Friday, May 25, 2007

"सिर्फ़ एक ख़्याल......."

May 24(1 day ago)

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मैने लिख दिया था
नाम तेरा और मेरा...

मगर किसी को
ये नागवार गुज़रा
उसने मिटाई हस्ती
दरखतो से
कुछ इस तरह...
की रेत से भ्री मुट्ठी
ख़ाली हो चुकी थी
तू रख लेती मुझे,
पायल बनाकर तो
तेरे क़दमो में रह लेता
किसी तरह
मगर तूने बनाकर आँसू
मुझे..
अपनी निगाओ से गिरा दिया,,

मैने लिख दिया था
नाम तेरा और मेरा रेत पर
समंदर का सहारा लेकर
तूने उसपे पानी फिरा दिया...

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..