Monday, December 17, 2007

पिछ्ले वीकेंड पर डाक बंगले में

--------------

पिछ्ले वीकेंड पर डाक बंगले में
बढ़िया कॅंप फ़ायर हुई थी...
देर तक घड़ी के नुंबरो में
अटकी रही सुई थी..

मिसटर शर्मा मिसेज़ वर्मा
कपूर साहब .. मिसेज़ चॉप्रा
सब के सब कपल आए हुए थे
जाम पे जाम मेहफ़ील में छ्ाए हुए थे

टेबल पर वोड्का की बॉटल के पास
गोल्डन कलर का रखा था बॉक्स
सारे मिसटर ने अपनी कार की चाबिया
डाल दी सुनहरे कलर के बॉक्स में

अगले जाम के साथ शुरू होने वाला था
अदला बदली का खेल,.. हवा में जाम टकराए
मिस्टर. शर्मा चिल्लाए.. कम ऑन फ्रेंड्स...
और चाबी वाले बॉक्स में डाल दिए सबने हाथ

चाबी होंगी जिसकी जिसके हाथ में
बीवी जाएगी उसकी उसके साथ में
अदला बदली का खेल था ये
नये ज़माने का कैसा 'मैल' था ये

मिस्टर. शर्मा के हाथ में आई
मिस्टर .वर्मा जी की कार..
पर बीवी ने वर्मा जी की
साफ़ कर दिया इनकार...

वर्मा जी को थी जल्दी..
स्टेटस का भी रखना था ख़्याल
बीवी को नज़रो से कर दिया चुप
पर आँखो में फिर भी रहा सवाल

रात गहरी निकल चुकी थी..
सुबह ने दी फिर से आवाज़
सभी लौट कर चल दिए घर को
निपटने अपनी काम काज

आज फिर से वीकेंड है..
फिर से आज महफ़िल सज़ेगी
जाम से जाम फिर टकराएंगे
गाड़ियो की चाबिया फिर बदलेंगी

मिसेज़ वर्मा कब से बैठी है तैयार
मगर वर्मा जी कुछ ख़ुश नही..
शायद उनकी सारी हसरत आज पिघल गयी
बदलना चाहते थे बीवी पर शायद बीवी बदल गयी..

-----------------------

2 comments:

  1. aaj ke zamane par sateek kavita...
    is adla-badli ke zamane main sab kuch badlta hai bhai!!!!

    ReplyDelete

वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..