दोस्तो.. फिर से हाज़िर है आपका अपना ब्लॉग कॉफी विद कुश सीजन टू में..
वो भी एक नयी थीम के साथ.. " टोस्ट विद टू होस्ट.." जी हाँ यही है.. कॉफी विद डबल तड़का... जिसमे मेरे साथ होस्ट करेंगे... नज्मो के जादूगर.. डा. अनुराग आर्य.. और पहले ही एपीसोड में हमारे मेहमान होंगे.. अपनी अदभुत लेखन शैली और उम्दा टिप्पणियो के लिए प्रसिद्ध डा. अमर कुमार...
मैं तो सोच सोच के परेशान हो रहा हूँ की दो होस्ट मिलकर मुझसे कैसे कैसे सवाल पूछेंगे.. एक होस्ट ने तो पहले ही कह दिया है.. उनकी कॉफी बड़ी स्ट्रॉंग है.. अब इस स्ट्रॉंग कोफ़ी से कैसे निपटा जाए आप ही कोई उपाय बता दो..
वैसे भूलिएगा मत देखना की दो होस्ट के बीच में फँस के कैसे हमारा टोस्ट बनता है..
होशियार हो जाइए.. हमारी कॉफी बड़ी स्ट्रॉंग है.. हम ऐसे ही नही छोड़ने वाले... कॉलेज के दिनो में हम भी ऐसा ही एक प्रोग्राम चलाते थे.. जिसका नाम था 'आइए कुछ देर रु ब रु बैठे' बस अब फिर से वो याद ताज़ा हो गयी..
देखते है कॉलेज वाला वो रोमांच फिर से जगा पाते है या नही.. आप भी देखिए..
पिछले साल जिन्होने कॉफी पी थी हमारे साथ वो बच गये.. क्योंकि इस बार तो मामला संगीन है.. दो दो होस्ट के बीच टोस्ट बनने की नौबत भी आ सकती है.. वैसे इस बार आपको ढेर सारा रोमांच मिलने वाला है.. इस बात की गारंटी है.. आख़िर हमने भी अच्छे अच्छे को कॉफी पिला दी है..
तो फिर क्या सोच रहे है.. हो जाइए तैयार.. सीजन टू के लिए..
बस हो जाइए तैयार... फिर से एक बार आ रहा है कॉफी विद कुश
यदि आप भी डा. अमर कुमार जी से पूछना चाहते है सवाल तो टिप्पणी में लिख भेजिए..
हम तो तैयार है जी, बस आप कॉफी भिजवाईए।
ReplyDeleteवाह जी नया अंदाज .नया रंग बहुत पसंद आया .....आप दोनों ही खूब अच्छे से सब पूछ लेंगे ...वैसे ही उनका टोस्ट बना हुआ है :) अब हम क्या पूछे :) शुभकामनायें इन्तजार रहेगा
ReplyDeleteइन्तहा हो गयी....इंतज़ार की...आ....आयी ना अब तलक,...काफी यार की...ये हमें है यकीं...आएगी वो यहीं...पर बता क्या करें...बहती लार की...
ReplyDeleteवैसे लिफाफा बता रहा है की उस में माल जोरदार होगा...
नीरज
कॉफी का इंतजार तो हमें भी है
ReplyDeleteसबसे पहले भाई कुश और डा. अनुराग आर्य.. खुश हो जाऔ और नये अवतार के लिये बधाई ले लो।
ReplyDeleteडा. अमर कुमार...जी को कॉफी के डब्बे मे बन्द क्यो किया है। क्या ईरादा है ?
कभी अवसर मिला तो भाई फ्रि वाली कॉफी का स्वाद हम भी सखना चाहेगे।
[हे प्रभु के सम्रर्थक बनिये और अपने टीपणी से अनुग्रहीत करे]
बहुत खूब. इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म हुई. डॉक्टर साहब को दो होस्ट के बीच देखना बढ़िया रहेगा. इंतजार अब एपिसोड का है.
ReplyDeleteहोस्ट जब डाक्टर हो तो उसे टोस्ट पर मक्खन लगाने के लिए छुरी भी सर्जरी के सामान से निकल आएगी।
ReplyDeleteआगे आपकी कॉफी का इंतजार रहेगा।
intazaar hai:)
ReplyDeleteपंगा अवश्य लेंगे पर जब तक सोचते है तब तक जरा पहले हमे काफ़ी पिलवाईये :)
ReplyDeleteचिट्ठाकारों से सामुख्य कर यह नई शैली अच्छी है। टिप्पणियां पढ कर अनुमान हो रहा है कि पूछना कोई नहीं चाहता। सब सुनना चाहते हैं।
ReplyDeleteइस सखशियत के बारे में जानने को सभी व्यग्र हैं.
