किसी पब टाइप जगह पर चला जाता हूँ.. रोज़ सुबह मेरा हनुमान चालीसा का पाठ क्या इतना कमज़ोर है कि मेरे कभी कभी पब जाने से टूट जायेगा.. क्या मैं भारतीय नहीं रहूँगा?

शादी की पार्टी में सब लड़के लड़किया इंग्लिश में बाते कर रहे थे इतने में उनके मामाजी गए.. सब बच्चे उनके पैर छु रहे है.. एक मिनट पहले इंग्लिश में बोलने वाले ये बच्चे अब पाँव छु रहे है ये बच्चे भारतीय है या विदेशी?

मैं एक विदेशी कंपनी का लैपटॉप लेकर आता हूँ और उस पर मेरी बहन कुमकुम से टीका करती है.. नयी गाडी खरीदी गयी है तो सबसे पहले वो गणेश जी के मंदिर जायेगी.. अगर गणेश जी के मंदिर के बाहर खड़ी गाडी विदेशी कंपनी की है तो क्या हम विदेशी है ?


अगर विदेशो में महात्मा गांधी को गान्धू कहा जाए या फिर पंडित राम कृष्ण परमहंस को परमू कहा जाए या फिर विवेकानंद को नंदू कहा जाए तो कैसा लगेगा? हम लोग उन्हें गरियाएंगे या फिर दंगे फसाद करेंगे.. लेकिन दुसरे देश के किसी संत का नाम बिगाड़ने से परहेज नहीं करेंगे.. संत वेलेंटाईन को बाल्टियान या कुछ और कहना उचित लगता है? किसी संत का नाम बिगाड़ना क्या भारतीयता है ?


मुझे होलीवूड की फिल्मे पसंद है मैं देखने जाता हूँ साथ ही मैं हिंदी फिल्मे भी देखता हूँ.. मुझे ब्रायन एडम्स अच्छा लगता है तो मुझे कैलाश खैर का सूफियाना अंदाज़ भी पसंद है.. जितना मुझे डेल कार्नेगी या स्टीफन कोवे पसंद है उतना ही मुझे रघुरमन या श्री धरन पसंद है..

पिज्जा हट या बरिस्ता में बैठकर कॉफी पीने में जो मजा आता है वो ही अन्ना की थडी पर बैठकर कटिंग पीने में या फिर अपने दिलबहार की पपडी चाट खाने में आता है..

हम भारतीय लोग हर नयी चीज़ का स्वागत करते है.. पर अपनों को भूलते नहीं है.. अंकल आंटी के साथ जी लगाना इसी भारतीयता का परिचायक है.. हम तो एक्सक्यूज मी के साथ भी भाईसाहब लगा देते है..

ये हम लोगो की ताकत ही है की हमने मेक्डोनाल्ड को मजबूर किया आलू टिक्की बर्गर बनाने के लिए.. पिज्जा हट में पंजाबी पिज्जा भी मेनू में गया है.. स्टार चैनल को यहाँ पर अपने हिंदी चैनल शुरू करने पड़े.. यहाँ तक की माइक्रोसॉफ्ट और गूगल भी हिंदी पर उतर आये.. यही है अपना इंडिया..

तो फंडा ये है कि हमारे द्वारा पहने गए कपडे या बोली हमें परिभाषित नहीं करती.. ज़रूरी है मन का भारतीय होना.. अगर कोई आकर के हमसे पता पूछ ले तो आज भी हम लोग बड़ी आत्मीयता से पता बताते है.. पानी पिलाते वक़्त हथेली पर गिलास रखते है.. खाना बनाते वक़्त गाय की रोटी अलग निकाली जाती है.. मंगलवार के व्रत अभी भी ख़त्म नहीं हुए.. एक्जाम्स टाईम्स पर अब भी भगवान् का कंप्यूटर हैंग हो जाता है.. काजल का टीका तो अब भी बच्चो के गालो पर लगा होता है.. खाने के बाद पान आज भी हमारी फर्स्ट चोइस होती है.. हाथो पर बंधी रोलिया अब भी दुआओ से सरोबार होती है.. शुभ काम पर आज भी सबसे पहले श्री गणेश लिखा जाता है.. अब भी क्रिकेट की आखिरी बाल तक एक टांग पे टांग रख के बैठे रहते है.. भले ही हम कितना भी मॉडर्न हो जाये पर दिल तो आख़िर हिन्दुस्तानी ही रहेगा..

