घर के आँगन में बैठी
धूप सेंक रही है माँ ...
मैं खेल रहा हू धुन में अपनी
मुझको देख रही है माँ...
सूरज की गर्मी से मुझको
जलन बहुत ही होती है....
कितनी आसनी से गर्म तवे पर
रोटी सेंक रही है माँ...
शाम बारिश में भीगा था
अब बिस्तर पर लेटा हू..
मैं जल्दी से ठीक हो जाउ
माथा टेक रही है माँ...
तोड़ तोड़ कर पेड़ से मैने
घर में सारे फैला डाले
आँगन बुहार कर के अब
पत्ते फेंक रही है माँ...
जो भी आता घर में मेरे
झोली भर के लेकर जाता
गंगा जैसी पावन निर्मल
निस्छल, नेक रही है माँ..
जो अब बैठा है अफ़सर बनके
वो कबका भुला चुका...
अफ़सर बन ने के पीछे
उसकी भी एक रही है माँ॥
--- ***** ---
--- *** ---
धूप सेंक रही है माँ ...
मैं खेल रहा हू धुन में अपनी
मुझको देख रही है माँ...
सूरज की गर्मी से मुझको
जलन बहुत ही होती है....
कितनी आसनी से गर्म तवे पर
रोटी सेंक रही है माँ...
शाम बारिश में भीगा था
अब बिस्तर पर लेटा हू..
मैं जल्दी से ठीक हो जाउ
माथा टेक रही है माँ...
तोड़ तोड़ कर पेड़ से मैने
घर में सारे फैला डाले
आँगन बुहार कर के अब
पत्ते फेंक रही है माँ...
जो भी आता घर में मेरे
झोली भर के लेकर जाता
गंगा जैसी पावन निर्मल
निस्छल, नेक रही है माँ..
जो अब बैठा है अफ़सर बनके
वो कबका भुला चुका...
अफ़सर बन ने के पीछे
उसकी भी एक रही है माँ॥
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aankhe nam ho gayee ,maa yaad aa gai....
ReplyDeletebahoot khoob
मर्म स्पर्शी………
ReplyDeleteकहते रहियें……
maa ki chhabi..khoobsoorat tareeqe se banayi..maa aur bachhe ke naate ko bachhe ke drishtikon se dekha..bahut badhiya...
ReplyDeleteक्या बात है भाई. बहुत अच्छा है.
ReplyDeleteशाम बारिश में भीगा था
ReplyDeleteअब बिस्तर पर लेटा हू..
मैं जल्दी से ठीक हो जाउ
माथा टेक रही है माँ...
man ko choo liya aapne.....
aap sabhi ki pratikriyao ka dhanyawad..
ReplyDeleteMaa ki ek tasveer...jo har ek ke dimaag me basi to hai par shayad har vyakti use aisi abhivyakti nahi de paata
ReplyDeleteWow!! vakiye ek sahi expression hey!! Ma tuje salam!!
ReplyDeleteMom r really synonymous to GOD!
that is called AMAZING!!!
ReplyDeletekeep it kush!!