Thursday, August 21, 2008

सुना है लोग उसे आजकल चाँद कहते है..

छोटी सी थी मैं
जब अब्बु रोज़ चवन्नी दिया
करते थे.. एक मेरी
और दूसरी रमज़ान की
होती थी..साथ साथ
मस्जिद के परले वाली
दुकान से चकली
ख़रीदने जाते थे
एक दिन रमज़ान ने
मेरी चकली गिरा दी
मैने ग़ुस्से में
आकर उसकी चवन्नी
छीन ली.. और भाग कर
पहुँची बानो की
छत पर.. रमज़ान पीछे
पीछे आया. तो उछाल दी
आसमान में .. उस रोज़ रमज़ान
बहुत रोया था.. रात मैने
उसकी चवन्नी ढूँढ ली
मगर दे ना सकी उसे लाकर,
रमज़ान अब भी आता है साल
में एक बार अपनी चवन्नी
लेने ..

सुना है अब लोग उसकी चवन्नी को
चाँद कहते है...
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(२)

पैरो के नीचे
ज़मीन दबा के
जो ज़ोर से छलांग लगाई
की जा पहुँची आसमान
की पेशानी पर..
और लबो से इक
निशानी छोड़ दी वहा..
तब सुर्ख़ लाल
रहती थी.. मगर वक़्त
के साथ पिघलते पिघलते
रंग उतरता गया..
मैं जीती रही बदस्तूर..
इक रोज़ मेरा भी चलना हुआ
तबसे मेरे होंठ की
वो निशानी मेरी याद में
सफ़ेद पड़ गयी है..

सुना है लोग उसे आजकल
चाँद कहते है...

39 comments:

  1. vaise ek chaand humare saath zamin par bhi hain...aur duniya use 'kush' ke naam se jaanti hain...

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  2. अरे वाह...क्या कल्पना है!मैं भी सोचती हूँ और किन किन चीज़ों को चाँद बनाया जा सकता है! बहुत बढ़िया दोनों ही...चवन्नी कुछ ज्यादा जची!

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  3. बाबा रे इतने बीमार लग रहे थे कुछ देर पहले एक पोस्ट पर :) तब भी इतना सुंदर लिख लिया तुमने कमाल है भाई तुम्हारी .:) बेहद पसंद आया यह चाँद का ख्याल और रमजान ..बहुत मासूमियत है दोनों रचनाओं में ...बहुत खूब

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  5. बरसों पहले हम जुदा हुए उनसे
    फ़िर न मिलने की कसम खा कर
    सालों बाद भरी महफ़िल
    जो नजरे टकराई फ़िर उन्ही से जाकर
    हम उन्हें देखते रहे, वो हमें
    दस्तक देने लगी यादें जब कई आकर
    वो अश्क जो उन्होंने
    छत पर जाने तक रखा बचाकर
    सुना है अब लोग उसे चाँद कहा करतें हैं

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  6. जुदा तस्वीर....जुदा अंदाज.....सोचता हूँ एक चाँद कितने लोगो के सपनो के भर ढो रहा है बरसो से बिना शिकायत किए हुए ....जहाँ तक ....आपके चाँद की बात है.....खूबसूरत है....

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  7. bachpan mei mere bhai ko poonam ka chaand ek amrud pakaa hua amrud nazar aata tha...

    chaand ka sabse apna apna equation hota hai..pehli rachna behad hi khoobsoorat hai..

    dusri bahut alag aur bahut sundar..

    baantne ke liye shukriya..

    likhte rahe :)

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  8. क्या बात है....
    यथार्थ व कल्पना का अद्भुत संगम.
    कालातीत..
    बधाई स्वीकारें..

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  9. chalo.... tumne bhi chand ki aur dekha to sahi .... chavavni samajhkar hi sahi :P .... ya koi nishani samajh kar hi sahi.....khubsurat hai dono chand.....

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  10. Bahut Bahut badhiya....ye padhkar sach me bahut maza aaya. Kya sundar kalpana hai...badhai sweekar karein

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  11. आपकी कल्पना का जवाब नहीं, शब्द सरिता हो जाते हैं!

