कुछ बातें दिल की दिल मैं ही रह जाती है ! कुछ दिल से बाहर निकलती है कविता बनकर..... ये शब्द जो गिरते है कलम से.. समा जाते है काग़ज़ की आत्मा में...... ....रहते है........... हमेशा वही बनकर के किसी की चाहत, और उन शब्दो के बीच मिलता है एक सूखा गुलाब....
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अच्छा ब्लाग है मोरपंख. धन्यवाद इंगित करने के लिए.
ReplyDeleteस्वागत है, स्वागत है...
ReplyDeleteस्वागत है. आपका आभार लिंक देने के लिए.
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