Tuesday, February 17, 2009

व्हीलचेयर वाली लड़की..

आसमान खाली खाली सा केनवास है.. जब हम मुस्कुराते है तो कितने रंग भर जाते है इसमे.. उन रंगो को अपनी हथेली में लेकर देखना कभी.. कितने ज़ज्बात मिलेंगे..

हर एक ज़ज्बात जैसे सीप का एक मोती.. मगर छुना मत उसे.. कहते है छुने से वो ओझल हो जाते है.. ये मोती उन चीज़ो में शुमार है जो सिर्फ़ शिद्दत से महसूस करने के लिए होती है........... तब जब आप किसी दोपहरी में लोन में बैठे कॉफी पी रहे हो... हाथ में आपके कोई किताब हो और वो पन्ना जिसको किनारे से आपने थाम रखा है.. अब पलटा कि तब पलटा..पन्ना पलटने के साथ ली गयी कॉफी के एक घूंट की गर्माहट जब सूरज कि किरणों से मिलकर तपिश पैदा करती है तब ये आग भी एक सुकून देती है..

ऐसा लगता है किताब में गहरे तक उतर गये है हम.. शायद ऐसे ही किसी एहसास को आत्माओ का मिलन कहते है.. वो आत्माए जो शरीर के ना रहते हुए भी रहती है कहीं.. यादो की तरह.. बस आती जाती रहती है.. दिल के रास्तो से.. जहाँ न सरहदे है न दिवार कोई.. बस चले आता है.. हर कोई ..बंदिशो के बिना.. प्यार और सिर्फ़ प्यार लेकर.. प्यार को यू ही तो नही पाक कहा जाता है..

प्यार तो बस पाक होता है ठीक उस ईश्वर कि तरह.. जो साथ नही रहकर भी साथ होने का एहसास करा जाता है.. तब भी जब हम किसी अकेली पहाड़ी पर ढलते हुए सूरज को देखते रहते है.. जब वो शाम के आँचल का एक छोर पकड़ कर सहमा सा उतर जाता है पहाड़ी के पीछे..

यही वो पल है जब दिल के किसी एक कोने में तितलिया उड़ती है.. फूल खिल जाते है.. बारिश कि बूंदे छप छप की आवाज़ करती है.. ऐसा लगता है.. दिल में उठने वाली हर आवाज़ को शब्द देकर बिखेर दू आसमान में और चुन लू एक कविता अपने लिए..

मगर सब कुछ हमेशा ऐसा ही नही रहता.. सूरज को थामने की कोशिश भी कर लो फिर भी डूब जाता है.. कविता क़िस्से कहानिया तब जीभ निकल कर चिढाती है.. जब एक आवाज़ कानो में आती है..

तुम कैसे ये कर पाओगी..?

एक ऐसा सवाल जो जिस्म पर चमड़ी के साथ चिपक गया है.. कितना भी रगड़ लु नही उतरता.. फलक का एक छोर ले जाकर दूसरे छोर से भी मिला दू.. तो भी अगली बार ये आवाज़ कही कानो में गूँज ही जाएगी.. ठीक उसी तरह से जैसे पहाड़ी दलानो से लौटकर आती है आवाज़..

प्रतिध्वनि.. कहते है शायद उसे..

फ़ोन बजता है.. मैं फ़ोन उठाती हु.. एक मेल भेजनी थी.. भूल गयी थी.. फ़ौरन कंप्यूटर पर जाकर.. मेल भेजती हु..याद आता है.. दूध फ़्रिज़ में रखना है..किचन कि तरफ चली जाती हू.. बाहर हल्की हल्की बारिश हो रही है.. खिड़की को बंद कर दू वरना फर्श गीला हो जाएगा.. घोष बाबू आते है.. मिठाई खिलाओ मैडम.. आपकी किताब बेस्ट सेलर चुनी गयी है..

ये तो मैं पहले से ही जानती थी घोष बाबु..

यकीन नही आता मैडम... इतना सब कुछ कैसे कर लिया आपने..

ज़िंदगी का पहिया है..घोष बाबू... और पहिया चलाने में तो महारत हासिल है मुझे..

ठीक ही कहा मैडम.. पर मुझे लगा था आप कभी कर नही पाएगी..

मेरे गालो पर एक नन्ही मुस्कुराहट ने जन्म लिया.. हौसले आकर के आँखो में उतर गये.. बारिश क़ी बूँदो क़ी ठंडक दिल में महसूस हो रही थी.. घोष बाबू कुछ बोले थे.. एक और बार वो सवाल गूंजा था मेरे कानो में.. पर अब मुझे फ़िक्र नही थी.. घोष बाबू के सवाल का जवाब मेरे हाथ में था... मेरी किताब.. प्रतिध्वनि..