Monday, May 11, 2009

इसीलिए तो कहता हूँ खुशनुमा हो जाओ यारो..

पचास की स्पीड से चलती मेरी गाडी के सामने से गुजरते ही एक साईकिल वाला ब्रेक लगाता है और रुक जाता है.. ये वो कन्डीशन है जब मुझे सबसे ज्यादा दुःख होता है.. मैं हमेशा कोशिश करता हूँ कि कोई साईकिल वाले को ब्रेक नहीं लगाना पड़े.. क्योंकि मैं तो एक्सीलरेटर दबा कर स्पीड बढा लूँगा पर उसे वक़्त लगेगा.. अब मेरे साथ बैठने वाले मेरे दोस्त और कजिन्स भी इस बात को जानते है और वो भी इस रुल को फोलो करते है..

अपना ख्याल तो हम रखते ही है बस कभी कभी दुसरो के बारे में भी सोच लिया जाये तो लाईफ भी ईस्टमैन कलर की हो जाये.. और ज्यादा कुछ तो करना ही नहीं है.. बस छोटी छोटी सी बाते.. जैसे..

आप किसी मॉल से निकल रहे है.. पार्किंग में खड़ी आपकी गाडी निकलवाने के लिए बुढा चौकीदार भी मिल सकता है.. उस से सिर्फ इतना कह दीजिये 'आज गर्मी बहुत ज्यादा है.. ' यकीन मानिए वो मुस्कुरा उठेगा.. आप तो बोल के निकल जायेंगे लेकिन वो काफी देर तक मन ही मन मुस्कुराता रहेगा..

लिफ्ट मैन से मै हमेशा बात करता हूँ.. जब भी लिफ्ट में जाता हूँ मै लिफ्ट मैन से कहता हूँ 'यार इसमें गाने वाने नहीं चलते क्या बोर हो जाते होंगे तुम तो.. ' वो मुस्कुरा के कहता है 'साहब ये तो काम है अपना..' ये कहते हुए उसके चेहरे के जो भाव होते है वो मुझे बहुत अच्छे लगते है.. इतना तो आप कर ही सकते है..

परसों मैं किसी का वेट करते हुए एक बिल्डिंग के बाहर खडा था तभी उसी बिल्डिंग की तरफ एक रिक्शा में लड़की आई वो उससे कुछ बात कर रही थी.. नीचे उतर कर लड़की ने कहा 'अच्छा भय्या.. थैंक यु.. ' रिक्शा वाले ने कहा 'शुक्रिया फिर आइयेगा' हालाँकि ये शब्द उसने बहुत धीरे कहे थे जो लड़की ने नहीं सुने पर मैंने सुन लिए थे.. धीरे कहने के पीछे उसकी वजह शायद ये रही हो की थैंक यु के बाद क्या कहा जाये उसे पता नहीं हो.. लेकिन ऐसा कहते वक़्त मैंने उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव देखे.. वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ गया.. शायद बार बार उसके कानो में ये शब्द गूंजे भी हो..

आप कभी कभी शूज बाहर से पोलिश करवा लीजिये.. और हर बार अलग जगह से ताकि सब बराबर कमाए.. जब वो शूज पोलिश कर रहा हो तो उस से सिर्फ ये कहिये 'यार आप पोलिश अच्छी तरह से कर रहे हो बाकी लोग ऐसा नहीं करते.." उसके चेहरे पर आयी मुस्कान आप साफ़ साफ़ पढ़ सकते है.. अब अगर वो अच्छी पोलिश नहीं भी कर रहा होगा तो करेगा.. यही बात आप हेयर कट लेते समय भी कह सकते है.. आपकी गाडी की सर्विस करते समय.. हर उस वक्त जब कोई आपके लिए मेहनत कर रहा हो.. मैंने तो कल शाम ही मेरे यहाँ आये डिश टी वी के इंस्टालर से ये कहा था..

