tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post8418498359859879453..comments2023-09-18T17:49:48.176+05:30Comments on कुश की कलम: ज़िंदगी अब पुरानी जीन्स लगती है..कुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comBlogger49125tag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-85838029486777580002009-05-06T11:30:00.000+05:302009-05-06T11:30:00.000+05:30PD ने एक कविता बहुत पहले अपने ब्लोग पर लिखी थी...
...PD ने एक कविता बहुत पहले अपने ब्लोग पर लिखी थी...<br />"वो अछूत सी लगने वाली सब्जी,<br />भी अब खा लेता हूँ..<br />रात में अब चावल से भी<br />परहेज नहीं है..<br />अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ..<br /><br />कोई अब पूछता नहीं,<br />की कहाँ जा रहे हो..<br />कोई अब पूछता नहीं<br />की किससे मिल के आ रहे हो..<br />अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ.."<br /><br />यही भाव इस लेख में भी आ रहे हैं... बहुत जीवंत चित्रण.. हम सभी के पास कुछ ऐसी यादें होती है... खुब..रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-49739542481702277432009-05-05T11:14:00.000+05:302009-05-05T11:14:00.000+05:30देर से आया...माफ़ी...लेकिन कमबख्त तुमने पुराने दिन ...देर से आया...माफ़ी...लेकिन कमबख्त तुमने पुराने दिन फिर से याद करवा दिए...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-87001406460756181232009-05-03T17:55:00.000+05:302009-05-03T17:55:00.000+05:30ख़ुशी का, खुमार का, थोड़े से प्यार का
एक एक कर सार...ख़ुशी का, खुमार का, थोड़े से प्यार का<br />एक एक कर सारे रंग छूट गये..<br /><br />ज़िंदगी अब पुरानी जीन्स लगती है.." <br /><br />bahut khoob Kush...nostalgia ka sundar samaa bandjha hai aapne....Geehttps://www.blogger.com/profile/10115781717096712010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-84655099505359550802009-05-03T12:35:00.000+05:302009-05-03T12:35:00.000+05:30kiski yaad aa rahi hai bhai!!!!!!!!!!!kiski yaad aa rahi hai bhai!!!!!!!!!!!meetahttps://www.blogger.com/profile/04892220029704168005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-7568103162120301772009-04-28T16:06:00.000+05:302009-04-28T16:06:00.000+05:30पहले जैसा कुछ भी नहीं होता मगर यादें पीछा करती हैं...पहले जैसा कुछ भी नहीं होता मगर यादें पीछा करती हैं<br />सही फरमाया आपने....जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-13968603911564169352009-04-28T11:41:00.000+05:302009-04-28T11:41:00.000+05:30सच है वक्त के गुजर जाने पर हम उसे याद करने में बढ़...सच है वक्त के गुजर जाने पर हम उसे याद करने में बढ़िया वक्त गुजारते हैं..... कभी होंठ खुद ब खुद खिंच जाते हैं और कभी आंखें कुछ नमी सी महसूस करती हैं। जब-जब वो वक्त भिंची मुट्ठियों की अंगुलियों के बीच की दरारों से निकलता है तो यूं ही कहीं कनखियां बिखेरती है, स्याही - कलम, कम्प्यूटर की बोर्ड- स्क्रीन या अपनों के कहकहों के बीच। बढ़िया पोस्ट कुश।तरूश्री शर्माhttps://www.blogger.com/profile/14633011423481155460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-68688952311829957782009-04-28T10:19:00.000+05:302009-04-28T10:19:00.000+05:30बाते आपकी सही है , भाव सुन्दर है ! लेकिन जिन्दगी ...बाते आपकी सही है , भाव सुन्दर है ! लेकिन जिन्दगी को देखने का यह अप्रोच अब पुराना हो गया है ! खैर , वैयक्तिक अनुभूतियों पर कोई प्रश्न नही उठा सकता लेकिन उन्मुक्त व जीवंत जीवन उम्र से ज्यादा व्यक्ति के चीजों के देखने के ढ़ग पर निर्भर करता है ! (अंतिम पैरा को विशेष रूप से ध्यान रख कर यह कह रहा हूँ !)अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-59205584239830342472009-04-27T12:39:00.000+05:302009-04-27T12:39:00.000+05:30गुरु तुस्सी तो छा गए