ReplyDeleteरामराम.
हम नए हैं तो हम देखना चाहेंगे कि क्या रंग जमता है .....सुना भी है ...अब पढने का मौका मिलेगा नया
ReplyDeletejo bhi savaal hai ham sidhe dr. sahab se hi puchh lenge.. :P
ReplyDeletevaise Dr.Amar uncle mere fav hi.. :)
आपकी कॉफी का इंतजार रहेग..... . डॉक्टर साहब को दो होस्ट के बीच देखना बढ़िया रहेगा. इंतजार अब एपिसोड का है.
ReplyDeleteइसका तो इन्तजार रहेगा मित्र!
ReplyDeleteअतिथि और आतिथेय चिकित्सकों की पेशागत विशेषज्ञता क्या है ?
ReplyDeleteकुश भाई, मेरा यह प्रश्न जरूर पूछिएगा:)
ReplyDeleteडॉ. अमर जी, आप अपनी पोस्टों में लम्बी-लम्बी जलेबी छानते हैं और टिप्पणियों में गोल-गोल इमरती। यानि टेढ़ी-मेढ़ी और घुमावदार होते हुए भी इनका जायका मीठा ही होता है। रस (चाशनी) से लबरेज। क्या कभी हलवाई की दुकान पर भी काम किया है?
डॉ. अनुराग ने शुरुआत ही विरादरीवाद (डॉक्टर) से की है। आगे हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए। :):):D
उर्दू के ज्ञान का उपयोग पर्चा लिखने के अलावा और कहीं भी किया कभी?
ReplyDeleteउर्दू का आपके मिजाज पर भी कोई असर है क्या ?
डाक्टर साहब से मेरा प्रश्न पाछियेगा,
ReplyDeleteप्रशन : डाक्टर साहब भारत के उत्थान के लिये आप क्या सुझाव देँगेँ ?
प्रश्न इसिलिये पूछ रही हूँ , क्यूँकि मैँ आपकी गहरी सोच के बारे मेँ जानती हूँ --
आप गोनोँ की जुगल जोडी को शुभ कामना "कोफी विद कुश " ज़िँदाबाद !
स स्नेह,
- लावण्या
hmmmmmmm..........just waiting for ur blog update......ye to yakin tha ki dusre host kaun honge tumahre saath....waise isliye ab jyada wait kar rahi hu tumhare season two ka :P ...i smell something is buring........................
ReplyDeleteइंतजार है....
ReplyDeleteइंतजार है....
ReplyDeleteनही कोई सवाल नही पूछना, लेकिन इंतजार है... आप की इस गर्मा गरम काफ़ी का.
ReplyDeleteधन्यवाद
इंतज़ार रहेगा एक शानदार मैच का।दो पाट्न के बीच मे सुनते आए है,इस मैच मे यही देखना है पाट पीसते है या पिसते,क्यो मामला स्ट्रांग काफ़ी, स्ट्रांग होस्ट और स्ट्रांग टोस्ट का है।
ReplyDeletepratiksha hai is naye episode ki
ReplyDeleteकडक क्यॊं थे होस्ट
ReplyDeleteजला क्यॊं था टोस्ट?
इंतजार है, ले आओ... मुझे तो इंतजार है नये फोरमेट का..
ReplyDeleteअब तो इंतज़ार भी काफी तो गयी, (मतलब गया) .........
ReplyDeleteइंतज़ार है...........
डा० साहब विद्वान पुरूष हैं, उनसे साक्षात्कार में कई नई बातें खुलेंगीं।
ReplyDeleteare waah...is baar coffee ke saath toast with two two host....maza aayega.
ReplyDeleteप्रतिक्षा है, गरमागरम स्मूद कॉफी की.
ReplyDeleteइंतज़ार और सही...
ReplyDeleteआप लोग तो जो भी करेंगे,लाजवाब दमदार ही करेंगे....पक्का भरोसा है....उत्सुकता और प्रतीक्षा रहेगी...
ReplyDeleteमजेदार लज्जतदार कई स्वाद में कॉफी कॉफी कॉफी......
सफलता के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं.
intazaar hai
ReplyDeleteबहुप्रतीक्षित काफ़ी विद कुश की वापसी पर अच्छा लग रहा है. अमर जी से उनकी लाइन तोड़ टिप्पणियों के बारे में कई सवाल पूछे जांय, यह जरूर की उनकी टिप्पणियों की पंक्ति पूरी क्यों नहीं होती?
ReplyDelete"सोचा किसी ज़रूरतमंद को दे दूँगा. . और दिए भी पर देखिए ना जितने दिए बढ़ते ही गये.. अब भी बढ़ते जा रहे है.."