अगर आपकी शादी हो चुकी है और अब आपकी मम्मी खाना नहीं बनाती तो आज मम्मी से कहिये.. मम्मी आज दाल आप बनाओ ना.. मम्मी तो हमेशा से ही अच्छी दाल बनाती है पर आज जो आपका विश्वास होगा मम्मी के लिए उस दाल का जायका ही कुछ अलग होगा.. ऐसा ही आप अपनी पत्नी से भी कह सकते है.. सिर्फ इतना कहिये उनसे ' सुनो आज दाल में क्या मिलाया था ? बहुत अच्छी बनी...' यकीन मानिए अगले दिन की दाल का स्वाद ही कुछ और होगा..

जितनी ख़ुशी आपको ये सब करने से मिलेगी उतनी ही सामने वाले को भी होगी.. और इन सबके लिए कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं करना है.. जेब से एक पैसा खर्च नहीं होगा..

बड़ी ख़ुशी से अच्छा है छोटी छोटी खुशिया बांटते चले.. इसीलिए तो कहता हूँ खुशनुमा हो जाओ यारो..

अब चलते चलते मदर्स डे की बयार में अपना लिखा कुछ बाँट लेता हूँ आपसे..वैसे साल में सिर्फ़ एक दिन माँ का नही होता.. हर दिन माँ का होता है.. इसी तर्ज़ पर आज समर्पित है कुछ शब्द माँ के लिए..

उम्मीद बुझने वाली है
मगर जाने कौनसा
तेल डाल रखा है..
लौ बूझने का नाम ही नही लेती
हर थोड़ी देर बाद
और भड़क जाती है..

शायद जवान बेटे का इंतेज़ार करती
मा की आँखें होगी....


पड़ोस के घर में
लड़का हुआ था...लड्डू
आए थे घर में
पूरे चार लड्डू थे..
लेकिन घर में हम पाँच
अचानक एक आवाज़ आई
मुझे तो लड्डू नही
खाना... मैं
जानता हू वो माँ ही थी...

Wednesday, May 6, 2009

क्रिकेटर ले लो क्रिकेटर ले लो

हमेफोन उठाते ही आवाज़ आई क्रिकेटर ले लो.. क्रिकेटर ले लो.. हम बौखलाए.. भाई ये क्या है.. नयी रिंगटोन. नया फोन.. और लोन के लिए तो फोन आते थे ये अब क्रिकेट का क्या चक्कर है. हमने पूछा भय्ये माज़रा क्या है.. क्या बक बक कर रहे हो..? वो बोला देखिए श्रीमान मैं तमीज़ से बात कर रहा हू और आप इसे बक बक कह रहे है.. आप नही जानते आप कितने भाग्यशाली है की मैने आपको फोन किया है.. अमा क्रिकेटर्स की नयी टीम बन रही है.. आप भी खरीद लीजिए. फ़ायदा ही फ़ायदा है..

पहले सरस्वती जी के सुर होते थे अब माता लक्ष्मी की ताल होती हैफ़ायदा ! हिन्दुस्तानी आदमी के लिए इस से बढ़िया शब्द क्या हो सकता है.. और हम भी ठहरे पक्के हिन्दुस्तानी.. सो हमने कहा बतलाओ जी कैसा फ़ायदा.. वो खुश होकर बोला.. अजी आप रातो रात स्टार बन जाओगे.. कैमरा मैदान पर खिलाड़ियो से ज़्यादा आप पर रहेगा.. आप आगे आगे खिलाड़ी पीछे पीछे.. इतना सुनते ही हमने ख्यालो की तलैया में डुबकी मार ली..और स्टेज पर दो चार ठुमके लगा लिए.. वो बोला ये तो कुछ नही है सर.. नाचने गाने का पूरा मौका है.. बड़ी बड़ी म्यूज़िक कंपनिया स्पोंसर कर देगी. एक पॉप अलबम बनाओ और पूरी टीम के खिलाड़ियो के साथ ठुमके लगाओ.. हमने पूछा खिलाड़ी ओर ठुमके..? वो तो खिलाड़ी है उनका काम तो खेलना है.. वो हमारी अज्ञानता पर मुस्कुराया. और बोला क्या साहब आप भी..? आजकल तो जिसे देखो वो ठुमका लगा रहा है.. समय बदल रहा है सर पहले सरस्वती जी के सुर होते थे अब माता लक्ष्मी की ताल होती है और सब बस उसी ताल पर बेताल नाचते रहते है.. खिलाड़ी हो या नेता कोई फ़र्क नही पड़ता..