42 comments:

  1. छोटी छो्टी बहुत प्यारी कहानी बुनते हो.. और लगता है किसी घटना को सजीवता से लिख रहे हो.. शुभकामनाऐं..

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  2. मगर सब कुछ हमेशा ऐसा ही नही रहता.. सूरज को थामने की कोशिश भी कर लो फिर भी डूब जाता है.. कविता क़िस्से कहानिया तब जीभ निकल कर चिढाती है.. जब एक आवाज़ कानो में आती है..

    तुम कैसे ये कर पाओगी..?
    " यही प्रश्न तो दिल की अन्धयारी दीवारों से टकरा कर...वो हिम्मत और हौसला को जन्म देते हैं.....जो हमे कामयाबी के अंजाम तक पहुंचता है.......भावनात्मक स्तर को स्पर्श करता सुंदर लेख.."

    Regards

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  3. bahut sundar Kush ji, sajeev sa varnan

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  4. शब्दों की ये जादूगरी सीखने के लिए अब की बार जयपुर आ कर तुमको एक बढ़िया सी काफी पिलानी ही पड़ेगी...बहुत खूब लिखा है कुश...दिल खुश हो गया.

    नीरज

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  5. बहुत प्यारी कहानी लिखी है कुश, माना पड़ेगा शब्दों के कारोबार में तो हम लोग हैं पर इतनी सी उम्र में आप तो शब्दों के खिलाड़ी हो गए।

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  6. आपकी किताब बेस्ट सेलर चुनी गयी है..

    ये तो मैं पहले से ही जानती थी घोष बाबु..

    ---------
    बेस्ट-सेलरीयता के बारे में आत्मविश्वास। हम तो कैच ही न कर पाये यह भावना!

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  7. तुम ये कैसे कर पाओगी?
    ये सवाल ही कई बार कुछ ऐसा करने को प्रेरित कर देता है की सवाल ही अर्थहीन हो जाए. इस प्रेरणा को इस खूबसूरत तरीके से लिखने के लिए बधाई कुश. वाकया बेहद जीवंत है.

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  8. शायद ऐसे ही किसी एहसास को आत्माओ का मिलन कहते है.. वो आत्माए जो शरीर के ना रहते हुए भी रहती है कहीं.. यादो की तरह.. बस आती जाती रहती है.. दिल के रास्तो से.. जहाँ न सरहदे है न दिवार कोई.. बस चले आता है..

    बेहद खूबसूरत बात कह दी आपने कुश इस कहानी से वाकई शब्दों के जादूगर हैं आप ..एक और बेहतरीन पोस्ट है यह आपकी .

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  9. 'ज़िंदगी का पहिया है..घोष बाबू... और पहिया चलाने में तो महारत हासिल है मुझे..'
    क्या कहने!!! बहुत सुंदर!

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  10. अब कुछ कहकर सूरज की रोशनी को दिए जैसे शब्‍दों से कैसे वयां करूं।

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  11. आपकी कहानियों में सजीवता कूट कूट कर भरी होती है। यही रचनाकार की सफलता की निशानी है। बधाई।

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  12. बहुत बहुत बहुत अच्छी पोस्ट,आप शब्दों में भावो को ऐसे घोल देते हैं ,जैसे दूध में चीनी

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  13. kuch ehsaas jb alfaaz ban kaagaz pe bikharte hai,padhne ko bahut achhi lagte hai,bahut khubsurat post.

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  14. बेहतरीन लिखा है आपने... हमेशा की तरह.. शुक्रिया..

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  15. बहुत सुंदर लिखा है आपने दोस्त ..सचमुच बहुत प्यारा ...

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  16. हर बार की तरह नायाब....

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  17. जानते हो इसे पढ़कर तुम पर गर्व हुआ ओर सोचा तुमसे कहूँ की कथादेश का अक्तूबर अंक ढूँढने बाज़ार में जाओ ओर उसमे एक सच्ची कहानी पढो....वादा करता हूँ तुम्हारी पलके भीग जायेगी.....शाबाश मेरे दोस्त...

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  18. मार्मिक पोस्ट.. पहियों पर अपनी ज़िन्दगी ढोती हुई लड़की कि व्यथा,
    दो पैरों पर चलने वालों के लिये बेस्टसेलर ही समझी जायेगी ।
    जबकि इस यथार्थ की कल्पना ही सिहरा देती है ।

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  19. कुछ कहानियाँ दिल में घर कर जाती हैं,जो ज़िन्दगी के सही पहलू का पट खोलती हैं और एक अद्भुत क्षमता दे जाती हैं.......

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  20. अत्‍यधिक भाव-प्रवण और ह्रदयस्‍पर्शी प्रस्‍तुति है। डूब कर लिखी सो पाठक को अपने में डुबो लेती है।

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  21. पढकर कुछ सुकून सा मिला। अद्भुत।

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  22. ... bahut gahri baat likh di kahani me . aap vakai bahut achha likhte hain .