ReplyDeleteबहुत सुंदर! ईश्वर करे कि ये शब्द इसी तरह बढते-बहते रहें!!
डाक्टर साहब शुरू जब हो जायेंगे तब प्रश्न यहां जोड देंगे!!
सस्नेह -- शास्त्री
ho jaye dilchasp coffee
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ReplyDeleteआह, यह तुमने क्या किया, अनुज ?
यहाँ टँकी पर चढ़ने की धक्कामुक्की मची है :)
सो, मैं तो आहत अहं के भ्रम में ब्लाग-विरक्त हो वनगमन को चल पड़ा था..
और तुमने पीठ पीछे निमंत्रण घोंप दिया, बिन पूछे क़ाफ़ी की घोषणा कर डाली, आह, यह तुमने क्या किया, बंधु ?
मानों यह सूर्योदय बेला में राज्य की सीमा से लकड़हारे को पकड़ राजगद्दी पर बैठाने की आकाशवाणी हो ।
साथ में इस डा. अनुराग a.k.a. चमड़ी-कुरेद सृजक को भी लगा लिया !
यह तुमने क्या किया, बंधु ?
तेरा मान रखूँगा पर, नौचंदी एक्सप्रेस में 63 की वेटिंग चल रही है,
यदि भाई ज्ञानदत्त कोटे से जुगाड़ लग गया, तो शनिवार को अवश्य मिलता हूँ ।
तो फिर प्रतीक्षा कर, क्योंकि मैं स्वयं ही प्रतीक्षारत हूँ ।
यकीन है कि कुश का यह नया अन्दाज़ भी खूबसूरत होगा फिर दिल की बात करने वाले अनुराग भी साथ हैं....अमरजी से साक्षात्कार का इंतज़ार ..
ReplyDeleteइन्तजार लगा है.
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ReplyDeleteखेद है :D
भावातिरेक में " वनगमन को चल पड़ा था.. " लिख गया है,
किन्तु, इसमें एक ही धातु का दो बार प्रयोग हो गया है,
यह शायद गलत है, कृपया सुधार कर पढ़ा जाय
होना चाहिये था कि " वनगमन को तत्पर था "
जो अब नहीं हूँ :)
एक दो कप coffee के लिए कितने दिन भूखे प्यासे रखोगे? जल्दी इंटरव्यू छापो भई...हम इंतज़ार कर रहे हैं.
ReplyDeleteमैं अमर जी से पूछना चाहती हूँ की वो वनगमन पैदल ही कर रहे थे या किसी वाहन पर थे? और तुमने जंगल में उन्हें कैसे पकड़ा क्या अमर जी तुम्हें अपनी जीपीएस पोजीशन भेज दिए थे?
अरे यार जल्दी से ये काफी बनाइए और पीजिए, पिलाइए, हम तो कब से इस होस्ट और टोस्ट का इंतजार कर रहे हैं।
ReplyDeleteडा. अमर का डाक्टर और लिखने-पढऩे का काम्बिनेशन तो बड़ा गजब है, एक सवाल हमारी तरफ से भी दाग दीजिए, ये पढ़ने लिखने का शौक(बीमारी) किस उम्र से लगा और क्या पढ़ना लिखना पसंद करते हैं।
कुश, आपका नया लेआउट तो गजब है, लेकिन कमेंट बाक्स बदलकर आपने हम जैसे तकनीक से दूर लोगों के साथ बड़ी गड़बड़ कर दी, यार तीन चार बार में जाकर कमेंट पोस्ट कर पाई हूं, कुछ आसान रखिए न इसे। दो दिन से यहां कमेंट देने की कोशिश के बाद आंतत मुझे सफलता मिल ही गई।
ReplyDeletewow wow.. intezaar rahega part II ka :-) aap ki coffee ke 10-12 bhaag mein lagta hai mujhe bhi bulaya jayega mehmaan ke roop mein :-) :-)
ReplyDeleteNew Post - I Miss You... Words from My Heart
वाह कुश भाई...अबके तो लगता है काफी खूब जमने वाली है....इंतजार है बेसब्री से
ReplyDeleteकिधर है कॉफी ?
ReplyDeletesorry for late arrival , i was on a long tour.
ReplyDeleteI am just thinking ki , agar main bhi wahan hota to kitna maza aata , bahut si baaten karte..
good post..
bahut badhai ..
maine bhi kuch naya likha hai , pls read my new poem on http://poemsofvijay.blogspot.com
Hi, I'm Alvaris Falcon from FalconHive.com, thanks for using our template on your precious blog!
ReplyDeleteHowever, you have removed the footer link below, which should be kept intact in every freely distributed Color Paper Blogger template:
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होली पर्व की हार्दिक शुभकामना के साथ
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