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सुबह अपनी किस्मत पर हँसी आया ना करे
उनसे कहिए क़ी रात ख्वाबो में आया ना करे
अश्क गिर पड़ते है जब भी सुनता हू मैं...
उनसे कहिए क़ी यू ग़ज़ल गाया ना करे....
हमसे मुलाकात अब दोबारा मुमकिन ही नही...
उनसे कहिए क़ी सोच कर वक़्त जाया ना करे....
गर दे नही सकता है बन्दो को वो खुदा..
तो उस से कहिए क़ी ख्वाब दिखाया ना करे....
बदनाम गलियो में अब ठिकाना है मेरा
शरीफो से कहिए क़ी आया ना करे.......
याद हमे रखे ऐसा तो नही कहते है हम...
पर इतना तो करम हो क़ी भुलाया ना करे...
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bahut khoob......
ReplyDeleteachcha likha hai!
ReplyDeletesunder ghazal
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