वैसे बचपन में लगता है कि ज...गुरु तुस्सी तो छा गए <br /><br />वैसे बचपन में लगता है कि जल्द बडे हो जाओ तो ये बंदिश खत्म हो<br /><br /><br />और अब ये बडा बनकर लगता है कि काश बचपन ही रहता जिंदगी भर !!राजीव जैनhttps://www.blogger.com/profile/07241456869337929788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-89100601800525578832009-04-25T18:55:00.000+05:302009-04-25T18:55:00.000+05:30माँ की ममता को कितने सहजता से उजागर कर दिया आपने
...माँ की ममता को कितने सहजता से उजागर कर दिया आपने <br />आज वो सब कुछ कितना याद आता है (nostalgic )<br /><br />वैसे पुरानी जींस तो फैशन है शायद , नहीं क्या ??<br />या आप बहुत पुरानी जींस की बात कर रहे हैं :))P<br />Interesting !!!! Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-20008652933397632172009-04-25T17:24:00.000+05:302009-04-25T17:24:00.000+05:30emotional kar rahe ho tum..???? gandi baat...!emotional kar rahe ho tum..???? gandi baat...!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-88571378370347400982009-04-25T15:10:00.000+05:302009-04-25T15:10:00.000+05:30कहते है न बच्चे घर को रौशन रखते है क्योंकि वो घर क...कहते है न बच्चे घर को रौशन रखते है क्योंकि वो घर की बत्तिया बुझाना भूल जाते है..<br />.<br />कुश जी, क्या लिख मारा है!!! सच, जिन्दगी अब पुरानी जींस लगती है.नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-3660619658881003342009-04-25T06:54:00.000+05:302009-04-25T06:54:00.000+05:30मुझे भी अपना बचपन, अपनी मां याद आ गयी।मुझे भी अपना बचपन, अपनी <A HREF="http://unmukt-hindi.blogspot.com/2007/05/mother.html" REL="nofollow">मां</A> याद आ गयी।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-27905703542437235652009-04-25T02:26:00.000+05:302009-04-25T02:26:00.000+05:30तुम्हारा लिखा पढ़ लेने के बाद कुछ कहना बड़ा मुश्किल-...तुम्हारा लिखा पढ़ लेने के बाद कुछ कहना बड़ा मुश्किल-सा हो जाता है। देखो ना, कैसे आप से तुम पर आ गया हूँ। इन शब्दों को आदत होती है रिश्ता बना लेने की...जैसे डायरी के पन्नों को आदत होती है जिंदगी को फिर-फिर से पुरानी जीन्स पहनाने की...गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-55107383029791042482009-04-24T22:31:00.000+05:302009-04-24T22:31:00.000+05:30बहुत अच्छी और सुंदर शब्दों में निरूपित .बहुत अच्छी और सुंदर शब्दों में निरूपित .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-10741064464395571962009-04-24T20:59:00.000+05:302009-04-24T20:59:00.000+05:30कुश ....क्या कहूँ बहुत देर से पढी आपकी ये पोस्ट .....कुश ....क्या कहूँ बहुत देर से पढी आपकी ये पोस्ट ..अगर छूट जाती तब कितना अफसोस होता बता नहीँ सकती - <br />आजकल नोआ जी मेरे पास हैँ :)<br />..<br />समय कम पड रहा है <br />और आज समय सार्थक हो गया ! <br />आपकी माँ को मेरे प्रणाम कहना <br />और भाभी को तथा आपको स स्नेह, आशिष <br />-लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-66602715408285903002009-04-24T16:27:00.000+05:302009-04-24T16:27:00.000+05:30isiliye kahti huun..ab shahnaayi bajvaao :))..post...isiliye kahti huun..ab shahnaayi bajvaao :))..post aur triveni bahut acchhi hai..:)पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-83683960826883343472009-04-24T15:58:00.000+05:302009-04-24T15:58:00.000+05:30बहुत तसल्ली से दिल में आते जाते भावों को शब्दों का...बहुत तसल्ली से दिल में आते जाते भावों को शब्दों का जामा पहनाया है..