कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर.....
ये शब्द जो गिरते है कलम से..
समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में......
....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
Thursday, June 7, 2007
"कोशिश........."
कोशिश करता हू गिर जाता हू.. फिर करता हू फिर गिरता हू.. रुकता नही हू गिरता हू संभलता हू ग़ुस्से से थोड़ा मचलता हू फिर सोचता हू कुछ पाना है मुझको लंबी साँस भरता हू फिर कोशिश करता हू गिर जाता हू फिर करता हू फिर गिरता हू.....
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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..
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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..