हम अपनी इस अज्ञानता पर बहुत लज्जित हुए.. हमे लगा जैसे हम कौनसी दुनिया में जी रहे है.. बाहर इतना सब हो रहा है ओर हमे पता ही नही.. हमने कहा लेकिन भैया खाली खिलाड़ी के आगे चलना ओर ठुमके लगाने से क्या होगा.. इसमे भला क्या मज़ा है.. वो हंसा और बोला क्या सर आप भी..? दुनिया मेट्रो ट्रेन में भाग रही है ओर आप है की साइकल रिक्शा में बैठे है.. अरे जनाब पैसा और क्या.. ? टीम जीती तो आपको पैसा मिलेगा.. टिकट बिके तो आपको पैसा मिलेगा.. उनके हेल्मेट पे स्पॉंसर का एड दे सकते हो.. बैट पे दे सकते हो.. ग्लव्स पे दे सकते हो.. यहाँ तक की उनके चड्डी बनियान पर भी एड दे सकते हो आप.. अजी क्रिककेटर खरीदा है आपने.. कोई मामूली बात थोड़े ही है..
हम बड़े खुश हो लिए.. भाई बात तो तुम्हारी ठीक है.. अच्छा अब ज़रा सौदे की बात भी कर ले.. ये बताओ क्या भाव दिए क्रिकेटर..? उसने कहा वैसे तो बाज़ार बहुत गर्म है..ये बताओ क्या भाव दिए क्रिकेटर..? पर क्योंकि आप मुझे भले आदमी लगते है इसलिए आपको डिसकाउंट दूँगा.. आप ऐसा करो की सौ की कीमत है पर आप चाहो तो नब्बे दे दो.. हमने कहा अरे कैसी बात करते हो बंधु.. पुर सौ लो..दस रुपये के लिए क्या सोचना.. इस बार वो ज़ोर से हसा क्या अंकल आप भी मज़ाक बहुत करते हो.. मैं सौ रुपये नही सौ करोड़ की बात कर रहा हू.... सौ करोड़ !!!!!!!! हमने छाती पे हाथ रखकर अटैक को आने से रोका.. और बोले भय्ये सौ करोड़? अबे तू आदमी है या घनचक्कर.. तुम क्या दुनिया को बेवकूफ़ समझते हो की कोई इतनी महँगी टीम खरीदेगा..

वो फिर मुस्कुराया और बोला सर आप बहुत भोले हो.. सारी टीम बिक गयी है बस एक बची है.. आप जल्दी से बता दो वरना मैं किसी और को फोन लगाऊँगा.. हमने अपना घर बार सबकी कीमत लगाई तो ही बीस लाख से ज़्यादा नही हुआ.. टीम कहा से खरीदते...? हमने कहा बाबू साहब मेरे पास तो इतना रुपया नही है.. वो फिर ज़ोर से हंसा और बोला सर क्यो मज़ाक करते हो आपके पास पैसा नही होगा तो फिर किसके पास होगा.. आप तो इतने बड़े आदमी है.. हम सकपकाए और बोले भैया बड़े सड़े कुछ नही हम तो मामूली आदमी है बॅंक में नौकरी करते है.. वो चौंक गया बोला लेकिन आप तो मशहूर अभिनेता हृतिक कुमार है.. हम बोले भैया कहा हृतिक कुमार और कहा हम.. लगता है आपने रॉंग नंबर मिलाया है..

और सामने से खट्ट की आवाज़ आई.. शायद सुबह से बोनी नही हुई थी उसकी...