Friday, July 13, 2007

ek situation vishesh pe likhi gayi poem

-------------------------------------
अरे भई सोहन!!
हा कुछ हिया ई पुकारत है
हमार भाई साब !!
अब का करे हम ऊका
ऊ है ही बड़े मज़ाकी

सीढ़ी उतरते उतरते बोले
ये अपना मुकुंद कुमार कहा है
हमार खोपड़ी चकराई
ई ससुरा मुकुंद कुमार कौन?
तो हम बोले की बावले
मुकुंद कुमार अपना डिराइवर

हम मुस्कुराई के अपना सर
खुजाते रह गये ...
अब का करे हम ऊका
ऊ है ही बड़े मज़ाकी

इसपेसल थाली मंगाकर
बट्टर नान निकाल दी
चपति खाने लगे..
मेनू में पढ़ा था
स्वीट भी साथ है

जो वेटर ने आकर
थाली उठाने की कोसिस की
तो मिठाई के बारे मैं पूछे
बड़ा लंबा सा खींच कर बोले 'इसमे...'

हँसी के मारे ऊके
पेट में दर्द का उफान हुई गवा
वेटर मारे डर के जो अ-इसन भागा
की लौट के ही ना आया..

अब का करे हम ऊका
ऊ है ही बड़े मज़ाकी

दुइ मिनट सुस्वाने गये
लौट आए तो मैडम कोई
उनकी सीट पर बैठ गयी
हमने तानिक कहा भैया से
की भैया आपकी सीट पे कोई और है

बड़ी ईनिस्टाईल से कहते है
अब लड़ीज़ बैठ गयी है
तो बैठे रहने दो..
काहे डीस्टरब़ करते हो..

अब का करे हम ऊका
ऊ है ही बड़े मज़ाकी

रात रेडिओ में फ़ोन मिलाई के
नाम बताए अपना
केवट राम बिस्कर्मा.. गाव जोनपुर
ज़िला पटना.. ऊकी पत्नी का नाम
गीता बाई और टोपी गोपी और चुननु
की फ़ार्माइस वाला सॉन्ग सुनने को बोले

s d भैया का गाना और बोले
रफ़ी साह्ब ने गाया है ....
रेडिओ के ज़ाकी का भी बुरा
हाल किए दिए

अब का करे हम ऊका
ऊ है ही बड़े मज़ाकी

आप कही देख ले उनको
तो बच के रहिएगा हा..
बताई देते है
का पता ऊ निसांची का
अगला निसाना आप ही बने

अब का करे हम ऊका
ऊ है ही बड़े मज़ाकी

--------------------------

No comments:

Post a Comment

वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..