बहुत पसंअ आया:<br /><br />ख़ुशी का, खुमार का, थोड़े से प्यार का<br />एक एक कर सारे रंग छूट गये..<br /><br />ज़िंदगी अब पुरानी जीन्स लगती है.." <br /><br /><br />-त्रिवेणी असरदार और धारदार है.<br /><br />बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-37396656526197952012009-04-24T15:21:00.000+05:302009-04-24T15:21:00.000+05:30जब जिंदगी का रोमांच खत्म हो जाए, तो ऐसा ही लगता ह...जब जिंदगी का रोमांच खत्म हो जाए, तो ऐसा ही लगता है।<br /><br />-----------<br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">TSALIIM</A> <br /><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">SBAI</A>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-75455107004545231902009-04-24T15:16:00.000+05:302009-04-24T15:16:00.000+05:30क्या कहूँ? ये सिर्फ एक पोस्ट नहीं है कुश. केवल पोस...क्या कहूँ? ये सिर्फ एक पोस्ट नहीं है कुश. केवल पोस्ट होती तो बधाई दे देता.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-36322731801976012062009-04-24T13:04:00.000+05:302009-04-24T13:04:00.000+05:30यार, तुम्हारा पोस्ट पढ़ने में एक ही दिक्कत है. तुम...यार, तुम्हारा पोस्ट पढ़ने में एक ही दिक्कत है. तुम इमोशनल कर देते हो.dr ravi sharmahttps://www.blogger.com/profile/12510863523953513332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-81598303739978225462009-04-24T13:01:00.000+05:302009-04-24T13:01:00.000+05:30bahut hi khubasoorati se likha hai...
ghar se baha...bahut hi khubasoorati se likha hai...<br />ghar se bahar rah kar mere anubhav bhi aapse hi hai...Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-88608097785246690912009-04-24T11:15:00.000+05:302009-04-24T11:15:00.000+05:30बहुत सुन्दर.... बहुत कुछ याद दिला दिया आपने ...बहुत सुन्दर.... बहुत कुछ याद दिला दिया आपने ...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14630411796468046879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-34641256111912411612009-04-24T10:41:00.000+05:302009-04-24T10:41:00.000+05:30luvly post
जिन्दगी जिसे कहते हैं.. जादू का खिलौना...luvly post<br /><br />जिन्दगी जिसे कहते हैं.. जादू का खिलौना है<br />मिल जाये तो माटी है... खो जाये तो सोना है<br /><br />sach chizein pas to to unki koi kadra nahi aur door jate hi sabse kimti..travel30https://www.blogger.com/profile/00114463185726816112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-43253306951978015722009-04-24T07:31:00.000+05:302009-04-24T07:31:00.000+05:30वाह कुश जी अद्भुत पोस्ट ,वाकई मैं भी सुबह सुबह जब ...वाह कुश जी अद्भुत पोस्ट ,वाकई मैं भी सुबह सुबह जब रियाज़ को बैठती थी,माँ सुबह का नाश्ता फिर खाना मुझे मेरे संगीत कक्ष में ही दे जाती,पता था की मैं वहा से नहीं उठने वाली,आज भी जब रियाज़ करने बैठती हूँ तब जब खुद को खाना बनाने के लिए उठाना पड़ता हैं माँ की बहुत याद आती हैं ,उसके हाथ की गर्म गर्म रोटियों की सुगंध आज भी मुझे मेरे घर के संगीत कक्ष में भी आती हैं और आँखे अनायास ही भर आती हैं ,तब पहला फोन होता हैं माँ तुम्हारी याद आ रही हैं . <br /><br />इस अच्छी सी पोस्ट के लिए आपको बधाई और आभारRADHIKAhttps://www.blogger.com/profile/00417975651003884913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-578647133558767422.post-6411457724924842692009-04-24T07:09:00.000+05:302009-04-24T07:09:00.000+05:30सुन्दर पोस्ट! आनन्दित हुये पढ़कर!सुन्दर पोस्ट! आनन्दित हुये पढ़कर!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com