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  23. किस्सागोई कुश में कूट कूट कर भरी है ! ये रंग लायेगी एक दिन !

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  24. बहुत लाजवाब और भावनात्मक पोस्ट. कुशल शब्द संयोजन.

    रामराम.

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  25. क्या सुंदर लिखा है. अप्रतिम. आभार.

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  26. आप कभी नही कर पाएंगी जैसे शब्द पर मुस्कुराना बेहद कठिन रहा होगा या फ़िर बेहद सरल
    ख़ुद को साबित करने की जद्दोजहत उसे कठिन बनाती है और ख़ुद पर भरोसा उसे सरल
    और कहानी तो कहानी के बारे में इतने लोगों ने इतना कुछ कह दिया अब और क्या कहें

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  27. बहुत सुंदर शब्दों का तानाबाना, वाह!

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  28. सुंदर शब्दों का सुंदर संगम

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  29. tum ye kaise kar paoge, - is sawaal ka jawaaab is prashan ke andar hi hai. bas zaroorat hai ik drishicoon ki... aur kush ji apka drishtikoon bahut sunder aur prerak hai... likhte rahiye... apka lekhan meri prerna hai.

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  30. आह!! अद्भुत कहूँ इस कथा को, इसके भाव को, शब्द संचयन को या वाक्य विन्यास को. बहुत बेहतरीन और भावपूर्ण कहानी बुनी है.

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  31. प्यार तो बस पाक होता है ठीक उस ईश्वर कि तरह.. जो साथ नही रहकर भी साथ होने का एहसास करा जाता है..
    bahut sundar !
    'पहिया चलाने में तो महारत हासिल है मुझे..'

    भावों को शब्दों का जामा बखूबी पहनाया है .भावप्रधान प्रस्तुति.
    कहानी पसंद आई.

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  32. अब तक की गई सारी टिपण्णीयों से सहमत :-)

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  33. बहुत सुंदर लफ्जों में बुनी गई शानदार कहानी..

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  34. हर एक ज़ज्बात जैसे सीप का एक मोती.. मगर छुना मत उसे.. कहते है छुने से वो ओझल हो जाते है.. ये मोती उन चीज़ो में शुमार है जो सिर्फ़ शिद्दत से महसूस करने के लिए होती है........... तब जब आप किसी दोपहरी में लोन में बैठे कॉफी पी रहे हो... हाथ में आपके कोई किताब हो और वो पन्ना जिसको किनारे से आपने थाम रखा है.. अब पलटा कि तब पलटा..पन्ना पलटने के साथ ली गयी कॉफी के एक घूंट की गर्माहट जब सूरज कि किरणों से मिलकर तपिश पैदा करती है तब ये आग भी एक सुकून देती है..

    Kush ji aapki lekhni garv karne layak hai..bhot bhot bdhai svikaren....!!

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  35. तुम कैसे ये कर पाओगी..?

    एक ऐसा सवाल जो जिस्म पर चमड़ी के साथ चिपक गया है.. कितना भी रगड़ लु नही उतरता.. फलक का एक छोर ले जाकर दूसरे छोर से भी मिला दू.. तो भी अगली बार ये आवाज़ कही कानो में गूँज ही जाएगी.. ठीक उसी तरह से जैसे पहाड़ी दलानो से लौटकर आती है आवाज़..

    प्रतिध्वनि.. कहते है शायद उसे..


    ज़िंदगी का पहिया है..घोष बाबू... और पहिया चलाने में तो महारत हासिल है मुझे..

    ये किस के बारे में लिख दिया कुश जी......! मैने तो आपसे कुछ भी शेयर नही किया...... :) :)

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  36. बहोत खूब कुश.... काफी जज्बाती ... पता नहीं कहाँ से तुम्हारी कलम को ऐसे जज्बात मिलते है...

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  37. सजीव रचना लिखी है, कहानी, कथा चित्र या आंखों से गुज़रता संस्मरण, बहुत सुंदर

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  38. कुश...ये अंदाज़ भी है तुम्हारा! यकीन नहीं होता! ऐसा लगा जैसे कोई शब्दों का तिलिस्म सा छा गया है!बहुत खूब....

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  39. ज़िंदगी का पहिया है॥घोष बाबू... और पहिया चलाने में तो महारत हासिल है मुझे..
    पूरी कहानी तो है ही बढ़िया पर सबसे ज्यादा ये लाइन पसंद आई ।

    प्रेरणा दायक कहानी ।

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  40. बहुत सुंदर कहानी प्रस्तुति.

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  41. एक बार फिर आपने दिल को छू लेने वाली कहानी सुनाई है। इतने मर्मस्पर्शी प्लाट कहां से मिल जाते हैं भाई?

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  42. acchha likha hai aapne.....kep it up !!!

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..