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  12. भाई कुश...तुम तो वैसे भी मजेदार लिखते हो। तुम्हारी चवन्नी का चांद करोड़ों का हो जाता है औऱ सफेद पड़े होठों में चांद की लकदक चमक झिलिमला जाती है.... अच्छी कविताएं।

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  13. बहुत सुंदर प्रस्‍तुति.. जवाब नहीं..।
    .. तो हमें हुक्‍का वाले फोटो में उलझाकर खुद चांद गढ़ रहे थे :)

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  14. पैरो के नीचे
    ज़मीन दबा के
    जो ज़ोर से छलांग लगाई
    की जा पहुँची आसमान
    की पेशानी पर..
    और लबो से इक
    निशानी छोड़ दी वहा..
    तब सुर्ख़ लाल
    रहती थी.. मगर वक़्त
    के साथ पिघलते पिघलते
    रंग उतरता गया..
    बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई

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  15. कमाल की उड़न भरी है भाई इस बार ! मान गए !

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  16. अच्छी कल्पना है आपकी कविता मेँ !

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  17. kaafii dino baad puraney gulzarian saa...bahut acchha

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  18. वाह! बहुत सुन्दर,बधाई.

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  19. चाँद को कैसा सजाया....सुभानल्लाह

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  20. i've no words..
    only superb... :)

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  21. एक चाँद कितने फ़साने आपके भी और.... चाँद तो चाँद है...

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  22. सुन्दर कल्पना और प्यारी कविता ....

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  23. आप सभी की स्नेहिल टिप्पणियो के लिए बहुत बहुत आभार.. कृपया भविष्य में भी यूही मार्गदर्शन करते रहे..

    आभार
    कुश

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  24. इतनी देर से आने की माफ़ी चाहूंगी, आपकी नज़्म के बारे में इतना ही कहूँगी की आपका तसव्वुर हैरान करता है, कल्पना का ये रंग वाकई बेहद दिलकश है, बात तो बस imagine की है की वो कौन सा रंग लेती है और कौन सा रंग छोड़ जाती है, चाँद को जो रंग आपने दिया है वो amazing है कुश जी, दिल को छूती हुयी इस हसीं नज़्म के लिए आपका बेहद शुक्रिया.

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  25. वाह वाह सिर्फ़ वाह.
    शब्दों की चित्रकारी की क्या कहूँ.लाजवाब है.बहुत ही सुंदर.....

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  26. सुंदर प्रस्‍तुति.शुक्रिया.

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  27. kamaal ke rang hain aapke....kitne sundar chitra hain aapkekavita ke...

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  28. suparv blog this is really good blog . plz keep it up
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  29. आप कल्पना वाकई बहुत अच्छी कर लेते हैं.बहुत बहुत बधाई .इतनी अच्छी कविता के लिए .

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  30. kalapna ki parakastha aur gharayi shabdon main
    likhte waqayi kamaal ho

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  31. कुश आपके ब्लोग पर आकर अच्छा लगा. आप बहुत अच्छा लिखते है.. वैसे तो आपके ब्लोग पर अक्सर आता हुँ.. पर आज पता चला कि आप जोधपुर से है तो बहुत अपना सा लगा.. "अपणायत" इसे ही कहते है...

    रंजन मोहनोत
    aadityaranjan.blogspot.com

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  32. aap sabhi ki pratikriyao ke liye bahut bahut dhanyawad.. kripya bhavishy mein bhi yuhi mera margdarshan karte rahe..

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  33. chand, chavanni aur ramjan, kya likha hai aapne,bas yahi kahenge bhai kush, dil khush ho gaya

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  34. This comment has been removed by the author.

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  35. apki chavanni yahi chand mera bhi fvrt hai...mera bachpan ka dost hai. or ha is ramzaan par apki kavita padhkar laga ki apke lekhan me bahut jaan hai....all the best...:)

    Read more: http://kushkikalam.blogspot.com/2008/08/blog-post_21.html#ixzz1Wu8CqMnV

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वो बात कह ही दी जानी चाहिए कि जिसका कहा जाना मुकरर्र है..