Thursday, March 13, 2008

"नयी तरंग है...

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"नयी तरंग है...
नयी उमंग है...
नयी है जागी हुई
हर दिशा.....
कोमल कोमल
पंख हिलाती
महक रही है
हर लता.. ....
अनेक पुष्प
बिखर रहे है
निखर रही है
अदभुत छटा....
गीली गीली
माटी की खुशबू
बरस गयी है
पगली घटा....
रेत भी चंचल
उड़ रही है..
नैनो में जाकर
करती ख़ता..
सूरज बेचारा
गिर गया है
जैसे हो उसका
पंख कटा..
रात चोरनी
जैसे आई..
सांझ को भी
ना चला पता..
ना कोई देखे
ना कोई जाने
अब तो सजनी
घूँघट उठा..."

3 comments:

  1. bahut hi khoobsoorat rachnaa...umang aur utsaah se bhari..jaise basant mein khilte bahaar ko qaid kar tumne..shabdo mein rachaya ho...

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..